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मोदी राज में अर्थव्यवस्था मजबूत: दुनिया पर मंडरा रही मंदी की आशंका, लेकिन भारत को खतरा नहीं

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही हुई है। मोदी सरकार की नीतियों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था रूस-यूक्रेन युद्ध और कोरोना महामारी काल में भी तेजी से आगे बढ़ रही है। ये बात ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए ताजा सर्वे से भी निकलकर सामने आई है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार अगले एक साल में दुनिया के कई देशों के सामने मंदी का संकट मंडरा रहा है। सर्वे की माने तो एशियाई देशों के साथ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों में मंदी का खतरा कहीं ज्‍यादा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत को मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार भारत ही ऐसा देश है जहां, मंदी की संभावना शून्य यानी नहीं के बराबर है। ब्लूमबर्ग सर्वे में एशिया के मंदी में जाने की संभावना 20-25 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका के लिए यह 40 और यूरोप के लिए 50-55 प्रतिशत तक है। रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के अगले वर्ष मंदी की चपेट में जाने की 85 प्रतिशत संभावना है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश-प्रतिदिन नई उपलब्धियों को हासिल कर रहा है। आइए एक नजर डालते हैं प्रमुख उपलब्धियों पर…

जून में देश का कुल निर्यात 23 प्रतिशत बढ़कर 64.91 अरब डॉलर पर पहुंचा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही हुई है। मोदी राज में देश ने निर्यात के मोर्चे पर एक और रिकॉर्ड छलांग लगाई है। जून 2022 में भारत का कुल निर्यात (वस्तुओं और सेवाओं को मिलाकर) 64.91 अरब अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 22.95 प्रतिशत अधिक है। इसके साथ ही वित्त वर्ष 22-23 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2022) में कुल निर्यात (वस्तुओं और सेवाओं को मिलाकर) 189.93 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, जो पिछली समान अवधि में 25.16 प्रतिशत अधिक है।

जून में वस्तुओं का निर्यात 23.52 प्रतिशत बढ़कर 40.13 अरब डॉलर पर पहुंचा
वित्त वर्ष 2022-23 के जून महीने में वस्तुओं का निर्यात 23.52 प्रतिशत बढ़कर 40.13 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून में निर्यात 24.51 प्रतिशत बढ़कर 118.96 अरब डॉलर पहुंच गया। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार रिकॉर्ड निर्यात में पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न एवं आभूषण और इंजीनियरिंग क्षेत्र की बेहतर भूमिका रही है। पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात जून में दोगुना से अधिक होकर 8.65 अरब डॉलर, जबकि रत्न एवं आभूषण निर्यात 25 प्रतिशत बढ़कर 3.53 अरब डॉलर रहा। इसके साथ ही कपड़ा, चावल, तिलहन, चाय, इंजीनियरिंग, मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात भी काफी अच्छा रहा।

निर्यात 418 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
मोदी सरकार ने कोरोना महामारी से उत्पन्न तमाम चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर्स को प्रोत्साहित करने के साथ ही निर्यात पर भी फोकस किया। इसका नतीजा है कि निर्यात के मोर्चे पर वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारत ने इस दौरान करीब 418 अरब डॉलर का निर्यात करने में सफलता पाई है। वित्त वर्ष खत्म होने से 10 दिन पहले ही भारत ने निर्यात लक्ष्य को हासिल कर लिया। निर्यात की दृष्टि से मार्च 2022 काफी महत्वपूर्ण रहा। इस महीने देश ने 40 अरब डॉलर का निर्यात किया जो एक महीने में निर्यात का सर्वोच्च स्तर है। इसके पहले मार्च 2021 में निर्यात का आंकड़ा 34 अरब डॉलर रहा था।

