जब भी कोई महामारी आती है, तो उससे निपटना किसी देश के लिए काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है। लेकिन इससे पता चलता है कि देश उसका सामना करने के लिए कितना तैयार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर संभालते ही स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए प्रयास शुरू कर दिए। एम्स के निर्माण,मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में सीटें बढ़ाने,आयुष्मान भारत योजना, जनऔषधि केंद्र खोलने जैसे तमाम कदम उठाए। जब कोरोना की नई चुनौती आई, तो उसे लड़ने के लिए देश के पास वेंटिलेटर्स, पीपीई किट,मास्क और कई अन्य सुविधाओं की कमी थी। लेकिन मोदी सरकार ने चुनौती को अवसर में बदल दिया। इसका नतीजा है कि आज भारत न सिर्फ महामारी का मजबूती से सामना कर रहा है, बल्कि दूसरे देशों की भी मदद कर रहा है। आइए एक नजर डालते हैं किस तरह मोदी सरकार के छह सालों के प्रयास पिछले 70 सालों के प्रयासों पर भारी पड़ रहे हैं।
एम्स की संख्या में दोगुनी बढ़ोतरी
एम्स अपनी क्वालिटी और सस्ते इलाज के लिए जाने जाते हैं। जब मरीज सब जगह इलाज कराने के बाद थक चुका होता है तो एम्स पहुंचता है। उसे एम्स पर पूरा भरोसा होता है कि यहां बेहतर इलाज मिलेगा और बीमारी दूर होगी।लेकिन देश का दुर्भाग्य था कि दशकों तक एम्स के निर्माण पर ध्यान नहीं दिया गया। 1956 में दिल्ली में एम्स का निर्माण किया गया था। इसके बाद वाजपेयी सरकार में इसके निर्माण की दिशा में पहल की गई। 2014 तक देश में 6 एम्स थे। मोदी सरकार ने एम्स के निर्माण पर ध्यान दिया और 15 एम्स बनाने की मंजूरी दी। इस तरह 2020 तक देश में निर्माणाधीन और सेवारत एम्स की कुल संख्या बढ़ कर 21 तक पहुंच गई।
मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 48 प्रतिशत की छलांग
भारत डॉक्टर-पेशेंट रेशो के मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मापदंडों से काफी पीछे है। इस गैप को पाटने और लोगों को आसानी से इलाज की सुविधा उपलब्ध हो सके इसके लिए मोदी सरकार ने मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। हैरानी की बात है कि 2014 में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 381 थी। मोदी सरकार आने के बाद इसमें 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 2020 में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़कर 565 तक पहुंच गई। नये मेडिकल कॉलेज खुलने से देश में मेडिकल की सीटों में बढ़ोतरी हुई।
अंडर ग्रेजुएट मेडिकल सीटों की संख्या में 57.7 प्रतिशत की वृद्धि
मोदी सरकार में कॉलेजों की संख्या में इजाफा होते ही मेडिकल की सीटों में बढ़तोरी हुई। जहां 2014 में अंडर ग्रेजुएट मेडिकल सीटों की संख्या 54,348 थी, वहीं 2020 में इसमें 57.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2020 में अंडर ग्रेजुएट मेडिकल सीटों की संख्या बढ़कर 85,726 तक पहुंच गई।पुराने और नए मेडिकल कॉलेज में सीटों की संख्या बढ़ने से क्वालिफाइड डॉक्टरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई और किफायती मेडिकल शिक्षा को भी बढ़ावा मिला।
पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सीटों की संख्या में 80 प्रतिशत की वृद्धि
पोस्टग्रेजुएट मेडिकल सीटों की संख्या बढ़ाने को लेकर भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) ने प्रवेश नियमों में संशोधन करते हुए सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए एमबीबीएस के साथ-साथ पोस्टग्रेजुएशन के कोर्स को भी अनिवार्य कर दिया है। साल 2020-21 तक सभी मेडिकल कॉलेजों में पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रम शुरू करना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सीटों की संख्या में 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। जहां 2014 में पीजी की 30,191 सीटें थीं, जो 2020 में बढ़कर 54,275 हो गईं।
