मोदी सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना कोरोना महामारी की वजह से नौकरी गंवा चुके लोगों के लिए वरदान साबित हुई है। इस योजना से देश के लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त करने में मदद मिली है। इस योजना के तहत 30 अप्रैल 2022 तक 4,920 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद जारी की जा चुकी है। 1,47,335 कंपनियों की मदद से इसे 58.76 लाख लाभार्थियों में बांटा गया है। इस योजना का उद्देश्य महामारी के कारण नौकरियां गंवाने वाले लोगों को दोबारा से नौकरी दिलाने में मदद करना और प्रतिष्ठानों द्वारा अधिक से अधिक कर्मचारियों को भर्ती करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
Under #ABRY, benefits of Rs. 4,920.67 crores have been given to 58.76 lakh beneficiaries through 1,47,335 establishments till 30th April, 2022. #EPFO #SocialSecurity #AmritMahotsav @AmritMahotsav pic.twitter.com/B9xFxlXx53
— EPFO (@socialepfo) June 7, 2022
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने इस योजना की शुरुआत कोरोना महामारी के दौरान की थी। महामारी की वजह से लाखों लोगों की नौकरी चली गई थी। इसके साथ ही देश में लंबे वक्त तक लॉकडाउन लगा रहा था। ऐसे में लोगों के लिए रोजगार के अवसर प्राप्त करने के लिए और उसकी मदद करने के लिए सरकार ने आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना की शुरुआत की थी।
पहले इस योजना का लाभार्थी बनने के लिए रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 30 जून 2021 थी जिसे इसी साल जनवरी में बढ़ाकर 31 मार्च 2022 कर दिया गया था। इस योजना के लाभार्थी वे कर्मचारी हैं जिन्हें 1 अक्टूबर 2020 से लेकर 30 जून 2021 तक नई नौकरी मिली हो। वहीं, जिन लोगों की नौकरी 1 मार्च 2020 से 30 सितंबर 2020 तक छूटी है वह भी इस योजना के लाभार्थी हो सकते हैं। हालांकि, उनका वेतन 15,000 रुपये से कम होना चाहिए।
वहीं, कंपनियों द्वारा इस योजना का लाभ उठाने के लिए 50 से कम कर्मचारी वाली कंपनी को कम-से-कम 2 नए लोगों व 50 से अधिक कर्मचारी क्षमता वाली कंपनी न्यूनतम 5 लोग हायर करने होंगे। इस योजना में वही कंपनियां शामिल हो सकती थीं जिनका रजिस्ट्रेशन ईपीएफओ के साथ अक्टूबर 2021 तक हो गया था।
आइये मोदी सरकार द्वारा गरीब कल्याण के लिए समर्पित योजनाओं के बारे में जानते हैं, जिन्होंने गरीबों की दशा सुधारने के साथ ही गरीबी कम करने में मदद की है-
गरीब कल्याण के लिए वचनबद्ध प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले आठ सालों में जनाकांक्षाओं पर खरा उतरने और विकास को सर्वस्पर्शी बनाने के साथ ही देश के सामने सुशासन की एक नई मिसाल पेश की है। उन्होंने देश के गरीबों के उत्थान के लिए कई कार्यक्रम चलाये, नई योजनाएं बनाईं और यह भी ध्यान रखा कि गरीबों को उसका लाभ मिले और उनकी आकांक्षाएं पूरी हो सके। कोरोना महामारी के दौरान भी मोदी सरकार ने गरीबों का पूरा ख्याल रखा।
गरीबी 2011 में 22.5% से घटकर 2019 में 10.2% ही रह गई
कांग्रेस ने गरीबी हटाने का नारा दिया था। लेकिन उसके कार्यकाल में गरीबी और गरीब घटने के बजाए सुरसा के मुंह ही तरह बढ़ते ही रहे। इसके विपरीत प्रधानमंत्री मोदी ने नारे की जगह ईमानदारी के साथ गरीबों के कल्याण में अपनी सरकार को समर्पित कर दिया। भ्रष्टाचार मुक्त कई योजनाएं शुरू कीं। इसका परिणाम हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबी को कम करने का कमाल कर दिखाया। गरीबी का आंकड़ा 2011 में 22.5 प्रतिशत से घटकर 2019 में 10.2 प्रतिशत हो गया। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ही मनमोहन सरकार की तुलना में गरीबी काफी कम हो गई। अब दूसरे कार्यकाल में ग्रामीणों को सशक्त करने वाली कई केंद्रीय योजनाओं के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी कम हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ओर से प्रकाशित वर्किंग पेपर में भी कहा गया है कि भारत में गरीबी दर घटी है। भारत में 2011 की तुलना में 2019 में 12.3 प्रतिशत की कमी आई है।
कोरोना काल में 80 करोड़ देशवासियों को मुफ्त राशन
