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हिजाब विवाद पर बरसे साध्वी और स्वामी-‘हिजाब फर्स्ट’ की बात करने वालों के दादा पाकिस्तान क्यों नहीं गए ? वहां किताब से पहले हिजाब मिल जाता

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कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद के बाद मुस्लिम छात्र कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं और कह रहे हैं, पहले हिजाब फिर किताब। इस पर सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने बड़ी बात कही है। स्वामी ने पूछा है कि जो लोग पढ़ाई से पहले हिजाब की बात कर रहे हैं, उनके पुरखे पाकिस्तान क्यों नहीं गए। वहीं नसरीन ने समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा है कि हिजाब, नकाब और बुर्का का एक ही मकसद है, औरतों को सेक्स के सामान के तौर पर बदलना। उन्होंने अपमानजनक बताते हुए इस चलन को बंद करने वकालत की।

उनकी महिलाएं अपने घरों में ही सुरक्षित नहीं हैं : साध्वी प्रज्ञा ठाकुर
उधर भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने श्री राम मंदिर परिसर में सनातन महापंचायत कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि भारत में हिजाब पहनने की कोई आवश्‍यकता नहीं है। भारतीय संस्कृति में नारी पूजनीय है। हमारे यहां जब भी दुष्टों को मारने की जरूरत पड़ी है, तभी तो देवी का ही आह्वान किया गया है। नारी का स्थान सबसे ऊंचा है। साध्वी ने किसी धर्म का नाम लिए बगैर कहा कि हिजाब पहनने वाली महिलाओं को खुद तय करना होगा कि उन्हें हिजाब कहां पहनना है। जिन लोगों की हमारे बारे में गलत राय है, उसे ठीक करना होगा। उनकी महिलाएं अपने घरों में सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में महिलाओं की पूजा की जाती है, इसलिए वे बाहर पर्दा नहीं करती हैं।

पुरखे पाकिस्तान चले जाते तो पहले हिजाब मिल जाता
सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट में कहा है, “हिजाब विवाद देखने के बाद, जो मुस्लिम छात्र कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं और कह रहे हैं, पहले हिजाब फिर पढ़ाई। मैं ये सोच रहा हूँ कि उनके दादाओं ने पाकिस्तान जाने की बजाए भारत में रहना क्यों चुना। वहाँ उन्हें बिना किसी दिक्कत के ‘हिजाब पहले’ मिल जाता।”बुर्का-हिजाब कभी महिलाओं की पसंद नहीं, उन्हें मजबूर किया जाता है
वहीं तस्लीमा नसरीन ने इस पूरे विवाद को इस्लाम का मसला मानने से भी इनकार किया। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में सातवीं सदी के लागू नहीं हो सकते हैं और होने भी नहीं चाहिए। साथ ही यह भी समझना होगा कि बुर्का और हिजाब कभी भी एक महिला की पसंद नहीं हो सकते। उन्हें इसके लिए मजबूर किया जाता है। तसलीमा का कहना है कि हिजाब एक ऐसा परिधान है जो महिलाओं को सेक्स ऑब्जेक्ट बना देता है।

औरतों को सेक्स का सामान बना देता है हिजाब- तस्लीमा नसरीन
तसलीमा ने हिजाब विवाद पर साफ कहा कि हिजाब, नकाब और बुर्का का एक ही उद्देश्य है महिलाओं को सेक्स ऑब्जेक्ट के रूप में बदलना। उन्होंने कहा कि तथ्य यह है कि महिलाओं को पुरुषों से छिपाने की जरूरत है जो उन्हें देखकर लार टपकाते हैं। तसलीमा ने कहा कि यह बहुत ही अपमानजनक है। इस प्रथा को जल्द से जल्द बंद कर देना चाहिए।

स्कूलों में मजहबी कट्टरता के लिए जगह नहीं, लैंगिक समानता पढ़ाया जाए
तस्लीमा नसरीन ने वेबसाइट फर्स्टपोस्ट.कॉम को दिए साक्षात्कर में भी इस विवाद से जुड़े हर पहलुओं पर खुलकर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि एक सेकुलर देश को शिक्षण संस्थानों में ड्रेस कोड को अनिवार्य करने का अधिकार हैं। छात्रों से अपनी मजहबी पहचान घर पर रखने के लिए कहना गलत नहीं है। स्कूलों में मजहबी कट्टरता के लिए जगह नहीं हो सकती। वहाँ व्यक्तिगत स्वतंत्रता, लैंगिक समानता, वैज्ञानिक सिद्धांतों के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए।

 

 

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