चुनावी हवा बदलते देर नहीं लगती। यह पिछले चार दिनों में दिल्ली में साबित हो चुका है। जिस बात से अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम बच रही थी अमित शाह और उनकी टीम ने उन्हें अब उसी गेम में उलझा दिया है। मामला शाहीनबाग का है। बीजेपी को जवाब देने के लिए आखिरकार केजरीवाल को भी शाहीन बाग पर ट्वीट करना पड़ा। अब उनके उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी जवाब देते घूम रहे हैं।
मुश्किल में केजरीवाल एंड कंपनी
शाहीन बाग पर बीजेपी की लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस ने केजरीवाल और उसकी टीम को मुश्किल में डाल दिया है। अब केजरीवाल को वहीं कहना पड़ रहा है, जो बीजेपी हर मंच पर कहती रही है। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि शाहीन बाग में बंद रास्ते की वजह से लोगों को परेशानी हो रही है।
अपने ही जाल में फंसे केजरीवाल
पहले तो आम आदमी पार्टी की तैयारी थी काम के नाम पर वोट मांगने की। प्रशांत किशोर की टीम ने नारा दिया था अच्छे बीते पांच साल, लगे रहो केजरीवाल। लेकिन अब तो केजरीवाल शाहीन बाग में लग गए हैं। केजरीवाल ने जो जाल बीजेपी के लिए बिछाया था,अब उसी में खुद उलझते नजर आ रहे हैं।
केजरीवाल को जवाब देना हो रहा मुश्किल
पहले केजरीवाल ने अपने स्थानीय विधायक अमानतुल्ला खान के माध्यम से आंदोलन की बिसात बिछायी और खुद चुप्पी साधे रखी। हालांकि परोक्ष रूप से आंदोलन के नाम पर अराजकता को समर्थन देते रहे। लोगों को भड़काने के लिए आम आदमी पार्टी के स्थानीय नेताओं को लगा दिया। शुरू में शाहीन बाग के आंदोलन पर केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का नियंत्रण था। लेकिन कांग्रेस नेताओं के दौरे ने केजरीवाल को मुश्किल में डाल दिया। शाहीन बाग का आंदोलन केजरीवाल के हाथों से निकलकर कांग्रेस के हाथ में चला गया।
टुकड़े-टुकड़े गैंग ने बढ़ायी केजरीवाल की मुश्किल
जब केजरीवाल को कांग्रेस से चुनौती मिलने लगी, तो वह बेचैन हो उठे। शाहीन बाग के धरने पर फिर से नियंत्रण करने के लिए अपने स्थानीय नेताओं को लगाया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। धरना की कमान कांग्रेस के हाथों से निकलकर टुकड़े-टुकड़े गैंग के हाथ में चली गई। शरजील इमाम के देश विरोधी बयानों ने धरने की हकीकत को दुनिया के सामने ला दिया। बीजोपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने शरजील इमाम का वीडियो पोस्ट किया था। इसमें शरजील असम को भारत से अलग करने और सेना को पूर्वोत्तर में घुसने से रोकने के लिए लोगों को भड़काता नजर आया था।
दोस्तों शाहीन बाग़ की असलियत देखें:
१)असम को इंडिया से काट कर अलग करना हमारी ज़िम्मेदारी
२)”Chicken Neck” मुसलमानो का है
३)इतना मवाद डालो पटरी पे की इंडिया की फ़ौज Assam जा ना सके
४)सारे ग़ैर मुसलमानो को मुसलमानों के शर्त पर ही आना होगा
If this is not ANTI NATIONAL then what is? pic.twitter.com/kgxl3GLwx1— Sambit Patra (@sambitswaraj) January 25, 2020
देश विरोधी बयान बने गेम चेंजर
शरजील का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक लड़की का वीडियो पोस्ट किया। इसके साथ लिखा- अब उस नापाक शरजील इमाम के बाद जरा इस मोहतरमा को भी सुन लीजिए- ‘हमें किसी पर भरोसा नहीं है, इसे सुप्रीम कोर्ट पर भी विश्वास नहीं, अफजल गुरु निर्दोष था, राम जन्मभूमि पर मस्जिद बनना था। दोस्तों इतने जहर की खेती इन कुछ ही दिनों में तो नहीं हुआ होगा? शरजील के साथ ही इस बयान ने न सिर्फ दिल्ली की सियासत में तूफान ला दिया, बल्कि पूरे देश में आक्रोश देखने को मिला।
अब उस नापाक शरजील इमाम के बाद जरा इस मोहतरमा को भी सुन लीजिए-
“हमें किसी पे भरोसा नहीं है”
“इस Supreme Court पर भी विश्वास नहीं”
अफ़ज़ल गुरु निर्दोष था
