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शर्मनाक NCRB Report: रेप में पहले और दलित अत्याचार में दूसरे स्थान पर रेपिस्तान, हर चौथी दरिंदगी नाबालिग बच्चियों के साथ…फिर भी Rahul-Priyanka की बोलती-बंद, बड़ा सवाल-गहलोत सरकार पर एक्शन कब?

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रेपिस्तान बने राजस्थान की साल दर साल स्थिति शर्मनाक और बद से बदतर होती जा रही है। एक बार फिर राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े मुंह चिढ़ाकर बता रहे हैं कि राजस्थान बच्चियों और महिलाओं से दरिंदगी के मामले में देशभर में पहले स्थान पर आया है। यूपी में ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’… का नारा देने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा से लेकर सोनिया-राहुल गांधी तक ने गहलोत सरकार की लगातार इस शर्मनाक विफलता पर होंठ सिले हुए हैं। इतना ही नहीं, रेप के मामले में तो पहले ही नाक कटा चुकी राजस्थान सरकार अब दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले में भी देशभर में दूसरे स्थान पर आई है। यह स्थिति तब है, जबकि राज्य में हुए दलित अत्याचार के मामले देशभर में पहले ही मुद्दा बन चुके हैं। हाल ही में जालौर में एक दलित मासूम की अपने टीचर की मटकी से पानी पीने के कारण पीट-पीटकर निर्ममता से हत्या कर दी गई थी। बड़ा सवाल यही है कि आखिरकार बढ़ते अपराधों के बीच गहलोत सरकार के खिलाफ कांग्रेस आलाकमान कब एक्शन-मोड में आएगी ?? कमजोर पैरवी का नतीजा: रेप किया, जमानत पर छूटा…फिर अस्मत लूटी, फिर छूटा और फिर दुष्कर्म
प्रदेश की गहलोत सरकार के पुलिस प्रशासन का ये हाल है कि 10 हजार से अधिक बदमाश समाज के बीच जी रहे हैं, जो लोगों की जान-माल के साथ-साथ महिलाओं, यहां तक कि बच्चियों की अस्मत के लिए बड़ा खतरा बने हुए हैं। कोर्ट में कमजोर पैरवी के कारण ये बदमाश जमानत पर छूट जाते हैं और जेल से बाहर आकर फिर से अपराध करने लगते हैं। सिर्फ दुष्कर्म की ही बात करें तो 14 बदमाश तो ऐसे हैं, जो जमानत पर छूटने के बाद बार-बार सरकार और पुलिस को मुंह चिढ़ा रहे हैं और अबलाओं की इज्जत लूट रहे हैं। इनमें एक-एक बदमाश पर दुष्कर्म के तीन-तीन मुकदमों सहित कुल 95 आपराधिक केस दर्ज हैं।

राजस्थान ने बढ़ते रेप के मामलों पर सोनिया-राहुल-प्रियंका की तिकड़ी की भी बोलती बंद
गहलोत सरकार की इसी लापरवाह कार्यशैली का नतीजा है कि राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों में रेप के मामलों में हर साल राजस्थान अव्वल आ रहा है। राजस्थान के वरिष्ठ यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल तक विधानसभा में रेप के बढ़ते मामलों के बारे में बेशर्मी से कह देते हैं- क्या करें…? राजस्थान मर्दों का प्रदेश है। जबकि दुष्कर्म जैसी मानसिक बीमारी असल मर्दों में नहीं, बल्कि नपुंसक और पाशविक सोच वाले असामाजित तत्वों के मन में होती है। मंत्री की क्या कहें, राजस्थान में रेप के बढ़ते मामलों पर सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी की भी बोलती बंद है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने साल 2021 के आंकड़े जारी किए हैं, उसमें दुष्कर्म के मामले में देश में एक बार फिर राजस्थान पहले नंबर पर रहा है। साल 2021 में राजस्थान में दुष्कर्म के इतने मामले दर्ज हुए हैं, जितने दो बड़े राज्यों में मिलकर भी दर्ज नहीं हुए।राज्य में 2021 में दर्ज रेप के केसों की दर 16.4 प्रतिशत के साथ सबसे ज्यादा
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश भर से 2020 और 2021 में राजस्थान में बलात्कार के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान ने साल 2020 और 2021 में क्रमशः 5 हजार 310 और 6 हजार 337 बलात्कार के सबसे अधिक मामले दर्ज किए। राजस्थान में साल 2021 में दर्ज किए गए बलात्कार के मामलों की दर 16.4 प्रतिशत के साथ सबसे ज्यादा है। राजस्थान में साल 2021 में सबसे अधिक नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार के 1 हजार 453 मामले दर्ज किए गए। वहीं, कुल मिलाकर पिछले साल देश में बलात्कार के 31 हजार 677 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले 5 साल में 2018 की तुलना में गिरावट को दर्शाता है। गौरतलब है, रेप केस के मामलों में राजस्थान 2020 से टॉप पर है। वहीं, दुष्कर्म और महिला हिंसा को लेकर अपराध का ग्राफ राज्य में लगातार बढ़ता जा रहा है।

