तथाकथित सेक्युलर और बुद्धिजीवी मीडिया और इससे जुड़े लोग लगातार धर्म और जाति के नाम पर देश को बांटने का काम कर रहे हैं। इस मामले में द प्रिंट न्यूज बेवसाइट और दिलीप मंडल जैसे लोग काफी आगे हैं। द प्रिंट ने Hindi news anchors such as Rubika Liyaquat and Sayeed Ansari are like Muslim leaders of BJP हेडलाइन से एक खबर प्रकाशित की है। इस लेख के जरिए दिलीप मंडल ने एक बार फिर से समाज को धर्म और जाति के नाम पर बांटने की भरपूर कोशिश की है।
लेख की शुरूआत में लिखा गया है कि कोरोना वायरस महामारी के दौर में न्यूज मीडिया के लिए रिपोर्टिंग करना एक मुश्किल और जोखिम भरा काम है। इसमें संक्रमण होने का पूरा खतरा है, फिर भी कई रिपोर्टर जान जोखिम में डालकर अपनी पेशेवर जिम्मेदारी निभा रही हैं, लेकिन पत्रकारिता के पेशे में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी जान तो जोखिम में नहीं डाल रहे हैं लेकिन वे हर दिन पेशेवर कारणों से अपनी अंतरात्मा, अपने जमीर और वजूद को खतरे में डाल रहे रहे/रही हैं और उसे बचाने की कोशिश कर रहे/रही हैं या मान चुके/चुकी हैं कि ये मुमकिन नहीं है।
इस लेख में दरअसल दिलीप मंडल ये कहने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर मुसलमान होते हुए भी रोमाना इसार खान, रुबिका लियाकत और सईद अंसारी जैसे मुस्लिम एंकर्स कैसे अपने ही समुदाय को खबरें प्रसारित कर निंदा करते हैं और कहीं न कहीं ये सब ये लोग मजबूरी में करते हैं।
द प्रिंट की इस खबर का रुबिका लियाकत ने तीखी निंदा की है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि मुझे विक्टिम कार्ड वाले एजेंडा में फ़िट न पा कर, भाई लोगों को काफी दुख हो रहा है। मुसलमानों को मुख्यधारा से अलग ऐसे रखा जाता है। हिंदुस्तान में मुसलमान ख़ुद को बेचारा और डरा हुआ बताए तभी इन जैसों का हीरो बना पाता है। @ThePrintIndia अपनी दुकान कहीं और सजाना..
अरे रे रे कितना दुख झलक रहा है भाई लोगों का मुझे विक्टिम कार्ड वाले एजेंडा में फ़िट न पा कर। मुसलमानों को मुख्यधारा से अलग ऐसे रखा जाता है। हिंदुस्तान में मुसलमान ख़ुद को बेचारा और डरा हुआ बताए तभी इन जैसों का हीरो बना पाता है। @ThePrintIndia अपनी दुकान कहीं और सजाना.. https://t.co/XBVddM7lun
— Rubika Liyaquat (@RubikaLiyaquat) May 13, 2020
एएनआई की पत्रकार स्मिता प्रकाश ने भी इस लेख की निंदा की है और लिखा है कि आगे क्या? हिन्दू एंकर, जैन एंकर, बौद्ध एंकर, सिख एंकर और फिर इसके बाद किस जाति के एंकर और फिर नार्थ, साउथ, वेस्ट और ईस्ट इंडिया के एंकर !
Next is what? Hindu anchors? then Jain anchors? Buddhist anchors? Sikh anchors? Then? Once done with those, divide on caste lines? Then? North, South? North East, South West? https://t.co/hFWwTxnA6V
— Smita Prakash (@smitaprakash) May 13, 2020
आपको बता दें कि ये पहली बार नहीं है कि तथाकथित सेक्युलर और बुद्धीजीवी लोगों ने मनगढ़त और गलत खबरें फैलाकर देश में धर्म और जाति के नाम के वैमनस्य फैलाने के साथ-साथ देश को बदनाम करने की कोशिश की हो।
लॉकडाउन बढ़ाये जाने की झूठी खबर
इससे पहले ‘द प्रिंट’ से एक बार फिर फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की। द प्रिंट में दावा किया गया कि मोदी सरकार कोरोना वायरस लॉकडाउन को 14 अप्रैल के बाद भी कुछ हफ्तों के लिए बढ़ा सकती है। ‘Modi govt could extent coronavirus lockdown by a week a migrant exodus triggers alarm’ शीर्षक की ‘एक्सक्लूसिव’ रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली एनसीआर से पलायन संकट के कारण लॉकडाउन को एक हफ्ते बढ़ाया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर खबर फैलायी गयी कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए देश को लॉकडाउन के एक और चरण से गुजरना पड़ सकता है। खबर में बताया गया है कि स्वास्थ्य, प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स और फाइनेंस से जुड़े विशेषज्ञों की एक समिति ने मई में दूसरे लॉकडाउन की सिफारिश की है। इस रिपोर्ट में 17 अप्रैल से बंदिशें कम करने के बाद 18 अप्रैल से 31 मई तक दोबारा लॉकडाउन की सिफारिश की गयी है।
14 अप्रैल तक,
लाकडाउन हुआ है….!