रामजन्मभूमि पर मस्जिद बनना था …दोस्तों इतने ज़हर की खेती(वो भी mass manufacturing) इन कुछ ही दिनो में तो नहीं हुआ होगा?? pic.twitter.com/S6IWU22gKo
— Sambit Patra (@sambitswaraj) January 26, 2020
ईडी की रिपोर्ट से खुलासा
इसी दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक रिपोर्ट ने बीजेपी के उस दावे की पुष्टि की, जिसमें कहा गया था कि आंदोलन पूरी तरह से प्रायोजित है और इसके लिए पैसे दिए जा रहे हैं। शाहीन बाग के धरने के पीछे देशविरोधी ताकतों का हाथ है। ईडी की जांच में पता चला है कि सीएए के खिलाफ हिंसा वाले इलाकों से केरल के संगठन पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का आर्थिक लेनदेन हुआ था। ईडी ने कांग्रेस के सीनियर लीडर और सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल पर सीएए विरोधी प्रोटेस्ट के लिए पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया से पैसे लेने का आरोप लगाया। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि शाहीन बाग में जहां धरना दिया जा रहा है, उसके ठीक सामने पीएफआई का दफ्तर भी है।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित होने का डर
अगर शाहीन बाग में धरना जारी रहा तो मतदान पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है। कई मतदान बूथों पर धरना-प्रदर्शन का असर पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि धरना-प्रदर्शन के चलते करीब 25 मतदान केंद्रों पर वोटिंग बाधित हो सकती है। इनमें से 20 केंद्र शाहीन बाग में ही हैं। इसके आसपास के इलाके भी प्रभावित हो सकते हैं। अगर यहां पोलिंग पार्टी पहुंच भी जाए तो वोटर कैसे पहुंचेंगे। इसके अलावा दिल्ली में शाहीन बाग के अलावा जाफराबाद, मुस्तफाबाद, तुर्कमान गेट, खुरेजी, इंद्रलोक, भजनपुरा आदि में प्रदर्शन चल रहे हैं। यहां भी वोटिंग के दिन असर नजर आ सकता है। एक तरह से लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित होगी जिसका सही संदेश कतई नहीं जाएगा।
3 लाख तक किराए वाली 250 दुकानें 45 दिनों से बंद
शाहीन बाग में दुकानें और शो रूम बंद हैं। इनका किराया 40 हजार से 3 लाख रुपए तक है। कारोबारियों को काफी नुकसान हो रहा है। कालिंदीकुंज-शाहीन बाग रोड के इस हिस्से में लगभग 250 दुकानें हैं। बड़े ब्रांड्स के शो रूम हैं तो छोटी दुकानें भी। ये 45 दिन से बंद हैं। आजकल शटर उठते हैं, सफाई होती है और फिर गिरा दिए जाते हैं। सिलसिला बदस्तूर जारी है। धरने की वजह से बड़े ब्रांड्स अपने फ्रेंचाइजीस बंद करने की तैयारी कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
प्रदर्शनकारी सड़क पर इस प्रकार से धरने पर बैठे हैं कि लोगों के लिए वहाँ से पैदल निकलना भी दूभर है। लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे, स्थानीय लोगों का व्यापार ठप्प हो गया है,आधे घंटे की दूरी तीन चार घंटों में तय हो रही है जिससे नौकरी पेशा लोगों का अपने कार्यस्थल तक पहुंचने में असाधारण समय बर्बाद हो रहा है। ऑफिस देर से पहुंचने पर कई लोगों की नौकरी जा चुकी है। एंबुलेंस को रास्ता नहीं दिए जाने के कारण मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं। इससे स्थानीय लोगोंं में भी आक्रोश बढ़ रहा है। स्थानीय निवासियों ने सरिता विहार के एसीपी अजब सिंह से भी मुलाकात की और कहा कि अगर एक हफ्ते के भीतर रास्ता नहीं खोला गया तो स्थानीय निवासी शाहीन बाग में प्रदर्शन करेंगे। वहीं स्थानीय लोगों ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी रास्ता खुलवाने के लिए याचिका दाखिल की।
कन्हैया और उमर खालिद की फ़ाइल पर बैठे हैं केजरीवाल
बीजेपी ने केजरीवाल पर चौतरफा हमला बोल दिया है। बीजेपी ने केजरीवाल से सवाल पूछा है कि आप शरजील के खिलाफ कार्रवाई की बात कह रहे हैं, लेकिन कन्हैया और उमर खालिद की फ़ाइल पर कुंडली दबाकर क्यों बैठे हैं ?
