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राजस्थान में राहुल की राह में मुश्किलें हजार, गुर्जर आरक्षण से लेकर बागियों तक, कांग्रेस में फूट से लेकर गहलोत वर्सेज पायलट तक, बेरोजगारों से लेकर विरोधी मंत्रियों तक…कई मोर्चों पर जूझना होगा

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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान पहुंचने से पहले ही बढ़ती ठंड के मौसम में सियासी पारा एकदम गरमा गया है। कांग्रेस सरकार के मंत्री ही गहलोत सरकार के खिलाफ बगावती हो रहे हैं। जिन नेताओं ने हाईकमान के दूतों के सामने बगावत की थी, उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गहलोत-पायलट गुट के समर्थकों में गुटबाजी और खींचतान के साथ ही गुर्जर और ओबीसी आरक्षण को लेकर अलग-अलग समाजों के सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने से माहौल और ज्यादा सियासती हो गया है। इस बीच एक लाख से ज्यादा संविदा कर्मियों ने गहलोत सरकार पर वादाखिलाफा का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी की यात्रा का विरोध करने का निर्णय लिया है। इन सभी परिस्थितियों के बीच कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान से ही भारत जोड़ो यात्रा को शांतिपूर्ण निकालना गहलोत सरकार और कांग्रेस संगठन के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण बन गया है।नोटिस वाले नेता राहुल की यात्रा की प्लानिंग में, माकन ने सख्त नाराजगी जताई
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की राजस्थान में तैयारी में वही नेता शामिल है, जिन्होंने सितंबर में हाईकमान के आब्जर्वर के सामने अनुशासनहीनता की थी। इनके खिलाफ कार्रवाई के बजाए इन्हें यात्रा की तैयारियों की जिम्मेदारी देने आग में घी का काम किया है। नाराज कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने लंबी चिठ्ठी लिखकर प्रभारी पद से इस्तीफा ही दे दिया है। राजनीतिक जानकार इसे राहुल गांधी की यात्रा से पहले शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बनाने से जोड़कर देख रहे हैं। माकन की चिट्ठी के बाद अब कांग्रेस में दिल्ली से लेकर जयपुर तक फिर खींचतान को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। अनुशासनहीनता का नोटिस मिलने वाले धर्मेंद्र राठौड़ पिछले कई दिनों से राहुल गांधी की यात्रा के रूट वाले जिलों का दौरा कर रहे हैं। अजय माकन की चिट्ठी के बाद अब सियासी बवाल के जिम्मेदार तीनों नेताओं के खिलाफ एक्शन लेने का दबाव बढ़ गया है।

