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सीएम गहलोत के भाई ने किसानों के लिए खरीदी पोटाश को निजी कंपनी को बेचकर करोड़ों का मुनाफा कमाया, ईडी के बाद अब सीबीआई ने मारा छापा

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किसी ने सही ही कहा है कि गलत काम भले ही कितने ही पुराने हों, लेकिन एक न एक दिन इनका भंडाफोड़ होता है और उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत ने सरकारी सब्सिडी में करोड़ों की गड़बड़ी भले ही डेढ़ दशक पहले की हो, लेकिन ईडी के बाद अब सीबीआई के फेर में वो अब पड़े हैं। सीएम के भाई अग्रसेन गहलोत के जोधपुर स्थित घर और दुकान पर सीबीआई ने छापा मारा है। अग्रसेन गहलोत पर आरोप है कि 2007 से 2009 के बीच फर्टिलाइजर बनाने के लिए जरूरी पोटाश किसानों में बांटने के नाम पर सरकार से सब्सिडी पर खरीदी और प्रोडक्ट निजी कंपनियों को बेचकर मुनाफा कमाया।

कस्टम ने अग्रसेन की कंपनी पर करीब 5.46 करोड़ रुपये की लगाई थी पेनाल्टी
कस्टम विभाग ने अग्रसेन की कंपनी पर करीब 5.46 करोड़ रुपये की पेनाल्टी भी लगाई थी। इस मामले की जांच ED में भी चल रही है। अग्रसेन की अपील पर हाईकोर्ट ने ईडी से जुड़े मामले में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। उधर राहुल गांधी से भी नेशनल हेराल्ड के मामले में ईडी पूछताझ कर रही है और सीएम गहलोत चार दिन से प्रदेश के अपने हाल पर छोड़कर राहुल गांधी की मिजाजपुर्सी में लगे हुए हैं। अब देखना यह होगा कि सीएम गहलोत भाई के लिए जोधपुर आते हैं, या फिर अपनी लड़खड़ाती कुर्सी के पाए में दम भरने के लिए दिल्ली में ही डेरा डालकर पड़े रहते हैं। जोधपुर में जब ईडी ने कार्रवाई की थी, तब तो सीएम गहलोत अपने भाई के पक्ष में खड़े हो गए थे, लेकिन इस बार मामला सीबीआई का है।

सीबीआई की टीम ने सीएम के भाई की दुकान और घर में मारा छापा
सीबीआई की रेड के साथ साथ ही दिल्ली के बाद अब जोधपुर-जयपुर में भी सियासी तापमान बढ़ गया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन के ठिकानों पर शुक्रवार को सीबीआई की छापेमारी चल रही है। बताया जा रहा है कि उर्वरक खरीद मामले में ये कार्रवाई हुई है। इससे पहले ईडी अग्रसेन गहलोत के घर रेड डाल चुकी है। फिलहाल मुख्यमंत्री के भाई के जोधपुर स्थित आवास पर छापेमारी चल रही है। बताया जा रहा है कि जोधपुर में मंडोर स्थित मकान में शुक्रवार सुबह से सीबीआई के अधिकारी जांच पड़ताल में जुटे हैं। इस टीम में पांच अधिकारी दिल्ली से और पांच अधिकारी जोधपुर से हैं। फिलहाल टीम के सदस्य जांच में जुटे हैं। वहीं अग्रसेन गहलोत घर पर ही हैं। सीबीआई की एक टीम उनके पावटा स्थित दुकान पर भी पहुंची है।

गहलोत की कंपनी फर्टिलाइजर के एक्सपोर्ट पर बैन के बावजूद उसके निर्यात में शामिल
डायरेक्ट्रोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने 2012-13 में पोटाश घोटाले का खुलासा किया था। ईडी के अनुसार अग्रसेन गहलोत की कंपनी अनुपम कृषि, म्यूरियेट ऑफ पोटाश (एमओपी) फर्टिलाइजर के एक्सपोर्ट पर बैन होने के बावजूद उसके निर्यात में शामिल थी। एमओपी को इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) निर्यात कर किसानों को सब्सिडी पर बेचती है। अग्रसेन गहलोत आईपीएल के ऑथराइज्ड डीलर थेएमओपी को किसानों को बेचने के बजाय मुनाफा में दूसरी कंपनी को बेच दिया
2007 से 2009 के बीच उनकी कंपनी ने सब्सिडाइज रेट पर एमओपी खरीदा। उसे किसानों को बेचने के बजाय मुनाफा में दूसरी कंपनी को बेच दिया गया। उन कंपनियों ने एमओपी को इंडस्ट्रियल सॉल्ट के नाम पर मलेशिया और सिंगापुर पहुंचा दिया। इस मामले की जांच ईडी में लंबित चल रही है। इस मामले में कस्टम विभाग ने अग्रसेन की कंपनी पर करीब 5.46 करोड़ रुपए की पेनाल्टी भी लगाई थी। इस मामले की जांच ईडी भी कर रही है। वहीं हाईकोर्ट ने ईडी से जुड़े मामले में अग्रसेन गहलोत की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। अब इस मामले में सीबीआई ने जांच शुरू की है।