अस्पतालों को एक साल में 50 हजार वेंटिलेटर्स की आपूर्ति
कोरोना महामारी की वजह से देश में वेंटिलेटर्स की कमी हो गई थी। इसको देखते हुए मोदी सरकार ने 13 मई, 2020 को 50 हजार वेंटिलेटर्स खरीदने के लिए पीएम केयर्स फंड से 2000 करोड़ रुपये जारी कर आलोचकों को करारा जवाब दिया। 2014 तक देश में सिर्फ 47 हजार वेंटिलेटर्स थे, लेकिन मोदी सरकार ने देश में ही 50 हजार वेंटिलेटर्स तैयार करने के लिए फंड जारी किया और निर्मित होने के बाद उन्हें अस्पतालों को भेजा। इससे पता चलता है कि जो काम 70 सालों में हुआ, उसे मोदी सरकार ने एक साल में पूरा कर दिखाया।
आइए जानते हैं, मोदी सरकार किस तरह ‘स्वस्थ भारत’ के सपने को साकार करने के लिए अथक प्रयास कर रही है…
स्वास्थ्य को लेकर मोदी सरकार का 4 Pillar पर फोकस
पूर्व की सरकारों के विपरीत मौजूदा मोदी सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र को वर्गों में बंटकर देखने के बजाय समग्र रूप से देख रही है। मोदी सरकार स्वस्थ्य भारत की दिशा में चौतरफा रणनीति पर काम कर रही है। स्वास्थ्य संबंधी वास्तविक जरूरतों को समझते हुए हेल्थ सेक्टर से जुड़े अभियानों में स्वच्छता मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, उपभोक्ता मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी शामिल किया गया। इन सब मंत्रालयों को मिलाकर चार Pillars पर फोकस किया जा रहा है जिनसे लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
- Preventive Health – इसके तहत स्वच्छता, योग और टीकाकरण को बढ़ावा देने वाले अभियान शामिल हैं जिनसे बीमारियों को दूर रखा जा सके।
- Affordable Healthcare – इसके अंतर्गत जनसामान्य के लिए सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
- Supply side interventions – इसमें उन कदमों पर जोर है जिनसे किसी दुर्गम क्षेत्र में भी ना तो डॉक्टरों और ना ही अस्पतालों की कमी हो।
- Mission mode intervention – इसमें माता और शिशु की समुचित देखभाल पर बल दिया जा रहा है।
इन चार Pillars के आधार पर ही मोदी सरकार ने हेल्थकेयर से जुड़ी अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाया है।
कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई
कोरोना महामारी से निपटने के लिए मेडिकल उपकरण से लेकर दवाइओं, वेंटिलेटर से लेकर वैक्सीन, वैज्ञानिक अनुसंधान से लेकर निगरानी संरचना, डॉक्टरों से लेकर महामारी विज्ञानियों सब पर फोकस किया गया है। ताकि वर्तमान और भविष्य में देश किसी स्वास्थ्य आपदा से निपटने में बेहतर रूप से तैयार हो। आज पूरा विश्व भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की मजबूती और दृढ़ता की खुलकर प्रशंसा कर रहा है। कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र ने अपने अनुभव और योग्यता को दिखाया है।
तेज़ी से टीकाकरण में भारत दुनिया में सबसे आगे
भारत इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चला रहा है। वैक्सीनेशन अभियान में भारत नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 21 अप्रैल, 2021 तक भारत ने सिर्फ़ 95 दिनों में 13 करोड़ से अधिक वैक्सीन के डोज़ लगाकर एक बार फिर साबित कर दिखाया है कि तेज़ी से टीकाकरण में हम दुनिया में सबसे आगे हैं। USA ने यह आंकड़ा 101 दिन में पूरा किया था,जबकि चीन ने इसे 109 दिन में पूरा किया था।
भारत ने सिर्फ़ 95 दिनों में 13 करोड़ से अधिक वैक्सीन के डोज़ लगाकर एक बार फिर साबित कर दिखाया है कि तेज़ी से टीकाकरण में हम दुनिया में सबसे आगे हैं।
USA ने यह आंकड़ा 101 दिन में पूरा किया था,जबकि चीन ने इसे 109 दिन में पूरा किया था।@PMOIndia pic.twitter.com/8BIH20fMhY
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) April 21, 2021
