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पीएम मोदी के विजन का कमाल, बहरीन में चलेगी भारत की मेड इन इंडिया मेट्रो रेल

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल और सक्षम नेतृत्व में भारत हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। सरकार की सफल नीतियों का परिणाम है कि भारत जहां दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में शुमारहै, वहीं तमाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के बावजूद भारत को आर्थिक मोर्चे पर बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। यह पीएम मोदी के विजन का ही कमाल है कि भारत की इस तरक्की में मेड इन इंडिया और भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इसी कड़ी में भारत और अरब देश बहरीन के बीच 2 अरब डॉलर एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। अब बहरीन में मेड इन इंडिया मेट्रो रेल चलेगी। दिल्ली मेट्रो रेल (डीएमआरसी) बहरीन मेट्रो के लिए दो चरणों में चार मेट्रो लाइनों का निर्माण करेगी।

बहरीन में मेट्रो रेल निर्माण के लिए 2 अरब डॉलर का समझौता

दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) को बहरीन मेट्रो के फेज-1 प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए टेंडर मिला है। इस परियोजना में 20 स्टेशनों के साथ लगभग 30 किलोमीटर के नेटवर्क का निर्माण शामिल है। DMRC के अनुसार, इसने BEML लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते के मुताबिक बीईएमएल रोलिंग स्टॉक के निर्माण और आपूर्ति में मदद करेगी। दूसरी ओर, डीएमआरसी परियोजना विकास और बजट के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्रदान करने के साथ-साथ बहरीन मेट्रो परियोजना के लिए संविदात्मक दायित्वों पर काम करने में मदद करेगी। यह समझौता दो अरब डॉलर का किया गया है।

इस समझौते पर सलीम अहमद, कार्यकारी निदेशक (लास्ट माइल कनेक्टिविटी), दिल्ली मेट्रो डी एस गणेश, महाप्रबंधक (विपणन), बीईएमएल ने हस्ताक्षर किए। डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक विकास कुमार और बीईएमएल के अध्यक्ष अमित बनर्जी भी मौजूद थे।

डीएमआरसी बहरीन मेट्रो के लिए चार मेट्रो लाइनों का निर्माण करेगी

परियोजना के तहत, डीएमआरसी बहरीन मेट्रो के लिए दो चरणों में चार मेट्रो लाइनों का निर्माण करेगी। बाब अल बहरीन और अल फारूक मेट्रो जंक्शन पर दो इंटरचेंज की भी योजना है। डीएमआरसी के मुताबिक, पहली मेट्रो लाइन बहरीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से सीफ मॉल तक शुरू होगी। यह किंग फैसल हाईवे और एयरपोर्ट एवेन्यू से होकर गुजरेगी। इसमें 9 स्टेशन होंगे और यह 13 किलोमीटर लंबा होगा। दूसरी मेट्रो लाइन जफेयर से इस्सा शहर तक होगी। इसमें 11 स्टेशन और 15.6 किमी लंबा हिस्सा होगा। यह सलमानिया, जिंज, तुबली सहित कई क्षेत्रों को जोड़ेगा।

भारतीय मेट्रो रेल अब वैश्विक स्तर पर झंडा लहरा रही

पीएम मोदी के विजन से अब डीएमआरसी सक्रिय रूप से दुनिया भर में मेट्रो परियोजनाओं के निर्माण और संचालन के लिए अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं को हासिल करने के अवसरों की तलाश कर रही है। राजधानी और एनसीआर क्षेत्र और देश के अन्य हिस्सों में सफलता पूर्वक चल रही मेट्रो रेल अब वैश्विक स्तर पर झंडा लहरा रही है।

इजराइल को मेट्रो रेल चलाने में मदद करेगी डीएमआरसी

दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) अब कंसल्टेंसी प्रोजेक्ट के तहत इजराइल को मेट्रो रेल चलाने में मदद करने के लिए तैयार है। डीएमआरसी इज़राइल में तेल अवीव मेट्रो परियोजना के निर्माण के लिए प्री-बिड प्रक्रिया में अर्हता प्राप्त की।

बांग्लादेश की मेट्रो में DMRC का हाथ

दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन साल 2021 में बांग्लादेश की मेट्रो परियोजना को सुचारू ढंग से चलाने में मदद कर चुका है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में चलाई जा रही मेट्रो रेल सेवा के अधिकारियों, कर्मचारियों को दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने कंसल्टेंसी प्रोजेक्ट के तहत अक्टूबर 2021 में संचालन समेत अन्य गतिविधियों की ट्रेनिंग दी थी। इसमें बांग्लादेश के 160 से अधिक कर्मचारियों के ट्रेंड किया गया था। वर्तमान में डीएमआरसी ढाका की तीन मेट्रो कॉरीडोर प्रोजेक्ट में इन्वॉल्व है।