सीएम के भाई के अलावा सीएम के पुत्र वैभव गहलोत पर भी लग चुके हैं करोड़ों ठगने के आरोप

सीएम के भाई अग्रसेन गहलोत के बाद सीएम के पुत्र वैभव गहलोत पर भी आरोप लग चुके हैं। दरअसल,  राजस्थान में ई-टॉयलेट बनाने का टेंडर दिलाने के नाम पर बड़े कांग्रेसियों द्वारा महाराष्ट्र के कारोबारी से करोड़ों रुपये ठगने का केस सामने आया था। इस करोड़ों की धोखाधड़ी में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के पुत्र एवं राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष वैभव गहलोत और गुजरात कांग्रेस के सचिव सचिन पुरुषोत्तम वालेरा समेत 15 लोगों के नाम सामने आए।  महाराष्ट्र के नासिक में इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री के पुत्र समेत इन लोगों के खिलाफ इस्तगासे के जरिये प्राथमिकी भी दर्ज हो गई। सीएम के खिलाफ बीजेपी हमलावर, शेखावत, पूनिया और कटारिया ने मांगा जवाब
प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत पर ई- टॉयलेट टेंडर के जरिए धोखाधड़ी करने के आरोप के बाद तब  केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने  सीएम गहलोत पर पुत्रमोह का आरोप लगाया। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने इसे लेकर ट्वीट करते हुए सीएम गहलोत से सफाई मांगी। विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने भी मुख्यमंत्री गहलोत से इस बारे में जवाब मांगा। कटारिया ने सीधे सीएम पर हमला बोलते हुए तंज कसा कि राजस्थान के गांधी बताएं कि उनके बेटे पर टेंडर दिलाने में ठगी का करोड़ों का केस कैसे दर्ज हुआ है?

सरकारी विभागों में टेंडर दिलाने के नाम पर 6.80 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के खिलाफ महाराष्ट्र में दर्ज एफआईआर में वैभव पर नासिक के कारोबारी सुशील भालचंद्र पाटिल ने ई-टॉयलेट सहित सरकारी विभागों में टेंडर दिलाने के नाम पर 6 करोड़ 80 लाख की धोखाधड़ी का आरोप लगाया। सुशील ने नासिक के गंगापुर थाने में वैभव गहलोत सहित 14 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। कोर्ट के आदेश के बाद मुकदमा दर्ज हुआ। मुख्य आरोपी गुजरात कांग्रेस के सचिव सचिन पुरुषोत्तम वालेरा हैं। वालेरा के पिता पुरुषोत्तम भाई वालेरा भी वरिष्ठ कांग्रेस नेता रहे हैं।

तेरह राज्यों में पेट्रोल पंपों पर विज्ञापन के कॉन्ट्रैक्ट का झांसा दिया
नासिक में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, सचिन वालेरा ने खुद को एडवरटाइजिंग कारोबारी बताते हुए झांसा दिया कि उसके 13 राज्यों में पेट्रोल पंपों पर विज्ञापन का कॉन्ट्रैक्ट है। उसने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके बेटे वैभव से अच्छे संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि वो राजस्थान के मुख्यमंत्री के आर्थिक मामले भी देखता है। सचिन ने उसके काम में निवेश करने पर करोड़ों के मुनाफे का भरोसा दिलाया और कहा कि आपको केवल नाम के लिए टेंडर में भाग लेना है। बाकी का काम वैभव गहलोत देखेंगे। सचिन ने इस निवेश के बारे में सारी जानकारी दी। राजस्थान सरकार द्वारा जारी किए गए सर्कुलर दिखाए, जो बाद में फर्जी पाए गए थे।

 

वैभव गहलोत पर ई-टायलेट टेंडर घोटाले में शामिल होने का आरोप गंभीर
केन्द्रीय मंत्री और जोधपुर से सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भी वैभव गहलोत का नाम ई-टॉयलेट टेंडर घोटाले में शामिल होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा है। गजेन्द्र सिंह ने तंज कसा है कि पुत्रमोह धृतराष्ट्र बना देता है। ट्वीट कर शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत पर राजस्थान में ई- टायलेट टेंडर घोटाले में शामिल होने का आरोप गंभीर है। गहलोत साहब को सफाई में ध्यान रखना होगा कि मामला कोर्ट के कहने पर दर्ज हुआ है। देखना होगा सीएम साहब बेटे को बचाने के लिए हमेशा की तरह पूरी सरकार लगा देंगे या सच कहेंगे। शेखावत ने कहा कि वैसे मुझे नहीं लगता वे सच कहेंगे। दूसरी तरफ वैभव गहलोत ने सफाई दी कि आरोप गलत है। इससे उनका कोई संबंध नहीं है।

 

आइये, जानते हैं वो पांच बड़े मुद्दे जिनके चलते राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विवादों में रहे हैं…