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कोरोना काल में 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन की व्यवस्था करके दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत पिछले 25 महीनों में 6 चरणों के अंतर्गत 1,000 लाख मीट्रिक टन अनाज बांटे गए हैं। अप्रैल 2020 से लेकर सितंबर 2022 तक इस योजना पर 3.40 लाख करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। इस शताब्दी के सबसे बड़े संकट कोरोना महामारी के बावजूद भारत एक ऐसा देश बनकर उभरा जिसमें एक भी गरीब परिवार के घर में चूल्हा न जला हो, ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 80 करोड़ देशवासियों को प्रति माह पांच किलो अनाज मुफ्त देने का काम प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किया गया। इसके साथ ही वन नेशन- वन राशन कार्ड के कारण लगभग 65 करोड़ पोर्टेबिलिटी ट्रांसेक्शन से लोगों ने अपने अन्न को अपने घर की जगह कहीं और से लिया है।
जन धन योजना से आर्थिक सशक्तीकरण
प्रधानमंत्री मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को गरीबों को बैंकों से जोड़ने के लिए जन धन योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत 23 मई, 2022 तक न सिर्फ 45.41 करोड़ से ज्यादा गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया, बल्कि 167145.80 करोड़ रुपये से अधिक उनके खाते में जमा हो गए। 31.80 करोड़ जनधन खाताधारकों को रूपे डेबिट कार्ड जारी किया गया है। महिला जनधन खाताधारकों की संख्या बढ़कर 25.27 करोड़ हो गई हैं। कोरोना संकट के समय यह जनधन खाता वरदान साबित हुआ। महामारी का सामना करने के लिए मोदी सरकार ने गरीब महिलाओं को बड़ी राहत दी। सरकार ने 20 करोड़ से अधिक महिला जनधन खाताधारकों के खाते में 500-500 रुपये दिए।
वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांगजनों की मदद
कोरोना काल में मोदी सरकार ने वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांगों का पूरा ख्याल रखा। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) के तहत लगभग 3 करोड़ वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांगों कोरोना महामारी की वजह से उत्पन्न हुई आर्थिक समस्या से छुटाकार दिलाने के लिए सरकार ने तीन महीनों के लिए उन्हें 1,000 रुपये देने की घोषणा की। करीब 1,405 करोड़ रुपये वितरित किए गए। प्रत्येक लाभार्थी को इस योजना के तहत पहली किस्त के रूप में 500 रुपये दिए गए। सभी 2.812 करोड़ लाभार्थियों को वित्तीय मदद ट्रांसफर की गई।
मुद्रा योजना ने बदली जिंदगी
कई लोगों के पास हुनर तो है, लेकिन पूंजी की कमी की वजह से अपने हुनर का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों को प्रोत्साहन देने और उनके हाथों को काम देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने 8 अप्रैल, 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरूआत की थी। पिछले सात वर्षों में 3 मई, 2022 तक 34.93 करोड़ से अधिक लोगों को मुद्रा लोन दिया जा चुका है। मुद्रा योजना में दिए गए 88 प्रतिशत ऋण ‘शिशु’ श्रेणी के हैं। अब तक करीब 22 प्रतिशत लोन नए उद्यमियों और 68 प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को दिये गए हैं। मुद्रा योजना के तहत लगभग 51 प्रतिशत ऋण अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को दिये गए हैं। इसके साथ ही करीब 11 प्रतिशत लोन अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दिए गए हैं।
गरीबों के लिए वरदान बनी आयुष्मान भारत योजना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार चिकित्सा क्षेत्र में व्यापक सुधार करते हुए दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ (पीएमजेएवाई) की शुरुआत की। आयुष्मान भारत योजना गरीब-वंचितों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत अब तक 17.90 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड मुहैया कराए गए हैं और 3.28 करोड़ से अधिक लोग उपचार की सुविधा ले चुके हैं। आयुष्मान भारत योजना ने लिंग समानता को बढ़ावा देने में भी बड़ी कामयाबी हासिल की है। एक अध्ययन के अनुसार इस योजना का लाभ पाने वालों में 46.7 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस योजना से करीब 27,300 निजी एवं सरकारी अस्पताल जुड़े हुए हैं। साथ ही इस योजना के तहत 141 ऐसे medical procedures शामिल किए गए हैं, जो सिर्फ महिलाओं के लिए हैं।
आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन की शुरुआत
