शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ और संविधान बचाने को लेकर आंदोलन चल रहा है। वहां 50 से अधिक दिनों से लोग सड़कों पर धरना दे रहे हैं। धरने में शामिल लोग संविधान की प्रस्तावना का पाठ करते हैं। धरने वाले स्थान पर लोगों को अपने विचार रखने के लिए मंच बनाया गया है, जहां से भाषण देने वाला हर व्यक्ति सरकार पर सीएए में मुसलमानोंं के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाता है और समानता की वकालत करता है। लेकिन ये बातें सिर्फ मोदी सरकार की आलोचना करने के लिए की जाती हैं, लेकिन वहां पर काम इसके ठीक विपरीत हो रहा है।
शाहीन बाग में संविधान का उल्लंघन
संविधान का अनुच्छेद 15 केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान, या इनमें से किसी के ही आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शाहीन बाग में संविधान के इस अनुच्छेद का पालन हो रहा है ? तो इसका जवाब यह है कि वहां संविधान बचाने के नाम पर खुलेआम संविधान की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं। न सिर्फ मीडिया कर्मियों से भेदभाव किया जा रहा है, बल्कि देश की एकता और अखंडता के खिलाफ बातें की जा रही हैं।
शाहीन बाग में मीडिया से भेदभाव
शाहीन बाग में मीडिया को एंट्री स्लिप बनाकर प्रवेश दिया जा रहा है। न्यूज नेशन की टीम ने शाहीन बाग में प्रवेश के लिए एंट्री स्लिप ली थी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि कवरेज करने पहुंची न्यूज नेशन की मीडिया टीम को क्यों रोका गया ? क्या वहां पर भारत का संविधान लागू नहीं होता है ? क्या शाहीन बाग पाकिस्तान में हैं, जहां जाने के लिए वीजा लेने की जरूरत है ?
महिला पत्रकार के साथ बदसलूकी
शाहीन बाग में 5 फरवरी, 2020 को सीएए के विरोध में बैठी महिला प्रदर्शनकारियों ने राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार गुंजा कपूर को बुर्का पहनकर प्रदर्शनस्थल का वीडियो बनाने पर घेर लिया और उनसे बदसलूकी की। इन महिलाओं ने गुंजा को पकड़कर सवाल उठाया कि आखिर वो इस प्रदर्शन में बुर्का पहनकर क्यों आईं ?
क्या बुर्का और हिजाब पहनना है अपराध ?
उल्लेखनीय है कि पिछले 2 महीनों में इन प्रदर्शनों में दूसरे धर्म की कई ऐसी महिलाएँ शामिल हुई हैं, जिन्होंने इन महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिए बुर्का और हिजाब पहना। अभी पिछले महीने जनवरी में ही इन प्रदर्शनों में से कुछ फोटो वायरल हुई थी। जिसमें जंतर मंतर पर ‘आजाद वुमेन फॉर आजादी’ प्रोटेस्ट में इंदुलेखा नाम की महिला ने प्रदर्शन में शामिल होने के दौरान हिजाब पहना था और एक पट्टी लेकर फोटो खिंचवाई थी। जिस पर लिखा था, “श्रीमान मोदी। मैं इंदुलेखा हूँ। मुझे मेरी ड्रेस से पहचानो।”
राजनीतिक विचारधारा के कारण भेदभाव क्यों ?