1. सीएम गहलोत पर भारी पड़ सकता है ई-टॉयलेट में भ्रष्टाचार का मुद्दा
उल्लेखनीय है कि पांच राज्यों में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद अब साल 2023 में राजस्थान में चुनाव है, जिसे लेकर बीजेपी- कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन इसी बीच सरकार पर ई- टॉयलेट को लेकर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के बाद जानकारों का कहना है कि सीएम गहलोत पर यह मुद्दा भारी पड़ सकता है। इसके अलावा बीजेपी दूसरे भी ऐसे कई मुद्दे है, जिसे चुनावी समर में सीएम और सरकार के खिलाफ इस्तेमाल कर सकती है, इस रिपोर्ट में पढ़िये कांग्रेस सरकार बनने के बाद सीएम गहलोत पर कौन- कौन से बड़े आरोप लगे हैं।

2.गहलोत पर आरसीए चुनाम में भी लगा था पुत्रमोह का आरोप
सीएम गहलोत पर पहले भी कई बार पुत्रमोह के आरोप लग चुके हैं। वैभव को राजस्थान किक्रेट एसोसिएशन अध्यक्ष बनाए जाने पर भी यह आरोप लगा था। दरअसल लंबे अरसे के बाद जब आरसीए के चुनाव हुए, तब वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी और सीएम गहलोत के बेटे वैभव ने अध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी पेश की। इस दौरान सीएम गहलोत और निवर्तमान अध्यक्ष सी पी जोशी ने सियासी दांवपेंच खेलकर को वैभव को अध्यक्ष बना दिया। इस दौरान डूडी गुट ने निवार्चन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग, मतदाताओं पर दबाव बनाने तथा प्रॉक्सी वोट करने के आरोप लगाये, लेकिन इन सभी आरोपों को विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी पी जोशी ने सिरे से खारिज कर दिया था।

3.रीट पेपर लीक मामले में सिर्फ छोटी मछलियों को फंसाकर वाहवाही लूटने का आरोप
राजस्थान में शिक्षक भर्ती परीक्षा को लेकर भी बवाल मचा हुआ है। इसमें पेपर लीक प्रमाणित होने के बावजूद सरकार सीबीआई जांच नहीं करा रही है। बीजेपी का आरोप है कि एसओजी छोटी मछलियों को फंसाकर वाहवाही लूट रही है, जबकि इस पूरे मामले के मास्टरमाइंड को बचाया जा रहा है। राजस्थान एलिजिबिलिटी एग्जामिनेशन फॉर टीचर यानी रीट मामले में बीजेपी की आरोप है कि इस भर्ती प्रक्रिया और पेपर लीक के तार सीएमओ और गहलोत के करीबियों तक जुड़े हुए हैं। शिक्षक भर्ती में पेपर लीक होने की बात सामने आने के बाद एसओजी ने 40 से ज्यादा गिरफ्तारियां की है।

4. फोन टैपिंग और पायलट गुट के नेताओं को दरकिनार करने के आरोप
साल 2020 में सचिन पायलट की ओर से बगावत करने और सियासी संकट छाने के दौरान राजस्थान में फोन टैपिंग का मामला भी सामने आया। इस बात को लेकर भी चर्चा हुई कि सरकार गैर कानूनी तरीके से जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करवा रही है। उल्लेखनीय है कि सचिन पायलट के वापसी के बाद से लगातार सीएम गहलोत पर आरोप लगे कि वो पायलट खेमे को दरकिनार करने में लगे है। पायलट खेमे के नेताओं को मंत्रिमण्डल में शामिल करने में देरी करने की बात भी सामने आई। वर्तमान में एक बार फिर से कांग्रेसी नेता सचिन पायलट गुट को कमजोर करने का आरोप सीएम गहलोत पर लगा रहे है। इसके पीछे मंशा यह बताई जा रही है कि सीएम गहलोत साल 2023 में भी मुख्यमंत्री बनने की एक बार फिर दावेदारी पेश करना चाहते हैं

5. वैट घटाने से इंकार, बीजेपी समेत चौतरफा दबाव के बाद झुके
केंद्र सरकार के पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करके सस्ता करने के फैसले के बाद गहलोत ने प्रदेश में वैट कम करने से साफ मना कर दिया। सीएम केंद्र को ही एक्साइज ड्यूटी और कम करने का कहते रहे। प्रदेश में सबसे ज्यादा पेट्रोल-डीजल था। कांग्रेस समर्थित राज्यों में भी वैट कम करने से सरकार पर सवाल खड़े हुए। बीजेपी ने भी इसे मुद्दा बनाया। पड़ोसी और कांग्रेस शासित राज्य पंजाब ने एकदम से दाम घटा दिए। चौतरफा दबाव के बाद 9 नवंबर को जोधपुर जिले के दौरे में पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने की घोषणा कर दी। बाद में वैट घटाकर पेट्रोल-डीजल पर 5 रुपए की कमी की गई। इसी प्रकार सचिन पायलट कैंप की बगावत के वक्त जिन दो मंत्रियों विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा को पद से हटा दिया था। इसका मुद्दा बनने और हाइकमान के दबाव के बाद गहलोत ने ही मंत्रिमंडल विस्तार के समय 16 माह बाद फिर से दोनों विधायकों को मंत्री बनाना पड़ा।

 

 

 

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