और बता दूं यह बढ़ाया भी जा सकता हैपैसे सोच-समझकर ही खर्च करें,
सरकार आपको कुछ नहीं देगी सिवाए वादों केजनहित में जारी#रामदेव_बाबा_पैसे_निकालो#PMCaresFunds #RSS_पैसे_निकाल
— Natasa Kapoor (@Natasa_Kapoor) March 29, 2020
दाल भात खाएंगे, कोरोना को हर आएंगे.
लॉकडाउन धीरे-धीरे 30 जून 2020 तक चलेगा.पैसे सोच समझ के खर्च करे,
यह अमेरिका नहीं है जो हर एक को गवर्नमेंट पैसे देगी!
घर पर रहिए अपनी और दूसरों की जिंदगी को जहन्नुम मत बनाइए !
Stay at home? ??@Sehrish2018 @SaLEhA__09 @AafoNaaz @akhterzaidi pic.twitter.com/8HGthF5Rhc— SyedQasimsaud (@Qasimsaud4) March 29, 2020
इस खबर पर प्रसार भारती न्यूज सर्विस (पीबीएनएस) ने यह कहते हुए ट्वीट किया कि कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने लॉकडाउन बढ़ाये जाने से साफ इंकार किया है। पीबीएनएस ने ट्वीट करते हुए कहा कि यह फेक न्यूज है। खबर एकदम झूठी है। पीबीएनएस ने कैबिनेट सचिव से इस खबर के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने हैरानी जताते हुए साफ कहा कि लॉकडाउन को बढ़ाये जाने की कोई योजना नहीं है।
Alert : There are rumours & media reports, claiming that the Government will extend the #Lockdown21 when it expires. The Cabinet Secretary has denied these reports, and stated that they are baseless#PIBFactCheck#lockdownindia #coronaupdatesindia #IndiaFightsCorona
— PIB India #StayHome #StaySafe (@PIB_India) March 30, 2020
सेना ने किया इमरजेंसी की अफवाहों का खंडन
भारतीय सेना को ट्वीट के जरिये सोशल मीडिया पर फैलायी जा रही उन अफवाहों का खंडन करना पड़ा, जिसमें कहा गया था कि अप्रैल के मध्य में इमरजेंसी की घोषणा कर दी जाएगी। सेना ने साफ किया है कि सोशल मीडिया में फैलाया जा रहा ये वायरल मैसेज पूरी तरह से गलत और दुर्भावनापूर्ण है।
Advisory : It has been noticed that Serving #IndianArmy personnel are creating/sharing videos on social media giving their identity as also in Uniform. All personnel are advised to follow existing guidelines and refrain from such activities. pic.twitter.com/bBVDwdaIcI
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) March 31, 2020
‘द वायर’ ने फैलाया सीएम योगी का झूठा बयान
‘द वायर’ जैसे प्रोपेगेंडा पोर्टल्स इस आपदा काल में भी अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं। ताज़ा मामला ‘द वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन का है, जिसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में फेक न्यूज़ फैलाई है। तबलीगी जमात को बचाने के लिए तड़पते ‘द वायर’ ने फेक न्यूज़ चलाया कि जिस दिन इस इस्लामी संगठन का मजहबी कार्यक्रम हुआ, उसी दिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 25 मार्च से 2 अप्रैल तक अयोध्या प्रस्तावित विशाल रामनवमी मेला का आयोजन नहीं रुकेगा क्योंकि भगवान राम अपने भक्तों को कोरोना वायरस से बचाएंगे।
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के एमडीए सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने सिद्धार्थ वरदराजन की ये चोरी पकड़ ली और उन्हें जम कर फटकार लगाई। उन्होंने ‘द वायर’ और उसके संस्थापक पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी ने कभी कोई ऐसी बात कही ही नहीं है, जैसा कि लेख में दावा किया गया है। उन्होंने सिद्धार्थ को चेताया कि अगर उन्होंने अपनी इस फेक न्यूज़ को तुरंत डिलीट नहीं किया तो कार्रवाई की जाएगी और उन पर मानहानि का मुकदमा भी चलाया जाएगा। साथ ही उन्होंने तंज कसते हुए ये भी कहा कि कार्रवाई के बाद वेबसाइट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी सिद्धार्थ वरदराजन को डोनेशन माँगना पड़ जाएगा।
झूठ फैलाने का प्रयास ना करे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्यवाही की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन माँगना पड़ेगा फिर। https://t.co/2rEJmToLIh
— Mrityunjay Kumar (@MrityunjayUP) April 1, 2020
वैष्णों देवी में श्रद्धालुओं के फंसे होने की झूठी खबर
