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तिरुपति मंदिर लड्डू विवाद : जगन रेड्डी सरकार ने बदला था घी का ब्रांड, मुनाफे के लिए की मिलावट, सात पॉइंट में समझिए प्रसादम लड्डू में चर्बी की पूरी कंट्रोवर्सी

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आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध मंदिर तिरुपति बालाजी के लड्डुओं के घी में मछली के तेल और पशुओं की चर्बी मिले के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। प्रसादम के लड्डुओं में मिलावट पूर्व सीएम जगन रेड्डी की सरकार में दिए टेंडर का परिणाम है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से लेकर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू तक ने इस मामले पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आंध्र के मुख्यमंत्री नायडू से बात की है और तिरुपति लड्डू मुद्दे पर रिपोर्ट मांगी है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) भी इसकी जांच करेगा और केंद्र इस मामले में खाद्य सुरक्षा नियमों के तहत कार्रवाई करेगा। दरअसल, भगवान तिरुपति के प्रसादम बनाने में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। लड्डुओं में घी के बजाय जानवरों की चर्बी का उपयोग किया गया। ये मिलावट पिछली सरकार के दौरान दिए गए घी के ठेके के चलते हुई है।

क्या है तिरुपति मंदिर के लड्डू में चर्बी का पूरा विवाद
आंध्र में जून में सत्ता परिवर्तन होने के बाद चंद्रबाबू नायडू की पार्टी सत्ता में वापस आई। मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने मंदिर के लड्डुओं में मिलावट की आशंका जाहिर की थी। जिसके बाद मंदिर प्रशासन ने सप्लाई किए गए घी के सैंपल लेकर जांच के लिए गुजरात स्थित डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की लैब ‘सेंटर ऑफ एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइव स्टॉक एंड फूड’ (CALF) भेजे गए। जिसके बाद लैब की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने लैब रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि तिरुपति मंदिर के प्रसादम में प्रयोग होने वाले शुद्ध घी में जानवरों की चर्बी मिली हुई है। प्रसादम के घी में पशुओं की चर्बी और मछली के तेल की मिलावट
सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि इस भ्रष्टाचार में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले में सरकार की ओर से कई लोगों के खिलाफ एक्शन भी लिया जा चुका है। दरअसल, एनडीडीबी लैब की रिपोर्ट से पता चला कि शुद्ध घी में शुद्ध दूध में वसा की मात्रा 95.68 से लेकर 104.32 तक होना चाहिए था। लेकिन सैंपल्स में मिल्क फैट की वेल्यू 20 ही पाई गई थी। जिससे इस मिलावटी घी के बारे में खुलासा हुआ। जिसके बाद बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ। लैब की रिपोर्ट के मुताबिक इन सैंपल में सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून का तेल, गेंहू, मक्का, कॉटन सीड, मछली का तेल, नारियल, पाम ऑयल, बीफ टैलो, लार्ड जैसे तत्व पाए गए हैं। इस घी को चेन्नई की AR डेयरी एंड एग्रो प्रोडक्ट्स नाम की कंपनी ने सप्लाई किया था।

तिरुपति बालाजी को तीन प्रकार के लड्डू किए जाते हैं अर्पित
1.प्रोक्तम लड्डू – ये लड्डू साइज में छोटा होता है। इसे दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को मुफ्त में दिया जाता है। एक लड्डू करीब 40 ग्राम का होता है।
2.अस्थानम लड्डू – इसे विशेष त्योहार या पर्व पर बनाया जाता है। यह प्रोक्तम लड्डू से थोड़ा बड़ा होता है। इसका वजन 175 ग्राम और कीमत 50 रुपए होती है। इसमें केसर, काजू और बादाम का ज्यादा इस्तेमाल होता है।
3.कल्याणोत्सवम लड्डू – इस लड्डू की सबसे ज्यादा मांग है। जो भक्त अर्जिता सेवा और कल्याणोत्सवम में भाग लेते हैं, उन्हें ये दिया जाता है। इसका वजन 750 ग्राम और कीमत 200 रुपए होती है।

आंध्र प्रदेश के मशहूर तिरुपति मंदिर की लड्डू कॉन्ट्रोवर्सी ने पिछली सरकार पर कई सवाल खड़े किए हैं। आइए सात प्वाइंट में सारा मामला समझते हैं…

