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नई आबकारी नीति पर केजरीवाल का यूटर्न, लागू रहेगी पुरानी शराब नीति, एलजी ने पूरी दिल्ली को मयख़ाना बनाने से रोका

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शराब ठेकेदारों के साथ मिलकर दिल्ली शराब मॉडल तैयार किया है। इसके जरिए राष्ट्रीय राजधानी को मयख़ाना बनाने की कोशिश की जा रही है। ताकि लोगों की जेब खाली होती रहे, शराब ठेकेदार मालामाल होता रहे और रेवड़ी कल्चर को बढ़ावा देने के लिए केजरीवाल सरकार का खजाना भी भरता रहे। फिलहाल उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। उपराज्यपाल के सख्त रूख के बाद केजरीवाल सरकार ने यूटर्न लेते हुए अगले 6 महीनों के लिए राजधानी में पुरानी आबकारी नीति ही लागू करने का फैसला किया है। केजरीवाल सरकार ने फैसला ऐसे वक्त पर लिया है, जब पुरानी आबकारी नीति के खत्म होने में केवल दो दिन का ही समय बचा है।

केजरीवाल को सता रहा है सिसोदिया की गिरफ्तारी का डर

दरअसल दिल्ली की ‘आबकारी नीति 2021-22’ की अवधि 31 मार्च तक के लिए थी, लेकिन केजरीवाल सरकार ने इसे दो बार 2-2 महीने के लिए आगे बढ़ा दिया था और ये नीति 31 जुलाई को खत्म होने वाली थी। इसी बीच एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी, जिसमें आबकारी मंत्रालय संभाल रहे दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये गए हैं। इससे राजधानी में सियासी माहौल गर्मा गया। अरविंद केजरीवाल को अब डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का डर सता रहा है।

शराब कारोबारियों से मिलकर 144 करोड़ रुपये का घोटाला

केजरीवाल सरकार ने नई आबकारी नीति के जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया है। लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की है। इस नीति के तहत टेंडर के बाद कोरोना के बहाने शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपये के लाइसेंस की फीस माफ की गई। रिश्वत के बदले शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया गया। इससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा है। आरोप लगाये जा रहे हैं कि नई आबकारी नीति लाने का मुख्य उद्देश्य शराब ठेकेदारों और कारोबारियों को लाभ पहुंचाना है।

दिल्ली को मयख़ाना बनाकर रेवड़ी के लिए पैसे का जुगाड़

केजरीवाल सरकार ने पिछले साल अपनी नई आबकारी नीति लागू की थी, जिसके तहत निजी संचालकों को ओपन टेंडर से खुदरा शराब बिक्री के लाइसेंस जारी किए गए थे। अब तक, नई पॉलिसी लागू होने के बाद दिल्ली के 32 जोन में कुल 850 में से 650 दुकानें खुल चुकी हैं। केजरीवाल सरकार दिल्ली में शराब के ठेके खोलने पर जोर दे रही है, ताकि शराब की बिक्री बढ़ाकर अपना खजाना भर सके। सच्चाई यह है कि दिल्ली में मुफ्त की रेवड़ी की वजह से सरकार का खजाना खाली हो चुका है। इसलिए केजरीवाल सरकार पैसे का जुगाड़ दिल्ली को मयख़ाना बनाकर करना चाहती है।

शराब कारोबारियों के साथ केजरीवाल ने किया धोखा

केजरीवाल सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत शराब कारोबारियों के साथ भी धोखा किया है। उन्हें कई सहूलियतें देकर जहां उन्हें करोड़ों रुपये दुकान लेने और शराब स्टॉक करने पर खर्च के लिए प्रेरित किया। अब नई शराब नीति वापस लेकर उन्हें मुश्किल में डाल दिया है। इससे जहां शराब का सेवन करने वालों की परेशानी बढ़ेगी, वहीं, शराब की दुकानों के शटर डाउन करने पड़ सकते हैं। इतना ही नहीं पुरानी नीति लागू हुई तो रेस्तरां, पब समेत अन्य विक्रेताओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

सवालों के घरे में केजरीवाल की नई आबकारी नीति

केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति में कई खामियां हैं। सवाल उठ रहे हैं कि किस एजेंसी ने केजरीवाल सरकार को बताया की किस इलाके में किस दुकान की क्या बेस प्राइस हो? कैसे तय कर लिया कि एक निगम वार्ड में कितनी दुकान हो ? कैसे वेंडर के कमिशन को 2 प्रतिशत से 12 प्रतिशत कर दिया गया ? क्या दिल्ली के लोग कौन से ब्रांड की शराब पिएंगे यह दिल्ली के लोग नहीं बल्कि शराब के ठेकेदार तय करेंगे ? क्या शराब की बोतल की कीमत सरकार की जगह ठेकेदार तय करेंगे ?

