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यूनिसेफ ने की प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ

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यूनिसेफ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ की है। मोदी सरकार की स्‍वास्‍थ्‍य और स्‍वच्‍छता से जुड़ी योजनाओं की तारीफ करते हुए यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फोर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्‍वच्‍छ भारत अभियान महात्‍मा गांधी को समर्पित किया, देशवासियों का समर्पित किया और उन्‍हें इसमें गर्व महसूस हुआ। उन्होंने कहा कि लोगों को जब यह लगने लगता है कि उनका समुदाय बेहतर कर रहा है तो वह उन दूसरी चीजों पर ध्यान देने लगते हैं जिनमें सुधार की जरूरत है। फोर ने कहा कि अगर आप स्वच्छता उपायों में एक डॉलर का निवेश करते हैं तो स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च के लिहाज से चार डॉलर की बचत होगी। आपका डॉक्टर के पास जाना कम हो जाएगा और दवाओं पर खर्च बचेगा।

बच्चों के लिए साबित हुआ वरदान- डब्ल्यूएचओ
इसके पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ की है। अपनी ताजी रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की संख्या 2017 में घटकर 802,000 हो गई जो दो साल पहले लगभग 10 लाख थी। यानी करीब दो लाख जिंदगियां बचाई गई हैं। पीने के लिए साफ पानी, हाथ धोने, खाद्य सुरक्षा, शौचालय का इस्तेमाल और खुले में शौच से मुक्ति आदि कई ऐसे कारण हैं, जिनके कारण बच्चों की मौत की संख्या कम हुई है। स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने के बाद 718 में से 459 जिले खुले में शौच मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। जिन जिलों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है, वहां बच्चों को दस्त, संक्रमण आदि की बीमारियां कम होती हैं।

जन आंदोलन बन चुका है स्वच्छ भारत अभियान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में स्वच्छ भारत अभियान एक जन आंदोलन बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को साफ-सफाई को बढ़ावा देने के लिये स्वच्छ भारत अभियान शुरू करते हुये खुद हाथों में झाड़ू थामी थी तो पूरे देश ने हाथ में झाड़ू थाम लिया था। पीएम मोदी ने सफाई के प्रति देश में लोगों में जागरूकता और सकारात्मक सोच लाने का प्रयास किया, और आज यह अभियान स्वतंत्र भारत का बहुत ही महत्वपूर्ण जन आंदोलन बन चुका है। देश को स्वच्छ करने की जो पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, वैसा पहले कभी किसी ने नहीं सोचा था।

अभियान की शुरुआत करते हुए उस दिन श्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है।” स्वच्छ भारत अभियान के शुरू हुए अभी चार साल भी नहीं हुए हैं, लेकिन स्वच्छता के प्रति देश सजग हो गया है, साफ-सफाई के प्रति सोच बदल गई है।

जब पीएम ने स्वयं उठाया झाड़ू
महात्मा गांधी के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के पास स्वयं झाड़ू उठाकर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। फिर वो वाल्मिकी बस्ती पहुंचे और वहां भी साफ-सफाई की और कूड़ा उठाया। उन्होंने इस अभियान को जन आंदोलन बनाते हुए देश के लोगों को मंत्र दिया था, ‘ना गंदगी करेंगे, ना करने देंगे’।

9-9 लोगों को आमंत्रण
इस अभियान को गति देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने समाज के हर वर्ग से 9-9 लोगों और संस्थाओं को आमंत्रित करना शुरू किया, जिसने धीरे-धीरे एक बहुत बड़ी श्रृंखला का रूप धारण कर लिया। देश में एक से बढ़कर एक लोग इस अभियान से जुड़ते चले गए और स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन बनता चला गया।

पीएम ने स्वयं कुदाल उठाकर की सफाई
पीएम मोदी का सपना साकार होने लगा और स्वच्छ भारत अभियान के चलते लोगों में साफ-सफाई के प्रति एक जिम्मेदारी की भावना आ गई। प्रधानमंत्री इस कार्य को और आगे बढ़ाते रहे, वो अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी पहुंचे और वहां भी खुद आगे बढ़कर सफाई अभियान को गति देने का काम किया। पीएम मोदी ने काशी के अस्सी घाट पर गंगा के किनारे कुदाल से साफ-सफाई की। इस मौके पर भारी संख्या में स्थानीय लोगों ने स्वच्छ भारत अभियान में उनका साथ दिया।

हर वर्ग का मिल रहा है साथ
देश में साफ-सफाई के इस विशाल जन आंदोलन में समाज के हर वर्ग के लोगों और संस्थाओं ने साथ दिया। सरकारी अधिकारियों से लेकर, सीमा की रक्षा में जुटे वीर जवानों तक, बॉलीवुड कलाकारों से लेकर नामचीन खिलाड़ियों तक, बड़े-बड़े उद्योगपतियों से लेकर आध्यात्मिक गुरुओं तक, सभी इस पवित्र कार्य से जुड़ते चले गए। इसमें अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल और मैरी कॉम जैसी हस्तियों के योगदान बेहद सराहनीय हैं।

‘मन की बात’ में सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ में लगातार देश के विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों के उन प्रयासों की सराहना की है, जिसने स्वच्छ भारत अभियान को व्यापक रूप से सफल बनाने में मदद की है।

ओडीएफ गांव का हर परिवार बचाता है 50 हजार रुपये
यूनिसेफ ने अनुमान व्यक्त किया है कि स्वच्छता का अभाव हर साल भारत में 1,00,000 से भी अधिक बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार है। यूनिसेफ द्वारा कराए गए एक अन्य अध्ययन में यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि भारत के किसी भी ओडीएफ गांव का हर परिवार प्रत्येक साल 50,000 रुपये की बचत करने में सफल हो जाता है क्योंकि वह बीमारी के इलाज में होने वाले खर्चों से बच जाता है और इसके साथ ही ऐसे परिवारों के सदस्यों के बीमार न पड़ने से आजीविका की बचत भी होती है।

खुले में शौच से मुक्ति की ओर देश
साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था, तब देश का एक भी राज्य खुले में शौच की समस्या से मुक्त नहीं था। साल 2014 तक देश के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता का जो कवरेज था, वह अब करीब ढाई गुना बढ़कर 93 प्रतिशत हो चुका है। पिछले दिनों ‘स्वच्छता ही सेवा’ पखवाड़े की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने इसका क्रेडिट जनसामान्य के पुरुषार्थ और संकल्प को देते हुए कहा था, ‘क्‍या किसी ने ये कल्‍पना की थी कि चार वर्ष में लगभग साढ़े चार लाख गांव खुले में शौच से मुक्‍त हो जाएंगे। क्‍या किसी ने कल्‍पना की थी कि चार वर्षों में 450 से ज्‍यादा जिले खुले में शौच से मुक्‍त हो जाएंगे। क्‍या किसी ने ये कल्‍पना की थी कि चार वर्षों में 20 राज्‍य और केंद्र शासित प्रदेश खुले में शौच से मुक्‍त हो सकते हैं।’

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