1.रोज हजारों लीटर घी में मिलावट का खेल पिछली सरकार के कार्यकाल में हुआ
सभी जानते हैं कि आंध्र प्रदेश का तिरुमला तिरुपति देवस्थान दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और अमीर तीर्थस्थलों में से एक है। ये आंध्र प्रदेश के सेशाचलम पर्वत पर बसा है। भगवान वेंकटेश्वर के इस मंदिर का निर्माण राजा तोंडमन ने करवाया था। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 11वीं सदी में रामानुजाचार्य ने की थी। मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर जब पद्मावती से अपना विवाह रचा रहे थे तो उन्होंने धन के देवता कुबेर से कर्ज लिया। भगवान पर अब भी वो कर्ज है और श्रद्धालु इसका ब्याज चुकाने में उनकी मदद करने के लिए दान देते हैं। तिरुमाला मंदिर को हर साल लगभग एक टन सोना दान में मिलता है।तिरुपति दर्शन करने जाने वाले सभी श्रद्धालुओं को यहां का प्रसिद्ध लड्डू प्रसादम में दिया जाता है। यहां रोज करीब 3 लाख लड्डू बनाए जाते हैं। लड्डू को चने के बेसन, मक्खन, चीनी, काजू, किशमिश और इलायची से बनाया जाता है और इसकी रेसिपी करीब 300 साल पुरानी है। इतने लड्डू बनाने के लिए हर रोज हजारों लीटर घी लगता है और इसी घी में मिलावट का खेल पिछली सरकार ने किया है।

2.तिरुपति बालाजी के प्रसादम में मिलावट के लिए जगन रेड्डी सरकार जिम्मेदार
तिरुपति बालाजी की देखरेख की जिम्मेदारी तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम यानी TTD के पास है। TTD के पास ही मंदिर के प्रसादम यानी लड्डू बनाने की जिम्मेदारी है। 1932 में ये संस्था बनी। बोर्ड में कुल 7 सदस्य होते हैं। इसमें एक चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO), दो ज्वाइंट एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के अलावा अन्य विभागों के लिए ऑफिसर होते हैं। बोर्ड में मंदिर के मुख्य पुजारी भी शामिल होते हैं। इसमें मुख्य मंदिर समेत अन्य 12 मंदिर और उनमें काम करने वाले 14 हजार कर्मचारी शामिल हैं। इस बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति राज्य सरकार करती हैं। वर्तमान में सीनियर IAS अधिकारी जे. श्यामला राव TTD के CEO हैं। उनकी नियुक्ति CM चंद्रबाबू नायडू ने जून 2024 में की है। पिछले सीईओ की नियुक्ति जगन रेड्डी सरकार ने की थी और उन्हीं के कार्यकाल में ये अपवित्र काम हुआ है, इसलिए जिम्मेदारी भी रेड्डी सरकार की बनती है।

3.स्पेशल कमेटी की सिफारिश पर हुई प्रसादम में प्रयोग होने वाले घी की जांच
एक बड़ा सवाल यह भी है कि अचानक तिरुपति बालाजी के लड्डू की जांच क्यों करवाई गई? दरअसल, तिरुपति के भक्त कुछ महीनों से प्रसादम लड्डू का स्वाद बदलने की बात कह रहे थे। जब ये बात TTD के CEO जे. श्यामला राव के पास पहुंची तो उन्होंने लड्डू प्रसादम की क्वालिटी चेक के लिए एक स्पेशल कमेटी बनाई। इसमें नेशनल डेयरी रिसर्च सेंटर, विजयवाड़ा के पूर्व चीफ साइंटिस्ट डॉ. बी. सुरेंद्रनाथ, भास्कर रेड्डी (डेयरी विशेषज्ञ), प्रो. बी. महादेवन (IIM-बैंगलोर) और तेलंगाना वेटरनरी यूनवर्सिटी की डॉ. जी. स्वर्णलता शामिल थीं। कमेटी ने लड्डू के ओरिजनल टेस्ट को वापस लाने के लिए कई सुझाव दिए गए। एक सुझाव ये भी था कि लड्डू के स्वाद में घी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसकी भी जांच कराई जानी चाहिए। इसके बाद 9 जुलाई को घी के सैंपल को गुजरात के आणंद स्थित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) की लैब में भेजा गया।

4.सीएएलएफ की लैब की जांच रिपोर्ट के आधार पर सीएम ने किया खुलासा
सीएएलएफ की लैब की जांच रिपोर्ट में ही हैरतअंगेज खुलासा हुआ। वहीं से तिरुपति के लड्डू में जानवरों की चर्बी, मछली का तेल होने की बात सामने आई। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (CALF) की लैब की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई कि लड्डू में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल है। इसी रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पूरा खुलासा किया। नायडू ने कहा, ‘जगन सरकार में तिरुपति लड्डू प्रसादम को तैयार करने के लिए शुद्ध घी की जगह जानवरों की चर्बी वाला घी इस्तेमाल किया जाता था। कोई ये सोच भी नहीं सकता कि प्रसादम को इस तरह अपवित्र किया जाएगा। पिछले पांच सालों में YSR कांग्रेस पार्टी ने तिरुमला की पवित्रता को अपवित्र कर दिया है।’ इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जो रिपोर्ट पेश की जा रही है, उसमें कई चीजों का जिक्र है। इसमें सोयाबीन, सूरजमुखी, कपास का बीज, नारियल जैसी चीजें लिखी हैं। लेकिन आपत्ति फिश ऑयल, बीफ टैलो और लार्ड जैसी सामग्री पर जताई जा रही है। लार्ड यानी किसी चर्बी को पिघलाने पर निकलने वाला सफेद सा पदार्थ। फिश ऑयल यानी मछली का तेल और बीफ टैलो यानी बीफ की चर्बी को गर्म करके निकाले जाने वाला तेल।

