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India Growth Story: दस साल में मोदी सरकार की उपलब्धियां बेहद खास, विजनरी नीतियां शहर-गांव के बीच की खाई को पाटने में रहीं सफल

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी सोच और दूरगामी नीतियों ने पिछले एक दशक में भारत की तस्वीर बदलकर रख दी है। पूरब से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक देश में विकास की ऐसी चौतरफा बयार बही है कि इसने शहरों और गांवों तक की खाई भी पाट कर रख दी है। दस साल में जहां इंफ्रास्ट्रक्चर से शहरी विकास को तेज रफ्तार मिली है, वहीं अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के कल्याण की सोच और निरंतर बढ़ सुविधाओं ने देश के गांवों को भी विकास की मुख्यधारा में ला दिया है। दूरस्थ गांवों में मिल रही सुविधाओं का ही सुपरिणाम है कि अब यहां ना सिर्फ रोजगार के नित-नए अवसर बन रहे हैं, बल्कि पलायन भी रूका है। पिछले एक दशक की ऐसी कई योजनाओं और सुविधाओं हैं, जिन्होंने ग्रामीणों के जीवन को ज्यादा से ज्यादा आसान बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। पीएम मोदी को सिर्फ जनता से ही लगातार तीसरी बार जनादेश नहीं मिला है, बल्कि भारतीय बाजार, इकोनॉमी भी निरंतर ‘इंडिया ग्रोथ स्टोरी’ लिख रहे हैं।

पीएम जन धन से पहली बार 54 करोड़ बैंक खाताधारक
यह प्रधानमंत्री मोदी का ही विजन है कि 2014 से बाद के काल को भारत के मानचित्र पर परिवर्तन का काल कहा जा रहा है। पहले जिन चीजों को कल्पना मात्र नहीं थी, वो अब गरीब से गरीब को भी सहज उपलब्ध हो रही हैं। यही वजह है कि 2014 में केंद्र में पीएम मोदी की सरकार बनने के बाद उनकी नीतियां शहरी-ग्रामीण विभाजन को पाटने पर केंद्रित रही हैं। इसकी शुरुआत पीएम जन धन योजना से हुई, जिसने पहली बार 54 करोड़ से अधिक बैंक खाताधारकों को सक्षम बनाया। इनमें वे करोड़ों लोग भी शामिल हैं, जिनके लिए कभी बैंक के दरवाजे बंद रहते थे।

पीएम आवास योजना ने ग्रामीण परिदृश्य को पूरी तरह बदला
भारत के हजारों गांवों की बात करें तो पीएम आवास योजना ने ग्रामीण परिदृश्य को पूरी तरह बदलकर रख दिया है। पीएम मोदी के दो कार्यकाल में ही 3.2 करोड़ से अधिक घरों को मंजूरी मिली है और लगभग 2.7 करोड़ आवासों का काम पूरा हो गया है। महिला सशक्तिकरण की सोच ही सुपरिणाम है कि इन आवासों में से 74% घरों का स्वामित्व महिलाओं के पास है। दिलचस्प बात यह है कि 67% घरों का निर्माण 10 महीने के भीतर किया गया है।

गांवों के विद्युतीकरण पर जोर ने ग्रामीणों का जीवन आसान बनाया
एक दशक पहले तक भारत के गांवों में कई-कई घंटे तक बिजली ना आना सामान्य बात हुआ करती थी। शहर और गांव के अंतर को मापने के लिए पहले बिजली भी एक पैमाना थी। लेकिन आज गांवों तक में बिजली कटौती की समस्या नहीं है। ग्रामीण विद्युतीकरण पर मोदी सरकार के जोर ने न केवल भारत के गांवों में जीवन को आसान बनाने में योगदान दिया है, बल्कि स्थानीय स्तर पर कई आर्थिक अवसर भी खोले हैं।