दलित अत्याचार में भी राजस्थान सरकार की शर्मनाक स्थिति, देश में नंबर-2 पर
रेप के अलावा दलितों के खिलाफ होने वाले अपराध में भी राजस्थान देश में दूसरे स्थान पर है। एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में दलित अत्याचार के 7524 मामले दर्ज हुए हैं। एमपी में केस कम हैं, लेकिन एमपी पुलिस दलितों के खिलाफ दर्ज हुए मामलों में चार्जशीट दाखिल करने में आगे है। महिलाओं के खिलाफ 40 हजार 738 अपराधों के साथ राजस्थान दूसरे नंबर पर आता है। इसके बाद महाराष्ट्र उद्धव सरकार के दौरान 2021 में 39 हजार 526 ऐसे मामले दर्ज किए गए। वहीं, बलात्कार के दर्ज किए गए मुकदमों में राजस्थान देशभर में नंबर वन पर है।

चार हजार से साढ़े सात हजार तक ऐसे पहुंचता गया दलित अत्याचार का आंकड़ा
राजस्थान में पिछली सरकार भाजपा सरकार थी। भाजपा सरकार के समय साल 2014 में दलितों पर अत्याचार के पौने सात हजार केस दर्ज हुए थे। बीजेपी सरकार ने अपराधों पर अंकुश लगाया तो ये हर साल कम होते होते साल 2017 तक 4238 तक ही आ गए। उसके बाद गहलोत सरकार आने के बाद साल 2019 से ये बढ़ना शुरु हुए। 2019 में पौने सात हजार, 2020 में 7017 और 2021 में इनकी संख्या बढकर 7524 तक जा पहुंची है। इस साल शुरुआती छह महीनों में ही 4407 केस सामने आ चुके हैं। इनको दुगना किया गया तो इस साल के अंत तक इनकी संख्या 8 हजार आठ सौ से भी ज्यादा हो सकती है।

दलित छात्र ने टीचर की मटकी का पानी पी लिया को पीट-पीटकर कर दी हत्या
राजस्थान के बदतर होते जा रहे हालात से मुख्यमंत्री गहलोत तो उस बिल्ली की तरह आंखें मूंदे हैं, जो यह सोचती है कि उसे चोरी से दूध पीते कोई देख नहीं रहा है। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर राहुल-प्रियंका वाड्रा तक को भी अपनी सरकार के ‘पाप’ दिखाई नहीं दे रहे हैं। जालौर में मटकी का पानी पीने पर मासूम दलित छात्र की निर्मम हत्या हो जाती है। अलवर में एक बार फिर वहशी दरिंदों द्वारा मॉब लिंचिंग की जाती है। भरतपुर में खनन माफिया के खिलाफ 551 दिन के अनशन की आवाज अनसुनी होने पर साधु आत्मदाह को मजबूर होते हैं। सीएम की नाक के नीचे जयपुर में मासूम के सामने उसकी शिक्षिका मां को पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया जाता है। बेहद शर्मनाक और अफसोस की बात है कि इतनी सारी अक्षम्य घटनाओं के बावजूद कांग्रेस हाईकमान के मुंह से ‘उफ’ तक नहीं निकलती।

