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पीएम मोदी के नेतृत्व में सशक्त, सुरक्षित व स्वावलंबी हो रही ‘नारी शक्ति’

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मानवता की प्रगति महिलाओं के सशक्तिकरण के बिना अधूरी है और अब मुद्दा महिलाओं के विकास का नहीं बल्कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास का है।– नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो कहते हैं उसे अपने कर्मक्षेत्र में स्थान भी देते हैं। 03 सितंबर को हुए केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार में निर्मला सीतारमण को रक्षा मंत्रालय का जिम्मा देकर उन्होंने अपनी इसी सोच को साकार रूप भी दिया है। पीएम मोदी का यह निर्णय इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यूरिटी यानि CCS में पहली बार दो महिलाएं शामिल हुईं हैं। दरअसल सीसीएस में प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री होते हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बाद अब रक्षा मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण इस महत्वपूर्ण समिति की सदस्य बन गई हैं।

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पहली बार पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री
देश के इतिहास में रक्षा मंत्री हमेशा से दिग्गज पुरुष नेता संभालते आए हैं। लेकिन पीएम मोदी ने लीक तोड़ते हुए निर्मला सीतारमण के हाथ में देश की रक्षा की बागडोर सौंपकर एक बार फिर महिलाओं के नेतृत्व क्षमता पर भरोसा जताया है। 1970 के दशक में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहने के साथ इस अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं, लेकिन निर्मला सीतारमण देश की पहली पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री बनीं हैं।

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मंत्रिमंडल में पहली बार छह महिलाएं
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में नारी शक्ति के ‘उदय’ को भरपूर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। यह इस बात से भी स्पष्ट है कि मोदी मंत्रिमंडल (कैबिनेट सदस्य) के 27 सदस्यों में अभूतपूर्व रूप से छह महिलाएं हैं। आजादी के बाद किसी भी सरकार के कैबिनेट में छह महिला सदस्यों को अब तक स्थान नहीं दिया गया था, लेकिन पीएम मोदी ने सुषमा स्वराज, निर्मला सीतारमण, मेनका गांधी, स्मृति ईरानी, उमा भारती और हरसिमरत कौर बादल की क्षमता पर भरोसा जताते हुए उन्हें कैबिनेट में शामिल किया है। स्पष्ट है कि ऐसा करके पीएम मोदी ने महिलाओं के सशक्तिकरण का एक मजबूत संदेश दिया है।

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महिलाओं को ‘थोथी दलील’ देता रहा यूपीए
शासन तंत्र में महिलाओं को भागीदारी देने में भी मोदी सरकार आगे है। कैबिनेट के 27 सदस्यों में जहां छह महिलाओं को शामिल किया गया है वहीं पूरे मंत्रिपरिषद में यह आंकड़ा 9 है। लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों में स्थिति बिल्कुल उलट थी। यूपीए की सरकार में 33 कैबिनेट मंत्रियों में महज तीन महिलाएं थीं। 2013 तक तो केवल कुमारी सैलजा और चंद्रेश कुमारी ही मंत्रिमंडल का हिस्सा थीं और यूपीए-2 के अंतिम फेरबदल के दौरान गिरिजा व्यास शामिल हुईं थीं। इससे पहले 2004 में तो केवल मीरा कुमार ही एकमात्र महिला कैबिनेट मंत्री थीं।

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दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला उत्थान और महिला सशक्तिकरण को शुरू से ही अपनी प्राथमिकताओं में रखा है। इसी के परिणामस्वरूप पिछले तीन सालों में महिलाओं की सुरक्षा से लेकर स्वावलंबन तक के लिए अनकों कदम उठाए गए हैं।

