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CM Gehlot गद्दी बचाएं या शासन संभालें…PM Modi ने जिस रेलवे ट्रैक का उद्घाटन किया, वहां नक्सलियों की तरह डेटोनेटर से धमाका, उधर भर्ती परीक्षा का पेपर फिर लीक, लाखों बेरोजगारों के सपने चूर

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राजस्थान में कहावत है तीन तिगाड़ा-काम बिगाड़ा। यानी तीन का आंकड़ा आने से काम बिगड़ जाता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत भी तीन के आंकड़े के साथ तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं। शायद यही वजह है कि उक्त कहावत उनपर फिट बैठ रही है और इस बार उनके सारे काम बिगड़ ही रहे हैं। सीएम की कुर्सी संभालने के समय से ही उन पर शंका के बादल मंडरा रहे थे कि सीएम पायलट बनते हैं या गहलोत? किसी तरह अनुभव की दुहाई देकर और सोनिया का आशीर्वाद लेकर वो सीएम तो बन गए, लेकिन तब से लेकर करीब चार साल होने को आ रहे हैं…हर रोज लगता है कि सीएम की कुर्सी कोई और न ले उड़े। उनके इस बार के कार्यकाल में जितने दंगे हुए हैं, पहले कभी नहीं हुए। उनके इस बार के कार्यकाल में बेरोजगारों से सपने तोड़ने के जितने प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक हुए, उतने पहले कभी नहीं हुए। इस बार शह और मात की बिसात पर वे जितनी राजनीतिक गुगलियों के शिकार हुए, पहले कभी नहीं हुए। यहां तक की उन्हें सार्वजनिक रूप से जीवन में पहली बार सोनिया गांधी से माफी तक मांगनी पड़ी।

आतंकी घटना और दंगे गवाह…सीएम का शासन-प्रशासन पर नियंत्रण लगातार हो रहा है कमजोर
इन सारे पहली बार की वास्तविकताओं को लब्बो-लुआब यही है कि मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत का शासन-प्रशासन से नियंत्रण बेहद कमजोर हो गया है। कानून-व्यवस्था की हालत यह है कि राजस्थान के मस्तक पर बार-बार रेपिस्तान का दाग लग रहा है। पूरे देश में सबसे ज्यादा अबलाओं से साथ दुष्कर्म के हादसे उन्हीं के कार्यकाल में हो रहे हैं। उदयपुर का सिर तन से जुदा करने वाला निर्मम आतंकी हत्याकांड हो या करौली-भीलवाड़ा-जोधपुर-डूंगरपुर के दंगे, सभी ने सरकार को कलंकित किया है। इस कड़ी में ताजा मामला उदयपुर का जुड़ गया है। जी-20 शिखर सम्मेलन और गुजरात चुनाव से ठीक पहले बेखौफ बदमाशों नें नक्सलियों की तरह उदयपुर-अहमदाबाद रेल ट्रैक को डेटोनेटर से उड़ाने की कोशिश की। उपद्रवियों ने विस्फोट कर पुलिया को उड़ाने की साजिश उदयपुर से 35 किमी दूर ओड़ा रेलवे पुलिया पर रची।

पीएम मोदी ने छह साल का इंतजार खत्म कर कहा- यह ट्रैक औद्योगिक विकास को गति देगा
यह वही रेलवे ट्रैक है, जिसपर पीएम नरेंद्र मोदी ने उदयपुर-अहमदाबाद ट्रेन की शुरुआत गत 31 अक्टूबर को असारवा स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर की थी। यह वही ट्रैक है, जिसके लिए उदयपुर से अहमदाबाद तक के लाखों लोग 6 साल से इंतजार कर रहे थे। पहले यहां मीटर गेज (छोटी लाइन) थी, इसे हटाकर ब्रॉड गेज में तब्दील किया गया है। एक नवंबर को जब प्रधानमंत्री मोदी बांसवाड़ा के मानगढ़ आए थे, तब भी उन्होंने अपने भाषण में इस रेलवे लाइन के महत्व के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि उदयपुर और इसके आसपास के जिलों के लोगों के लिए गुजरात आने-जाने की सहूलियत तो होगी ही, इसके साथ ही यह लाइन इस इलाके में औद्योगिक विकास को गति देगी।

उपद्रवियों की साजिश रेलवे पुल को उड़ाने और रेलवे ट्रैक को बर्बाद करने की
इसी उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक पर बने पुल पर शनिवार देर रात अज्ञात लोगों ने ब्लास्ट कर दिया। यह धमाका इतना तेज था कि इससे पटरियों पर क्रैक आ गया। मौके पर बारूद भी मिला है। बदमाशों की साजिश पुल को उड़ाने और रेलवे ट्रैक को बर्बाद करने की थी। धमाके से कुछ घंटे पहले ही इस ट्रैक से ट्रेन गुजरी थी। घटना के बाद अहमदाबाद से उदयपुर आ रही ट्रेन को डूंगरपुर में रोक दिया गया है। उधर, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा- मौके पर ATS, NIA और रेल पुलिस गहराई से जांच कर रही है। आखिर इस साजिश के पीछे उपद्रवियों की मंशा क्या थी? वो कौन लोग हैं और किसके इशारे पर इस तरह की खतरनाक साजिश को अंजाम देने में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वो कोई भी हो, उनकी जल्द धरपकड़ होगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