सेवा निर्यात 250 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
भारतीय अर्थव्यवस्था के हर सेक्टर में सुधार दिखाई दे रहा है। मोदी राज में वित्त वर्ष 2021-22 में कोरोना के बावजूद रिकार्ड 250 अरब डॉलर का सेवा निर्यात किया गया। जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में 195 अरब डॉलर का सेवा निर्यात किया गया था। 250 अरब डॉलर के सेवा निर्यात के साथ ही भारत का कुल निर्यात 669 अरब डॉलर का हो गया। वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि वित्त वर्ष 21-22 में वस्तु का निर्यात 419.5 अरब डॉलर का रहा। वित्त वर्ष 21-22 में सेवा निर्यात के लिए 225 अरब डॉलर का लक्ष्य रखा गया था जिसे पार कर लिया गया। 

गेंहू, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि
मोदी सरकार के प्रोत्साहन से गेंहू, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात में जबरदस्त वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दस महीने में भारत के कृषि‍ न‍िर्यात में 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एपीडा के तहत निर्यात 15.59 बिलियन डॉलर से बढ़कर 19.71 बिलियन डॉलर हुआ। चावल निर्यात में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई,जिससे 7,696 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई। प‍िछले साल की तुलना में व‍िदेशी बाजारों में भारतीय गेंहू की मांग में जबरदस्‍त उछाल आया है। अप्रैल-जनवरी 2021-22 के दौरान गेहूं के निर्यात में 1,742 मिलियन डॉलर की भारी वृद्धि दर्ज की गई, जो 2020-21 की इसी अवधि में 387 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जब यह 340.17 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

अदरक, केसर और हल्दी का निर्यात 192 प्रतिशत बढ़ा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुचारू और संगठित नीति के कारण भारतीय मसालों की मांग विश्व भर में बढ़ी है और निर्यात में जबरदस्त उछाल आया है। पीएम मोदी के आठ साल के कार्यकाल में हल्दी, अदरक और केसर के निर्यात में 192 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अप्रैल-मई 2013 में इन तीनों मसालों का निर्यात जहां 260 करोड़ रुपये का हुआ था वहीं अप्रैल-मई 2022 में यह बढ़कर 761 करोड़ रुपये हो गया।

चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन, 1200 प्रतिशत बढ़ा निर्यात
भारत ने चीनी निर्यात के मामले में पिछले आठ सालों में नया रिकॉर्ड बना लिया है। अप्रैल-मई 2013 में चीनी एवं चीनी उत्पादों का निर्यात जहां 840 करोड़ रुपये का हुआ था वहीं अप्रैल-मई 2022 में यह बढ़कर 11,370 करोड़ रुपये का हो गया। यानी इन आठ सालों में 1253 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है। इससे जहां देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है वहीं किसानों को भी इसका लाभ मिला है और उनके जीवन स्तर में सुधार देखने को मिला है।

मोदी राज में केले का निर्यात 700 प्रतिशत बढ़ा
मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले अप्रैल-मई 2013 में 26 करोड़ रुपये मूल्य के केले का निर्यात हुआ था, जबकि अप्रैल-मई 2022 में 213 करोड़ रुपये के केले का निर्यात किया गया, यानी केला निर्यात में 703 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आज भारत सलाना आधार पर 600 करोड़ रुपये से अधिक का केला निर्यात करता है और इसके साथ नए बाजारों की तलाश का काम भी जारी है।

मेड इन इंडिया प्रोडक्ट निर्यात में 17 प्रतिशत की वृद्धि
भारत ने जून 2022 में मेड इन इंडिया प्रोडक्ट के निर्यात में रिकार्ड कायम किया है। जून 2021 में जहां निर्यात 32.5 अरब डॉलर था वहीं जून 2022 में 37.9 अरब डॉलर का निर्यात दर्ज किया गया। जून 2022 में निर्यात का यह आंकड़ा किसी एक माह में सर्वाधिक है। इसके साथ ही यह एक साल में 17 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्ष 2021-22 में भारत ने 44 अरब डॉलर से अधिक राशि का एक्सपोर्ट किया और 2020-21 की तुलना में यह 41 प्रतिशत की वृद्धि है। 2020-21 की तुलना में कॉटन एक्सपोर्ट में 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई इसी तरह हथकरघा से बने कपड़े के निर्यात में 2020-21 की तुलना में 51 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