चरणबद्ध अभियान
पहला चरण
- पहले चरण में 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा गया था। इनमें एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और दो करोड़ अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी शामिल किया गया।
दूसरा चरण
- 1 मार्च, 2021 से दूसरे चरण की शुरुआत हुई। वहीं 1 अप्रैल, 2021 से 45 साल से ऊपर के लोगों को टीका लगायी जा रही है।
तीसरा चरण
- 1 मई, 2021 से टीकाकरण का तीसरा चरण शुरू होगा। इस चरण में 18 वर्ष और उसके ऊपर के सभी लोगों को टीका लगाया जाएगा।
टीकाकरण के लाभार्थी
- कोविड-19 का टीका फिलहाल केवल 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को दिया जा रहा है और हर डोज 0.5 मिलीलीटर का है।
- एक व्यक्ति को एक ही वैक्सीन की दो डोज लगायी जा रही है। पहले और दूसरे डोज के बीच करीब 42 से 56 दिनों का फासला रखा गया है।
- जुलाई 2021 तक 30 करोड़ लोगों को टीका लगेगा। 30 करोड़ की आब़ादी से ऊपर के दुनिया के 3 ही देश हैं- भारत, चीन और अमेरिका।
- देशवासियों को सबसे सस्ती वैक्सीन उपलब्ध कराकर भारत ने दुनिया के सामने मिसाल पेश की है।
‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ के जरिए अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति
देश में कोरोना संक्रमण के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। अस्पतालों पर कोरोना मरीजों के बढ़ते दबाव और ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए मोदी सरकार ने 9 सेक्टरों को छोड़कर अन्य उद्योगों को ऑक्सीजन की सप्लाई बंद करने और ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ चलाने का बड़ा फैसला किया है। रेलवे मंत्रालय राज्यों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ के जरिए लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) और ऑक्सीजन सिलेंडरों की आपूर्ति कर रहा है और मरीजों की जान बचा रहा है।
162 सरकारी अस्पतालों में लगेंगे ऑक्सीजन जेनेरेशन प्लांट्स
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीएम केयर्स फंड से देश के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए 201.58 करोड़ रुपये जारी किया । इस रकम से देश भर में 162 सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन जेनेरेशन प्लांट्स लगाए जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस फैसले से जहां मरीजों को बड़ी राहत दी, वहीं विपक्ष को करारा जवाब दिया है, जो बार-बार पीएम केयर्स फंड के इस्तेमाल को लेकर सवाल उठा रहा था।
कोरोना का समाधान
- कोवैक्सीन और कोविशील्ड भारतीय वैज्ञानिकों के आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
- कोवैक्सीन का विकास आइसीएमआर और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने संयुक्त रूप से किया है।
- डिजिटल प्रौद्योगिकी पर आधारित आरोग्य सेतु एप कोरोना संक्रमण के जोखिम का आकलन करने में मदद करता है।
- कोविड-19 टीकाकरण के पूरे महाअभियान की निगरानी, नियंत्रण और समन्वय के लिए CoWIN एप का विकास किया गया है।
- सीएसआईआर-एनएएल ने 35 दिनों के भीतर बाईपैप वेंटिलेटर का विकास किया।
- एसआईआर के वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए एक पेपर-स्ट्रिप आधारित परीक्षण किट विकसित किया।
- भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमण की त्वरित जांच करने वाली ई-कोव-सेंस नामक इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसिंग डिवाइस तैयार की।
- रेलवे के सोलापुर डिविजन ने स्वास्थ्यकर्मियों और मरीजों की सुविधा के लिए मेडिकल असिस्टन्ट रोबोट का निर्माण किया।
‘स्वस्थ भारत’ के सपने को साकार करती मोदी सरकार
