Home विचार उपराष्ट्रपति पद के लिए वेंकैया नायडू ही क्यों बने एनडीए की पसंद?

उपराष्ट्रपति पद के लिए वेंकैया नायडू ही क्यों बने एनडीए की पसंद?

वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के कारणों पर रिपोर्ट

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राजनीतिक चातुर्य, हाजिर जवाबी, फाइटर तेवर, आक्रामक अंदाज, नम्र स्वभाव, विरोधियों को भी अपना बना लेने की कला, शासन चलाने के लिए सूझबूझ, समझदारी भरे निर्णय लेने की क्षमता, निडर शैली और जुझारूपन… अगर इन सब गुणों को किसी एक व्यक्तित्व में ढूंढना हो तो वे हैं वेंकैया नायडू। बीजेपी संसदीय बोर्ड ने उपराष्ट्रपति पद के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू के नाम पर मुहर लगाई तो जाहिर तौर पर ये सारी चीजें निर्णायक मंडल के जेहन में थीं।

अब नायडू का मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी से होगा। आइये हम सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं कि आखिर वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की और खास वजहें क्या रहीं।

बीजेपी की रणनीतिक सोच
दरअसल बीजेपी राज्यसभा में उतनी मजबूत नहीं जितनी लोकसभा में है। जाहिर है पार्टी यह चाहती है कि उप राष्ट्रपति पद पर बैठने वाला शख्स ऐसा हो जो राज्यसभा के सियासी समीकरण को संभाल सके। राज्यसभा में सियासी आंकड़ों के खेल में बीजेपी अक्सर पीछे रह जाती है। ऐसे में उनका प्रशासनिक अनुभव, राजनीतिक कौशल और उनका कद्दावर व्यक्तित्व सदन चलाने में काम आ सकता है।

सदन में वेंकैया का लंबा अनुभव
वेंकैया नायडू का 25 साल का लंबा संसदीय कार्य का अनुभव है। वे 1998 से लगातार राज्यसभा के सांसद रहे हैं। ये बात पदेन सभापति (उपराष्ट्रपति) के लिए उनके पक्ष में जाती है। वेंकैया 1998 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए थे। 2004 में वह दूसरी बार सदन में पहुंचे। फिर 2010 और फिर 2016 में राज्यसभा के मेंबर बने। वेंकैया नायडू कई संसदीय समितियों के सदस्य हैं और कुछ के अध्यक्ष भी हैं।

पार्टी में शीर्ष पदों पर रहे
वेंकैया नायडू 1980 में बीजेपी यूथ विंग और आंध्र प्रदेश विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था। शुरुआती दौर में वे आंध्र बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी के बाद पार्टी ने उनका कद बढ़ाते हुए 1988 में उन्हें आंध्र बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया। आंध्र प्रदेश अध्यक्ष बनने के कुछ ही साल बाद दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में उनको जगह मिल गई। 1993 से 2000 तक वेंकैया बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव रहे। पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा को देखते हुए 2002 में उन्हें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की कमान सौंप दी गई।

नायडू की वरिष्ठता सब पर भारी
वेंकैया नायडू वर्तमान कैबिनेट में वरिष्ठता के आधार पीएम मोदी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के बाद पांचवें नंबर पर थे। वाजपेयी सरकार में वे सितंबर 2000 से जून 2002 तक ग्रामीण विकास मंत्री थे। वर्तमान सरकार में उन्हें शहरी विकास मंत्री का पदभार सौंपा गया था।

आरएसएस से वेंकैया का जुड़ाव
आंध्रप्रदेश के नेल्लोर जिले के रहने वाले वेंकैया नायडू बीजेपी में शामिल होने से पहले 70 के दशक में आरएसएस और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में महत्वपूर्ण योगदान दे चुके हैं। अभी वो राजस्थान से राज्यसभा सांसद है और मोदी सरकार में उनकी सियासी समझ की सभी तारीफ करते हैं।

भरोसे और विश्वास का नाता
वेंकैया नायडू अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और फिर पीएम मोदी की भी पसंद रहे हैं। वाजपेयी सरकार में उन्हें केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री का दायित्व सौंपा गया था। जबकि वर्तमान सरकार में वे शहरी विकास, आवास तथा शहरी गरीबी उन्‍मूलन और संसदीय कार्यमंत्री थे। सभी वरिष्ठ नेताओं का विश्वासी होने के कारण ही केंद्र सरकार वेंकैया नायडू को कई संसदीय समितियों का सदस्य भी बना चुकी है और अब उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार भी।

नम्र स्वभाव, फाइटर तेवर
वेंकैया नायडू का चयन इस लिहाज से भी अच्छा कदम है क्योंकि नायडू की छवि बीजेपी के नम्र और समझदार नेताओं में होती है। कई मौकों पर वह सरकार का अडिग रहकर बचाव करते रहे हैं। दरअसल उन्हें पीएम के लिए फायर फाइटर के तौर पर भी जाना जाता था। नायडू अपनी हाजिरजवाबी के लिए भी मशहूर हैं।

सियासी समझ, कई भाषाओं पर पकड़
वेंकैया नायडू इंग्लिश, हिंदी, तेलगू, तमिल समेत कई भाषाएं जानते हैं।अक्सर देखा गया है कि चाहे सरकार हो या पार्टी हो उसमें कोई भी तकनीकी विषय आता है या कोई संकट आता है तो वो लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं।

