Home समाचार कोर्ट ने कहा- आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन ने...

कोर्ट ने कहा- आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन ने मुस्लिम समुदाय को दंगा के लिए भड़काया

SHARE

इस साल फरवरी में नर्थ-ईस्ट दिल्ली में हिन्दू विरोधी दंगा हुआ था, जिसके मुख्य आरोपी आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि ताहिर हुसैन के भड़काने पर ही मुस्लिम समुदाय उग्र हुआ और हिन्दू समुदाय के लोगों पर पत्थरबाजी और आगजनी शुरू कर दी। कोर्ट ने शुक्रवार यानि 21 अगस्त , 2020 को आईबी में कार्यरत रहे अंकित शर्मा की हत्या के मामले में दायर की गई चार्जशीट को संज्ञान में लेते हुए उक्त टिप्पणी की। मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने कहा कि मामले में संज्ञान लेने के लिए पर्याप्त सबूत है। 

कोर्ट ने कहा कि दंगे “सुनियोजित तरीके” से हुए और इसके लिए “अच्छी तरह से साजिश रची गयी” थी और भीड़ का नेतृत्व कर रहे ताहिर हुसैन और अन्य सह-आरोपियों ने कथित तौर पर इसे बढ़ावा दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपी ताहिर हुसैन ने दंगा करने वाले लोगों को अपनी इमारत की छत पर जाने की सुविधा दी और अन्य सहायता प्रदान की ताकि बड़े पैमाने पर दंगे हो सकें और दूसरे समुदाय के जानमाल को नुकसान हो।

24-25 फ़रवरी को चाँद बाग़ पुलिया के नजदीक स्थित मस्जिद के पास से ताहिर हुसैन दंगाई भीड़ का नेतृत्व कर रहा था। इस दौरान हसी, नाजिम, कासिफ, समीर, अनस, फिरोज, जाएद, गुलफाम और शोएब जैसे दंगाई उसके साथ शामिल थे। ताहिर ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को भड़कने के लिए दावा किया कि हिंदुओं ने कई मुसलमानों को मार डाला है। इससे हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धर्म के आधार पर कटुता को बढ़ावा दिया।

अंकित शर्मा की हत्या के मामले में पुलिस ने 50 पृष्टों का आरोपपत्र दायर किया है, जिसमें नौ अन्य लोगों के साथ हुसैन को मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया है। उस पर दंगा, अपराध के समय भड़काते हुए उपस्थित रहने, आगजनी की सामग्रियाँ इस्तेमाल करने, सबूत मिटाने और आपराधिक षड्यंत्र सहित कई मामले दर्ज किए हैं। कहा गया कि ताहिर हुसैन ने वहां के निवासियों के मन में डर का माहौल बनाया। 

हालाँकि, कोर्ट को ये भी सूचित किया गया कि दिल्ली पुलिस अब तक ताहिर हुसैन के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने के लिए सम्बंधित प्राधिकरण से मंजूरी नहीं ले सकी है। यही हाल दिल्ली दंगों के अन्य आरोपितों के मामले में भी है। बता दें कि देशद्रोह का मामला चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को राज्य सरकार से मंजूरी लेनी पड़ती है। अभी तक आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस मामले में मंजूरी नहीं दी है।

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने कहा कि चूंकि मंजूरी प्राप्त करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है और मामले में किसी देरी से वह मकसद पूरा नहीं होगा, जिसके लिए दंगा मामलों की सुनवाई की खातिर विशेष अदालतें बनाई गई हैं। ऐसे में अदालत अन्य सभी अपराधों का संज्ञान लेने को उचित समझती है। जज ने कहा कि मेरा विचार है कि आरोपियों द्वारा किए गए अपराधों का संज्ञान लेने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत है। कोर्ट ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए सभी आरोपियों को 28 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश करने का निर्देश दिया।

Leave a Reply