नई नीति से शराब को बढ़ावा दे रही केजरीवाल सरकार

गौरतलब है कि नई आबकारी नीति में शराब को प्रमोट किया गया है। इसमें शराब की होम डिलीवरी सहित कई नई सिफारिशें शामिल हैं। आबकारी विभाग फिलहाल इस नीति पर अभी काम कर ही रहा है। आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ड्राफ्ट पॉलिसी को मंजूरी के लिए एलजी वीके सक्सेना के पास भेजना अभी बाकी है। आइए देखते हैं केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति की मुख्य बातें…

नई आबकारी नीति की मुख्य बातें

  • निगमों से शराब की बिक्री वापस लेकर पूर्णत: निजी हाथों में सौंप दी गई
  • दिल्ली में शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 वर्ष की गई
  • बार, क्लब्स और रेस्तरां को रात 3 बजे तक दुकान खोलने की छूट
  • तीन दिन ही ड्राई डे यानी दुकानें साल में 3 दिन बंद करने की अनुमति
  • पिंक बूथ खोलने की अनुमति दी गई थी ताकि महिलाएं शराब का सेवन कर सकें
  • रेस्तरां व बार को शराब बिक्री केंद्र से ही शराब खरीदने की अनुमति
  • शराब बिक्री केंद्र को एमआरपी पर छूट देने की अनुमति थी

आइए देखते हैं केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं ने कब-कब बोला झूठ और लिया यू-टर्न

राजनीति में जाति-धर्म का कोई स्थान नहीं, लेकिन पंजाब में लिया यूटर्न

मुख्यमंत्री केजरीवाल अपने ही बातों, बयानों, आरोपों और वादों से झूठ बोलकर यू-टर्न लेने में महारत हासिल कर चुके हैं। केजरीवाल जाति-धर्म की राजनीति करते हुए अपनी नाकामी और गलती छिपाने के लिए दूसरे को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। अपनी बातों से मुकर भी जाते हैं। यू-टर्न से बात ना बनने पर माफी भी मांग लेते हैं। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 21 जून,2021 को पंजाब के एक दिवसीय दौर पर एलान किया कि उनकी पार्टी की ओर से राज्य का सीएम उम्मीदवार सिख समाज से होगा। केजरीवाल ने कहा, ”पंजाब में आम आदमी पार्टी का सीएम चेहरा सिख समाज से होगा। क्योंकि हमें ये लगता है कि पूरी दुनिया के अंदर पंजाब ही एक स्टेट है जिसका सीएम सिख समाज से है।”

गौरतलब है कि केजरीवाल ने दिल्ली का सीएम बनने से पहले भ्रष्टाचार ही नहीं जाति से ऊपर उठकर राजनीति करने की वकालत की थी लेकिन पंजाब में जाते ही उन्होंने यू टर्न ले लिया। जबकि केजरीवाल ने खुद कहा था कि राजनीति में जाति-धर्म का कोई स्थान नहीं है।

राजनीति में न आने की बात पर मारा यू-टर्न 
अन्ना आंदोलन के दौरान कहा करते थे- राजनीति करने नहीं आया हूं, मुझे संसद नहीं जाना, पीएम-सीएम नहीं बनना, मैं भ्रष्टाचार मिटाने निकला हूं। लेकिन यू टर्न लेते हुए 26 नवंबर, 2012 को केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन कर लिया। और अब दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। 

अन्ना की बात मानने पर किया यू-टर्न
अरविन्द केजरीवाल कहा करते थे कि जो अन्ना कहेंगे वही कहूंगा। पर अन्ना ने जब राजनीतिक दल बनाने पर हामी भरने से इनकार कर दिया तो ‘जनता की राय’ के बहाने नयी पार्टी बना डाली। अपने गुरु को अकेला छोड़ दिया। उनकी बातें ही इसका सबूत हैं-

कांग्रेस से समर्थन न लेने पर मारा यू-टर्न
केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि सरकार बनाने के लिए वो कांग्रेस को ना समर्थन देंगे ना कांग्रेस से समर्थन लेंगे। लेकिन सत्ता के लोभ में यू-टर्न ले लिया। कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में पहली बार सरकार बनायी और मुख्यमंत्री बन बैठे। 31 जनवरी 2015 को एक ट्वीट किया, जो उनके डर को दिखाता है और यह भी बताता है कि सत्ता के लिए वह हर काम करने के लिए तैयार है। इस ट्वीट को उन्होंने दस मिनट अपने एकाउंट से हटा दिया था।