प्रधानमंत्री मोदी ने 27 सितंबर, 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन की शुरुआत की थी। इसके जरिए मोदी सरकार देश की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने जा रही है। इससे जहां अस्पतालों की प्रक्रियाओं में सुधार होगा, वहीं दूर-दराज के लोगों की भी स्वास्थ्य सेवा देने वाली संस्थाओं तक आसान पहुंच सुनिश्चित होगी। इसका लाभ खासकर गरीब और मध्यम वर्ग को मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ समाधानों को एक-दूसरे से जोड़ेगा। इस मिशन से न केवल अस्पतालों की प्रक्रियाएं सरल होंगी, बल्कि इससे जीवन की सुगमता भी बढ़ेगी। इसके तहत अब देशवासियों को एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी और हर नागरिक का स्वास्थ्य रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित रखा जायेगा।
प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र से गरीबों के धन की बचत
गरीबों को सस्ती और सुलभ दवाएं सुनिश्चित करना इस सरकार की प्राथमिकता में रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के तहत खोले गए प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र के माध्यम से मामूली कीमतों पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं। जन औषधि स्टोर से गरीबों के लिए सस्ती दवाओं के साथ उन्हें मुफ्त जांच करवाने की सुविधा भी दी जा रही है। इससे 2021-22 में जन औषधि केंद्रों के जरिए 800 करोड़ के ज्यादा की दवाइयां बिकीं। इसका मतलब ये हुआ कि केवल इसी साल जनऔषधि केंद्र के जरिए गरीब को, मध्यम वर्ग को पांच हजार करोड़ रुपये बचे। इससे अब तक कुल 13 हजार करोड़ रूपये बचये जा चुके हैं। 05 मई, 2022 तक देशभर में 8721 जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं।
मोदी राज में गरीबों को मिला पक्के घर का सम्मान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने हर परिवार को छत मुहैया कराने के मामले में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अपने घर का हसरत पाले बैठे लोगों के सपनों में मोदी सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना ने एक नई जान डाल दी है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मोदी सरकार 3 करोड़ से ज्यादा पक्के घरों का निर्माण कर चुकी है। इसकी जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि देश के हर निर्धन को पक्का घर देने के लिए सरकार महत्त्वपूर्ण कदम उठा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत तीन करोड़ से अधिक मकान बनाए जा चुके हैं। सभी घर मूलभूत सुविधाओं से युक्त हैं और ये घर महिला सशक्तिकरण के प्रतीक बन गए हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 25 जून, 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) की शुरूआत की और 20 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का शुभारंभ किया।
उज्ज्वला से धुएं से मुक्ति,1.5 लाख लोगों की बची जान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता के कल्याण के लिए सैकड़ों योजनाएं शुरू की हैं, जो आज गरीबों और महिलाओं के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। उन योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। मोदी सरकार की इस योजना के चलते एलपीजी गैस के इस्तेमाल से 2019 में प्रदूषण से होने वाली मौतों में से 1.5 लाख लोगों की जान बचाई जा चुकी है। इसके चलते घरेलू वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में लगभग 13 प्रतिशत की कमी आई। इतना ही नहीं उज्ज्वला योजना एयर क्वालिटी में सुधार और वायु प्रदूषण को कम करने में सफल रही है। इसका खुलासा एक रिसर्च से हुआ है। इस योजना के तहत कुल 9 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए जा चुके हैं। उज्ज्वला योजना ने ग्रामीण और गरीब महिलाओं के जीवन के प्रति नजरिये को सकारात्मक रूप से बदलने का काम किया है।
गरीब महिलाओं को खुले में शौच से मिली मुक्ति
