आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल के एक निजी एनजीओ ‘कबीर’ और गांधी परिवार के एक निजी एनजीओ ‘राजीव गांधी फाउंडेशन’ को अमेरिकी एनजीओ फोर्ड फाउंडेशन से भारी चंदा मिला है। फोर्ड फाउंडेशन के प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी ने आप और कांग्रेस दोनों के लिए नीति तैयार की है! और जैसा कि सभी जानते हैं कि मेधा पाटकर का आप और कांग्रेस से खास रिश्ता है। और वह AAP सदस्य थीं और उम्मीदवार भी! हर गुजराती को उनका नाम याद है। सिर्फ उन्हीं की वजह से गुजरात के लोगों ने दशकों से पानी के बिना बहुत कुछ झेला है। कबीर और राजीव गांधी फाउंडेशन से लेकर शबनम हाशमी के एनजीओ अनहद जैसे कई एनजीओ फोर्ड फाउंडेशन से फंडिंग लेते रहे हैं। और ये सब कांग्रेस और आम आदमी के करीब हैं। फोर्ड फाउंडेशन द्वारा बनाए गए एनजीओ और उनके आकाओं के इकोसिस्टम इन दोनों के बहुत करीब हैं और हाथ से हाथ मिलाकर काम करते हैं। ऐसे कई दस्तावेज हैं, जो बताते हैं कि फोर्ड फाउंडेशन अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के लिए काम करता है। इस तरह देखें तो यह साफ होता है कि फंडिंग से लेकर इकोसिस्टम तक, प्लानिंग से लेकर ग्राउंड सपोर्ट तक, दोनों पार्टियों को एक ही लोगों, एक ही इकोसिस्टम और एक ही विदेशी एनजीओ का समर्थन प्राप्त है! अब आप बताइए गुजरात में AAP के लिए मैदान छोड़ने का फैसला किसने किया?
2. A Personal NGO of AAP founder Kejriwal 'Kabir' and a Personal NGO of the Gandhi Family 'Rajiv Gandhi Foundation' has received huge donations from the Ford Foundation. pic.twitter.com/StW9xGLQMa
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) November 23, 2022
4. GEER foundation was started in 1982 as a Government department by Congress CM
The chairman of this foundation is Ex officio, meaning whoever becomes CM also becomes the chairman of the GEER foundation by default
Whereas other two are private NGOs started by Kejriwal and Sonia pic.twitter.com/mRyU8Dd7Mq— Vijay Patel?? (@vijaygajera) November 23, 2022
जब भी कोई केजरीवाल और फोर्ड के संबंधों के बारे में बात करता है तो उनके पेड ट्रोल GEER फाउंडेशन के उदाहरण के साथ आते हैं। उनका दावा है कि इसने भी फोर्ड से फंड लिया है और मोदी उस एनजीओ के चेयरमैन थे। दरअसल GEER फाउंडेशन की शुरुआत 1982 में कांग्रेस के मुख्यमंत्री द्वारा एक सरकारी विभाग के रूप में की गई थी। इस फाउंडेशन का अध्यक्ष पदेन होता है, अर्थात जो भी मुख्यमंत्री बनता है वह डिफ़ॉल्ट रूप से GEER फाउंडेशन का अध्यक्ष भी बनता है। जबकि अन्य दो कबीर और राजीव गांधी फाउंडेशन केजरीवाल और सोनिया द्वारा शुरू किए गए निजी एनजीओ हैं। फोर्ड फाउंडेशन के प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी ने आप और कांग्रेस दोनों के लिए नीति तैयार की है!
6. Working on Ground:
As everyone knows, Foreign-funded Medha Patkar has a special relationship with AAP and Congress.
She was an AAP member and candidate too!