NIA और ATS समेत तमाम एजेंसियां जांच में जुटी कि साजिश के पीछे क्या मकसद
रेलवे पुल पर एक धमाका, जिसने रविवार को पूरे राजस्थान को हिला कर रख दिया। क्या यह आतंकी घटना है या किसी की शरारत। आखिर इसके पीछे मकसद क्या था? फिलहाल NIA, स्टेट ATS समेत तमाम एजेंसियां इसकी जांच में जुटी हैं। सोमवार को नेशनल सिक्योरिटी गाड्‌र्स (NSG) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की टीमें भी मौके पर पहुंचीं और इन्वेस्टिगेशन शुरू की। पूरे मामले में आतंकी और नक्सली एक्टिविटी के एंगल से भी जांच की जा रही है। NIA के एसपी रवि चौधरी ने भी घटनास्थल का दौरा किया। टीम ने मौके से सैंपल लिए। इस दौरान ATS के अधिकारी भी उनके साथ रहे। हर चीज को लोकल ATS ने ब्रीफ कर बताया। वहीं, आईबी की टीम जॉइंट डायरेक्टर के नेतृत्व में टीम आई है। उन्होंने भी मौके पर निरीक्षण किया। एनएसजी ने ब्रिज के आस-पास एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर सबूत जमा किए हैं। जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने कहा- डेटोनेटर से पुल को उड़ाने की साजिश सामने आई है। उदयपुर एसपी विकास शर्मा ने कहा कि शुरुआत में तो यह लग रहा है कि पूरी तरह प्लानिंग कर ब्लास्ट किया गया है। डेटोनेटर सुपर 90 श्रेणी का है।राजस्थान वनरक्षक भर्ती का पेपर लीक होने से लाखों बेरोजगारों के सपने चूर-चूर
देशभर में उदयपुर के धमाकों से सुर्खियों में आए राजस्थान के सिस्टम की पोल एक अन्य मामले से भी खुली है। बेरोजगारों के सपनों को धराशायी करने का एक और प्रतियोगी परीक्षा के पेपर लीक का मामला रविवार को ही सामने आया। दरअसल, भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के मामले राजस्थान में थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अबकी बार राजस्थान वनरक्षक भर्ती 2022 परीक्षा का पेपर लीक हो गया है। वन विभाग के वनरक्षक के 2300 पदों के लिए हुई परीक्षा का 12 नवंबर को दूसरी पारी का पेपर लीक हुआ है। राजसमंद में मामले में पुलिस की कार्रवाई के बाद भर्ती एजेंसी राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने प्रारम्भिक तौर पर लीक मानते हुए 12 नवम्बर को आयोजित हुआ दूसरी पारी का पेपर निरस्त कर दिया है।

पेपर लीक गिरोह का पता लगाने में जुटी है पुलिस, छह लाख में हुआ था सौदा
पेपर लीक गिरोह का पता लगाने के लिए राजस्थान पुलिस की स्पेशल विंग एसओजी एक्टिव हो गई है। राजसमंद पुलिस ने सरकारी कर्मचारी सहित दो युवकों को गिरफ्तार किया है। देर रात तक दिल्ली समेत राज्य के पांच जिलों में दबिश दी है। जांच में सामने आया है कि पेपर लीक का सौदा छह लाख में हुआ था। गिरफ्तार किए गए आरोपी दीपक शर्मा और हेमराज मीणा के मोबाइल की सीडीआर निकाली जा रही है। पिछले दिनों में ये दोनों आरोपी किन-किन के संपर्क में रहे, इसका भी पता लगाया जा रहा है। संपर्क में रहने वाले हर व्यक्ति से पूछताछ की जाने की तैयारी की जा रही है। राजसमंद एसपी सुधीर चौधरी का कहना है कि करीब एक दर्जन संदिग्ध युवकों को हिरासत में लिया गया है। जल्द ही इस गिरोह का खुलासा किया जाएगा।

रीट से लेकर कांस्टेबल परीक्षा में पेपर लीक ने भी कराई थी सरकार की किरकिरी
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के चेयरमेन हरिप्रसाद शर्मा के मुताबिक निरस्त पेपर की परीक्षा अब एक बार फिर से दिसम्बर 2022 या जनवरी 2023 में करवाई जाएगी। लेकिन यह पहली बार नहीं है, जबकि प्रतियोगी परीक्षा के पेपर लीक के मामले में सरकार की फजीहत हुई है। रीट से लेकर कांस्टेबल की परीक्षा तक कई बार पेपर लीक हुए हैं। 26 सितंबर 2021 को हुई रीट परीक्षा में लेवल टू का पेपर आउट हुआ था। करीब 20 लाख अभ्यर्थियों वाली इस परीक्षा का पर्चा आउट होने पर राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। इस प्रकरण में दो आरएएस, दो आरपीएस, पुलिस इंस्पेक्टर और सिपाहियों सहित कई अफसर निलंबित हुए थे। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन प्रो डीपी जारोली को सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। सरकार को रीट लेवल की पेपर रद्द करना पड़ा और जुलाई 2022 में फिर से एग्जाम लिया गया।

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