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) ने स्वच्छता के लिए एक जन आंदोलन का रूप लेकर ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल दी है। इसने 2 अक्टूबर, 2019 को देश के सभी गांवों, जिलों और राज्यों द्वारा खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषणा की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जिससे ग्रामीण भारत खुले में शौच की समस्या से पूरी तरह से मुक्त हो चुका है। 2 अक्टूबर, 2014 को एसबीएम (जी) की शुरुआत के समय ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 38.7 प्रतिशत था, जो बढ़कर अब सौ प्रतिशत हो चुका है। 2 अक्टूबर, 2014 से अब तक 11.22 करोड़ से अधिक घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया है। खुले में शौच मुक्त गांवों की संख्या बढ़कर 6.03 लाख और जिलों की संख्या बढ़कर 706 हो गई है। खुले में शौच मुक्त राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 35 है।
स्वच्छ भारत मिशन से पैसे की बचत, बीमारी से मुक्ति
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के आर्थिक प्रभाव का पहली बार विश्लेषण अक्टूबर 2020 के साइंस डायरेक्ट जर्नल में एक शोध प्रकाशित हुआ। शोध के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक भारतीय परिवार को सालाना 53 हजार रुपये तक का फायदा हुआ। इसके चलते डायरिया से बीमार पड़ने की घटनाएं कम हुईं और शौच के लिए घर से बाहर जाने में लगने वाले समय की बचत हुई। अध्ययन में पता चला कि दस सालों में घरेलू खर्च पर जो रिटर्न है वह लगात का 1.7 गुना है, जबकि समाज को दस साल में कुल रिटर्न का 4.3 गुना है। इसमें बताया गया है कि योजना से गरीब लोगों को निवेश का 2.6 गुना फायदा हुआ है जबकि समाज को 5.7 गुनी धनराशि का।
सुरक्षित मातृत्व अभियान में जननी की चिंता
वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) की शुरुआत हुई। इस अभियान के माध्यम से अब तक एक करोड़ से अधिक महिलाएं लाभांवित हो चुकी हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार अब तक 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को पीएमएसएमए का लाभ मिला है। योजना के अंतर्गत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्म के लिए तीन किस्तों में 6000 रुपये का नकद प्रोत्साहन दिया जाता है।
गरीबों को एलईडी बल्ब के वितरण से दूर हो रहा अंधेरा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार लोगों को सस्ता और सुलभ बिजली उपलब्ध कराने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक प्रधानमंत्री उजाला योजना के तहत अब तक देशभर में 36.79 करोड़ से ज्यादा LED बल्ब वितरित किए जा चुके हैं। यह आंकड़ा 3 मई, 2022 तक का है। मोदी सरकार की इस ऐतिहासिक पहल से जहां बिजली की बचत हो रही हैं वहीं लोगों की बिजली बिल में कमी आई है। अब तक हुए 36.79 करोड़ LED बल्ब के वितरण से प्रतिवर्ष 18,734 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हो रही है। इसके साथ ही 46, 434 mn kWh से ज्यादा प्रतिवर्ष ऊर्जा की बचत हो रही है।
सौभाग्य योजना से घर-घर बिजली
मोदी सरकार ने आते ही यह पता लगाया कि 18,452 गांवों में आजादी के बाद से अब तक बिजली नहीं पहुंची है। 1 मई, 2018 तक हर गांव में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया। इसके लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना शुरू की गई, जिसके तहत 987 दिन में ही लक्षय को पूरा कर लिया गया। अक्टूबर 2017 में शुरू हुई सौभाग्य योजना के तहत देश के गरीब परिवारों को मुफ्त में बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है। 03 मई, 2022 तक 2.8 करोड़ से अधिक दलित-आदिवासी और पिछड़े जो अब तक अंधेरे में रहने को मजबूर थे, उन्हें रोशनी मिल गयी है। ये लोकप्रियता के लिए नहीं हो रहा है, ये गरीबों के कल्याण के लिए है। इससे चार करोड़ परिवारों के घर में नयी रोशनी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
100 पिछड़े जिलों का उत्थान योजना
पिछड़ों और गरीबों के कल्याण के लिये मोदी सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगता है कि सरकार ने सबसे पहले देश के सबसे पिछड़े 100 जिलों में ही पहले विकास की योजना बनाई है। इस योजना पर नीति आयोग बाकी संबंधित मंत्रालयों के सहयोग से काम करेगा। ये बात किसी से छिपी नहीं कि सबसे पिछड़े जिलों का मतलब क्या है? ये वो जिले होते हैं जहां आम तौर पर दलित और आदिवासियों की तादाद अधिक होती है। यानी मोदी सरकार की नजर जरूरतमंदों के उत्थान पर है, अपनी लोकप्रियता पर नहीं।
गरीब आदिवासी बच्चों के लिए एकलव्य विद्यालय