आज 6 लाख से अधिक गांवों के लिए 4जी कनेक्टिविटी
यहां तक कि आज हर भारतीय गांव भी ऑनलाइन है। 6 लाख से अधिक गांवों के लिए 4जी कनेक्टिविटी के साथ, मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत के गांवों के लोग ‘इंडिया ग्रोथ स्टोरी’ में डिजिटल हितधारक बने हैं। ऑनलाइन कॉमर्स की पहुंच अब भारत के हर गांव तक हो रही है। ऑनलाइन कनेक्टिविटी के लिए अभूतपूर्व प्रयासों का ही फल है कि ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के माध्यम से 214,000 से अधिक ग्राम पंचायतों को कवर किया गया है। इसने छोटे बच्चों को शिक्षा में सक्षम बनाया है और महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों के बीच कौशल विकास को आगे बढ़ाया है।

केंद्र से लेकर पंचायत तक बढ़ रही महिलाओं की भागीदारी
प्रधानमंत्री मोदी देश के चार स्तंभों में महिलाओं को महत्वपूर्ण स्तंभ मानते हैं। यही वजह है कि मोदी सरकार की नीति और निर्णयों के केंद्र में महिलाएं ही रहती हैं। इतना ही नहीं, नीति निर्धारण में अधिक महिलाएं, विधायिका और पंचायतों में अधिक महिला प्रतिनिधित्व, और लोकसभा चुनावों में महिलाओं का बढ़ता मतदान प्रतिशत 2014 के बाद से पिछले दशक में उनकी भागीदारी में लगातार वृद्धि का प्रमाण है।

2024 में यूपीआई से 170 बिलियन से अधिक लेनदेन दर्ज
पिछले दशक की सबसे बड़ी तकनीकी छलांग 2017 में सालाना लगभग 400 मिलियन लेनदेन से, 2024 में यूपीआई ने 170 बिलियन से अधिक लेनदेन की मात्रा दर्ज की है। यह जानकर हर किसी को आश्चर्य होगा कि अक्टूबर 2024 में, UPI का पहला महीना था, जहां प्रत्येक दिन 500 मिलियन से अधिक लेनदेन हुए हैं। क्योंकि कई बड़े देश ऐसे हैं जहां यूपीआई का इतना चलन नहीं है।

अब भारत को यूपीआई के कैशलैस सिस्टम पर भरोसा
भारत को UPI पर कितना भरोसा है, इसका पता इसी तथ्य से चलता है कि 2024 में, UPI लेनदेन का मूल्य 242 लाख करोड़ है, इसमें 2019 की तुलना में लगभग तेरह गुना वृद्धि हुई है। यूपीआई लेनदेन में शून्य विलंबता को देखते हुए, भारत अपने नियमित कार्यों के लिए यूपीआई पर भरोसा करता है, जिससे कैशलेस हो जाता है। वित्तीय समावेशन का एक दशक कुल मिलाकर, हर घर में बैंकिंग पर जोर, जेएएम ट्रिनिटी, डीबीटी और यूपीआई भुगतान पिछले दशक में भारत में वित्तीय समावेशन की नींव रहे हैं।

स्वच्छ भारत मिशन से स्वास्थ्य में भी हुआ काफी सुधार
स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को हुई। इसका सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। स्वच्छता सुविधाओं में सुधार और स्वच्छता को बढ़ावा देकर, मिशन ने बीमारियों के प्रसार को कम करने और समग्र स्वच्छता प्रथाओं को बेहतर बनाने में मदद की है। बेहतर स्वच्छता, बेहतर स्वास्थ्य वित्तीय समावेशन के साथ-साथ, गांवों में बेहतर स्वच्छता सुविधाओं पर मोदी सरकार के जोर का लोगों, विशेषकर महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता पर सीधा असर पड़ा है।