Every Gujarati remembers her name. Just Because of her people of Gujarat have suffered a lot without water for decades. pic.twitter.com/Rnv16XiVJ3— Vijay Patel?? (@vijaygajera) November 23, 2022
मेधा पाटकर, AAP, कांग्रेस, फोर्ड फाउंडेशन
जैसा कि सभी जानते हैं कि मेधा पाटकर का आप और कांग्रेस से खास रिश्ता है। और वह AAP सदस्य थीं और उम्मीदवार भी! हर गुजराती को उनका नाम याद है। सिर्फ उन्हीं की वजह से गुजरात के लोगों ने दशकों से पानी के बिना बहुत कुछ झेला है। फोर्ड फाउंडेशन द्वारा बनाए गए एनजीओ और उनके आकाओं के इकोसिस्टम इन दोनों के बहुत करीब हैं और हाथ से हाथ मिलाकर काम करते हैं। आगे इसे कुछ उदाहरण से समझिए।
8. Yogendra Yadav:
In 2001, Yogendra Yadav's NGO survived just because Ford Foundation has given them a grant at that time!
How can he forget that help!
I don't need to write about his relationship with AAP and Congress! pic.twitter.com/shVOg8SoT2— Vijay Patel?? (@vijaygajera) November 23, 2022
योगेंद्र यादव: 2001 में योगेंद्र यादव का एनजीओ सिर्फ इसलिए बच गया क्योंकि फोर्ड फाउंडेशन ने उन्हें उस समय अनुदान दिया था! वह उस मदद को कैसे भूल सकते हैं! यह जगजाहिर कि उनके AAP और कांग्रेस के साथ संबंध किस तरह के रहे हैं।
10. She has a very good relationship with AAP. You can check these photos. pic.twitter.com/fRX7jQ6qbX
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) November 23, 2022
शबनम हाशमी: शबनम हाशमी आतंकवादी इशरत जहां के लिए केस लड़ रही थी जो कुछ अन्य आतंकवादियों के साथ नरेंद्र मोदी को मारने आई थी। वह अनहद एनजीओ की संस्थापक हैं। वह उमर खालिद और फोर्ड फंडेड तीस्ता आदि के इकोसिस्टम का हिस्सा हैं। AAP के साथ उनके बहुत अच्छे संबंध हैं।
11. Interestingly, she has also a very good relationship with Congress.
Here are the photos of Shabnam Hashmi and Dev Desai who is trusty of her NGO ANHAD with congress leaders. pic.twitter.com/tl1Bkau27p— Vijay Patel?? (@vijaygajera) November 23, 2022
दिलचस्प बात यह है कि शबनम हाशमी के कांग्रेस से भी काफी अच्छे संबंध हैं। यहां कांग्रेस नेताओं के साथ शबनम हाशमी और उनके एनजीओ अनहद की भरोसेमंद देव देसाई की तस्वीरें हैं।
12. Here is Dev Desai trustee of ANHAD with Medha Patkar and Ummar Khalid. pic.twitter.com/3girVl13kW
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) November 23, 2022
यहां अनहद के ट्रस्टी देव देसाई, मेधा पाटकर और उमर खालिद के साथ हैं।
13. Now let's come to the Ford Foundation again.
There are so many documents, which show that Ford Foundation works for the CIA.But very few people know about the story of a CIA agent Ronald Rewald and Rajiv Gandhi! pic.twitter.com/y9dpTLaKW9
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) November 23, 2022
AAP के लिए मैदान छोड़ने का फैसला किसने किया?
ऐसे कई दस्तावेज हैं, जो बताते हैं कि फोर्ड फाउंडेशन CIA के लिए काम करता है। लेकिन एक CIA एजेंट रोनाल्ड रेवाल्ड और राजीव गांधी की कहानी के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं! यह भारतीय इतिहास का अत्यंत गोपनीय अध्याय है। अब इन बातों से यह साफ हो जाता है कि फंडिंग से लेकर इकोसिस्टम तक, प्लानिंग से लेकर ग्राउंड सपोर्ट तक, AAP और कांग्रेस दोनों पार्टियों को एक ही लोगों, एक ही इकोसिस्टम और एक ही विदेशी एनजीओ का समर्थन प्राप्त है! इससे स्पष्ट होता है कि गुजरात में AAP के लिए मैदान छोड़ने का फैसला किसने किया?
आतंकवादी इशरत जहां का केस लड़ने वाले, हिंदू विरोधी और भारत विरोधी NGO से AAP के क्या हैं संबंध?
