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मतलब की यारियां : कांग्रेस और आप दिल्ली में दोस्त बनकर लड़े, अब हरियाणा में एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव में उतरेंगे, स्वार्थ की राजनीति हावी

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अमेरिका में राहुल गांधी INDI Alliance के A को परिभाषित नहीं कर पाए और उनकी जुबान लड़खड़ा गई। वहीं भारत में इस Alliance की पार्टनर AAP हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर बिदक गई। इसके परिणामस्वरूप इंडिया गठबंधन में होने के बावजूद हरियाणा में कांग्रेस और आप के बीच तलवारें खिंच गई हैं। जनहित के बजाए अपने स्वार्थ और मतलब की यारी के चलते दोनों दलों का गठबंधन नहीं हो पाया है और दोनों ने ही कई सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। हरियाणा कांग्रेस के ज्यादातर नेता आप के साथ गठबंधन करने के पक्ष में नहीं है। दूसरी ओर आप नेता तो यहां तक दावा कर रहे हैं कि हरियाणा की सभी 90 सीटों पर आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ेगी। ऐसा होता है तो इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को होगा। क्योंकि भाजपा का तो अपना कोर वोट बैंक हैं, लेकिन आप और कांग्रेस एक-दूसरे के ही वोट काटेंगे। काबिले जिक्र है कि दिल्ली लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आप मिलकर भी भाजपा को नहीं हरा पाए थे और दोनों दलों को सातों सीटों पर करारी हार नसीब हुई थी।

 

आम आदमी पार्टी शुरू से ही गिरगिट की तरह रंग बदलती रही
आम आदमी पार्टी का चरित्र हालांकि शुरू से ही गिरगिट के समान रहा है। जब आम आदमी पार्टी बनी थी, तब शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि कांग्रेस के साथ इसका कभी चुनावी गठबंधन होगा। क्योंकि आम आदमी पार्टी शुरू से ही कांग्रेस और उसके भ्रष्टाचार की खिलाफत कर रही थी। लेकिन आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बहुत ही जल्द रंग बदल लिया और आम आदमी पार्टी ने अपने गठन के कुछ समय बाद ही कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बना ली। कांग्रेस और आप का राजनीतिक रिश्ता नीतियों के बजाए स्वार्थ की धुरी पर टिका रहा। तभी तो जहां पंजाब विधानसभा चुनाव में दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ लड़े। वहीं, दिल्ली लोकसभा चुनाव के लिए दोनों ने सांठगांठ कर ली। यह दीगर है कि इस बेमेल गठबंधन का दोनों दलों को कोई फायदा नहीं हुआ और लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीट बीजेपी ने जीत ली।

हरियाणा में आप-कांग्रेस के अलग-अलग लड़ने का बीजेपी को फायदा
जनहित के बजाए निजी स्वार्थ की राजनीति करने के कारण ही हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए दोनों पार्टियों में गठबंधन नहीं हो पाया। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए I.N.D.I. अलाइंस में सीटों के बंटवारों पर सहमति नहीं बन पाई। इसके चलते अब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) दोनों पार्टियां हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ेंगी। AAP ने 20 और समाजवादी पार्टी (SP) ने 12 सीटें हरियाणा में कांग्रेस से मांगी थीं। राज्य में गठबंधन को लेकर कांग्रेस-AAP के बीच 3 मीटिंग हुईं। कांग्रेस ने AAP को 5 सीटों का ऑफर दिया। लेकिन 10 सीट शेयरिंग पर भी सहमति नहीं बन पाई। जिसके कारण गठबंधन हो नहीं पाया। अब AAP ने 20 कैंडिडेट घोषित कर दिए हैं। ऐसे में ये भी साफ है कि इंडिया गठबंधन की दो सहयोगी पार्टियां कांग्रेस और आप हरियाणा में एक-दूसरे के ख़िलाफ़ लड़ेंगे तो इसका फायदा बीजेपी को निश्चित तौर पर मिलेगा। लोकसभा चुनाव में AAP-कांग्रेस के जॉइंट कैंडिडेट डॉ. सुशील गुप्ता ने कुरुक्षेत्र सीट से चुनाव लड़ा था। इस सीट के अंतर्गत 9 विधानसभा आती हैं। गुप्ता यह चुनाव बुरी तरह हार गए थे।

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच भी सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं
कांग्रेस के अलंबरदार सिर्फ आप के साथ ही नहीं, बल्कि इंडी गठबंधन की एक अन्य पार्टनर समाजवादी पार्टी के साथ भी समझौता करने के मूड में नहीं लग रहे। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कांग्रेस से हरियाणा में 12 सीटें मांगी। लेकिन जिस तरह यूपी में बुरी तरह कमजोर पड़ चुकी कांग्रेस को अखिलेश ने बड़ा दिल रखते हुए लोकसभा चुनाव में सीटें दीं थीं, वैसा राहुल गांधी हरियाण में अखिलेश के साथ नहीं कर रहे हैं। हारकर अब 3 सीटों का प्रपोजल सपा की हरियाणा यूनिट ने कांग्रेस को दिया है। हरियाणा में सपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह भाटी, पूर्व MLC संजय लाठर और राव विजेंदर की कमेटी बनाई गई थी, इनसे 3 सीटों के भी नाम मांगे थे। अब सपा ने दादरी, हथीन और सोहना सीट का प्रपोजल कांग्रेस को दिया है।

हरियाणा के चुनावों में आम आदमी पार्टी का निराशाजनक रहा है प्रदर्शन
दरअसल, केजरीवाल की कसक है कि वो मूल रूप हरियाणा के रहने वाले हैं और यहीं उनकी पार्टी की हालत बेहद खस्ता है। हरियाणा के हिसार ज़िले का खेड़ा केजरीवाल का पैतृक गांव है। केजरीवाल इन दिनों जेल में हैं और उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने न सिर्फ लोकसभा चुनाव में प्रचार किया, बल्कि अब हरियाणा में भी कर रही हैं। अब सवाल ये है कि अब तक के चुनावों में हरियाणा में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 में हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर लड़े थे। आप सिर्फ़ एक कुरुक्षेत्र सीट पर लड़ी थी। इस सीट से चुनावी मैदान में आप के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता थे। उनको बीजेपी के नवीन जिंदल ने हरा दिया था। लोकसभा चुनाव में आप को हरियाणा में मात्र 3.94 प्रतिशत वोट मिल पाया था। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी 46 सीटों पर लड़ी थी। मगर पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा और वो एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। आप के उम्मीदवारों की कई सीटों पर जमानत तक ज़ब्त हो गई थी।

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