सरकारी सुविधाएं न लेने पर मारा यू-टर्न
केजरीवाल कहा करते थे कि वो सरकारी बंगला, गाड़ी और लालबत्ती नहीं लेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर न सिर्फ खुद के लिए बल्कि अपने तमाम मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के लिए भी सरकारी एश-ओ-आराम हासिल किए।

जनलोकपाल देने के वादे पर मारा यू-टर्न
सरकार में आने के बाद 15 दिन में जनलोकपाल लाने का वादा किया, पर वो वादा भी अधूरा रहा। 

शीला दीक्षित के खिलाफ जांच पर मारा यू-टर्न 
शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले उठाने वाले अरविन्द केजरीवाल चुप रहे। उन्होंने कहा था कि शीला दीक्षित के खिलाफ 370 पन्नों का सबूत है और सीएम बना तो वो 2 दिन में जेल जाएंगी। लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर लम्बी चुप्पी साध ली, फिर भेज दी केन्द्र को रिपोर्ट।

दिल्ली छोड़कर न जाने पर यू-टर्न
सत्ता को अपनी मर्जी से चलाने की ऐसी सनक सवार थी कि जब उन्होंने देखा कि केन्द्रशासित राज्य दिल्ली में शासन करना आसान नहीं है, तो उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिल्ली का काम सौंप कर पंजाब और गुजरात में चुनाव प्रचार करने चल दिए। प्रचार अभियान में खुलासा हुआ कि अरविंद केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री बनेगें। इससे दिल्ली के लोग नाराज हो गये क्योंकि उनका मुख्यमंत्री किसी दूसरे राज्य का मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहा था जबकि दिल्ली में समस्याओं का अंबार लगा था। 

भ्रष्टाचार से उत्पन्न कालेधन को खत्म करने पर यू-टर्न
केजरीवाल के अन्ना आंदोलन का मूल उद्देश्य देश से भ्रष्टाचार को खत्म करना था। इस भ्रष्टाचार की जड़ में देश का कालाधन था जिसे खत्म करने के लिए मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी अभियान शुरू किया। लेकिन केजरीवाल ने इसका जमकर विरोध किया क्योंकि उन्हें पीएम मोदी का विरोध करना था। ममता बनर्जी के साथ मिलकर नोटबंदी के खिलाफ जनसभा की और मोर्चा निकाला, जिसकी हवा निकल गई। केजरीवाल ने ट्विटर पर झूठी बातों का प्रचार किया।

देशभक्ति की भावना पर केजरीवाल का यू-टर्न 
देशभक्ति के तराने गाने वाले अरविन्द केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक पर भी अपने देश की सरकार के दावे पर उंगली उठाई। पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे। जिसको लेकर सोशल मिडिया पर उनकी काफी थू-थू हुई।

भष्टाचारियों का न साथ देने पर मारा यू-टर्न
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर भ्रष्टाचार के लिए लगातार उंगली उठाते रहे अरविन्द केजरीवाल बिहार में चुनाव के दौरान यू-टर्न लेते दिखे, जब वो सार्वजनिक मंच पर लालू से गले मिले।

पार्टी को मिले दान को लेकर लिया यू-टर्न 
राजनीति को पाक-साफ करने के इरादे से आई आम आदमी पार्टी और उसके संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने पार्टी की वेबसाइट से दानदाताओं की सूची गायब कर दी। चंदे को लेकर दूसरी पार्टियों पर सवाल उठाने वाली आम आदमी पार्टी ने वेबसाइट रीलांच के नाम पर दानदाताओं की लिस्ट के ऑप्शन ही हटा दिया है। इससे पहले डोनर लिस्ट ऑप्शन पर क्लिक करने पर टेक्लिकल प्रॉब्लम बताकर पेज नहीं खुलता था। हालांकि वेबसाइट में चंदा देने के लिए डोनेशन का ऑप्शन रखा गया है। इस तरह से केजरीवाल ने डोनेशन के मामले में यू-टर्न ले लिया है। 