गुजरात में घूम-घूम कर तमाम तरह की गारंटी बांटने वाले केजरीवाल और उनकी पार्टी का संबंध आतंकवादी इशरत जहां का केस लड़ने वाले, हिंदू विरोधी और भारत विरोधी NGO और इससे जुड़े लोगों से है। यह बात सामने आने के बाद इस बात की आशंका बढ़ जाती है कि केजरीवाल अपने छुपे एजेंडे पर काम कर रहे हैं। आखिर उनका छुपा एजेंडा क्या है और इन देश विरोधी लोगों से संबंध क्या है। गुजरात के लोगों को विदेशी फंड से चलने वाली हिंदू विरोधी और भारत विरोधी एनजीओ और उनके संस्थापकों के साथ उनके संबंधों के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए। ये लोग हैं शबनम हाशमी, गगन सेठी, हर्ष मंदर, और अन्य विदेशी-वित्त पोषित प्रचार कार्यकर्ता। ये सभी लोग विदेशी वित्त पोषित एनजीओ चलाते हैं, जिसमें उन्हें फोर्ड फाउंडेशन, सोरोस, क्रिश्चियन चर्च और अन्य पश्चिमी संस्थाओं से फंड मिलता है। इन दिनों कई रिपोर्ट इस तरह की भी आई हैं कि कुछ विदेशी ताकतें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करना चाहती है। क्योंकि मोदी के रहते भारत में उनकी दाल नहीं गल रही है। इसीलिए इन ताकतों ने अब लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम को नफरत फैलाने का जिम्मा सौंपा है और केजरीवाल एवं उनके करीबी गोपाल इटालिया इसके अगुवा बने हुए हैं।
2. These people are Shabnam Hashmi, Gagan Sethi, Harsh Mander, and other foreign-funded propaganda activists.
All these people run cartels of foreign-funded NGOs, in which They get funds from the Ford Foundation, Soros, Christian Churches, and other Western entities. pic.twitter.com/RYAb6MhYV2
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 16, 2022
केजरीवाल के संबंध आतंकवादी का केस लड़ने वालों से क्यों?
केजरीवाल के संबंध शबनम हाशमी, गगन सेठी, हर्ष मंदर, और अन्य विदेशी फंड से चलने वाली एनजीओ के सदस्यों से है। ये सभी लोग विदेशी वित्त पोषित एनजीओ के कार्टेल चलाते हैं, जिसमें उन्हें फोर्ड फाउंडेशन, सोरोस, क्रिश्चियन चर्च और अन्य पश्चिमी संस्थाओं से फंड मिलता है। विदेशी फंड की मदद से ये लोग आतंकवादी का केस लड़ते हैं, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का विरोध करते हैं और देश की विकास परियोजनाओं का विरोध करते हैं और उसमें अड़ंगा डालते हैं। यहां यह सवाल उठता है कि इस तरह के देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों से केजरीवाल के संबंध क्यों हैं? वह भारत की बेहतरी के लिए कार्य कर रहे हैं या देश को कमजोर करने के लिए?
4. NGO of Shabnam Hashmi was fighting the case for terrorist Ishrat Jahan who came to kill than CM of Gujarat Narendra Modi!⅝ pic.twitter.com/JJzTAxYVES
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 16, 2022
शबनम हाशमी के एनजीओ ने आतंकवादी इशरत जहां का केस लड़ा
शबनम हाशमी का एनजीओ आतंकवादी इशरत जहां के लिए केस लड़ रहा था। वही इशरत जहां जो गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी को मारने के लिए आई थी! 15 जून 2004 को मुंबई के नजदीक मुंब्रा की रहने वाली 19 साल की इशरत जहां गुजरात पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारी गई थी। इस मुठभेड़ में जावेद शेख उर्फ प्रग्णेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर भी मारे गए थे। पुलिस ने कहा था कि मुठभेड़ में मारे गए चारों लोग आतंकवादी थे और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की साजिश रच रहे थे।
5. These people oppose development projects.
So countries who fund them can grow but India can't.