उदयपुर के तालिबानी मर्डर से लेकर जालौर में दलित बच्चे की हत्या तक सोनिया गांधी मौन
कांग्रेस हाईकमान ने तो तब भी होंठ सिले रखे थे, जबकि उदयपुर में हुए तालिबानी मर्डर ने देशभर को हिलाकर रख दिया था। बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए, जबकि राजस्थान के शहर-दर-शहर में सांप्रदायिक दंगे हो रहे थे और कांग्रेस के अलंबरदार इस पर चुप्पी साधे रहे। उदयपुर के तालिबानी मर्डर से लेकर दंगों तक राज्य की इंटेलिजेंस एजेंसियों के फेल्योर को देखकर सहज ही जेहन में यह सवाल उपजता है कि क्या आलाकमान की जिम्मेदारी सिर्फ अपनी पसंद का मुख्यमंत्री लगाने भर की ही है? प्रदेश को सांप्रदायिक हिंसा की आग के हवाले करने कि खतरनाक साजिश हो या मासूम दलित बच्चे की हत्या। तालिबानी मर्डर हो या फिर मासूम दलित बच्चे की छुआछूत की वजह से हत्या। महिला को जिंदा जलाने का मामला हो या महिलाओं की अस्मत लूटने में नंबर-वन राज्य बनने का तमगा। दिल दहलाने वाले इतने सारे मामलों के बावजूद भी सरकार की कुंभकर्णी नींद न टूटे, तो सरकार के खिलाफ कार्रवाई करने की जिम्मेदारी किसकी है?

आइये राजस्थान के ताजा हालातों पर एक नजर डालते हैं, जहां शहर दर शहर लोंगों में न सिर्फ रेप और दलित अत्याचार की बढ़ती घटनाओं और पुलिस का इकबाल खत्म होने से खौफ का आलम है, बल्कि कोई ठोस एक्शन न लेने और ऐसी घटनाओं को रोक पाने में विफल रहने के बाद भी कांग्रेस आलाकमान ने गहलोत सरकार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है….

जालौर: नौ साल के मासूम इंद्र ने मटकी से पानी क्या पीया, दलित कहकर उसकी जान ही ले ली
राजस्थान के स्कूलों में बच्चों से मारपीट की घटनाएं सामने आती रहती हैं, लेकिन जालौर की घटना ने तो सारी हदें ही पार कर दीं। जालोर जिले में सरस्वती विद्या मंदिर के टीचर ने नौ साल के दलित छात्र इंद्र मेघवाल की पीट-पीटकर सिर्फ इसलिए ‘हत्या’ कर दी, क्योंकि छुआछूत के अंजान इस मासूम ने टीचर की मटकी से पानी पी लिया था। घटना के विरोध में प्रदेश के कई जिलों में प्रदर्शन हुए। कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल ने इस्तीफा दे दिया। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने इसके लिए अपनी सरकार पर सवाल भी उठाए। पायलट ने तो लगे हाथ याद दिला दिया कि इससे पहले भी मार्च में पाली में मूंछ रखने को लेकर एक दलित व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। अब इंसाफ न मिलने से असंतुष्ट सीबीआई जांच की मांग भी कर रहे हैं, लेकिन इतनी बड़ी घटना को लेकर कांग्रेस हाईकमान की तरफ से न कोई बयान आया है और न ही मुख्यमंत्री से जवाबतलबी ही की गई है।