इसी तरह सोशल मीडिया पर ऐसी फैलाई जा रही हैं कि वैष्णो देवी तीर्थ में करीब 400 श्रद्धालु फंसे हुए हैं। जब पीआईपी की फैक्टचेक टीम ने इस खबर की जांच की तो पाया कि यह पूरी तरह झूठी खबर है। पीआईबी ने ट्वीटकर बताया कि कोई भी श्रद्धालु कटरा या वैष्णो देवी तीर्थ में नहीं फंसा हुआ है। यात्रा को लॉकडाउन होने से बहुत पहले, 18 मार्च को ही रोक दिया गया था।
Social media messages claiming that 400 devotees are stranded at the #VaishnoDevi or Katra is false. #PIBFactcheck: It is clarified that Yatra stopped on 18th March, much before the lockdown:
CEO of the shrine board has already clarified the same to the media pic.twitter.com/9zxNXS2dXO
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) April 1, 2020
सिर्फ आधिकारिक खबर साझा करने की झूठी खबर
गृहमंत्रालय के हवाले से सोशल मीडिया पर खबर फैलायी गई कि कोरोना वायरस के बारे में केवल सरकारी एजेंसियां खबर पोस्ट कर सकती हैं। जब इस खबर की पड़ताल की गई, तो पता चला कि गृह मंत्रालय की ओर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया था।
#FactCheck : Beware of Fake “Home Ministry Advisory” being circulated on Social Media, including WhatsApp Groups. #PIBFactcheck confirms that no such advisory has been issued by the Home Ministry. #CoronaUpdate #TNINewsUpdate pic.twitter.com/Ez8ySaknkX
— TNI News Desk (@TNITweet) March 30, 2020
‘ऑल्ट न्यूज़’ के संस्थापक ने फैलायी झूठी खबर
इसी तरह कथित फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने फेक अकाउंट को रीट्वीट कर झूठी खबर फैलाने की कोशिश की। एक ट्विटर अकाउंट जो कई दिनों से बंद पड़ा हुआ था। उस ट्विटर अकाउंट से अचानक से एक वीडियो ट्वीट किया जाता है, जिसमें एक महिला डॉक्टर बताती है कि किस तरह डॉक्टरों को सरकार द्वारा कुछ भी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। वो बताती हैं कि उसने जो मास्क पहना हुआ है, वो काफ़ी पुराना है और उसे बार-बार धो कर उसे पहनना पड़ रहा है। वो डॉक्टर बताती हैं कि वो एक सप्ताह से यही मास्क पहन रही हैं। इस ट्वीट का सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया था, वह अकाउंट किसी पुरुष के नाम पर था, जिसका हैंडल है- विक्रमादित्य। पहले नाम भी किसी पुरुष का था लेकिन इसको वायरल करने के लिए इसे किसी महिला के नाम पर बना दिया गया।
हैदराबाद में हुए सड़क हादसे को लॉकडाउन से जोड़ा गया
28 मार्च को हैदराबाद के बाहरी इलाके में हुए एक सड़क हादसे में 8 मजदूरों की मौत हो गई। लॉरी मजदूरों को कर्नाटक में उनके गांवों में ले जा रही थी। 31 मजदूर कर्नाटक के रायचूर जिले में अपने गांव लौट रहे थे। यह एक सामान्य सड़क हादसा था, लेकिन इस हादसे को भी लॉकडाउन से जोड़ दिया गया।
झूठ बोलते हुए पकड़ा गया टाइम्स ऑफ इंडिया का पत्रकार
बरेली में टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार कंवरदीप सिंह ने ट्वीट के जरिए जिला प्रशासन से सवाल किया कि स्प्रे के जरिए कोरोना को मारने की कोशिश हो रही है या लोगों को ? कंवरदीप के बाद अवॉर्ड वापसी और लिबरल गैंग सक्रिय हो गया। इस मामले को मजदूर विरोधी बताकर मोदी और योगी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की गई। हालांकि कई ट्विटर यूजर्स ने कंवरदीप पर खबर को सनसनीखेज बनाने का आरोप लगाया। साथ ही ट्वीट कर बताया कि इस तरह के स्प्रे का इस्तेमाल कुछ ही दिन पहले केरल में किया गया था। लेकिन किसी ने इस पर कोई सवाल नहीं उठाया था, क्योंकि वहां पर लेफ्ट की सरकार है।
This is Kerala, where agencies are mass ‘spraying’ people crossing borders. But all the outrage is reserved for UP, because a saffron clad monk of the BJP is the Chief Minister and is doing a good job!#IndiaFightsCorona while ‘The Lobby’ fights India…pic.twitter.com/FWCUxWbl5z
— Amit Malviya (@amitmalviya) March 30, 2020
Low IQ media again resorting to sensationalism to create panic. That “chemical solution” is a disinfectant spray. This measure has been used widely across the world to prevent/reduce imported cases. Hope @Uppolice takes action against this ‘journalist’. https://t.co/cFAXMfsdPB pic.twitter.com/7HKUnO4Tas
— Spaminder Bharti (@attomeybharti) March 30, 2020