केमिकल्स एक्सपोर्ट 106 प्रतिशत बढ़कर 29.3 अरब डॉलर पर पहुंचा
भारतीय रसायनों के निर्यात ने वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में 106 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत का रसायन निर्यात रिकॉर्ड 29.29 अरब डॉलर रहा। वित्त वर्ष 2013-14 में रसायनों का भारतीय निर्यात 14.21 अरब डॉलर था। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि निर्यात में वृद्धि से प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा मिलेगा।

आज भारतीय रसायन उद्योग एक वैश्विक व्यवसाय बन गया है और यह मेक इन इंडिया दृष्टिकोण के साथ देश के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करता है। भारत विश्व में केमिकल्स का छठा और एशिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। रसायनों के निर्यात में भारत का 14वां स्थान है। आज भारत डाइज उत्पादन में अग्रणी स्थान पर है। भारत विश्व में कृषि रसायनों का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। विश्व में कृषि रसायनों का लगभग 50 प्रतिशत भारत से निर्यात किए जाते हैं। भारत विश्व में कास्टर ऑयल (आरंडी का तेल) का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है। एग्रोकेमिकल्स, डाई और स्पेशलिटी केमिकल्स जैसे क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन के कारण 2021-22 में रसायन निर्यात 29.29 अरब डॉलर पर पहुंच गया। भारत 175 से अधिक देशों को निर्यात करता है। भारत के प्रमुख एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन में तुर्की, रूस शामिल हैं। इसमें नए बाजार चीन, हांगकांग, जापान, कोरिया गणराज्य, ताइवान, मकाउ, मंगोलिया जैसे देश भी जुड़ गए हैं।

मई में औद्योगिक उत्पादन में 19.6 प्रतिशत की वृद्धि
मोदी सरकार की नीतियों के कारण मई के महीने में औद्योगिक उत्‍पादन ने शानदार प्रर्दशन किया। औद्योगिक उत्पादन (IIP) में 19.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह वृद्धि दर 12 महीने के उच्च स्तर पर है। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मई 2022 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 20.6 प्रतिशत, खनन क्षेत्र में 10.9 और बिजली उत्पादन में 23.5 प्रतिशत की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसी तरह कैपिटल गुड्स के उत्पादन में 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेगमेंट का उत्पादन 58.5 प्रतिशत बढ़ा है।

मई में कोर सेक्टर के उत्पादन में भारी वृद्धि, 18.1 प्रतिशत बढ़ा
इस साल मई में आठ कोर सेक्टर का उत्पादन 18.1 प्रतिशत बढ़ा है। 8 कोर सेक्टर का सूचकांक मई, 2022 में 148.1 पर रहा, जो एक साल पहले अप्रैल 2021 में 16.4 प्रतिशत थी। आठ कोर सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्‍पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल है। औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में आठों कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 40.27 प्रतिशत है। सरकारी आंकड़े के अनुसार इस साल अप्रैल में पिछले साल की तुलना में कोयला का उत्पादन में 25.1 प्रतिशत, बिजली उत्पादन में 22 प्रतिशत, सीमेंट उत्पादन में 26.3 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पाद में 16.7 प्रतिशत,फर्टिलाइजर उत्पादन में 22.8 प्रतिशत, स्टील उत्पादन में 15 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस उत्पादन में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर स्थिति में भारत
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने मंगलवार (14-06-2022) को कहा कि आने वाले चार साल में भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अभी हमारी अर्थव्यवस्था 3.3 ट्रिलियन डॉलर की है और 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को हासिल करना बहुत मुश्किल नहीं है। वहीं विश्व की अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत बेहतर और मजबूत स्थिति में है। यूएनडीपी इंडिया की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि अगर आप सिर्फ डॉलर के लिहाज से अर्थव्यवस्था में 10 प्रतिशत की मामूली वृद्धि का अनुमान लगाएं तो 2033-34 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 10 ट्रिलियन डॉलर का हो जाएगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में 2024-25 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। 

अप्रैल महीने में फैक्टरी उत्पादन में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि
भारत का फैक्टरी उत्पादन वृद्धि दर अप्रैल में 7.1 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर के साथ आठ महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में बिजली और खनन क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से अप्रैल में फैक्टरी उत्पादन 7.1 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। एनएसओ के अनुसार अप्रैल में बिजली क्षेत्र में 11.8 प्रतिशत और खनन क्षेत्र में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही कैपिटल गुड्स सेक्टर में 14.7 प्रतिशत, जबकि कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