5.जगन सरकार ने ‘नंदिनी’ की बजाए ए.आर. डेयरी फूड्स से खरीदा मिलाटवी घी
मंदिर का प्रबंधन करने वाला तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) बोर्ड हर 6 महीने में घी की आपूर्ति के लिए निविदाएं आमंत्रित करता है। TTD हर साल 5 लाख किलोग्राम घी खरीदता है। पिछले 15 साल से तिरुपति को कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) का नंदिनी ब्रांड वाला गाय का घी सप्लाई होता था। जब जगन मोहन रेड्डी की सरकार थी तो मंदिर ने महंगी कीमतों का हवाला देते हुए नंदिनी से घी लेना बंद कर दिया। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन का तर्क था कि दूध के दाम बढ़ रहे हैं। इस कारण हम 478 रुपए प्रति किलो दाम पर घी नहीं दे पाएंगे। इससे पहले तक KMF लड्डू के लिए TTD को 392 रुपए प्रति किलो की दर से घी की सप्लाई कर रहा था, लेकिन लागत बढ़ने के कारण घी का दाम बढ़कर 478 रुपए प्रति किलो हो गया था। इसके बाद तमिलनाडु की ए.आर. डेयरी फूड्स ने सबसे कम 320 रुपए प्रति किलो की दर से घी सप्लाई करने का टेंडर भरा और उसे सप्लाई का ठेका दे दिया गया।

6.नायडू ने दिए लड्डू की गुणवत्ता सुधारने के निर्देश, नंदिनी घी को मिली सप्लाई
इसके साथ ही TTD और KMF का 15 साल पुराना साथ छूट गया। इस पर KMF के अध्यक्ष के. भीमा नाइक ने कहा, लड्डू अब पहले जैसे नहीं रहेंगे। नंदिनी बाजार में सबसे अच्छा घी उपलब्ध कराती है और सभी गुणवत्ता जांचों से गुजरती है। अगर कोई ब्रांड नंदिनी से कम कीमत पर घी उपलब्ध करा रहा है, तो मुझे लगता है कि गुणवत्ता से समझौता किया जाएगा।’ हालांकि, जुलाई 2024 में आंध्र प्रदेश की सरकार बदली। CM चंद्रबाबू नायडू ने लड्डू की गुणवत्ता सुधारने का निर्देश दिया। इसके बाद अगस्त से KMF ने TTD को नंदिनी घी फिर से सप्लाई करना शुरू कर दिया है।

7.तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम में फिश ऑयल और चर्बी ऐसे पहुंचे
लैब की रिपोर्ट के मुताबिक, ए.आर. डेयरी फूड्स के घी में जानवरों की चर्बी और फिश ऑयल पाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जानवरों के खाने से इसका कोई लेना-देना नहीं है। ये सीधे-सीधे जानबूझकर की गई मिलावट का मामला है। अगर घी में चर्बी है तो चर्बी मिलाई गई होगी। फिश ऑयल है तो वो मिलाया गया है। इसी मिलावट वाले घी से लड्डू बनाए गए हैं। तिरुपति में भगवान को तीन प्रकार के लड्डू अर्पित किए जाते हैं। चूंकि सभी प्रकार के लड्डुओं को बनाने में दूषित घी का उपयोग किया गया है। इस कारण से तीनों में मिलावट मिली है।

लड्डू कॉन्ट्रोवर्सी पर अलग-अलग पार्टियों ने क्या कहा है
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से बात की है। उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे कहा है कि वो मुझे जो भी उपलब्ध जानकारी है उसकी रिपोर्ट भेज दें। मैं स्टेट रेगुलेटरों से भी बात करुंगा। जिस सोर्स से रिपोर्ट आई है उनसे भी बात करूंगा। सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक उचित कार्रवाई की जाएगी।’ आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शर्मिला रेड्डी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर इस सारे मामले की जांच CBI से करवाने की मांग की है। YSR कांग्रेस के नेता और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के चेयरमैन रहे वाई. वी. सुब्बारेड्डी ने कहा है कि तिरुमला मंदिर की पवित्रता को नुकसान पहुंचाकर और करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाकर पाप किया गया है।

 

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