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Impact : इंटरनेट बंदी पर राजस्थान की किरकिरी, दिल्ली तक गूंज, डीओटी ने मांगी रिपोर्ट, नेटबंदी के खिलाफ कोर्ट में याचिका

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जनहित याचिका के माध्यम के कोर्ट में केस
राज्य में बहुत ज्यादा इंटरनेट बंदी को लेकर राजस्थान सरकार की किरकिरी हुई है। जम्मू-कश्मीर के बाद राजस्थान में नेटबंदी करने के कारण इसकी गूंज दिल्ली तक जा पहुंची है। दूरसंचार विभाग (डीओटी) मुख्यालय ने इस मामले में रिपोर्ट मांगी है। डीओटी अधिकारी जल्द ही मुख्य सचिव के मिलेंगे। दूसरी ओर परीक्षाओं के नाम पर इतनी नेटबंदी के खिलाफ हाइकोर्ट में जनहित याचिका भी लगाई गई है।डिजिटल माध्यम काम करने वाले होते हैं प्रभावित
दरअसल भर्ती परीक्षा ही नहीं, राजस्थान में सवाल कानून व्यवस्था का हो या कोई और प्रदर्शन। नेटबंदी गहलोत सरकार का हथियार बन गई है। जिसका नुकसान डिजिटल माध्यम से काम करने वाले व्यापारियों, कैब संचालकों, फूड डिलीवरी करने वालों, ऑनलाइन एजुकेशन लेने वाले छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। राजस्थान में नेटबंदी के बावजूद एक महीने पहले आयोजित रीट भर्ती परीक्षा में नकल माफिया ने पेपर लीक करा दिया। पटवारी भर्ती परीक्षा में भी हालात खराब रहे। देश में जम्मू-कश्मीर के बाद सबसे ज्यादा इंटरनेट बंदी राजस्थान में हो रही है। जम्मू-कश्मीर में तो खैर असामाजिक तत्वों की गतिविधियों के कारण ऐसा है, लेकिन राजस्थान में ऐसा बार-बार होना सरकार की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाता है। उसी कांग्रेस के शासन में ऐसा हो रहा है जो जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बंदी पर हो-हल्ला मचाती रही है। सवाल उठना स्वाभाविक है कि फिर यह दोहरा रवैया क्यों ?
अब जुटाने लगे कब, कहां, कितनी हुई नेटबंदी
अब डीओटी द्वारा नेटबंदी की रिपोर्ट मांगने के बाद जानकारी जुटाई जा रही है कि राज्य में पिछले दिनों में कहां-कहां, कितनी बार इंटरनेट को बंद करने के सरकार ने आदेश दिए और इसके क्या कारण रहे ? केंद्र सरकार की ओर के संभागीय आयुक्तों के दी गई शक्तियों के जुड़े गजट नोटिफिकेशन के आधार पर काम हो रहा है या नहीं ?दूसरे राज्यों से तुलनात्मक स्थिति का भी अध्ययन
इसके अलावा दूसरे राज्यों के तुलनात्मक स्थिति का भी अध्ययन किया जाएगा। इसको लेकर स्थानीय डीओटी अधिकारी सक्रिय हो गए हैं। डीओटी अधिकारी जल्द ही इस संबंध में सीएस के मिल सकते हैं। उधर, टेलीकॉम ऑपरेटरों ने भी प्रदेश में इंटरनेट से जुड़ी स्थिति को उच्च स्तर तक पहुंचाया है। ताकि लोगों को परेशानी के बचाया जा सके।नेटबंदी को अवैध और असंवैधानिक घोषित हो
प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं के नाम पर आए दिन नेटबंदी का मामला हाइकोर्ट में भी पहुंच गया। इस मुद्दे पर नीरज कुमार यादव की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि इंटरनेट बंद होने के कारण ऑनलाइन ट्रांजेक्शन रुक जाते हैं। लोग कैब आदि परिवहन सुविधाओं का उपयोग नहीं कर पाते। छात्रों को ऑनलाइन एजुकेशन नहीं मिल पाती। इसलिए नेटबंदी को अवैध और असंवैधानिक घोषित किया जाए।

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