  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान – पूरे देश में महिला भ्रूण हत्या की सामाजिक कुरीति को रोका। हरियाणा जैसे राज्य के लिंगानुपात में सुधार आया है।
  •  उज्जवला योजना: ढाई करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों की महिलाओं को चूल्हे के धुएं से भरी जिंदगी से छुटाकारा दिलाने के लिए गैस कनेक्शन और चूल्हा मुफ्त में दिए गये।
  • सुकन्या समृद्धि योजना : बेटियों के सुनहरे और सुरक्षित भविष्य के लिए इस योजना को लागू किया। बेटियों की शिक्षा पूरी करने और 18 साल के बाद होने वाली शादी के खर्च के लिए इस योजना से धन दिया जाता है।
  • मुद्रा योजना : प्रधानमंत्री मुद्रा योजना महिला सशक्तिकरण का एक बहुत बड़ा जरिया बन चुकी है। इस योजना के तहत 30 अगस्त तक 8,63,78,23 लोग लाभ ले चुके हैं इनमें 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। यानि लगभग छह करोड़ से अधिक महिलाओं ने इसका लाभ उठाया है।
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना : रोजगार योग्य बनाने के लिए कौशल विकाश योजना के तहत करीब 11 लाख से अधिक महिलाओं को अलग -अलग तरह के हुनर में प्रशिक्षित किया गया है।
  • मातृत्व अवकाश : कामकाजी महिलाओं के मातृत्व काल की समस्याओं को समझते हुए अवकाश को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया।
  • गर्भवती महिलाओं को मदद : गर्मभवती महिलाओं को पोषण की जरूरत को पूरा करने के लिए 6,000 रुपये आर्थिक सहायता दी जाने लगी।
  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान : सुरक्षित मातृत्व के लिए हर माह की 9 तारीख को अस्पतालों में चेकअप की मुफ्त व्यवस्था शुरू की गई।
  • स्टैंड अप इंडिया : महिलाओं को अपना व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए हर बैंक शाखा को 10 लाख से लेकर 1 करोड़ तक के ऋण कम से कम एक महिला को उपलब्ध कराने का नियम बनाया।
  • महिला ए हाट : महिला उद्यमियों को बाजार के लिए एक प्लेटफॉर्म दिया गया।
  • पासपोर्ट बनाना आसान : महिलाओं को विदेश जाने के लिए पासपोर्ट बनाने के काम को आसान कर दिया गया, इसके लिए शादी या तलाक के सर्टिफिकेट की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई अब वे अपने पिता या मां का नाम लिख सकती हैं।
  • महिला पुलिस स्वयंसेवी पहल : गांवों में महिलाओं को दिक्कतों से बचाने के लिए महिला पुलिस स्वंयसेवी योजना लागू की गई। हरियाणा के करनाल और महेंद्रगढ़ से इसकी शुरुआत हुई।
  • दफ्तर में सुरक्षा : दफ्तर में यौन उत्पीड़न की घटनाएं रोकने और इसके खिलाफ लड़ने के लिए ई-प्लेटफॉर्म शुरू किया गया। ऑनलाइन शिकायत संभव हुआ।
  • मोबाइल फोन हैंडसेट में पैनिक बटन : महिलाओं की सुविधा के लिए मोबाइल में जीपीएस सिस्टम के साथ-साथ पैनिक बटन शुरू किया गया है। इससे खतरे की स्थिति में वह आपात सिग्नल परिजनों और पुलिस को भेज सकती हैं।

तीन तलाक से मिली आजादी
प्रधानमंत्री 24 अक्टूबर, 2016 को यूपी के महोबा की धरती से ‘तीन तलाक’ को 21वीं सदी में चलने वाला सबसे बड़ा अन्याय बताया था। उन्होंने राजनीति से ऊपर उठकर मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की खुली अपील की थी। जिसके बाद तीन तलाक की कुप्रथा पर कठोर प्रहार करने का अभियान चल पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृढ़ निश्चय और सुप्रीम कोर्ट के इंसाफ के हथौड़े ने मुस्लिम महिलाओं को 1000 सालों की कुप्रथा से मुक्ति दिला दी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक को असंवैधानिक करार देने के साथ ही 22 अगस्त से मुस्लिम महिलाओं के जीवन में स्वाभिमान और समानता के एक नये युग की शुरुआत हुई है।पीएम मोदी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए चित्र परिणाम

प्रधानमंत्री मोदी की पहल ने महिलाओं में विश्वास भरने के साथ ही भरोसा भी उत्पन्न किया है। वे महिलाओं को यह यकीन दिलाने में भी सफल रहे हैं कि सम्मान और विकास के बारे में सोचने और कुछ कर गुजरने वाला एक व्यक्ति सरकारी तंत्र के उच्च शिखर पर बैठा है जो नारी शक्ति के साथ खड़ा है।

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