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भारत के खिलाफ चीन के नापाक इरादे, पिछले 5 महीने में पाकिस्तान के 5 खूंखार आतंकियों को बचाया, भारत की तरक्की से इतनी जलन क्यों?

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भारत की आर्थिक तरक्की से चीन इस कदर जल रहा है कि उसे सूझ नहीं रहा है कि वह क्या करे। चीन के पास संयुक्त राष्ट्र में वीटो पावर है और अब वह इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर रहा है। दुनिया को यह मालूम है कि पाकिस्तान के आतंकवादी भारत को अस्थिर करने के लिए कई हमलों को अंजाम दे चुका है और लगातार साजिश रचता रहता है। इसे जानते हुए भी चीन ने दो दिन में दूसरी बार पाकिस्तानी आतंकी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने से बचा लिया है। चीन ने 18 अक्टूबर को लश्कर आतंकी शाहिद महमूद को ब्लैक लिस्ट होने से बचाया। इसके बाद 19 अक्टूबर को मुंबई 26/11 आतंकी हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद के बेटे हाफिज तलहा सईद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने से बचा लिया। चीन ने इसके लिए वीटो पावर का इस्तेमाल किया। तलहा पाकिस्तान का पांचवां आतंकी है जिसे चीन ने इस साल UNSC में ब्लैक लिस्ट होने से बचाया है। इस तरह दुनिया के सामने चीन का विद्रूप चेहरा सामने आ गया है। चीन जिस तरह से पाकिस्तानी आतंकवादियों का संरक्षण कर रहा है इससे उसके नापाक मंसूबे भी जाहिर होते हैं। दरअसल, कोरोना महामारी के बाद जब पूरी दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई तो चीन भी इससे अछूता नहीं रहा। चीन की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई, जिससे पिछड़ापन, गरीबी बढ़ गई और विकास के कार्य नहीं हो पा रहे हैं। वहीं भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है और उसने ब्रिटेन को पछाड़ दिया है। अब भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। चीन इससे तिलमिलाया हुआ है।

आतंकवाद और संगठित अपराध वैश्विक खतराः पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरपोल की 90वीं आम वार्षिक महासभा को संबोधित करते हुए 18 अक्टूबर 2022 को आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी, अवैध तस्करी और संगठित अपराध को वैश्विक खतरा बताया था। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि आतंकवाद सिर्फ फिजिकल रूप में ही नहीं मौजूद है, बल्कि वह अब साइबर खतरों और आनलाइन कट्टरता के जरिये अपना दायरा बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि एक सुरक्षित दुनिया हमारी साझा जिम्मेदारी है। जब अच्छी ताकतें एक-दूसरे का सहयोग करती हैं, तो अपराध की ताकतें काम नहीं कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों, ड्रग कार्टेल, अवैध शिकार गिरोहों या अपराधों के लिए कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं हो सकती है।

कॉमन सेंस से परे चीन का रवैयाः जयशंकर

सितंबर में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद के सूत्रधारों पर प्रतिबंध लगाकर करारा जवाब देता है। जो लोग यूएन में ये नहीं होने देते वो ग़लती करते हैं। यक़ीन मानिए ऐसे देश न तो अपना हित साध रहे हैं और न ही अपनी साख बेहतर कर पा रहे हैं। बार-बार भारत और अमेरिका को कोशिशों में अड़ंगा लगने के बाद जयशंकर ने कहा था कि आतंकवाद को एक राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंन कहा था कि संयुक्त राष्ट्र में किसी प्रस्ताव को बिना सोच समझ कर रोकना कॉमन सेंस से परे है।

ऐसा नहीं है संयुक्त राष्ट्र में भारत की हर कोशिश असफल रहती है। मई 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर को ग्लोबल टेरोरिस्ट घोषित किया था। ये भारत के लिए एक बड़ी डिप्लोमेटिक जीत थी लेकिन इसके लिए भी भारत को एक दशक का इंतज़ार करना पड़ा था। चीन के पास वीटो पावर है और अगर वो किसी प्रस्ताव का साथ नहीं देता तो उसका पास होना नामुमकिन है। संयुक्त राष्ट्र में चीन के अलावा अमेरिका, रूस, फ़्रांस और ब्रिटेन के पास वीटो पावर है।