अनुशासनहीन नेताओं पर कार्रवाई न होने से नाराज प्रदेश प्रभारी ने दिया इस्तीफा
अजय माकन ने राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी का पद छोड़ दिया है। माकन ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को को चिट्ठी लिखकर राजस्थान प्रभारी के तौर पर काम करने से मना कर दिया है। इस चिट्ठी के बाद अब माना जा रहा है कि माकन राजस्थान प्रभारी के तौर पर काम नहीं करेंगे। अजय माकन ने चिट्ठी में 25 सितंबर को गहलोत गुट के विधायकों की बगावत और उन पर एक्शन नहीं होने का मुद्दा उठाया है। माकन ने लिखा है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान आ रही है। 4 दिसंबर को उपचुनाव हो रहे हैं। ऐसे में राजस्थान का नया प्रभारी नियुक्त कर दिया जाए। भारत जोड़ो यात्रा और उपचुनाव से पहले प्रदेश प्रभारी का पद छोड़ना कांग्रेस की खींचतान में नया चैप्टर माना जा रहा है।सोनिया को तीन नेताओं के खिलाफ रिपोर्ट सौंपने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
काबिले गौर है कि 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में मौजूदा अध्यक्ष खड़गे के साथ अजय माकन पर्यवेक्षक बनकर जयपुर आए थे। गहलोत गुट के विधायकों ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया था। इसके बाद खड़गे और माकन ने दिल्ली जाकर सोनिया गांधी को रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ को नोटिस जारी किए गए थे। तीनों नेताओं ने जवाब भी दे दिया, लेकिन अब मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। कार्रवाई के विपरीत इन्हें राहुल गांधी की यात्रा की तैयारियों से जोड़ दिया गया है। इससे माकन सख्त नाराज हैं, क्योंकि तीनों नेताओं को विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करके धारीवाल के घर बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार माना गया था। अजय माकन ने अपनी चिट्ठी में 25 सितंबर के सियासी बवाल का जिक्र करते हुए अब तक कार्रवाई नहीं होने की तरफ इशारा किया है।गहलोत-पायलट की खींचतान में दो प्रभारी बदले, सियासत कम होने बजाए और बढ़ी
अजय माकन को अगस्त 2020 में अविनाश पांडे की जगह राजस्थान का प्रभारी महासचिव नियुक्त किया गया था। अविनाश पांडे को सचिन पायलट खेमे की शिकायत के बाद हटाया गया था। पांडे पर गहलोत खेमे का पक्ष लेने के आरोप लगे थे। सचिन पायलट खेमे की बगावत के बाद हुई सुलह में यह मुद्दा उठा था। पायलट खेमे से सुलह के हफ्ते भर बाद ही अविनाश पांडे को प्रभारी पद से हटाकर अजय माकन को राजस्थान का प्रभारी बनाया गया था। अशोक गहलोत और सचिन पायलट की खींचतान में सवा दो साल में दो प्रभारी बदल चुके हैं। लेकिन पायलट और गहलोत के बीच की सियासत और खींचतान कम होने बजाए बढ़ती ही जा रही है।प्रमोद कृष्णम का गहलोत कैंप पर निशाना, माकन का इस्तीफा नेताओं के लिए बड़ा सबक
अजय माकन के इस्तीफे पर अब कांग्रेस में बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। प्रियंका गांधी के नजदीकी कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने माकन के इस्तीफे के बाद इशारों में गहलोत खेमे पर निशाना साधा है। आचार्य प्रमोद ने लिखा है- राजस्थान के प्रभारी कांग्रेस महासचिव अजय माकन का इस्तीफा उन सभी नेताओं के लिए एक बड़ा सबक है, जो अपनी कुर्सी बचाने के लिए पार्टी हाई कमान को ब्लैकमेल और बेइज्जत करते हैं। इससे पहले यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अजय माकन पर पक्षपात करने के खुलेआम आरोप लगाए थे। धारीवाल ने कहा था- माकन ने विधायकों को पायलट का नाम सीएम पद के लिए लेने के लिए कहा था। इस बात के उनके पास सबूत हैं।

विधायक बैरवा बोले- राहुल की यात्रा से पहले तीनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करें
सचिन पायलट समर्थक विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा कि अजय माकन के पद छोड़ने से आम कांग्रेसी को धक्का लगा है। हमारे प्रभारी महासचिव को यह कहना पड़े कि 25 सितंबर को 51 दिन हो गए और कार्रवाई नहीं हुई। 25 सितंबर को जो हुआ वो आज के अध्यक्ष के सामने हुआ। उस दिन क्या ड्रामा हुआ, हम तीन घंटे तक सीएम हाउस पर बैठक के लिए इंतजार करते रहे। आलाकमान ने माना कि तीन लोग जिम्मेदार थे, उन तीनों के खिलाफ 51 दिन तक कोई कार्रवाई नहीं होना गंभीर बात है। राहुल गांधी की यात्रा से पहले जो भी बदलाव करने हैं वह कर लेने चाहिए। तीनों नेताओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई हो।गहलोत सरकार के खिलाफ एक लाख से ज्यादा संविदाकर्मियों ने खोला मोर्चा
इधर सरकार के खिलाफ एक लाख से ज्यादा संविदा कर्मियों ने भी मोर्चा खोल दिया है। सरकार ने हाल राजस्थान कॉन्ट्रैक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स 2022 बनाए। अब संविदा कर्मी इन रूल्स में संशोधन की मांग को लेकर सरकार का विरोध कर रहे हैं। संविदाकर्मियों ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के साथ ही सरदारशहर उपचुनाव में भी राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की चेतावनी दी है। संविदा कर्मियों ने कहा कि गहलोत सरकार ने संविदाकर्मियों की पिछली नौकरी को शून्य मानते हुए अन्य परिलाभों में कटौती कर एक बार फिर संविदा पर ही रखने का निर्णय किया है, जिससे सभी संविदाकर्मियों में भारी रोष है।राहुल गांधी की यात्रा का विरोध और उप चुनाव में वादाखिलाफी का प्रचार करेंगे
संविदाकर्मियों ने कहा कि कैबिनेट मंत्री बीडी कल्ला की अध्यक्षता में संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन किया गया था। लेकिन, अभी तक उस कमेटी की रिपोर्ट लंबित है। उन्होंने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट के बिना ही संविदा कर्मचारियों के सर्विस रूल्स बना दिए गए हैं, जिसमें विगत 15 वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को किसी भी प्रकार का कोई भी लाभ नहीं दिया जा रहा है। संविदा कर्मियों ने मांगे नहीं माने जाने पर 24 नवंबर को जयपुर में बड़ी रैली का निर्णय लिया है। संविदाकर्मियों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि वे राहुल गांधी से भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सरकार की कार्यशैली से अवगत कराएंगे। इसके विरोध में संविदाकर्मी सरदारशहर उपचुनाव में भी राज्य सरकार के खिलाफ प्रचार करेंगे।