बीजेपी स्थानीय लोगों की परेशानियों को उठा रही है
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ कहा कि शाहीन बाग में देश तोड़ने वाले लोग बैठे हैं। रविशंकर प्रसाद ने इनकी तुलना टुकड़े-टुकड़े गैंग से की। उन्होंने यह भी कहा कि इन लोगों को उन लाखों लोगों की चिंता नहीं है जिनके बच्चे महीने भर से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। एंबुलेंस को रास्ता नहीं मिल रहा है।
अमित शाह का केजरीवाल पर हमला
केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव में मोर्चा खोल दिया है। इस मुद्दे पर अमित शाह ने केजरीवाल को घेरते हुए कहा, ‘दंगे करवाएं केजरीवाल, शाहीन बाग के साथ खड़े होने की बाते करें तो वहां बैठे लोग हमसे ज्यादा अरविंद केजरीवाल की ही बात मानेंगे। श्रीमान केजरीवाल जी आप में हिम्मत है तो जाकर शाहीन बाग में धरने पर बैठें फिर दिल्ली की जनता आपको अपना फैसला सुनाएगी।’
‘शाहीन बाग में कौन किधर कैंपेन’ शुरू
बीजेपी ने सोमवार को ‘शाहीन बाग में कौन किधर कैंपेन’ शुरू किया। इस अभियान के तहत बीजेपी के नेता आम आदमी पार्टी और लोगों से ये पूछ रहे हैं कि वे शाहीन बाग के समर्थन में हैं या फिर विरोध में। बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। जिसमें उन्हें सफलता भी मिल रही है।
दिखने लगा है बदलाव
शायद केजरीवाल और विपक्ष को अहसास है कि अगर शाहीन बाग और सीएए-एनआरसी का मुद्दा जोर शोर से उठा तो बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता है। सिसोदिया के बयान ने बता दिया कि ये मुद्दा किस कदर आग में घी का काम कर सकता है। यही वजह है कि केजरीवाल एंड कंपनी इस मुद्दे से बचने की कोशिश कर रही है। जबकि कांग्रेस भी इस मुद्दे से किनारा करते हुए स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर रही है।
बैकफूट पर केजरीवाल
शाहीन बाग की वजह से जिस तेजी के साथ वोटरों का ध्रुवीकरण हो रहा है। उससे अरविंद केजरीवाल को लेने के देने पड़ सकते हैं। अमित शाह, रविशंकर प्रसाद, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, माडल टाउन से बीजेपी प्रत्याशी कपिल मिश्रा, दिल्ली प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल, बीजेपी के प्रवक्ता सांबित पात्रा के बयान ने शाहीन बाग में प्रदर्शन पर जमकर हलचल मचाई है। बीजेपी कहीं भी रक्षात्मक नहीं हुई। शाहीन बाग में मणिशंकर अय्यर, दिग्विजय सिंह, जेएनयू छात्रसंघ की नेता आइशी घोष के बयानों ने भी बीजेपी की काफी मदद की है। नए-नए खुलासों और बीजेपी के चौतरफा हमलों ने केजरीवाल को बैकफूट पर ला दिया है। बीजेपी की आक्रमकता ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी को काफी हद तक रक्षात्मक बना दिया है। वहीं दिल्ली की चुनावी हवा को बीजेपी की तरफ मोड़ दिया है।