केंद्र में एनडीए सरकार बनने से पहले देश में महज 110 ईएमआरएस चल रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातीय शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 15 नवंबर, 2021 को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के अवसर पर भोपाल से वर्चुअल तरीके से 50 स्कूलों की नींव रखी। इसके बाद एकलव्य विद्यालयों के निर्माण कार्य में बड़ी तेजी आई है। ये स्कूल 7 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश के 26 जिलों में स्थापित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इन स्कूलों की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पूरे भारत में 740 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि 50 प्रतिशत से अधिक एसटी आबादी और कम से कम 20,000 आदिवासी लोगों वाले प्रत्येक ब्लॉक में ऐसे स्कूल होंगे। ये स्कूल देश के पहाड़ी और वन क्षेत्रों में स्थित हैं और देश के सुदूर इलाकों में रहने वाले गरीब आदिवासियों के बच्चों को इससे लाभ मिलेगा।
सुरक्षा बीमा योजना से गरीबों का सुरक्षित भविष्य
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सबका साथ-सबका विकास और सबका प्रयास के मंत्र पर चलते हुए देश की तस्वीर बदल दी है। उनकी जनकल्याणकारी योजनाओं ने देश के गांव-गरीब और आम लोगों के जीवन की तस्वीर बदल दी। समाज के अंतिम व्यक्ति को भी जन सुरक्षा की सुविधा प्रदान करने वाली मोदी सरकार की प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) के 9 मई, 2022 को 7 साल पूरे हो गए। प्रधानमंत्री मोदी ने 9 मई, 2015 को कोलकाता में इन तीनों योजनाओं को लॉन्च किया था।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई)
गरीब-वंचितों के साथ आम किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना की शुरूआत की है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी अब पीएमजेजेबीवाई के तहत 2 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर प्रति दिन 1 रुपये से कम पर पर प्राप्त कर सकता है। इसमें आपको 330 रुपये प्रति वर्ष के प्रीमियम भुगतान पर 2 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर मिलता है। पीएमजेजेबीवाई के तहत, 9 मई, 2022 तक 12.76 करोड़ व्यक्तियों ने जीवन बीमा के लिए पंजीकरण कराया है और 5,76,121 व्यक्तियों के परिवारों को योजना के तहत कुल 11,522 करोड़ रुपये मूल्य के दावे प्राप्त हुए हैं। यह योजना महामारी के दौरान कम आय वाले परिवारों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हुई है, क्योंकि वित्त वर्ष 2021 में भुगतान किए गए कुल दावों में लगभग 50 प्रतिशत कोरोना से हुई मौतों से सम्बंधित थे।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई)
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना मोदी सरकार की एक दुर्घटना बीमा योजना है। इसमें बेहद मामूली रकम देकर दुर्घटना बीमा कराया जा सकता है। पीएमएसबीवाई से 9 मई, 2022 तक 28.37 करोड़ लोगों ने दुर्घटना कवर के लिए पंजीकरण कराया और 97,227 दावों के लिए 1,930 करोड़ रुपये की धनराशि का भुगतान किया जा चुका है। इस योजना का मकसद बीमा से वंचित देश की एक बड़ी आबादी को बीमा कवर उपलब्ध कराना है। यह दुर्घटना के कारण हुई मृत्यु या दिव्यांगता के लिए कवरेज प्रदान करता है। इसमें मात्र 12 रुपये का सालाना प्रीमियम देकर 2 लाख रुपये का एक्सीडेंटल इंश्योरेंस कराया जा सकता है। बचत बैंक या डाकघर में खाता रखने वाले 18 से 70 वर्ष के व्यक्ति इस योजना के तहत पंजीकरण करा सकते हैं। इस योजना के बारे में भी विस्तृत जानकारी आप इस लिंक को क्लिक कर प्राप्त कर सकते हैं।
अटल पेंशन योजना
अटल पेंशन योजना सभी भारतीयों, खासकर गरीबों, वंचितों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। यह असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार की एक पहल है। यह योजना 18 से 40 वर्ष आयु वर्ग के सभी बैंक खाताधारकों के लिए खुली है। इस योजना में शामिल होने के बाद ग्राहक द्वारा दिए गए प्रीमियम के आधार पर 60 वर्ष की आयु से गारंटीशुदा न्यूनतम मासिक पेंशन के रूप में 1000 रुपये या 2000 रुपये या 3000 रुपये या 4000 रुपये या 5000 रुपये मिलते हैं। एपीवाई में मासिक, तिमाही या अर्ध-वार्षिक आधार पर प्रीमियम का भुगतान किया जा सकता है। अटल पेंशन योजना का लाभ पाने के लिए 9 मई, 2022 तक 4 करोड़ से अधिक लोग सदस्यता ले चुके हैं।