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की आर-पार की लड़ाई, हर विधानसभा में होगा विरोध

कांग्रेस में अंदरखाते विरोध को जगजाहिर पहले से है, अब विभिन्न लोगों और राजनीतिक रूप से सक्रिय जातियों का विरोध भी उनके लिए लगातार चुनौतीभरा बनता जा रहा है। एक तरफ जहां लगातार सचिन समर्थक पायलट को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाने की पैरवी में जुटे हैं। वहीं ओबीसी विसंगति के मुद्दे पर जाट समुदाय के रोष के बाद उन्हीं के विधायक सीएम के खिलाफ खुलकर बयानबाजी करने में लग गए हैं। इसी बीच राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का राजस्थान में ही विरोध से सीएम अशोक गहलोत के लिए एक और बड़ी मुसीबत खड़ी होती दिख रही है। दरअसल जाट समुदाय के बाद अब गुर्जर समाज ने भी अशोक गहलोत की खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में शुरू कर दी है। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि अब हम किसी मंच पर बैठकर बात करने की स्थिति नहीं है। गहलोत सरकार में बैठे गुर्जर समाज के नेताओं पर भी तंज कसते हुए कहा कि सरकार में रहकर भी जो नेता समाज का काम नहीं करवा सकते, तो समाज को ऐसे तमगे नहीं चाहिए।

विशेष पिछड़ा वर्ग के लंबित मुद्दों पर गहलोत सरकार ने अब तक कोई काम नहीं किया
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला ने राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने सरकार को चेताते हुए कहा है कि यदि विशेष पिछड़ा वर्ग  की लंबित मुद्दों को नहीं सुलझाया गया तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को राजस्थान में प्रवेश ही नहीं होने दिया जाएगा। बैंसला ने मीडिया से कहा कि विशेष पिछड़ा वर्ग  के लंबित मुद्दों पर गहलोत सरकार ने अब तक कोई काम नहीं किया, ना तो इस संबंध में कोई समीक्षा की गई है। ऐसे में संघर्ष समिति ने फैसला किया है कि लंबित मुद्दों को नहीं सुलझाने पर राहुल गांधी की यात्रा का राजस्थान में पुरजोर तरीके से विरोध किया जाएगा।