कोरोना के समय टीकाकरण अभियान में भारत सबसे आगे रहा
टीकाकरण अभियान में भारत सबसे आगे रहा है! 2021 में मोदी सरकार ने एक ही दिन में सर्वाधिक 2.5 करोड़ से अधिक लोगों को टीका लगाने का रिकॉर्ड बनाया। भारत ने संकट की घड़ी में कई देशों को 300 मिलियन से अधिक टीके निर्यात भी किए। आर्थिक समीक्षा 2022-23 के अनुसार राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम ने अनुसंधान और विकास तथा लॉजिस्टिक चुनौतियों पर नियंत्रण पाते हुए अपना लक्ष्य प्राप्त किया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 6 जनवरी, 2023 तक 220 करोड़ से अधिक कोविड टीके लगाए गए। 97 प्रतिशत पात्र लाभार्थियों को कोविड-19 टीके की कम से कम एक खुराक दी गई। 90 प्रतिशत पात्र लाभार्थियों को दोनों टीके लगाए गए।

डीबीटी से खाते में सीधे पैसे, भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म
JAM-DBT आर्किटेक्चर ने भारत के लोगों के लिए महत्वपूर्ण बचत की शुरुआत की है, जो पहले बिचौलियों के कारण अपने अधिकार और संसाधन खो रहे थे। पिछले दस वर्षों में 40 लाख करोड़ रुपये का लाभ सीधे लोगों तक पहुंचाया गया है। डायरेक्ट बेनिफ़िट ट्रांसफर (डीबीटी) मोदी सरकार की एक प्रमुख योजना है जिसके तहत, लाभार्थियों को नकद सब्सिडी और लाभ सीधे खाते में पहुंचाए जाते हैं। इसकी शुरुआत 1 जनवरी, 2013 को हुई थी। डीबीटी का मकसद वितरण प्रक्रियाओं को सुधारना और लाभार्थियों को सटीक रूप से लक्षित करना है। इसके अलावा, डीबीटी से दोहराव को खत्म करने और धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार में कमी लाने में भी मदद मिली है।

स्टार्टअप इकोसिस्टम पिछले दस वर्षों में पूरी तरह से बदला
भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम पिछले दस वर्षों में पूरी तरह से बदल गया है। आज इसमें 1.5 लाख से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत हैं। स्टार्टअप के अलावा कई यूनिकॉर्न भी बन रहे हैं। सितंबर 2024 तक भारत में 116 यूनिकॉर्न कंपनियां हैं। इन कंपनियों का कुल मूल्यांकन 347 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा है। भारत में यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ, इन कंपनियों ने 99 बिलियन डॉलर से ज़्यादा की धनराशि जुटाई है। महिला श्रम बल की भागीदारी दर में भी बढ़ोतरी देखी गई है, क्योंकि बुनियादी ढांचे और आर्थिक विकास ने रोजगार की संभावनाओं में सुधार किया है।

शहरों के साथ ही गांवों के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मिला पुश
मोदी सरकार का बहुत बड़ा फोकस देश में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने पर रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मोदी सरकार से पहले 66 वर्षों में लगभग 91,000 किलोमीटर का राजमार्ग नेटवर्क बनाया था। दूसरी ओर मोदी सरकार के बिग इंफ्रास्ट्रक्चर पुश के चलते महज दस साल में इस नेटवर्क को 54,000 किलोमीटर से ज़्यादा अपग्रेड कर दिया है।

जनता के साथ बाजार-इकोनॉमी भी लगातार लिख रहे इंडिया ग्रोथ स्टोरी
देश में छह दशक के बाद किसी प्रधानमंत्री ने अपने दो कार्यकाल पूरे करके लगातार तीसरी बार सरकार बनाई है। पीएम मोदी को सिर्फ जनता से ही जनादेश नहीं मिला है, बल्कि भारतीय बाजार ने भी निरंतर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। पिछले दस वर्षों में, बाजारों ने देश भर में सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ-साथ बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने पर भी बड़ी भूमिका निभाई है। भारतीय बाजार पीएम मोदी के नेतृत्व में ‘इंडिया ग्रोथ स्टोरी’ का मजबूती से समर्थन करता है। मैक्रो और माइक्रो दोनों स्तरों पर आर्थिक समावेशन खुदरा निवेशक अब ‘इंडिया ग्रोथ स्टोरी’ में सक्रिय हितधारक हैं। पिछले दशक में म्यूचुअल फंड के जरिए बाजार में उनकी भागीदारी बढ़ी है।

 

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