जीएसटी कलेक्शन ने तोड़े सारे रिकॉर्ड
अप्रैल के महीने में जीएसटी कलेक्शन ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। देश में जीएसटी लागू होने के बाद से अप्रैल 2022 में सबसे ज्यादा जीएसटी कलेक्शन हुआ। अप्रैल 2022 के महीने में सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,67,540 करोड़ रुपये का रहा, जिसमें सीजीएसटी 33,159 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 41,793 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 81,939 करोड़ रुपये और उपकर 10,649 करोड़ रुपये शामिल हैं। अप्रैल 2022 में जीएसटी संग्रह पिछले महीने से 25,000 करोड़ रुपये अधिक रहा। पिछले महीने में 1,42,095 करोड़ रुपये जमा हुए थे। ऐसा सातवीं बार हुआ है जब जीएसटी संग्रह 1.30 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया और यह पहली बार हुआ कि सकल जीएसटी संग्रह 1.5 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया ।

14.09 लाख करोड़ रुपये के उच्च स्तर पर पहुंचा प्रत्यक्ष कर संग्रह
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों और प्रयासों के कारण इस बार भारत के शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। सीबीडीटी प्रमुख के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह (आयकर और कॉर्पोरेट कर) 14.09 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया यानि इसमें 49.02 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। जो वित्त वर्ष 2020-21 में 9.45 लाख करोड़ रुपये था। उन्होंने कहा कि 2021-22 के लिए सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह ने पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 32.75 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दिखाते हुए, 16.34 लाख करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू लिया।

पहली बार अप्रत्यक्ष कर संग्रह से आगे निकला प्रत्यक्ष कर संग्रह
सीबीडीटी प्रमुख जेबी महापात्र ने कहा कि ई-फाइलिंग पोर्टल पर 2021-22 के लिए 7.14 करोड़ से अधिक I-T रिटर्न दाखिल किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.4 प्रतिशत अधिक है। 2020-21 के लिए 6.97 करोड़ से अधिक दाखिल किए गए थे। उन्होंने कहा कि पहली बार प्रत्यक्ष कर संग्रह ने अप्रत्यक्ष कर संग्रह को पछाड़ दिया है, जो कुल कर संग्रह का 52 प्रतिशत है। 

यूपीए सरकार के मुकाबले आया 65 प्रतिशत ज्यादा एफडीआई
मोदी सरकार की ओर से लगातार एफडीआई नीति में सुधार, निवेश के लिए बेहतर अवसर, आर्थिक प्रबंधन और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसे कदम उठाने का परिणाम है कि विदेशी निवेशकों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा जताया है। कोरोना काल में भी विदेशी निवेशक जहां दूसरे देशों में निवेश करने से बच रहे थे, वहीं उन्होंने भारत में जमकर निवेश किया। मोदी सरकार के पिछले सात सालों पर नजर डाले तो देश में रिकॉर्ड विदेशी निवेश आया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार (29 मार्च, 2022) को वित्त विधेयक, 2022 और विनियोग विधेयक, 2022 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के शासन में देश में 500.5 अरब डॉलर विदेशी निवेश आया है, जो कि यूपीए सरकार के 10 वर्षों में एफडीआई के मुकाबले 65 प्रतिशत ज्यादा है। 

आसानी से नया कारोबार शुरू करने के मामले में टॉप-5 देशों में शामिल हुआ भारत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उनकी सरकार ने दशकों की नीतिगत जड़ता को खत्म करते हुए हर क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार किए हैं। गैरजरूरी प्रक्रियाओं और कानूनों को खत्म कर मोदी सरकार ने देश में कारोबार करना आसान बनाया है। साथ ही इस दिशा में लगातार कदम उठा रही है। इसका असर भी दिखाई दे रहा है। ईज ऑफ डूइंग बिजेनस की रैंकिंग में भारत ने जबरदस्त छलांग लगाई है। अब भारत नया कारोबार आसानी से शुरू करने के मामले में दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शामिल हो गया है। इस संबंध में जानकारी 10 फरवरी, 2022 को दुबई एक्सपो में जारी वैश्विक उद्यमिता निगरानी की रिपोर्ट में दी गई थी।