You can see Shabnam Hashmi with AAP candidate Medha Patkar in this photo pic.twitter.com/75Axxob9mI
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 16, 2022
शहरी नक्सली मेधा पाटकर ने कच्छ को पांच दशक तक पानी से वंचित रखा
ये लोग विकास परियोजनाओं का विरोध करते हैं। इसलिए जो देश उन्हें फंड देते हैं वे विकास कर सकते हैं लेकिन भारत नहीं कर सकता। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा था कि अब जब नर्मदा का पानी कच्छ पहुंच गया है, तो हमें यह भी याद रखना चाहिए कि वे लोग कौन थे जिन्होंने करीब पांच दशकों से कच्छ को इस पानी से वंचित रखा था। हम सभी जानते हैं कि नर्मदा बांध परियोजना का विरोध करने वाले शहरी नक्सली कौन थे। उन शहरी नक्सलियों में से सबसे आगे थी मेधा पाटकर। हम सभी जानते हैं कि ये लोग किस राजनीतिक दल से जुड़े हैं और इनकी पॉलिटिकल सोच क्या है शबनम हाशमी को आम आदमी पार्टी से जुड़ी मेधा पाटकर के साथ देखा सकता है। इससे इनके बीच गठजोड़ का पता चलता है और साथ ही यह भी पता चलता है कि भारत के विकास के खिलाफ साजिश में किस तरह ये लोग एक एकजुट हैं। शबनम हाशमी का एनजीओ और वह स्वयं सभी आंदोलनजीवी लोगों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं!
7. Here comes one more foreign-funded NGO 'Kabir' co-founder Manish Sisodia.
It seems that they work very closely.
He is going to play the victim card in the next few days but the media will not ask about this to him! pic.twitter.com/SSgtl37zgN
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 16, 2022
एनजीओ ‘कबीर’ के सह-संस्थापक हैं मनीष सिसोदिया
एक और विदेशी वित्त पोषित एनजीओ ‘कबीर’ के सह-संस्थापक मनीष सिसोदिया हैं। ऐसा लगता है कि वे लोग बहुत बारीकी से काम करते हैं। वह अगले कुछ दिनों में विक्टिम कार्ड खेलने वाला है लेकिन मीडिया उससे इस बारे में नहीं पूछेगा! सिसोदिया ही नहीं, ऐसा लगता है कि आप का शबनम हाशमी और विदेशी फंड से चलने वाले एनजीओ चलाने वाले ऐसे ही लोगों के साथ बहुत खास सहयोग है!
8. Not Only Sisodia it seems that AAP has a very special collaboration with Shabnam Hashmi and similar people who run foreign-funded NGOs! pic.twitter.com/dZ09uin6zQ
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 16, 2022
शबनम हाशमी के एक अन्य एनजीओ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि मनीष सिसोदिया और आतिशी मार्लेना!
10. It seems before joining AAP Gujarat as a president, Gopal Italia was under training with Shabnam Hashmi and her NGO https://t.co/YBhEosWdsy
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 16, 2022
ऐसा लगता है कि आप गुजरात में अध्यक्ष के रूप में शामिल होने से पहले, गोपाल इटालिया, शबनम हाशमी और उनके एनजीओ के साथ प्रशिक्षण ले रहे थे।
बीजेपी गुजरात ने आम आदमी पार्टी,गुजरात के अध्यक्ष गोपाल इटालिया का एक वीडियो सार्वजनिक किया.