चीन इस साल पांच पाकिस्तानी आतंकियों को ब्लैक लिस्ट होने से बचा चुका हैः

1. मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद का बेटे तलहा सईद

हाफिज तलहा सईद मुंबई में 2008 में 26 नवंबर को हुए आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता और लश्कर-ए-तैयबा सरगना हाफिज सईद का बेटा है। 46 वर्षीय तलहा सईद भी लश्कर के प्रमुख आतंकी सरगना में से एक है। चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत लाए गए प्रस्ताव पर रोक लगा दी है। हाफिज तलहा सईद भारत और अफगानिस्तान में भारतीय लोगों पर हमले कराने के लिए प्लान बनाने और हमलों को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाता रहा है। साथ ही उस पर लश्कर-ए-तैयबा युवाओं को भर्ती करने की जिम्मेदारी है। तलहा पाकिस्तान में अलग-अलग शहरों में मौजूद लश्कर कैंपों का दौरा कर भारत, इजराइल, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में भारतीय हितों के खिलाफ जेहाद फैलाने की बात करता है। हाफिज तलहा सईद जम्मू-कश्मीर में जेहाद फैलाने की बात करता है।

2. मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड का करीबी शाहिद महमूद

शाहिद महमूद लश्कर-ए-तैयबा के सबसे पुराने आतंकियों में से एक है। यह 2007 से ही लश्कर से जुड़ा है। 2013 में अमेरिकी सरकार के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने महमूद को लश्कर के पब्लिकेशन विंग का मेंबर बताया था। अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने 2016 में बताया था कि महमूद का सबसे बड़ा मकसद भारत और अमेरिका पर हमला करना है। शाहिद महमूद 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड में से एक साजिद मीर का करीबी है। चीन ने पिछले महीने यानी सितंबर में मीर को भी UNSC में ब्लैक लिस्ट होने से बचाया था। महमूद पहले साजिद मीर के नेतृत्व में लश्कर-ए-तैयबा की विदेशी ऑपरेशन टीम का हिस्सा रह चुका हैं। अगस्त 2013 में महमूद को बांग्लादेश और म्यांमार में इस्लामी संगठनों के साथ संबंध बनाने का निर्देश दिया गया था। महमूद लश्कर के लिए फंड जुटाने का भी काम करता है। महमूद लश्कर-ए-तैयबा के विंग फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन यानी FIF के लिए भी काम कर चुका है। लश्कर का यह संगठन मानवता के काम के नाम पर आतंकवाद के लिए धन जुटाने का काम करता है। महमूद ने जून 2015 से जून 2016 तक ने FIF के वाइस चेयरमैन के रूप में काम किया। महमूद 2014 तक कराची में FIF का प्रमुख था।

3. जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों का साजिशकर्ता अब्दुल रहमान मक्की

भारत का कहना है कि मक्की आतंकवादी संगठनों के लिए धन जमा करने के अलावा पाकिस्तान के भीतर नौजवानों को भारत पर हमले करने के लिए प्रेरित करता रहता है। 74 साल का मक्की लश्कर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। मक्की, भारत, खासकर जम्मू-कश्मीर में हिंसा और हमलों को अंजाम देने के लिए योजना बनाने, धन जुटाने, आतंकियों की भर्ती करने और युवकों का ब्रेनवॉश कर आतंकवीद बनाने के काम में शामिल रहा है। इस साल जून में चीन ने पाकिस्तानी आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की पर प्रतिबंध लगाने की भारत और अमेरिकी कोशिश को अंतिम पल में रोक दिया था। मक्की पहले से ही अमेरिका में एक घोषित आतंकवादी हैं। मक्की लश्करे तैयबा के प्रमुख हाफ़िज़ सईद का साला है। अब्दुल रहमान मक्की जमात उद दावा में दूसरे नंबर का नेता है। हाफ़िज़ सईद की बीमारी के कारण वह कई मायनों में संगठन के प्रमुख की भूमिका निभाता है। अमेरिका का दावा है कि मक्की लश्करे तैयबा के ट्रेनिंग कैंपो को फंड करता है। साल 2007 में मक्की ने ऐसे ही एक ट्रेनिंग कैंप को क़रीब ढाई लाख अमेरिका डॉलर दिए थे। इसके बाद लश्कर से जुड़े एक मदरसे को भी उसने एक लाख पैंसठ हज़ार अमेरिकी डॉलर दिए थे। मक्की जमात-उद-दावा की प्रमुख टीम का हिस्सा है और शुरा का सदस्य है। वह लश्करे-ए-तैयबा के लिए फ़ंड जुटाता है। अमेरिका के रिवार्ड्स फॉर जस्टिस प्रोग्राम के मुताबिक़ मक्की कई नामों से जाना जाता है। उसे हाफ़िज़ अब्दुल रहमान मक्की, अब्दुल रहमान मक्की, हाफ़िज़ अब्दुल रहमान जैसे कई नामों से जाना जाता है। अमेरिका ने उस पर 20 लाख डॉलर का इनाम रखा हुआ है।