2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘स्वस्थ भारत’ के सपने को साकार करने का संकल्प लिया। इस संकल्प को पूरा करने के लिए पिछले 6 सालों से मोदी सरकार अथक प्रयास कर रही है। मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाएं आज गरीब और असहाय लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है।
हेल्थ सेक्टर के बजट में लगभग ढाई गुना वृद्धि
मोदी सरकार के बजट 2021 में स्वास्थ्य सेक्टर के लिए आवंटन में अच्छी-खासी वृद्धि की गई, जिसका हर किसी ने तारीफ की। मोदी सरकार ने आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में स्वास्थ्य सेक्टर के लिए 2.2 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया। इस तरह स्वास्थ्य सेक्टर के लिए बजट को दोगुना से अधिक कर दिया गया। कोविड के खिलाफ वैक्सीनेशन के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव सकारात्मक कदम है। ‘क्रिटिकल केयर ब्लॉक’ बनाने की घोषणा एक अभिनव पहल सरीखी है। यदि यह अमल में आई तो विभिन्न हादसों में गंभीर रूप से घायल और गंभीर बीमारियों से पीड़ित ज्यादा से ज्यादा मरीजों की जान बचाई जा सकेगी।
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2020 को देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के शुभारंभ की घोषणा की। इसके तहत सभी नागरिकों को स्वास्थ्य पहचान पत्र दिए जाएंगे। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन प्रत्येक भारतीय नागरिक को देश भर में स्वास्थ्य सेवा में परेशानी मुक्त पहुंच के लिए एक अनूठा स्वास्थ्य खाता रखने में सक्षम करेगा। इस एकमात्र स्वास्थ्य पहचान पत्र में प्रत्येक जांच, प्रत्येक बीमारी, डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाइयां, रिपोर्ट और संबंधित सूचनाएं रहेंगी। पूरी तरह से प्रौद्योगिकी आधारित इस पहल से स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति आने की उम्मीद है।
आयुष्मान भारत योजना से मिली स्वास्थ्य सुरक्षा
आयुष्मान भारत योजना अफॉर्डेबल हेल्थकेयर के क्षेत्र में सबसे क्रांतिकारी कदम है। 20 अप्रैल, 2021 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत 1.77 करोड़ से अधिक लोगों का मुफ्त इलाज किया जा चुका है। इस योजना के तहत 31 मार्च, 2021 तक 70 हजार आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्र शुरू करने का लक्ष्य रखा गया था, जो समय से पहले ही पूरा कर लिया गया। कोरोना महामारी के बावजूद केन्द्र और राज्यों के बीच बेहतरीन समन्वय के कारण ही समय से पूर्व ही केन्द्र खोलने के लक्ष्य को पूरा किया जा सका।
आयुष्मान योजना से ‘आयुष्मान भव’ भारत
23 सितंबर, 2018 को झारखंड की राजधानी रांची से प्रधानमंत्री के द्वारा प्रारंभ की गई यह योजना देश के करीब 53 करोड़ लोगों को लक्ष्य करके बनाई गई है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस योजना की शुरुआत गरीबों और समाज के वंचित वर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा और उपचार प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है। मोदी सरकार इस जन आरोग्य योजना को और सुगम और सरल बनाने की कोशिश में जुटी है, ताकि अधिक-से-अधिक गरीब परिवार इसका लाभ उठा सकें। इसके लिए एक वेबसाइट mera.pmjay.gov.in और टोल फ्री नंबर 14555 और टोल फ्री नंबर 1800-111-565 जारी किया जा चुका है। इसकी मदद से कोई भी जान सकता है कि उसका परिवार लाभार्थियों में शामिल है या नहीं।
53 करोड़ लोगों के लिए स्वास्थ्य-सुरक्षा कवर
दुनिया में मोदी केयर के नाम से विख्यात इस योजना के तहत देश के 10 करोड़ गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों यानी करीब 53 करोड़ लोगों को प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये के सालाना चिकित्सा बीमा की सुविधा मिल रही है। अगर उनके परिवार में कोई बीमार पड़ा तो एक साल में 5 लाख रुपये का खर्च भारत सरकार और इंश्योरेंस कंपनी मिलकर देती है। इसके लिए मोदी सरकार ने देश भर में चिकित्सा सुविधाओं को सुदृढ़ करने की भी योजना बनाई है।