इस वीडियो में गोपाल इटालिया पीएम मोदी को नीच और पीएम मोदी कि मां हीरा बा को नाटकबाज बता रहे है। pic.twitter.com/r6GGnj6LrR
— Janak Dave (@dave_janak) October 13, 2022
गोपाल इटालिया लेफ्ट लिबरल गैंग और विदेशी फंड से चलने वाले एनजीओ का हैं हिस्सा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी और आम आदमी पार्टी (आप) की गुजरात प्रदेश के अध्यक्ष गोपाल इटालिया इन दिनों अपनी बदजुबानी के लिए चर्चा में हैं। गुजरात में चुनाव है और वहां पीएम मोदी और भारत को कमजोर वाली ताकतें सक्रिय हो गई हैं और उन्होंने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस के साथ ही अरविंद केजरीवाल और उनके करीबी गोपाल इटालिया को यह काम सौंप दिया है। गोपाल इटालिया यूं ही नहीं पीएम मोदी को ‘नीच’ और उनकी मां को नौटंकीबाज कह रहे हैं। गुजरात की महिलाओं का अपमान, महिलाओं को ‘सी’ शब्द से संबोधित करना, मंदिर और कथाओं में जाने वालों का अपमान करना, सनातन धर्म का अपमान करना… ये सब एक सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है। यह रणनीति उस लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम का है जो विदेशी ताकतों के इशारे पर नाचते हैं। आजादी के बाद से कांग्रेस जहां वर्षों तक विदेशी ताकतों का पिछलग्गू बनी रही है, वहीं पीएम मोदी के सत्ता संभालने के बाद ये ताकतें असहाय महसूस कर रही हैं। इसीलिए इन ताकतों ने अब लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम नफरत फैलाने का नया जिम्मा सौंपा है और केजरीवाल और गोपाल इटालिया इसके अगुवा बने हुए हैं।
2. In 2018 Anti Hindu and foreign-funded Shabnam Hashmi and his NGO arranged a program with the name " Dismantling India"
In Ahmedabad Gopal Italia and Altnews owner Nirjhari Sinha attended this event along with a few other communists pic.twitter.com/0WQ9wjsEXw
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 11, 2022
अर्बन नक्सलियों का एजेंडा है भारत तोड़ो
ट्विटर यूजर विजय पटेल ने इटालिया की लेफ्ट लिबरल गैंग के साथ सांठ-गांठ पर ट्वीट की एक श्रृंखला प्रकाशित की है जो उनके भारत तोड़ो, गुजरात दंगों, शाहीन बाग, अर्बन नक्सलियों से गठजोड़ का खुलासा करते हैं। 2018 में हिंदू विरोधी और विदेशी फंड से एनजीओ चलाने वाली शबनम हाशमी और उनके एनजीओ ने “डिसमेंटलिंग इंडिया” नाम से एक कार्यक्रम आयोजित किया। अहमदाबाद में गोपाल इटालिया और ऑल्टन्यूज़ की मालिक निर्झरी सिन्हा कुछ अन्य कम्युनिस्टों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
शबनम हाशमी हमेशा मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार के खिलाफ आवाज़ें उठाती रही थीं। पीएम मोदी जब केंद्र की सत्ता में आए तब उन्होंने कहा था, “आवाज़ें उठती रहेंगी जैसे पहले उठती थीं। असहमति और विरोध रहेंगे लेकिन इसे दबाने की कोशिशें अब बहुत ज़्यादा बढ़ जाएंगी और अब दमन अधिक बढ़ जाएगा। लेकिन आवाज़ें तो हिटलर के खिलाफ़ भी उठी थीं। उसके जो भी नतीजे हों आवाज़ें तो उठती रहेंगी।”
“डिसमेंटलिंग इंडिया” एक पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट थी जिसके लेखक एन रामदास (AAP के पूर्व लोकपाल और फोर्ड फाउंडेशन से जुड़े), हर्ष मंदर, कम्युनिस्ट कविता कृष्णन, विदेश से वित्त पोषित कॉलिन गोंजाल्विस और कई अन्य कम्युनिस्ट और उनके समर्थक हैं।
3 Writers of this biased report are N Ramdas (former AAP Lokpal and associated with Ford Foundation), Harsh Mander, communist Kavita Krishnan, Foreign-funded Colin Gonsalves, and many other communists and their supporters. pic.twitter.com/eWhRWjdLnU
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 11, 2022
शबनम हाशमी, मेधा पाटकर, तीस्ता सीतलवाड़ और केजरीवाल एक ही इकोसिस्टम का हिस्सा
शबनम हाशमी अनहद एनजीओ की संस्थापक हैं, जिसने अतीत में कई ईसाई गैर सरकारी संगठनों से धन प्राप्त किया है। उनका एनजीओ मेधा पाटकर और तीस्ता सीतलवाड़ जैसे विदेशी वित्त पोषित कार्यकर्ताओं के साथ भी काम करता है। शबनम हाशमी ने सीएए का विरोध किया था और किसान आंदोलन के दौरान अराजकता फैलाने वालों का समर्थन किया था। वह गहरे वामपंथी और विदेशी वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों का हिस्सा हैं। कृषि कानूनों की वापसी और अन्य मुद्दों पर केंद्र सरकार से सहमति होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किसान आंदोलन स्थगित किए जाने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुशी जताई थी। उन्होंने इसे लोकतंत्र की जीत बताते हुए इसके लिए पूरे देश को बधाई दे दी थी। इससे यह साफ होता है कि शबनम हाशमी और केजरीवाल एक ही इकोसिस्टम का हिस्सा हैं।