4. एयर इंडिया के विमान को हाईजैक में शामिल था अब्दुल राउफ़ अज़हर

अजहर 2007 में जैश एक्टिंग कमांडर के रूप में भारत में भी काम कर चुका है। भारत में वह जैश के इंटेलिजेंस कोऑर्डिनेटर के रूप में काम करता था। 2008 में अजहर को भारत में आत्मघाती हमले करने जिम्मेदारी मिली थी। वह जैश की राजनीतिक विंग से भी जुड़ा रहा है और उसने ट्रेनिंग कैंपों में शामिल जैश कमांडर के रूप में काम किया है। अजहर 1999 में एयर इंडिया के विमान को हाईजैक करने में शामिल रहा है। दिसंबर 1999 में काठमांडू से दिल्ली आ रही इंडियन एयरलाइन्स को हाईजैक करने के बाद अज़हर दुनिया की नज़र में आया था। हाईजैकिंग का मक़सद जम्मू की कोट बलवाल में बंद मसूद अज़हर को रिहा करवाना था। अगस्त में चीन ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी अब्दुल राउफ़ अज़हर पर पाबंदी लगाने के प्रस्ताव पर भी रोक लगा दी थी। अज़हर को अमेरिका ने वर्ष 2010 में आतंकवादी घोषित कर दिया था। अमेरिका ने कहा था कि जैश का शीर्ष कमांडर अज़हर ने पाकिस्तानियों से चरमपंथी गतिविधियों में शामिल होने का आह्वान किया था। भारत में साल 2000 में संसद पर हुए हमले में भी राउफ़ का हाथ बताया गया था। साल 2016 में पठानकोट में एयर फ़ोर्स बेस पर हमले के बाद भारत की एनआईए ने इंटरपोल से राउफ़ के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की अपील की थी। इंटरपोल ने अपने नोटिस में लिखा था कि राउफ़ एक टेरोरिस्ट गैंग के सदस्य हैं, जो भारत सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने के लिए वांटेड हैं।

5. भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक है साजिद मीर

साजिद मीर भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक है। मुंबई में 26/11 के आतंकी हमलों में उसकी भूमिका के लिए अमेरिका ने उस पर 5 मिलियन डॉलर यानी 41 करोड़ रुपए का इनाम रखा गया है। साजिद मीर साल 2008 में मुबंई पर हुए हमलों में लश्करे तैयबा के ऑपरेशन का मैनेजर था। अमेरिका विदेश मंत्रालय के अनुसार उसने इन हमलों की योजना, तैयारी और कार्यान्वयन में अग्रणी भूमिका निभाई थी। सितंबर में चीन ने लश्करे तैयबा के आतंकवादी साजिद मीर पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास पर रोक लगा दी थी। मीर मुबंई पर हुए 26/11 हमलों का अभियुक्त है। 26 नवंबर 2008 को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में 160 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी और इसने पूरे देश को दहला दिया था। भारत और अमेरिका उसे ग्लोबल टेरोरिस्ट की सूची में डालना चाहते थे। अमेरिका ने भी उसे पकड़ने के लिए 50 लाख अमेरिका डॉलर का इनाम रखा हुआ है। इस वर्ष जून में पाकिस्तान की एक अदालत ने उस पर चल रहे आतंकवादी गतिविधियों के लिए फ़ंड इकट्ठा करने के केस में 15 साल की सज़ा सुनाई थी। पाकिस्तान अतीत में ये दावा भी कर चुका है कि साजिद मीर की मौत हो गई है, लेकिन पश्चिमी देशों ने इस बात को नहीं मानी थी और पाकिस्तान से मीर की मौत का सबूत भी मांगा था।

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