धारा 144 लगाने पर केजरीवाल का यू-टर्न
केजरीवाल ने 23 दिसम्बर, 2012 को ट्वीट करते हुए धारा 144 को गलत बताया था। आगे भी अपने और साथियों के खिलाफ इस धारा के इस्तेमाल को गलत करार दिया था। लेकिन सत्ता में आने पर उन्होंने खुद अपने ही पूर्व साथियों के खिलाफ इस धारा का तब इस्तेमाल किया जब विधानसभा के बाहर वो प्रदर्शन कर रहे थे।


सतलुज-यमुना लिंक नहर पर केजरीवाल का यू-टर्न
विधानसभा चुनाव के दौरान पंजाब को ललचाई नजर से देख रहे अरविन्द केजरीवाल ने सतलज यमुना लिंक के पानी पर पंजाब का अधिकार तो बता दिया लेकिन जैसे ही हरियाणा सरकार ने मुनक नहर का पानी दिल्ली को देने पर पुनर्विचार की धमकी दी, मुख्यमंत्री केजरीवाल को यू टर्न लेना पड़ा।

उप राज्यपाल को ड्राफ्ट्स भेजने पर यू-टर्न
केजरीवाल सरकार विधानसभा में पेश करने से पहले बिल ड्राफ्ट्स को उप-राज्यपाल के पास नहीं भेजने पर अड़ी थी। बाद में सरकार को यू-टर्न लेना पड़ा और सारे ड्राफ्ट्स उप-राज्याल के पास भेजे जाने लगे।

समर्थन पर यू-टर्न
केजरीवाल ने बिहार चुनाव में किसी भी दल या नेता का समर्थन करने से इनकार किया, लेकिन बाद में नीतीश कुमार के लिए दिल्ली में रह रहे बिहारियों से वोट करने की अपील की।

पानी पर यू-टर्न
दिल्लीवासियों को 700 लीटर पानी रोज मुफ्त देने का वादा आप नेता अरविन्द केजरीवाल ने किया था। इस वादे के बदले दिल्ली वालों को उन्होंने ऐसा पानी पिलाया कि पहले से भी दुगना-तिगुना बिल देना पड़ रहा है।

पक्की नौकरी पर यू-टर्न
ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों के लिए पक्की नौकरी का वादा भी केजरीवाल ने किया था, पर अब उस वादे से भी यू-टर्न ले चुके हैं।

चुनावी वादों पर यू-टर्न
चुनावी वादों को पूरा करने पर भी मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यू टर्न लिया। पहले कहा करते थे कि सभी वादों को पूरा करूंगा लेकिन दिल्ली में एक समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि पांच साल में 100 फीसदी नहीं भी हो तो 40-50 फीसदी वादे पूरा करना भी काफी होगा।

ईवीएम पर केजरीवाल के झूठ का पर्दाफाश
मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव में प्रत्याशी रहे श्रीकांत सिरसाट का दावा था कि उसे खुद का भी वोट नहीं मिला था। इस दावे के साथ उसने ईवीएम पर संदेह जताया था। श्रीकांत के दावे को आम आदमी पार्टी ने खूब उछाला। आप नेता इसे एक सुनहरा मौका समझ भुनाने में लगे थे लेकिन चुनाव आयोग ने जब पड़ताल की तो पता चला कि उसे जीरो नहीं 44 वोट मिले थे। इसके बाद श्रीकांत ने चुनाव आयोग से माफी मांग ली लेकिन आम आदमी पार्टी अब तक इस मुद्दे पर चुप है।

एलजी पर झूठा आरोप
अपनी गलती छिपाने के झूठ का सहारा लेने वाले केजरीवाल का एक और झूठ उस समय पकड़ा गया, जब केजरीवाल सरकार ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के फाइलों को मंजूरी नहीं देते हैं जिससे दिल्ली सरकार का काम बाधित होता है। इस पर पलटवार उपराज्यपाल ने एक डाटा जारी करते हुए किया। उपराज्यपाल के डाटा से केजरीवाल सरकार के झूठ का पर्दाफाश हुआ।

केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल के कार्यों को लेकर 89 पेज की रिपोर्ट पेश किया। जिसमें उपराज्यपाल पर फाइलों को मंजूरी नहीं देने को लेकर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कुछ प्रस्तावों का जिक्र किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उपराज्यपाल अनिल बैजल ने भी दिल्ली सरकार पर पलटवार करते हुए एलजी कार्यालय के कामों को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया। उन्होंने बताया कि जब से इस सरकार का गठन हुआ है तब से 10 हजार फाइल आए उसमें से 97 प्रतिशत फाइल को ज्यों का त्यों बिना कोई संशोधन के स्वीकृति दी गई। जिन फाइलों को कानून सम्मत नहीं पाया गया और जो नियम विरुद्ध थे, उसमें संशोधन करने की टिप्पणी देकर लौटाया गया था। 

