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कमलनाथ को सीएम बनाकर राहुल ने छिड़का सिखों के जख्मों पर नमक, शुरू हुआ विरोध

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1984 में सिखों का कत्लेआम करने वाले नेताओं को कांग्रेस लगातार बड़ी जिम्मेदारी देती जा रही है। मध्य प्रदेश के नव नियुक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ पर भी सिख विरोधी हिंसा में शामिल होने का आरोप है। इसके बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कमलनाथ को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दे दी। इससे समुदाय भड़का हुआ है और कांग्रेस को नतीजे भुगतने की चेतावनी दे रहा है। सिख नेता तेजिंदरपाल सिंह बग्गा ने तो कमलनाथ की शपथ लेने वाले दिन 17 दिसंबर से आमरण अनशन का ऐलान किया है।


सिख विरोधी दंगों को लेकर दिल्ली भाजपा से विरोध की आवाज उठने लगी है। भाजपा के दिल्ली प्रवक्ता तजिंदर सिंह बग्गा ने देर रात ट्वीट किया और लिखा, ‘सुना है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 1984 में हुए सिख नरसंहार के हत्यारे कमलनाथ को बतौर सीएम नियुक्त करना चाहते हैं। यह वही शख्स हैं, जिन्होंने गुरुद्वारा रकाबगंज (हिंद दी चादर गुरु तेग बहादुर जी का दाह संस्कार स्थल) में आग लगा दी थी। यह चीज एक बार फिर से दर्शाती है कांग्रेस सिख विरोधी पार्टी है।’

एक अन्य ट्वीट में बग्गा ने कहा, ‘जब राहुल गांधी ने 1984 के सिख हत्याकांड के जिम्मेदार कमलनाथ को पंजाब विधानसभा चुनाव का इंचार्ज बनाया था तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विरोध जताया था, जब तक की उन्हें हटा नहीं लिया गया। अगर राहुल गांधी सिखों के हत्यारे कमलनाथ को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त करते हैं तो कैप्टन अमरिंदर को विरोध जताया जताते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए।’

1984 के गुनहगार हैं कमलनाथ 

कमलनाथ को सीएम बनाने का सबसे बड़ा विरोध पंजाब में हो रहा है। आम आदमी पार्टी के कंवर संधू और वरिष्ठ नेता एच एस फूलका ने भी विरोध करने का ऐलान किया है। संधू ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी को ये नहीं भूलना चाहिए कि 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर कमलनाथ के बारे में क्या आम राय है।

वहीं फूलका ने कहा कि भले ही कमलनाथ को 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर किसी कानूनी कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा हो लेकिन ऐसे गवाह हैं जिन्होंने कमलनाथ को दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज के पास भीड़ को उकसाते देखा है।

शिरोमणि अकाली दल ने भी कांग्रेस पर सिख दंगों के जिम्मेदार नेताओं को पुरस्कृत करने का आरोप लगाया है। दिल्ली में विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, ‘जब भी गांधी परिवार सत्ता में आता है तो ये लोग 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के जिम्मेदारों को बचाने का काम करते हैं। अब राहुल कमलनाथ को सीएम पद से नवाज रहे हैं। राहुल गांधी शायद ये संदेश देना चाहते हैं कि सिखों की हत्या में शामिल लोगों को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है, वे उनके साथ हैं और उन्हें ईनाम भी देंगे।’ सिरसा ने कहा कि अगर राहुल गांधी कमलनाथ को सीएम बनाते हैं तो उन्हें सिखों के गुस्से का सामना करना होगा।

कांग्रेस ने नहीं होने दी जांच

आम आदमी पार्टी के नेता और जाने माने वकील एचएस फूलका ने वर्ष 2006 में एक गवाह अदालत के सामने पेश किया जिसका नाम मुख्त्यार सिंह बताया जाता है। इस गवाह के बयान के आधार पर ही कमलनाथ का नाम सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामलों में शामिल किया। लेकिन कांग्रेस ने अपनी चालों से कमलनाथ को फंसने नहीं दिया। एनडीए शासनकाल में सिख विरोधी दंगों की जांच कर रहे नानावटी कमीशन के सामने कमलनाथ की पेशी भी हुई थी। रंगनाथ मिश्रा कमेटी के सामने भी कमलनाथ की पेशी हो चुकी है। तब पत्रकार संजय सूरी ने बतौर गवाह ने कमलनाथ की पहचान की थी।

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