DMRC की मदद से चली इंडोनेशिया की मेट्रो

दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के अनुसार इंडोनेशिया के जकार्ता में संचालित मेट्रो सेवा में भी डीएमआरसी बड़ी भूमिका निभा चुका है। साल 2007 में जकार्ता मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम प्रोजेक्ट के तहत डीएमआरसी ने सेवाएं दी थीं। वहां के कर्मचारियों की ट्रेनिंग से लेकर उपकरणों की सेटिंग, गाइडलाइन बनाने तथा अन्य सभी कार्यों में मदद की थी।

डीएमआरसी मिस्र, वियतनाम, मॉरीशस में तलाश रहा अवसर

डीएमआरसी अन्य अंतरराष्ट्रीय मेट्रो परियोजनाओं के लिए भी बोली लगाने पर विचार कर रही है, जिसमें मिस्र में अलेक्जेंड्रिया, वियतनाम में हो ची मिन्ह और मॉरीशस शामिल हैं। यह वर्तमान में एक सलाहकार के रूप में बांग्लादेश में ढाका मेट्रो के निर्माण में भी लगा हुआ है।

मेट्रो और ट्रेनों के मानव रहित संचालन पर हो रहा काम

पिछले साल नवंबर में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने स्वदेशी संचार-आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली (i-CBTC) के विकास के लिए DMRC के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। भारत सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) के मार्गदर्शन में चल रही यह परियोजना मेट्रो और ट्रेनों के मानव रहित संचालन को सक्षम बनाएगी।

मोदी सरकार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। आइए देखते हैं किस तरह इसके बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं…

भारत के 2029 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान

यह पीएम मोदी के नेतृत्व का कमाल है कि आज बड़ी-बड़ी रेटिंग एजेंसियां भारत में सकारात्मक विकास को रेखांकित करती रहती हैं। भारत के 2029 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान जताया गया है। आईएमएफ़ के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सब से तेज़ी से आगे बढ़ती रहेगी। 1990 में चीनी अर्थव्यवस्था भारत की तुलना में थोड़ी ही बड़ी थी। आज चीन की जीडीपी भारत से 5.46 गुना बड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2047 तक 20 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा बशर्ते कि अगले 25 वर्षों में वार्षिक औसत वृद्धि 7-7.5 प्रतिशत हो। भारतीय स्टेट बैंक के एक रिसर्च पेपर के अनुसार, भारत 2027 तक चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी को और 2029 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान को पीछे छोड़ देगा।

भारत बना अमेरिका से ज्‍यादा आकर्षक मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब

यूरोप, अमेरिका और एशिया-प्रशांत के 47 देशों में वैश्विक विनिर्मारण के लिए आकर्षक डेस्टिनेशन का आकलन करने वाली रियल एस्टेट एडवाइजरी फर्म कुशमैन एंड वेकफीलल्ड के मुताबिक, चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे पसंदीदा मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया है। वहीं, वैश्विक विनिर्माण जोखिम सूचकांक-2021 में चीन पहले स्थान पर बना हुआ है। अधिक मांग वाले मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन में कनाडा चौथे, चेक गणराज्य पांचवे, इंडोनेशिया छठे स्थान पर है। पिछले साल इस रिपोर्ट में अमेरिका दूसरे स्थान पर था जिसे अब भारत ने तीसरे स्थान पर धकेल दिया है। कुशमैन एंड वेकफील्ड के मुताबिक पता चलता है कि मैन्युफैक्चरर्स अमेरिका और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के मुकाबले भारत में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। माना जा रहा है कि भारत में परिचालन की परिस्थतियों और लागत दक्षता के चलते मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर आकर्षण बढ़ा है। वहीं, इसके सालाना आधार के चलते भारत की रैंकिंग में काफी सुधार हुआ है।

भारत मैन्यूफैक्चरिंग की दुनिया में लगातार आगे बढ़ रहा है- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी भारत की इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की है। साल-दर-साल मोबाइल फोन के निर्यात में वृद्धि हो रही है। मोबाइल फोन का निर्यात सात महीने के भीतर पांच बिलियन अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। यह पिछले साल इसी अवधि में भारत द्वारा अर्जित किए गए 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से दोगुने से भी अधिक है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के एक ट्वीट को शेयर करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत मैन्यूफैक्चरिंग की दुनिया में लगातार आगे बढ़ रहा है।

