अमेजन प्राइम की वेब सीरीज तांडव में हिंदू धर्म को अपमानित करने का प्रयास किया गया है। भारत में शुरू से रचनात्मकता के नाम पर हिंदूओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाया गया है। विरोध होने पर सेकुलर और कथित लिबरलों ने रचनात्मकता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात को जोर-शोर से उठा अपना बचाव किया है। बात बहुत आगे बढ़ने पर इनका सबसे असरदार हथियार होता है माफी मांग कर मामले को रफा-दफा कर देना। तांडव वेब सीरीज पर पर विरोध को देखते हुए एक बार फिर रचनात्मकता के कथित झंडाबरदार सामने आ गए हैं। आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और कथित आशुतोष ने ट्वीट किया कि जिस गति से लोगों की भावनायें आहत हो रही हैं, उसको देखते हुये बहुत जल्दी ही देश में रचनात्मक काम होने बंद हो जायेंगे । फ़िल्मे और लेखन सरकारों को खुश करने के लिये बनेंगी। आशुतोष के ट्वीट करते ही यूजर्स ने उन्हें लताड़ लगानी शुरू कर दी…
जिस गति से लोगों की भावनायें आहत हो रही हैं, उसको देखते हुये बहुत जल्दी ही देश में रचनात्मक काम होने बंद हो जायेंगे । फ़िल्मे और लेखन सरकारों को खुश करने के लिये बनेंगी । #TandavReview #tandavwebseries #AmazonPrime
– https://t.co/PhzrYRaVWs via
— ashutosh (@ashutosh83B) January 18, 2021
अबे चल! मोहम्मद और आयशा पर फिल्म बनाके देख बे, तब तो भावना आहत हो जाते! फ्रांस भूल गए? कमलेश तिवारी याद दिला दू? छोड़, ट्विटर पर ही लिख दु मोहम्मद और आयशा पर, तो अकाउंट सस्पेंड करवा देता है। बड़ा आया भाबना के बारे में बोलने वाले। भाग, साले! हमने तो ट्रेंड चलाये, गला नही काटे। pic.twitter.com/ty1PApWlSH
— @सोमाली? भक्त ? (@SomaliBhattach3) January 18, 2021
भावनाएं तो किसी की भी कहीं भी, फ्रांस से लेकर बैंगलोर और अब कानपुर तक, आहत हो सकती है लेकिन उनकी भावना भावना और हमारी भावना अभिव्यक्ति और रचनात्मकता में अड़ंगा
pic.twitter.com/yIMSfoEeQ4— दलीप पंचोली?? (@DalipPancholi) January 18, 2021
नन का शोषण,मुस्लिम कुरीतियां,धर्म परिवर्तन का खेल,लव जिहाद की साज़िश इन सब पर फिल्में क्यों नही बनाते!
हिंदू की धार्मिक भावना देवी देवता का अपमान भी जाईज मानने वालो बताओ?
सनातन धर्म किसी की आस्था का अपमान करने की बात नही करता!
लेकीन दूसरे मजहब की सामाजिक कुरीतियां पर तो बनाओ!
— एस.के. सनातनी AVP? (@indian_sanatan) January 18, 2021
वल्लाह का कार्टून बनाना सख्त मना है लेकिन देवी देवताओं के कार्टून, फिल्मे, बैव सीरीज कुछ भी बनाओ, ये सब रचनात्मकता है? क्यों बे! कालुतोष कटुए
— कगनावत_रामभक्त?️?F? (@Kaganawat_Dee) January 18, 2021
शार्ली हेब्दो ने कौन से खलीफा के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था काले तीतर, स्वर्गीय कमलेश तिवारी जी ने भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का ही प्रयोग किया था,तब कहां तू गांव खुदा रहा था
— राजीव पटेल (@RajivPa64534116) January 18, 2021
इस्लाम के ऊपर भी फिल्म बनाओ हम भी तो जाने आसमानी किताब में क्या है एक कांटून बनने से इस्लाम खतरे में पड़ जाता है और दुनिया भर के मुसलमानो कि भावनाए आहत हो जाती है तब ज्ञान नहीं देता कालू pic.twitter.com/rbQgXdVUz3
— Umesh Pandey (@UmeshPa06293341) January 18, 2021
जब कार्टून बना था तब किस बिल में घुस गए थे। एक धर्म को गाली देकर और उनके सेंटीमेंट है हर्ट करना रचनात्मकता नहीं दोगलेपन की निशानी है बिल्कुल तुम्हारी तरह।
— Kirti Tiwari ?? (@ikirtitiwari) January 18, 2021
आजादी के बाद से धर्मनिरपेक्षता कि आड़ में,अभिव्यक्ति कि आजादी के नाम पर हिन्दू धर्मावलम्बियों की भावनाओं को आहत करने हेतु घृणित प्रयोग होते रहे हैं,जब उसके खिलाफ प्रदर्शन होंगे तो कहते हैं कि भारत में डर लगता है |
बेहतर है गन्दी आदते सुधारी जाये,क्योंकि समय परिवर्तनशील है ??