मेडिकल डिवाइस की कीमत पर लगी लगाम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार लगातार चिकित्सा सुविधाओं को सस्ता और सुलभ बनाने के प्रयासों में लगी है। मोदी सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए 1 अप्रैल, 2020 से सिरिंज, डिजिटल थर्मामीटर, स्टेंट डायलिसिस मशीन जैसी तमाम मेडिकल डिवाइस को ड्रग्स की श्रेणी में ला दिया। इसका मतलब यह है कि इनकी गुणवत्ता और कीमत पर सरकार उसी तरह से नियंत्रण कर सकेगी जैसा कि दवाओं के मामले में होता है। मोदी सरकार ने इन मेडिकल मशीनरी की कीमतों पर अंकुश के लिहाज से सरकार ने यह कदम उठाया। यानि अब स्टेंट से लेकर डिजिटल थर्मामीटर तक तमाम मेडिकल डिवाइस सस्ते मिलने लगे हैं और इनकी कीमतों में मनमानी बढ़त पर लगाम लगी है।
स्वच्छ भारत अभियान से बढ़ी स्वच्छता कवरेज
स्वच्छता अभियान लोगों के बीच इस संदेश को देने में सफल रहा है कि गंदगी अपने साथ बीमारियां लेकर आती है, जबकि स्वच्छता रोगों को दूर भगाती है। देश के अधिकतर गांव खुले में शौच से मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। 20 अप्रैल, 2021 तक देश में 10.77 करोड़ से अधिक घरो में शौचालय के निर्माण हो चुके हैं।
योग बना जन आंदोलन
मोदी सरकार ने अपने पहले ही वर्ष में यह बता दिया कि उसकी चिंता देश ही नहीं, विश्व जगत के स्वास्थ्य को लेकर है। आयुष मंत्रालय के सक्रिय होने से योग आज दुनिया भर में एक जन आंदोलन बन रहा है। खुद को तनावमुक्त और सेहतमंद रखने के लिए देश में योग करने वालों की संख्या पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है। इतना ही नहीं योग की ट्रेनिंग से जुड़े रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।
मिशन इंद्रधनुष से संपूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य
देश के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि यदि टीके से किसी रोग का इलाज संभव है तो किसी भी बच्चे को टीके का अभाव नहीं होना चाहिए। 25 दिसंबर 2014 को शुरू की गई मिशन इंद्रधनुष योजना के तहत 20 अप्रैल, 2021 तक 3.8 करोड़ बच्चों को टीका लगाया जा चुका है। इस योजना को बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के मकसद से लॉन्च किया गया था। इसके तहत बच्चों के लिए सात बीमारियों- डिप्थीरिया, काली खांसी, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस बी से लड़ने के लिए वैक्सीनेशन की व्यवस्था है। इस कार्यक्रम के जरिए मोदी सरकार ने दो वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे और उन गर्भवती माताओं तक पहुंचने का लक्ष्य रखा जो टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत यह सुविधा नहीं पा सके।
बजट में वेलनेस सेंटर को मंजूरी
मोदी सरकार देश की हर बड़ी पंचायत में हेल्थ वेलनेस सेंटर खोलने का प्रयास कर रही है। वेलनेंस सेंटर में इलाज के साथ-साथ जांच की सुविधा भी होगी। इतना ही नहीं इस पर भी काम चल रहा है कि जिला अस्पताल में मरीजों को जो दवाएं लिखी जाती हैं वे उन्हें अपने घर के पास के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में उपलब्ध हों।
जन औषधि केंद्र में सस्ती दवाएं
अपनी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए जनसामान्य को जरूरत की दवाइयां सस्ती कीमत पर मिल सके इसी दिशा में उठाया गया यह एक बड़ा कदम है। जन औषधि केंद्रों का संचालन केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय की निगरानी में हो रहा है। 21 अप्रैल, 2021 तक देश में 7,663 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। रसायन और उवर्रक मंत्रालय के अनुसार सरकार की देश भर में जनऔषधि केंद्रों यानि पीएमबीजेके की संख्या बढ़ाकर 10,500 करने की योजना है। मंत्रालय के मुताबिक संख्या में ये बढ़त मार्च 2025 तक पूरा करने की योजना है।
