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संकट में पड़ी बिजली वितरण कंपनियों को मिली संजीवनी, मोदी सरकार ने दिया 90 हजार करोड़ रुपये का पैकेज

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान करते हुए कहा था कि इसमें हर सेक्टर के लिए रकम निर्धारित है। प्रधानमंत्री मोदी के ऐलान के मुताबिक अब सभी सेक्टर्स को राहत मिलना शुरू हो गया है। इससे संकट का सामना कर रही बिजली कंपनियों को भी संजीवनी मिली है। बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बिजली कंपनियों के लिए 90 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सरकार पीएफसी और आरईसी डिस्कॉम को यह पैसा देंगी। इस घोषणा के बाद बिजली वितरण कंपनियों ने राहत की सांस ली है।

लॉकडाउन से राजस्व का नुकसान

हाल ही में आयी कुछ रिपोर्ट में ये दावा किया गया था कि बिजली वितरण कंपनियों के पास सैलरी देने के लिए नकदी नहीं है। उद्योग संगठन सीआईआई ने लॉकडाउन के कारण बिजली वितरण कंपनियों को हजारों करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान की बात कही थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बिजली वितरण कंपनियों के ऊपर फरवरी 2020 तक बिजली उत्पादन कंपनियों का 92,602 करोड़ रुपये बकाया था।

लिक्विडिटी के लिए बिजली कंपनियों को पैकेज

दरअसल कोरोना वायरस की वजह से देशभर में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है, जिस वजह से अधिकतर दफ्तर और फैक्ट्रियां बंद हैं। बंदी की वजह से बिजली की डिमांड में काफी गिरावट आई है। खपत कम होने से बिजली कंपनियों के सामने नकदी की समस्या उत्पन्न हो गई है। अब सरकार के इस ऐलान से डिस्कॉम के जरिये बिजली कंपनियों को राहत पहुंचने वाली है।

बिजली मांग में 49 प्रतिशत तक कमी

डिस्कॉम और बिजली विभाग के अधिकारियों के मुताबिक देशव्यापी लॉकडाउन के बाद दिल्ली में अधिकतम बिजली मांग में 49 प्रतिशत तक कमी आई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार दिन के दौरान बिजली की मांग में 40-50 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि रात के दौरान बिजली की मांग लगभग 20-30 प्रतिशत घटी है।

दिल्ली के घरेलू लोड पर कोई असर नहीं

हालांकि, लॉकडाउन के दौरान घरेलू लोड पर कोई असर नहीं हुआ। डिस्कॉम के एक अधिकारी ने बताया कि लोग अपने घरों में हैं और बिजली के उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए दिल्ली के घरेलू लोड पर कोई असर नहीं है। उन्होंने कहा कि वास्तव में इस श्रेणी में थोड़ी वृद्धि हुई है।

बिजली चोरी पर रोक सरकार की पहली प्राथमिकता

गौरतलब है कि सरकार ने बिजली कंपनियों को देश भर में स्मार्ट मीटर लगाने का आदेश दिया है। कई राज्यों में तेजी से इस पर काम हो रहा है। बिजली चोरी रोकने के लिए 1 अप्रैल से हरेक घर में प्रीपेड मीटर लगाना अनिवार्य हो चुका है। केंद्र सरकार ने 2022 का लक्ष्य रखा है, जिसके बाद लोगों को बिना मीटर को रिचार्ज कराए घर में बिजली की सप्लाई नहीं मिलेगी।

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