प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दलितों के मसीहा हैं। ऐसा पीएम मोदी ही कर सकते हैं। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर सत्ता की गलियारों में कई नामों की चर्चा थी। सभी कयास लगा रहे थे। इस सबके बीच राष्ट्रपति चुनाव के लिए उन्होंने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा कर सभी को चौंका दिया। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद उनके नाम की घोषणा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने की। अमित शाह ने बताया कि रामनाथ कोविंद जी पिछड़ों और गरीबों के लिए हमेशा संघर्ष करते रहे हैं। कोविंद जी भाजपा दलित मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले तीन साल में गरीब, पिछड़ों और दलितों के कल्याण और भलाई के लिए जितने काम किए हैं वो पिछले 70 साल में नहीं हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामनाथ कोविंद को बधाई देते हुए ट्वीट किया कि मुझे यकीन है वे अच्छे राष्ट्रपति साबित होंगे, उनके ज्ञान से देश को लाभ होगा। पीएम मोदी ने ट्वीट में कहा कि कोविंद संविधान के अच्छे जानकार हैं।
I am sure Shri Ram Nath Kovind will make an exceptional President & continue to be a strong voice for the poor, downtrodden & marginalised.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 19, 2017
With his illustrious background in the legal arena, Shri Kovind’s knowledge and understanding of the Constitution will benefit the nation.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 19, 2017
Shri Ram Nath Kovind, a farmer’s son, comes from a humble background. He devoted his life to public service & worked for poor & marginalised
— Narendra Modi (@narendramodi) June 19, 2017
रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में हुआ। यूपी से दो बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं। पेशे से वकील कोविंद ऑल इंडिया कोली समाज के अध्यक्ष भी रहे हैं। इन्होंने कानपुर नगर के बीएनएसडी इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डीएवी कॉलेज से बी कॉम व डीएवी लॉ कालेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद दिल्ली में रहकर आईएएस की परीक्षा तीसरे प्रयास में पास की। लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी ठुकरा दी।
रामनाथ कोविंद ने इसके बाद दिल्ली में वकालत शुरु कर दी। 1971 में उन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया में अपना पंजीकरण कराया। वह दिल्ली उच्च न्यायलय और सर्वोच्च न्यायलय दोनों ही जगहों पर वकालत करते थे। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव बने। 1977 में वे केन्द्र सरकार की तरफ से दिल्ली उच्च न्यायलय में वकील नियुक्त हुए और इस पद पर 1979 तक रहे। वकालत के दौरान कोविंद ने गरीब-दलितों के लिए मुफ्त में कानूनी लड़ाई लड़ी।
कोविंद वर्ष 1994 से 2006 तक राज्य सभा के सदस्य रहे। राज्यसभा की सदस्य के रुप में अनुसूचित जाति और जनजाति की कल्याण समीतियों के सदस्य थे। इसके अतिरिक्त वह गृह, पेट्रोलियम और अन्य समितियों के सदस्य रहे। वह राज्य सभा की हाउसिंग कमेटी के भी अध्यक्ष थे। 2010 में जब नितिन गडकरी भाजपा के अध्यक्ष थे तो उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। 8 अगस्त 2015 को उन्हें बिहार का गवर्नर नियुक्त किया गया। कोविंद की शादी 30 मई 1974 को सविता कोविंद से हुई। इनके एक बेटे प्रशांत हैं और बेटी का नाम स्वाति है।