जयपुर: शिक्षिका को छह साल के बेटे के सामने ही पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया
अपराधी-तत्वों के दिल से जब सिस्टम और पुलिस का खौफ खत्म हो जाता है, तो हालात ऐसे ही बन जाते हैं। सरकार की नाक के नीचे राजधानी जयपुर में ही एक महिला को जिंदा जलाने का सनसनीखेज मामला हो गया। यह महिला शिक्षिका है और इसने पैसे उधार दिए थे। जब वह अपने पैसे मांगने लगी तो शिक्षिका को पैसे देने बजाए वो उसे धमकाने लगे। शिक्षिका ने तीन बार इसकी रिपोर्ट जयपुर ग्रामीण इलाके के रायसर थाना में भी दी। लेकिन राजस्थान पुलिस कुंभकर्णी नींद सोती रही। गत दस अगस्त को शिक्षिका अनीता अपने छह साल के बेटे राजवीर को लेकर स्कूल में पढ़ाने जा रही थी तो बकायेदारों ने उसे रोका और पेट्रोल डालकर आग लगा दी। घटनास्थल से दो किलोमीटर ही दूर थाना था, लेकिन सुस्त पुलिस 20 मिनट बाद आई। तब तक आरोपी भाग गए। इधर उपचार के दौरान महिला की भी मौत हो गई।

अलवर: एक बार फिर मॉब लिंचिंग, सब्जी विक्रेता को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला
मॉब लिंचिंग की घटनाओं के लिए कुख्यात हो चुके अलवर में एक बार फिर मॉब लिंचिंग का मामला सामने आया। जिले के गोविंदगढ़ कस्बे के रामबास गांव में सब्जी विक्रेता चिरंजीलाल (45) की एक समुदाय के 20-25 लोगों ने 14 अगस्त को बुरी तरह से पिटाई की थी, सोमवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। कथित रूप से आरोपियों का ट्रेक्टर चोरी हुआ था जो गोविंदगढ़ के रामबास की तरफ नाकेबन्दी में पकड़ा गया था। ट्रेक्टर और चोरों का पीछा कर रहे एक दर्जन से ज्यादा जाती विशेष के लोगों ने रविवार को सुबह करीब पांच बजे घर से शौच के लिए निकले चिरंजीलाल को चोर बताकर लाठी डंडों से हमला कर दिया। उसको इतना पीटा कि उसकी मौत ही हो गई। कभी अलवर में ही गौ तस्करी के लिए पहलू खान की पीट-पीट कर हत्या पर छाती पीटने वाले कांग्रेसी अब चिरंजीलाल की पीट पीटकर हुई हत्या पर मौन हैं, क्योंकि वो एक हिंदू हैं और पुलिस ने जिन्हें गिरफ्तार किया है, वो दूसरे समुदाय के हैं।

भरतपुर: खनन माफिया के खिलाफ 551 दिन सोती रही सरकार, विरोध में साधु ने किया आत्मदाह

राजस्थान की ब्रज 84 कोस परिक्रमा मार्ग में आदिबद्री और कनकाचल पर्वतों में हो रहे अवैध खनन की जानकारी के बावजूद गहलोत सरकार 551 दिन तक सोती रही। अवैध खनन को रुकवाने के लिए यूपी के चुनाव के दौरान साधु-संत कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी से मिले थे। गहलोत-प्रियंका से गुहार लगाने के सिर्फ कोरे आश्वासन ही मिले, लेकिन अवैध खनन नहीं रुका। न ही कनकाचल और आदि बद्री क्षेत्र को वन क्षेत्र में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। आखिरकार 551 दिन से धरना दे रहे साधु-संतों के सब्र का बांध टूट गया। पशुपति नाथ मंदिर के महंत विजयदास बाबा (60) ने विरोध-स्वरूप खुद को आग लगा ली। वे राधे-राधे कहते हुए दौड़ने लगे। जब तक आग बुझाई, तब तक बाबा 80% झुलस गए और बाद में उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। अब जयपुर में एक पुजारी ने आत्मदाह की कोशिश में खुद को आग लगा ली है। वह गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है। 

 

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