बुलेट ट्रेन किराये को लेकर पकड़ा गया था झूठ 
आईआईटी से इंजीनियर और पूर्व राजस्व अधिकार रहे अरविंद केजरीवाल खुलेआम झूठ बोलने में माहिर हैं। बुलेट ट्रेन को लेकर वह मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के बारे में लोगों को झूठी जानकारी दे रहे थे। वह लोगों को बता रहे थे कि मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का किराया 75 हजार रुपये होगा जबकि यह 1800 से 3000 रुपये के बीच ही होगा। आप भी देखिए केजरीवाल के झूठ का वीडियो 

इसके पहले सबूतों का पिटारा रखने का दावा करने वाले सीएम केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं ने अपने विरोधी नेताओं पर तरह-तरह के आरोप लगाए और जब एक के बाद एक मानहानि का केस कोर्ट में पहुंचने लगा तो माफीनामा लिखने लगे…

अरुण जेटली से कोर्ट में माफीनामा
आप संयोजक अरविंद केजरीवाल अप्रैल, 2018 में भाजना नेता अरुण जेटली से माफी मांगी। सीएम केजरीवाल के साथ आशुतोष, संजय सिंह और राघव ने एक संयुक्त माफीनामा पटियाला हाउस कोर्ट में सौंपा। केजरीवाल ने पहले भी अरुण जेटली से माफी मांगी थी, लेकिन तब उन्होंने कहा था कि जबतक आप के सभी नेता माफी नहीं मांगते, केस वापस नहीं होगा। केजरीवाल ने अरुण जेटली पर डीडीसीए की अध्यक्षता के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। केजरीवाल के आरोप लगाने के बाद जेटली ने उनपर और उनके सहयोगी नेताओं पर 10 करोड़ रुपये मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था।

नितिन गडकरी से लिखित में मांगी माफी
इसके पहले केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से माफी मांगते हुए कोर्ट केस खत्म करने की गुजारिश की। केजरीवाल ने नितिन गडकरी को एक पत्र लिखकर उनके खिलाफ लगाए गए असत्यापित आरोपों के लिए खेद व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, ‘मेरी आपसे कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं है। मैं इसके लिए खेद जताता हूं। इस मामले को पीछे छोड़ते हुए कोर्ट केस को खत्म करें।’ केजरीवाल के माफीनामे के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मानहानि केस वापस ले लिया।

कपिल सिब्बल से भी मांगी माफी
आम आदमी पार्टी नेता अरविन्द केजरीवाल ने वर्ष 2013 में प्रेस कांफ्रेंस करके अमित सिब्बल (कपिल सिब्बल का बेटा) पर ‘निजी लाभ के लिए शक्तियों के दुरुपयोग’ का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि वह ऐसे समय में एक दूरसंचार कंपनी की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में पेश हुए, जब उनके पिता कपिल सिब्बल केंद्रीय संचार मंत्री थे। केजरीवाल ने भाजपा नेता नितिन गडकरी के बाद कपिल सिब्बल और उनके बेटे अमित सिब्बल से भी अपने बयान के लिए खेद प्रकट किया।

अकाली नेता बिक्रम मजीठिया से मांगी माफी
पंजाब चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने चुनावी रैलियों में अकाली दल के महासचिव और प्रदेश के तत्कालीन मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग्स माफिया होने का आरोप लगाए। यह आरोप अलग-अलग जगहों पर विवादित मुख्यमंत्री केजरीवाल बार-बार दोहराते रहे। इन आरोपों से दुखी होकर बिक्रम मजीठिया ने मानहानि का केस अमृतसर कोर्ट में किया। अब जब अरविन्द केजरीवाल को लगने लगा कि उनके आरोपों में कोई दम नहीं है, झूठे आरोप लगाने के मामले में जेल हो जाएगी तो आदतन अरविन्द केजरीवाल ने यू-टर्न मारा और लिखित में माफी मांगकर मुकदमा वापस लेने का अनुरोध किया है।

‘ठुल्ला’ पर मांगी माफी
मुख्यमंत्री रहते अरविन्द केजरीवाल ने एक टीवी इंटरव्यू में पुलिस के जवानों को ठुल्ला कहा था, बवाल होने पर यू-टर्न लेते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के लिए उन्होंने इस शब्द का प्रयोग किया था। अपने कहे पर उन्होंने माफी भी मांगी। 

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