GeM पोर्टल पर साल भर में आए रिकॉर्ड 1 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वित्तवर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड एक लाख करोड़ रुपये की वार्षिक खरीद अर्जित करने के लिए गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) की प्रशंसा की। उन्होंने यह भी कहा कि GeM प्लेटफॉर्म विशेषकर एमएसएमई सेक्टर को मजबूत बनाने का काम कर रहा है और आर्डरों की कुल कीमत का 57 प्रतिशत इसी सेक्टर से आता है। अपने ट्वीट संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यह जानकर प्रसन्नता हुई कि@GeM_India ने अकेले एक वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये की कीमत के आर्डर प्राप्त किए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में काफी अच्छी वृद्धि है। जीईएम प्लेटफॉर्म विशेषकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को मजबूत बना रहा है तथा आर्डरों की कुल कीमत का 57 प्रतिशत इसी सेक्टर से आता है।” 

चीन को पीछे छोड़ यूनिकॉर्न क्लब में दूसरे स्थान पर पहुंचा भारत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार नया-नया मुकाम हासिल करता जा रहा है। जिस तरह सरकार स्टार्टअप सेक्टर को सुविधाएं और प्रोत्साहन दे रही है, उससे देश में यूनिकॉर्न बनने वाले स्टार्टअप्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। आज भारत उभरते हुए यूनिकॉर्न वाले देशों में चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। अब भारत से आगे सिर्फ अमेरिका है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर बताया कि सबसे उभरते हुए यूनिकॉर्न वाले देशों में भारत अब दुनिया का नंबर 2 है, चीन से आगे हैं। हमारा मजबूत और अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र भारतीय स्टार्टअप को यूनिकॉर्न क्लब में ज़ूम करने में सक्षम बना रहा है। भारत में 32 उभरते हुए यूनिकॉर्न कंपनियां बनी हैं। जबकि चीन में भारत के मुकाबले 27 यूनिकॉर्न कंपनियां बनी हैं।

मुद्रा योजना से देश में आ रही है स्वरोजगार क्रांति
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के सात वर्ष पूरे हो गए हैं। प्रधानमत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 8 अप्रैल, 2015 को इस योजना का शुभारंभ किया था। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के सात वर्ष पूरा होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुद्रा योजना ने अनगिनत देशवासियों को अपना कौशल प्रदर्शन और रोजगार के अवसर पैदा करने का अवसर दिया है। उन्होंने कहा कि इस योजना ने लोगों के जीवन में परिवर्तन लाते हुए उनमें खुशहाली और आत्‍मसम्‍मान बढ़ाया है। मुद्रा योजना के कारण युवा जॉब सीकर की जगह जॉब क्रिएटर बन रहे हैं। इस योजना के लाभार्थियों में 68 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं, यानि महिलाओं की आर्थिक उन्नति में भी यह योजना क्रांतिकारी साबित हुई है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 19 अप्रैल, 2022 तक 34.54 करोड़ से अधिक ऋण दिए गए हैं।

आइए देखते हैं देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर विभिन्न रेटिंग एजेंसियों का क्या कहना है…

अर्थव्यवस्था मजबूत: वित्त वर्ष 23 में जीडीपी ग्रोथ 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि वित्त वर्ष 2023 में भारत की जीडीपी विकास दर 7.2 प्रतिशत रह सकती है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भारत की जीडीपी ग्रोथ 16.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार अर्थशास्त्रियों के एक सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 14-15 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सबसे बुरा समय खत्म हो गया है। 10 अर्थशास्त्रियों के सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 23 की वृद्धि दर 7.2-7.6 प्रतिशत के बीच आंकी गई। HDFC के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ के अनुसार पहली तिमाही में जारी हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स बताते हैं कि वैश्विक प्रतिकूलताओं के बावजूद आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है।