दक्षिण-उत्तर भारत में तालमेल
उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार वेंकैया नायडू आंध्र प्रदेश के हैं तो राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद यूपी के कानपुर से आते हैं। जाहिर है बीजेपी ने उपराष्ट्रपति पद के लिए वेंकैया नायडू का नाम आगे कर रीजनल बैलेंस करने की कोशिश की है।

नायडू के सभी दलों से अच्छे संबध
वेंकैया नायडू ने संसदीय मामलों के मंत्री के तौर पर कांग्रेस सहित सभी दलों के साथ अच्छे संबंध बनाए थे। वह GST बिल पर विपक्ष का समर्थन मांगने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर पर भी गए थे और राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में भी वे सोनिया गांधी से मिले थे। विपक्षी दलों के साथ उनके अच्छे संबंधों के कारण उन्हें राज्यसभा का कामकाज बेहतर तरीके से चलाने में मदद मिलेगी।

विवादों से दूर-दूर का नाता नहीं
वेंकैया नायडू भाजपा के पुराने स‍िपाही रहे हैं। इतने लंबे समय से पार्टी में रहते हुए भी कभी क‍िसी बड़े व‍िवाद में नहीं पड़े। हर मौके पर उन्‍हें अच्‍छा पद म‍िलता रहा। पार्टी में भी और सरकार में उन्होंने हमेशा तालमेल बैठाये रखा।

पीएम उम्मीदवारी पर नमो का समर्थन
अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के करीबी रहे वेंकैया नायडू राष्ट्रीय राजनीति का वो चेहरा बन गए जिनकी बात का वजन रहता था। जब पीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी का नाम आगे आया तो वेंकैया नायडू ने इसका खुलकर समर्थन किया। उन्होंने साफ कहा कि अभी देश को नरेंद्र मोदी जैसे पीएम की जरूरत है।

कई बार बने संकटमोचक
नायडू को सरकार के संकटमोचक के तौर पर भी जाना जाता है। कई बड़े मुद्दों पर उन्होंने संसद में विपक्ष पर मजाकिया अंदाज में तंज कसे। जब विपक्ष सरकार पर हमलावर हुआ, तो कई दफा नायडू ने आगे आकर विपक्ष को अपने तीखे और कभी-कभी मजाकिया लहजे से शांत कराने का काम किया।

इन पदों पर रहे वेंकैया नायडू

  • 1973-1974: अध्यक्ष, छात्र संघ, आंध्र विश्वविद्यालय
  • 1974: संयोजक, लोक नायक जय प्रकाश नारायण युवजन चतरा संघर्ष समिति, आंध्र प्रदेश
  • 1977-1980: अध्यक्ष, जनता पार्टी की युवा शाखा, आंध्र प्रदेश
  • 1978-85: सदस्य, विधानसभा, आंध्र प्रदेश (दो बार)
  • 1980-1985: नेता, आंध्र प्रदेश भाजपा विधायक दल
  • 1985-1988: महासचिव, आंध्र प्रदेश राज्य भाजपा
  • 1988-1993: अध्यक्ष, आंध्र प्रदेश राज्य भाजपा
  • 1993 – सितंबर, 2000: राष्ट्रीय महासचिव, भारतीय जनता पार्टी, सचिव, भाजपा संसदीय बोर्ड, सचिव, भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति, भाजपा के प्रवक्ता
  • 1998 के बाद: सदस्य, कर्नाटक से राज्यसभा (तीन बार)
    1 जुलाई 2000 से 30 सितंबर 2002: भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री
  • 5 अक्टूबर 2002 से 1 जुलाई 2004: राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी
  • अप्रैल 2005 के बाद : राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी
    26 मई 2014 से 17 जुलाई 2017 : शहरी विकास और संसदीय मामलों के केंद्रीय मंत्री

जानिये वेंकैया नायडू को
वैंकेया का जन्म 1 जुलाई 1949 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के चावटपलेम के एक कम्मा परिवार में हुआ था। उन्होंने वीआर हाई स्कूल नेल्लोर से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और वीआर कॉलेज से राजनीति तथा राजनयिक अध्ययन में ग्रेजुएशन पूरी की। उन्होंने ग्रेजुएशन प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और इसके बाद उन्होंने आन्ध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम से लॉ की डिग्री हासिल की। 1974 में वह आंध्र विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुये। कुछ दिनों तक वे आंध्र प्रदेश के छात्र संगठन समिति के संयोजक भी रहे। वेंकैया नायडू की पहचान हमेशा एक आंदोलनकारी नेता के रूप में रही है। वे 1972 में ‘जय आंध्र आंदोलन’ के दौरान पहली बार सुर्खियों में आए। उन्होंने इस दौरान नेल्लोर के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते हुए विजयवाड़ा से आंदोलन का नेतृत्व किया।

छात्र जीवन में उन्होने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की विचारधारा से प्रभावित होकर आपातकालीन संघर्ष में हिस्सा लिया। वह आपातकाल के विरोध में सड़कों पर उतर आए और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। आपातकाल के बाद वह 1977 से 1980 तक जनता पार्टी के युवा शाखा के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2002 से 2004 तक उन्होने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का उतरदायित्व निभाया। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे और वर्तमान में वे भारत सरकार के अंतर्गत शहरी विकास, आवास तथा शहरी गरीबी उन्‍मूलन तथा संसदीय कार्य मंत्री भी रहे।

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