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उपलब्धियां 2017: आदिवासी कल्याण की कई योजनाएं आगे बढ़ीं, देखिए जनजातीय कार्य मंत्रालय के 10 बड़े कदम

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार जनजातीय समाज के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2017 के दौरान सरकार ने इस समुदाय के विकास के लिए कई बड़े कदम उठाये हैं। एक नजर मंत्रालय के 10 कदमों पर:

1. बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने में तेजी

जनजातीय मंत्रालय ने जनजातियो के सामाजिक- आर्थिक विकास के लिए वर्ष भर अपना प्रयास लगातार जारी रखा।  जनजातीय समाज की उचित शिक्षा, भवन, और अन्य ज़रूरी योजनाओं से समाज में व्याप्त अंतर को कम करने की कोशिश की गई। बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के प्रयास में मंत्रालय लगातार सभी योजनाओं की समीक्षा कर भी रहा है।

2. जनजातीय कार्य योजनाओं के लिए बजट बढ़ा

जनजातीय कार्य मंत्रालय के लिए वार्षिक बजट वर्ष 2016-17 में 4827.00 करोड़ से बढ़कर  वर्ष 2017-18 में  5329.00 करोड़ कर दिया गया। इसके अलावा सभी मंत्रालयों में जनजाति कल्याण हेतु बजट 24,005.00 करोड़ से बढ़कर 31,920.00 करोड़ हो गया। पब्लिक फाइनेंसियल सिस्टम को लागू करके मंत्रालय जारी धनराशि के सदुपयोग और पारदर्शिता पर ध्यान रख रहा है।

3. जनजाति कल्याण हेतु धनराशि की देखरेख   

सरकार के ABR ने जनवरी 2016 में इस मंत्रालय को यह निर्देश दिया था कि वह‘ट्राइबल सब प्लान’ के अंतर्गत दी जाने वाली धनराशि की देखरेख करे जिसे नीति आयोग ने तैयार किया है। इसकी देखरेख के लिए एक ऑनलाइन सिस्टम भी बना है जिसका लिंक stcmis.nic.in.है। इस वर्ष 15 दिसंबर तक 68% धनराशि विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों एवं विभागों द्वारा जारी की जा चुकी है जो जनजातियों के कल्याण की विभिन्न योजनाओं जैसे – शिक्षा, स्वास्थ्य. कृषि, सिंचाई, सड़क, भवन, बिजली, रोजगार उत्पादन एवं कौशल निर्माण पर खर्च किया गया है ।

4. एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल की योजना   

पिछले तीन वर्षों में 51 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल  बनाए गए। 2017-18 में 14 ऐसे स्कूलों को मंजूरी दी गई जिसके लिए 322.10 करोड़ की राशि जारी की गई। अब 190 से बढ़ाकर ऐसे 271 स्कूलों की मंजूरी मंत्रालय दे चुका है ।

5. कौशल विकास पर जोर

165 करोड़ की धनराशि विभिन्न राज्यों को विशेष केन्द्रीय सहायता योजना के तहत जारी की जा चुकी है जो 71 हज़ार से ज्यादा पुरुष/महिला जनजाति लाभार्थियों के कौशल विकास के लिए है। यह प्रशिक्षण कार्यालय प्रबंधन, सोलर टेक्नीशियन, इलेक्ट्रीशियन, ब्यूटिशियन, हस्तकारीगर, मजदूरी कार्य से लेकर सुरक्षाकर्मी, गृह प्रबंधन, खुदरा दुकानदारी, हॉस्पिटैलिटी, ईको-पर्यटन एवं एडवेंचर पर्यटन जैसे क्षेत्रों के लिए है।

6. जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए संग्रहालयों का निर्माण

सरकार अपनी इच्छानुसार जनजातीय संग्रहालयों का निर्माण उन राज्यों में कर रही है जहां ये लोग रहे, अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया और सिर झुकाने से इनकार किया। सरकार ऐसे राज्यों में प्रतीक रूप में जनजातीय संग्रहालय बनाएगी जिससे आने वाली पीढ़ियां यह जान सकें कि किस प्रकार हमारी ये जनजातियां बलिदान देने में कितनी आगे थीं।

7. अति संवेदनशील जनजाति समूहों के अंतर्गत पहल 

मंत्रालय अति संवेदन शील जनजाति समूहों के विकास हेतु धनराशि 270 (2016-17) करोड़ से बढाकर 340 (2017-18) करोड़ कर चुका है। राज्य सरकारों को विभिन्न स्तरों पर खर्च करने की आजादी दी गई है। के पारंपरिक शिल्प, पारंपरिक औषधीय प्रक्रिया,खानपान एवं सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने पर ध्यान दिया जा रहा है ।

 8. प्रीमैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति

प्रीमेट्रिक छात्रवृत्ति के लिए आर्थिक सहायता 212.19करोड़ से बढ़ाकर 265 करोड़ कर दी गई है। जबकि पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति  के लिए आर्थिक सहायता 212.19करोड़ से बढ़ाकर 265.00करोड़ कर दी गई है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा है। इसके साथ ही जनजातीय विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा हेतु राष्ट्रीय अनुदान एवं छात्रवृत्ति योजना भी है।

9. अनुदान योजना अब मंत्रालय के पास

मंत्रालय ने अनुदान योजना को यूजीसी से अपने हाथो में ले लिया है ताकि विद्यार्थियों तक पैसा समय से पहुंचे । अनुदान में दिव्यांगों को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जा रही है। मंत्रालय ने पोर्टल विकसित कर मंत्रालय के NIC सर्वर का इस्तेमाल किया जा रहा है ।

10. आदि महोत्सव का आयोजन

जनजातिकार्य मंत्रालय ने ट्रिफेड (TRIFED) के सहयोग से एक राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का आयोजन 16 नवम्बर 2017 से 30 नवम्बर 2017 तक किया। इस महोत्सव की शुरुआत महान आदिवासी जन नेता और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के 142वें जन्मदिवस पर की गई। आदिवासी संस्कृति कला, शिल्प, खानपान और व्यवसाय का यह महोत्सव दिल्ली में 15 दिन तक लाखों दिल्लीवासियों के बीच मनाया गया।

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