इसके अलावा कई और भी महिलाएँ थी, जिन्होंने अपना धर्म अलग होने के बावजूद इन महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाई थी। इसलिए, सवाल उठता है कि जब उन महिलाओं पर उंगली नहीं उठी, तो गुंजा से सवाल क्यों? जाहिर है, उनकी राजनीतिक विचारधारा के कारण। दरअसल, इन महिलाओं को डर है कि इनके प्रदर्शन पर गुंजा प्रदर्शन स्थल से कई ऐसी चीजों को रिकॉर्ड करके दुनिया के सामने पेश कर देंगी, जिससे उनकी फजीहत होगी, जैसे अब तक होती रही है।
रिपब्लिक टीवी की महिला पत्रकार के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल
शाहीन बाग में धरने के कवरेज पर गई रिपब्लिक भारत की महिला पत्रकार के साथ बदसलूकी की गई। महिला पत्रकार और कैमरामैन के सामने गो बैक-गो बैक के नारे लगाए गए। अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया। सारी मर्यादा भूल चुकी भीड़ को देखकर रिपब्लिक भारत की टीम धरना स्थल से बाहर निकल गई।
सुधीर चौधरी और दीपक चौरसिया को नहीं मिली अनुमति
वरिष्ठ पत्रकार और ‘जी न्यूज’ के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी और दीपक चौरसिया एक साथ शाहीन बाग पहुंचे। धरना स्थल पर मौजूद लोगों से बातचीत करने और उनकी बातों को दुनिया के सामने लाना चाहते थे, लेकिन उन्हें धरना स्थल तक जाने की अनुमति नहीं दी गई।
टेलीविजन इतिहास में पहली बार दो बड़े टेलीविजन चैनल शाहीन बाग में लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए चल रहे आंदोलन को देखने गए! लेकिन वहाँ का नजारा ना तो लोकतांत्रिक था और ना ही संवैधानिक! https://t.co/NgrscQiQ6x
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) January 27, 2020
‘शाहीन बाग में नहीं चलता देश का कानून’
सुधीर चौधरी ने शाहीन बाग को लेकर ट्विटर पर दावा किया कि ये ऐसा मोहल्ला है जहां देश का कानून नहीं चलता है। चौधरी ने कहा कि हर शहर में एक मोहल्ला होता है जहां पुलिस भी जाने से डरती है, वहां देश का कानून नहीं चलता। दिल्ली में वो मोहल्ला शाहीन बाग है। चौधरी ने कहा कि Article370 अब शाहीन बाग में लागू है।
आज जब मैं और @DChaurasia2312 #ShaheenBagh पहुँचे तो कश्मीर की तर्ज़ पर Go Back के नारे लगने लगे।पल भर को लगा जैसे हम किसी दूसरे देश में आ गए हैं। #370InKashmir https://t.co/XYCjCDMoPq
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) January 27, 2020
वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया पर हमला
प्रदर्शनकारियों ने पिछले दिनों शाहीन बाग प्रोटेस्ट के कवरेज पर गए न्यूज नेशन के वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया के साथ बदसलूकी की थी। साथ ही न्यूज नेशन के कैमरामैन का कैमरा तोड़ दिया गया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने न्यूज नेशन की टीम पर हमले करने के मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
सुन रहे हैं कि संविधान ख़तरे में है, सुन रहे हैं कि लड़ाई प्रजातंत्र को बचाने की है! जब मैं शाहीन बाग की उसी आवाज़ को देश को दिखाने पहुँचा तो वहाँ मॉब लिंचिंग से कम कुछ नहीं मिला! #CAAProtests #ShaheenBagh pic.twitter.com/EhJxfWviTp
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) January 24, 2020
दरअसल शाहीन बाग में बैठे प्रदर्शनकारियों ने कई कड़े नियम बनाए हुए हैं। वे केवल चुनिंदा मीडिया हाउस के लोगों को वहाँ वीडियो बनाने की इजाजत देते हैं। क्योंकि उन पर प्रदर्शनकारियों को यकीन होता है कि वे उनके ख़िलाफ़ मीडिया में कुछ नहीं चलाएँगे। इसके अलावा कुछ मीडिया हाउस को वहाँ केवल लाइव करने की इजाजत हैं। एंट्री प्वाइट पर वहाँ वालंटियर खड़े हुए हैं। जो किसी को भी संदिग्ध पाने पर उनका बैग चेक करते हैं और आईडी प्रूफ देखते हैं। अगर फिर भी उन्हें किसी चीज पर शक होता है, या उन्हें लगता है कि कोई ऐसी वीडियो बना रहा हैं या फोटो खींच रहा है, जिससे मामला उनके ख़िलाफ़ चला जाएगा, वो तुरंत उस वीडियो को डिलीट करवा देते हैं।