कर्नल किरोड़ी बैंसला के दिखाए मार्ग पर चलते हुए उनके सपनों को साकार करने का संकल्प
दरअसल, पिछले माह दौसा जिले के कैलाई स्थित देवनारायण मंदिर पर आयोजित हुई गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की बैठक में वक्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार 2019 व 20 के समझौते की पालना करे। ऐसा न करने पर एक माह बाद आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार रहे। इसके साथ ही दो शहीद परिवारों को नौकरी व मुआवज़ा देने, रीट 372 व रीट 233, पुष्कर प्रकरण में मुक़दमा वापसी व आरक्षण आंदोलन में लगे मुकदमों का निस्तारण करने की मांग की गई थी। बैठक में सबसे पहले गुर्जर आरक्षण आंदोलन के प्रणेता कर्नल किरोड़ीसिंह बैंसला सहित 75 शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। साथ ही संकल्प लिया गया कि कर्नल बैंसला के दिखाए मार्ग पर चलते हुए उनके सपनों को साकार किया जाएगा।

समझौते की पालना में बरती जा रही शिथिलता को गुर्जर समाज बर्दाश्त नहीं करेगा
बैठक में वक्ताओं ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि सरकार द्वारा आरक्षण संघर्ष के साथ किए गए समझौते की पालना में जो शिथिलता बरती जा रही है वह समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। प्रक्रियाधीन भर्तियों व समाज पर लगे मुकदमे तथा देवनारायण योजना का उचित क्रियान्वयन हो। आरक्षण आंदोलन में शहीद हुए गुर्जर परिवार के शहीद रूपनारायण झींझण सिकराय तथा जगराम निवासी श्यालूता अलवर के परिजनों को अभी तक नौकरी व मुआवजा तक नहीं दिया गया इससे समाज में रोष है। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि राज्य स्तर पर आरक्षण समिति का पुनर्गठन किया जाएगा। यह आरक्षण संघर्ष समिति कर्नल बैंसला के विचारों, आदर्शों, सिद्धांतों तथा समाज के उत्थान के लिए कार्य करेगी।आश्वासन देकर क्रियान्वयन भूली सरकार, अब राहुल के विरोध से सरकार को जगाएंगे
अब एक माह से ज्यादा समय गुजर जाने के बावजूद सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। इससे गुर्जर नेता नाराज हैं। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला ने रींगस में सीएम अशोक गहलोत खुली चुनौती दे दी है। मीडिया से बातचीत में कांग्रेस सरकार को चेताते हुए बैंसला ने कहा कि गुर्जर समाज की मांगे नहीं मानने पर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में कांग्रेस के लिए सपना रह जाएगी। क्योंकि गुर्जर समाज इसे राजस्थान में प्रवेश ही नहीं करने देगा। गहलोत सरकार यदि जोर-जबर्दस्ती से यात्रा ले भी आई तो राहुल गांधी की यात्रा जिन जिन विधानसभा क्षेत्रों में जाएगी, वहां उसका खुलकर विरोध किया जाएगा और उसे रोकेंगे। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने दो-दो बार सहमति पत्र पर लिखित मंजूरी दी। मांगे मानने का आश्वासन दिया और लेकिन क्रियान्वयन भूल गए।
बैंसला ने कहा कि हमारी मांगे नहीं मानी तो राहुल गांधी की यात्रा को राजस्थान के बाहर से गुजारना पड़ेगा। राजस्थान में विशेष पिछड़ा वर्ग (एसबीसी) के 75 विधानसभा क्षेत्रों में लोग हैं। इन 75 विधानसभा क्षेत्रों में इस यात्रा का विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर बार पटरी उखाड़ना जरूरी नहीं है। हमें लगता है कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है। वादे बहुत हुए हमें नतीजे चाहिए। कांग्रेस की सरकार ने गुर्जर आरक्षण के मसले पर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के साथ समझौते किए थे। अभी तक उन समझौतों को लागू नहीं किया गया। हमारे बच्चों को नौकरियां नहीं हैं। सरकार के सामने अनेक बार समझौतों को लागू कराने की बातें रख चुका हूं, लेकिन सरकार इस पर साइन करने के बाद भूल गई है। ऐसे में क्या हम उनकी आरती उतारें। हम सरकार से मनुहार करते करते थक चुके हैं। बैंसला ने कहा कि हमारी मांगों के समर्थन में इस बार हम आर-पार की लड़ाई लड़ने से रुकने वाले नहीं हैं।

 

 

 

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