पहली छमाही में जीडीपी ग्रोथ 7-8 प्रतिशत रहने का अनुमान
मोदी सरकार की नीतियों की वजह से वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में जीडीपी ग्रोथ 7-8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। देश के ज्यादातर मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (CEO) का मानना है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में अर्थव्यवस्था 7-8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के एक सर्वे के अनुसार 57 प्रतिशत CEO का मानना है कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 7 से 8 प्रतिशत के बीच रहेगी। CII के सर्वे में देशभर के 136 CEO ने भाग लिया। CII CEOs पोल नतीजे स्पष्ट रूप से भारतीय उद्योग के लचीलेपन के साथ घरेलू और निर्यात दोनों पर सकारात्मक व्यावसायिक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करते हैं। सर्वे के दौरान इंडिया इंक के सीईओ का यह भी मानना था कि इस दौरान उनकी कंपनी में रोजगार सृजन की संभावनाएं भी बेहतर रहेंगी।

2022 में 8.8 प्रतिशत रह सकती है वृद्धि दर- मूडीज
रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने साल 2022 में भारत की विकास दर 8.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इसके साथ ही साल 2023 के लिए विकास दर अन्य विकसित देशों से अधिक 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि मजबूत क्रेडिट ग्रोथ, कॉर्पोरेट सेक्टर की बड़े स्तर पर निवेश की घोषणा और सरकार के पूंजी खर्च पर आवंटन बढ़ाए जाने से निवेश में मजबूती आने का संकेत मिलता है। मूडीज ने कहा है कि अगर ग्लोबल क्रुड ऑयल और फूड प्राइस में और बढ़ोतरी नहीं होती है, तो अर्थव्यवस्था में आगे भी तेजी देखने को मिल सकती है।

सबसे तेजी से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था- यूएन
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण दुनियाभर में पड़े नकारात्मक असर के बाद भी भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख इकोनॉमी बना रहेगा। संयुक्त राष्ट्र ने ग्लोबल इकोनॉमी की स्थिति पर जारी अपनी हालिया रिपोर्ट में वर्ष 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। जबकि रिपोर्ट में वैश्विक अर्थव्यवस्था के वर्ष 2022 में 3.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस मामले में भारत कुछ बेहतर स्थिति में है।

2022 में 8.5% रहेगी विकास दर- आईएमएफ
मोदी सरकार के रणनीतिक सुधारों और कोरोना टीकाकरण अभियान में तेजी के कारण दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 2022 में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। खास बात यह है कि 2022 में भारत को छोड़कर किसी भी अन्य देश में यह वृद्धि दर 6 प्रतिशत से ऊपर नहीं जाने का अनुमान जताया गया है। आर्थिक विकास दर के मामले में भारत ने चीन और अमेरिका को काफी पीछे छोड़ दिया है।

आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।

सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल रहेगा भारत- केपीएमजी
ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी ने कहा कि वर्ष 2022 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में भारत शामिल रहेगा। वित्त वर्ष 2022-23 में 7.7 प्रतिशत रह सकती है। केपीएमजी का कहना है कि भारत सरकार की मौजूदा नीतियां आर्थिक रफ्तार को आगे भी बढ़ाए रखेंगी। इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर फोकस और इस क्षेत्र में किए जा रहे निवेश से न सिर्फ विकास दर में तेजी आएगी, बल्कि बेरोजगारी भी घटेगी। केपीएमजी के अुसार, कोरोना के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी रेट बढ़ी है। आर्थिक सुधार के मोर्चे पर आगे बढ़ने और मांग में तेजी की वजह से मोबिलिटी इंडेक्स, डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन, बिजली की मांग सभी में उछाल दर्ज किया जा रहा है।

मौजूदा वित्त वर्ष में 7.4 प्रतिशत रह सकता है भारत का जीडीपी
उद्योग संगठन फिक्की ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में देश की जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रह सकती है। ताजा आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण रिपोर्ट में फिक्की ने चालू वित्त वर्ष में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, लेकिन वृद्धि से जुड़े जोखिमों को लेकर सतर्क भी किया गया है। फिक्की आर्थिक आउटलुक सर्वेक्षण ने इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर के लिए विकास दर 5.9 प्रतिशत और 8.5 प्रतिशत के साथ कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए 3.3 प्रतिशत विकास का अनुमान लगाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी लड़ाई के कारण कीमतें वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में ब्याज दरें बढ़ाने का सिलसिला शुरू कर सकता है।