मैन्युफैक्चरिंग के मामले में भारत दुनिया में नंबर वन

सबसे कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों की लिस्ट में भारत दुनिया में नंबर वन हो गया है। चीन और वियतनाम भारत से पीछे दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। जबकि भारत का पड़ोसी बांग्लादेश छठे स्थान पर है। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के सबसे सस्ते और कम लागत से सामान बनाने वाले देशों में भारत को 100 में से 100 अंक मिला है। इससे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जहां बुस्ट मिलेगा, वहीं विदेशी कंपनियां भी भारत का रूख कर सकती है।

सस्ती मैन्युफैक्चरिंग लागत के मामले में 100 प्रतिशत स्कोर

दरअसल यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी किया, जिसमें 85 देशों में से भारत समग्र सर्वश्रेष्ठ देशों की रैंकिंग में 31वें स्थान पर है। इसके अलावा, सूची ने भारत को ‘ओपन फॉर बिजनेस’ श्रेणी में 37 वें स्थान पर रखा गया है। हालांकि, ‘open for business’ की उप-श्रेणी के तहत भारत ने सबसे सस्ती मैन्युफैक्चरिंग लागत के मामले में 100 प्रतिशत स्कोर किया। यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड रिपोर्ट ने 73 मापदंडों पर देशों का मूल्यांकन किया है। इन खूबियों को 10 सब-सेगमेंट्स में बांटा गया था। इनमें साहसिक, चपलता, उद्यमिता, बिजनेस के लिए खुला, सामाजिक मकसद और जीवन की गुणवत्ता शामिल है।

चीन की जगह भारत बना विदेशी कंपनियों की पहली पसंद

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया भर में कम्पनियां कम लागत के साथ भरोसेमंद मैन्युफैक्चरर के तौर पर उभरे भारत का रुख कर रही है। पहले कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट के लिए दुनिया भर के देशों की पहली पसंद चीन और वियतनाम थे। ‘ओपन फॉर बिजनेस’ सेगमेंट में चीन को 17वां स्थान मिला है। लेकिन सस्ती मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट के मामले में चीन भारत से पिछड़कर दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। बीते कुछ बरसों में कपड़ों और फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स को आकर्षित करने वाला वियतनाम मैन्युफैक्चरिंग लागत में भारत-चीन के बाद तीसरे नंबर पर है।

भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने की कोशिश

सर्वे के इन नतीजों से भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को काफी बढ़ावा मिल सकता है। मोदी सरकार भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने की लगातार कोशिश कर रही है। कोरोना की पहली लहर के दौरान लॉन्च किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान से इस मिशन की शुरुआत हो गई थी। इसके लिए विदेशी कंपनियों को लुभाने का दांव चला गया। compliance का बोझ घटाने से भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बड़ा फायदा मिला। प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी स्कीम्स के ज़रिए दुनिया की बड़ी बड़ी कंपिनयों ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत भी की।

मोदी सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बनाया आकर्षक

कोरोना के बाद जिस तरह से वैश्विक समीकरण बदले हैं और भारत ने अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को आकर्षक बनाया है, उससे सर्विस के साथ-साथ ये सेक्टर मिलकर एक ऐसा कॉम्बो बना सकते हैं कि भारत को ग्रोथ के लिए दमदार डबल इंजन मिल सकता है। सर्विसेज में ग्रोथ की वजह भारत में अंग्रेजी बोलने वाली सस्ती मैनपावर है जो आगे भी इसी तरह काम करती रहेगी और देश की ग्रोथ में योगदान करेगी।

दुनिया की दिग्गज इकॉनमी बनने का मार्ग प्रशस्त

पिछले कुछ बरसों में चीन ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग के दम पर तरक्की की है तो भारत की ग्रोथ का आधार सर्विस सेक्टर रहा है। इस बीच भारत ने मैन्युफैक्चरिंग में चीन को पीछे छोड़ दिया है, तो फिर भारत को दुनिया की दिग्गज इकॉनमी बनने से कोई नहीं रोक सकता। इसके बाद ‘बैक ऑफिस ऑफ वर्ल्ड’ के साथ साथ ‘वर्ल्ड फैक्ट्री’ का तमगा भी भारत को मिल सकता है।

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