सुरक्षित मातृत्व से जुड़ी अनेक पहल
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान – इसके अंतर्गत सरकार डॉक्टरों से मुफ्त में इलाज करने का अनुरोध करती है। सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच की जाती है।
मातृत्व अवकाश अब 26 हफ्ते का – मोदी सरकार कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते का कर चुकी है। इससे महिलाओं को प्रसूति के लिए अवकाश लेने की सुविधा तो मिल ही रही है, अवकाश की अवधि में माताओं को बच्चे की अच्छी तरह से परवरिश करने का अवसर भी मिल रहा है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना – मां और शिशु का उचित पोषण हो, इसे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सुनिश्चित किया गया है। इसके अंतर्गत गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।
2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य
संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, जबकि भारत ने अपने लिए इस लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टीबी मुक्त भारत अभियान की नई रणनीति योजना को लॉन्च कर चुके हैं। पहले तीन वर्षों में इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
मलेरिया मुक्त भारत की योजना
मोदी सरकार ने जुलाई 2017 में देश से मलेरिया को खत्म करने के लिए National Strategic Plan for Malaria Elimination 2017-22 लॉन्च किया। पूर्वोत्तर भारत में लक्ष्य हासिल करने के बाद अब महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों पर जोर है। 2016 में सरकार ने National Framework for Malaria Elimination 2016-2030 जारी किया था।
घर बैठे अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट
अस्पताल में किसी मरीज को दिखाने ले जाने पर लंबी-लंबी लाइनों से कैसे जूझना पड़ता है, यह हर किसी को पता है। ऐसे में कई बार मरीजों की हालत और भी गंभीर हो जाती है। मरीजों और उनके परिजनों की इसी परेशानी को महसूस करते हुए मोदी सरकार ने देश के सरकारी अस्पतालों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम (ORS) शुरू किया। इसके तहत आधार के जरिए अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट लिए जा रहे हैं। अब तक लाखों मरीज ई-हॉस्पिटल अप्वॉइंटमेंट्स ले चुके हैं।
फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में नेशनल स्पोर्ट्स डे पर फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत की। इस मौके प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि था कि फिटनेस हमारे जीवन का अभिन्न अंग रहा है, लेकिन इधर फिटनेस को लेकर हमारी सोसाइटी में उदासीनता आ गई है। पहले लोग 10-12 किलोमीटर पैदल चल लिया करते थे, लेकिन जैसे ही आधुनिक साधन आए, लोगों की फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई, टेक्नोलॉजी हावी हो गई है। बहुत सारे लोग हैं जो अपनी फिटनेस पर ध्यान ही नहीं देते, कुछ लोग और भी विशेष हैं, कुछ चीजें फैशन स्टेटमेंट हो जाती हैं। कई लोग खुद ज्यादा खाते हैं लेकिन डाइटिंग पर भाषण देते रहते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसी बीमारी से निजात पाने के लिए फिटनेस हमारे जीवन का सहज हिस्सा रहा है व्यायाम से ही स्वास्थ्य, लंबी आयु और सुख की प्राप्ति होती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि निरोग होना सबसे बड़े भाग्य की बात है। स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं। लेकिन बीतते समय के साथ अब सुनने को मिलता है कि स्वार्थ से सब कुछ सिद्ध होता है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर से स्वार्थ भाव को छोड़कर स्वास्थ्य भाव को पाना है।