9.2 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था- नीति आयोग
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 9.2 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और आने वाले वर्षों में भी यह तेजी बरकरार रहने की उम्मीद है। ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत आज अभूतपूर्व स्तर के आर्थिक विकास और तकनीकी बदलावों को देख रहा है। अर्थव्यवस्था 9.2 प्रतिशत की दर से ग्रोथ कर रही है और आने वाले वर्षों में भी ग्रोथ की यह रफ्तार बरकरार रहने की उम्मीद है। इसके साथ हम दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में तीव्र आर्थिक ग्रोथ हासिल करने वाले देशों में से एक हैं।’’ अमिताभ कांत ने कहा कि देश ने दक्षता को अधिकतम करने के लिए कई उपाय किए हैं, जिसमें जीएसटी, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, कॉरपोरेट करों को कम करना शामिल हैं। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे अगले पांच साल में देश के उत्पादन में 520 अरब डॉलर का इजाफा होगा और भारत ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा बनेगा।

भारत के नाम होगी सदी, 10 साल में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था- डेलॉय
डेलॉय के वैश्विक सीईओ पुनित रंजन ने कहा है कि भारत 2022 में तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगी। इसकी वृद्धि दर 8-9 प्रतिशत रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि हालांकि कोरोना संक्रमण आर्थिक विकास के रास्ते में रोड़ा है, लेकिन भारत महामारी से निपट ले तो यह सदी उसके नाम होगी क्योंकि आर्थिक लय उसके पक्ष में है। डेलॉय सीईओ ने कहा कि भारत अगर कोरोना से निपट ले तो मुझे भरोसा है कि वह बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के विकास के मामले में दूसरों का नेतृत्व करेगा। खास बात है कि अगले 10 वर्षों में 6-7 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। आकार के मामले में यह दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा।

एशिया की दूसरी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत
भारत वर्ष 2030 तक जापान को पीछे छोड़कर एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। आईएचएस मार्किट ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया कि वर्ष 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटेन और जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे पायदान पर पहुंच जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक भारत की जीडीपी 2030 में बढ़कर 84 खरब डॉलर होने का अनुमान है, जो फिलहाल 27 खरब डॉलर है। वर्ष 2030 तक भारत की जीडीपी की साइज जर्मनी और ब्रिटेन से ज्यादा होकर अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन सकती है। आईएचएस मार्किट ने दावा किया कि कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य मजबूत और स्थिर दिख रहा है, जिससे अगले एक दशक तक यह सबसे तेज बढ़ती जीडीपी वाला देश बना रहेगा।

8.2 प्रतिशत रहेगी विकास दर- बैंक ऑफ अमेरिका
अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका ने कहा है कि अगले वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान भारत की विकास दर 8.2 प्रतिशत रहेगी। बैंक ऑफ अमेरिका ने अपने अनुमान में कहा है कि अगले वर्ष भारत में चीजें सामान्य होंगी और ग्रोथ रेट रफ्तार पकड़ेगी। बैंक का कहना है कि उपभोग बढ़ने से ग्रोथ को प्रोत्साहन मिलेगा।

9.8 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था- गोल्डमैन सैक्स
ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विस कंपनी गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्था के रूप में भारत सबसे आगे रहेगा। विकास दर के मामले में अमेरिका और चीन को पीछे छोड़ते हुए देश के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर 9.8 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। 

आर्थिक वृद्धि दर 9.5 फीसदी रहने का अनुमान-एसएंडपी
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि 2022-23 में यह 7 प्रतिशत रह सकती है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के निदेशक (सॉवरेन) एंड्रयू वुड ने कहा कि महामारी के संदर्भ में भारत की बाह्य स्थिति मजबूत हुई है। देश ने रिकॉर्ड गति से विदेशी मुद्रा भंडार जुटाया है।

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