8. In 2018 he was actively working with Shabnam Hashmi and with her NGO.
You can see him with Shabnam Hashmi in this pre-planned interview. pic.twitter.com/IDHPr5Qnwb— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 11, 2022
अगर आपको लगता है कि गोपाल इटालिया ने शबनम हाशमी के साथ सिर्फ एक इवेंट में हिस्सा लिया है, तो आप गलत हैं। 2018 में वह सक्रिय रूप से शबनम हाशमी और उनके एनजीओ के साथ काम कर रहे थे। इस प्री-प्लांड इंटरव्यू में आप उन्हें शबनम हाशमी के साथ देख सकते हैं।
10. He is the founder of Janvikas NGO which is funded by the Ford Foundation and other foreign NGOs
Is it just a coincidence that Arvind Kejriwal has also received funds and awards from the ford foundation? pic.twitter.com/C5aU5CNbm0— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 11, 2022
फोर्ड फाउंडेशन से केजरीवाल और गगन सेठी के क्या हैं रिश्ते?
अब मिलिए एक और शख्स गगन सेठी से। सेठी फोर्ड फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों के कार्टेल के लिए काम करता है। वह ऑक्सफैम के लिए भी काम करता है। गगन सेठी जनविकास एनजीओ के संस्थापक हैं, जिसे फोर्ड फाउंडेशन और अन्य विदेशी गैर सरकारी संगठनों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। क्या यह महज इत्तेफाक है कि अरविंद केजरीवाल को भी फोर्ड फाउंडेशन से फंड और अवॉर्ड मिल चुके हैं? क्या यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल ने इटालिया को आप गुजरात का अध्यक्ष और सीएम उम्मीदवारों में से एक बनाया है? सोचिए अगर आप गुजरात में सत्ता में आती है तो सरकार कौन चलाएगा? शबनम हाशमी, मेधा पाटकर, तीस्ता सीतलवाड़, हर्ष मंदर और अन्य सभी कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं जैसे विदेशी वित्त पोषित लोग, जिन्होंने गुजरात में हर बड़ी बुनियादी परियोजनाओं के खिलाफ एक बड़ी भूमिका निभाई है।
2. Meet Dev Desai, He is a trustee of NGO ANHAD. He is working with the Foreign-funded and anti-Hindu NGO ANHAD since many years. pic.twitter.com/Fj9B45flio
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 13, 2022
एनजीओ अनहद के ट्रस्टी और गोपाल इटालिया के दोस्त हैं देव देसाई
अब देव देसाई से मिलिए। वह एनजीओ अनहद के ट्रस्टी हैं। वह कई वर्षों से विदेशी वित्त पोषित और हिंदू विरोधी एनजीओ अनहद के साथ काम कर रहे हैं। वह आप गुजरात अध्यक्ष गोपाल इटालिया के बहुत अच्छे दोस्त हैं। आप उन्हें गोपाल इटालिया के साथ कई आयोजनों में देख सकते हैं! वह केवल दोस्त नहीं हैं बल्कि उस एनजीओ के लिए भी काम कर रहा था।
4. Now Let me show you how much deep root his friend Dev Desai has with the anti-Hindu leftist ecosystem!
Here you can see him with people like Umar Khalid, Shaila Raseed, Sanjeev Bhatt, and Medha Patkar! pic.twitter.com/xxdL526oEA— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 13, 2022
हिंदू विरोधी तंत्र से गहरे जुड़े हैं देव देसाई
अब देखिए इटालिया के मित्र देव देसाई की हिंदू विरोधी वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र से कितनी गहरी जड़ें हैं! यहां आप उन्हें उमर खालिद, शैला रसीद, संजीव भट्ट और मेधा पाटकर जैसे लोगों के साथ देख सकते हैं!