— Baliram Yadav (@Baliramyadav007) January 18, 2021
इस्लाम धर्म से हम लोग परिचित नहीं हैं आशुतोष तुम सचमुच एक आदर्श आदमी हो ऐसा करो मोहम्मद साहब पर एक सीरियल बनाओ जिसमें कुछ इसी तरह के काम करते हुए या उनकी सही जिंदगी पर सीरियल बनाओ इस तरह से सब इस्लाम को समझने लगेंगे और जो यह हिंदू मुसलमान की खाई है वह भी पट जाएगी तुम अमर हो जाओगे
— Rajeev Ji Sitapur Wale (@JiSitapur) January 18, 2021
आशुतोष बेटा, ये रचनात्मक काम मियां भाई लोग अपने मजहब के ऊपर क्यों नहीं करते ? तीन तलाक़,हलाला,औरत एक खेती,कुर्बानी जैसी तमाम शानदार स्कीमें चलती है। बेहतरीन रचनात्मक स्क्रिप्ट लिखी जा सकती है। एक ही फिल्म में दर्शक चार बीबीयों के साथ रंगरेलियां मनाते हीरो को देख सकता है। है ना ?
— Tripuresh Singh (@TripureshSingh9) January 18, 2021
सारी रचनात्मकता केवल हिंदूओं की मान्यताओं और आस्थाओं के साथ ही क्यों जरा उनको बोलो कि बाकियों की मान्यताओं पर भी फिल्में बनाएँ तो सत्य अपने आप सामने आ जायेगा और वे बचेंगे ही नहीं अगली फिल्म बनाने के लिये “चार्ली हेब्दो” भूल गया लगता है
— Dinesh Mittal (@dineshmittal3) January 18, 2021
कल्लू
हमारे देवी देवताओ का ही अपमान क्यो किया जाता है?
अगर इन लोगो को फ़िल्म, वेब सीरीज बनानी है तो मोहम्मद पैंगम्बर, हाजी अली, मक्का, मदीना, खिल जी, अजमेर शरीफ पर बनाओ
इन लोगो की जीवनी पर बनाओ हमे कोई एतराज नही है
PK, OMG अब तांडव हमारे देश मे रहकर हमे मुस्लिम गाली दे रहे है
— नेहा चौधरी (@Nehajaatni123) January 18, 2021
अगर इतनी ही रचनात्मकता की पड़ी है तो एक आध फ़िल्म हलाला, तीन तलाक, लव जिहाद या तुम्हारे किसी भी त्योहार या तुम्हारे अम्मी-अब्बा के ऊपर भी बनाओ। मौलवियों पर बनाओ। तब तो लगे कि रचनात्मक कार्य हो रहा है। तब तक अपना कलात्मक रूप से कुछ भी रचनात्मक बोलने की जरूरत नहीं है तुम्हे।।।??
— Manisha Singhal???? (@iManishaSinghal) January 18, 2021
अली अब्बास जफर, सैफ अली खान इत्यादि इत्यादि के लिए छोटा सा संदेश : pic.twitter.com/pEfvBwhnH1
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) January 18, 2021