5. It seems that he has a special friendship with Jignesh Mevani pic.twitter.com/W9deVwNpxD
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 13, 2022
जिग्नेश मेवाणी भी इसी गठजोड़ का हैं हिस्सा
जिग्नेश मेवाणी से उनकी खास दोस्ती है। मेवाणी इस समय कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। हालांकि, पार्टी की सदस्यता के बिना ही जिग्नेश मेवाणी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने को लेकर भी कई तरह के सवाल भी उठे।
7. You can add one more person Kanhaiya Kumar to his friendship. pic.twitter.com/56UtdYhpea
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 13, 2022
कन्हैया कुमार भी इसी इकोसिस्टम से जुड़े हैं
एक और शख्स कन्हैया कुमार को उसके दोस्तों में शामिल कर सकते हैं। कन्हैया कुमार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो चुके हैं। कन्हैया ने आतंकवादी अफजल गुरु और मकबूल भट की फांसी की सजा के खिलाफ प्रदर्शन किया था। जेएनयू में कन्हैया कुमार की ओर से ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ के नारे लगाये गये थे।
8. You can see that these people have direct contact with Big Congress politicians too! pic.twitter.com/qcOg7rQX7Z
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 13, 2022
कांग्रेस के बड़े नेताओं से भी है इनका संपर्क
इससे जाहिर होता है कि इन लोगों का सीधा संपर्क कांग्रेस के बड़े नेताओं से भी है! क्या यही वजह है कि गुजरात की राजनीति में कांग्रेस सक्रिय नहीं है? क्या यही कारण है कि कांग्रेस ने गुजरात में अभी तक अपना अभियान शुरू नहीं किया है? क्या कांग्रेस और आप के बीच डील हो चुकी है?
14. So These NGOs get a donation for relief work or protest against the government?
You will find them in every protest! Be it an Anti-CAA protest, Farmer protest or Protest against any development projects. For example, Sardar Sarovar Dam. pic.twitter.com/dToUPc0nOG— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 13, 2022
क्या ये एनजीओ सरकार का विरोध करने के लिए लेते हैं चंदा
इन एनजीओ को देश में राहत कार्य के लिए चंदा मिलता है या सरकार का विरोध करने के लिए? देश में जहां कहीं धरना प्रदर्शन होता है आप उन्हें हर विरोध में पाएंगे! चाहे वह सीएए का विरोध हो, किसान आंदोलन हो या किसी भी विकास परियोजना के खिलाफ विरोध हो। उदाहरण के तौर पर सरदार सरोवर बांध का विरोध हम सबने देखा है।
15. Even you will find them in propaganda against our army. These people will target our army in the name of support to Kashmir. pic.twitter.com/gslP7qhCfJ
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 13, 2022
कश्मीर के बारे में दुष्प्रचार भी है इनका एजेंडा
यहां तक कि आप उन्हें हमारी सेना के खिलाफ प्रचार में भी पाएंगे। ये लोग कश्मीर को समर्थन देने के नाम पर हमारी सेना को निशाना बनाते हैं। देश अगर देशविरोधी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करता है तो ये उसका विरोध करते हैं। देश अगर सर्जिकल स्ट्राइक करता है तो ये उसका सबूत मांगते हैं।
16. Here is Dev Desai with Altnews owner Nirhari Sinha.
This is the reason why Zubair was targeting @NCWIndia President in the favor of Gopal Italia! pic.twitter.com/8EisC2HZiC
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 13, 2022
Altnews के जुबैर इसीलिए करते हैं गोपाल इटालिया का समर्थन…
यहां Altnews की मालिक निर्झरी सिन्हा के साथ देव देसाई हैं। यही वजह है कि जुबैर राष्ट्रीय महिला आयोग को निशाना बना रहे थे और गोपाल इटालिया का समर्थन कर रहे थे।
17. Her son and co-founder of a propaganda website Altnews Pratik Sinha has tried to instigate Dalits by organizing a rally and media and social media campaign after the Una incident with the same people and cartel pic.twitter.com/3HjDyflqFx
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 13, 2022
Altnews की मालिक निर्झरी सिन्हा के बेटे और एक प्रोपेगेंडा वेबसाइट Altnews के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने उन्हीं लोगों और कार्टेल के साथ ऊना की घटना के बाद एक रैली की और मीडिया और सोशल मीडिया अभियान चलाकर दलितों को भड़काने की कोशिश की है।