Home इतिहास के झरोखे में नरेन्द्र मोदी इतिहास के झरोखे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी: 15 जुलाई

इतिहास के झरोखे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी: 15 जुलाई

हर वक्त काम ही काम, हर पल राष्ट्र के नाम, यही है नमो की पहचान

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15 जुलाई 2014
ब्राजील में BRICS SUMMIT में  संबोधन 
ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका- पांच देशों की शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान से अफ्रीका तक का क्षेत्र अशांति और संघर्ष के दौर से गुजर रहा है और जिन देशों को यह सब झेलना पड़ रहा है, उनकी दशा पर मूक दर्शक बने रहने के गंभीर परिणाम होंगे। पहली बार इस शिखर बैठक में भाग ले रहे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद, किसी भी रूप और आकार में हो, मानवता के खिलाफ है। आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।’ 

उन्होंने कहा कि, ‘आज हम जो चुनेंगे वह न केवल हमारे देश का भविष्य तय करेगा, बल्कि कुल मिलाकर पूरे विश्व का भविष्य तय करेगा।’  प्रधानमंत्री ने साइबर जगत के मुद्दे का जिक्र किया और कहा, ‘साइबर जगत अनेक अवसरों का स्रोत है, लेकिन साइबर सुरक्षा एक अहम चिंता का विषय बन चुका है।’ मोदी ने कहा कि ब्रिक्स देशों को साइबर क्षेत्र को समान वैश्विक हित के लिए बनाए रखने के मामले में अगुवाई करनी चाहिए।

15 जुलाई, 2015
राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन का शुभारंभ
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 जुलाई, 2015 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन का शुभारंभ करने के अवसर पर स्किल इंडिया के बारे में अपना विजन व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले दशक में भारत में 4-5 करोड़ से भी अधिक मानव शक्ति की अतिरिक्त उपलब्धता होगी। प्रधानमंत्री ने इस युवा मानव शक्ति को वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए कौशल और योग्यता उपलब्ध कराने की जरूरत पर जोर दिया और इस बारे में सावधान किया कि ऐसा न होने पर यह जनसांख्यिकीय लाभ अपने आप में एक चुनौती बन जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर 20वीं सदी ने भारत के अग्रणीय तकनीकी संस्थानों- आईआईटी को वैश्विक नाम अर्जित करते देखा है तो 21वीं शताब्दी के लिए यह अपेक्षित है कि आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) गुणवत्ता युक्त कुशल मानव शक्ति तैयार करने के लिए वैश्विक मान्यता अर्जित करे। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत विश्व के लिए कुशल कार्यबल उपलब्ध कराने वाला विश्व का सबसे बड़ा देश बन सकता है। ऐसा करने के लिए उन्होंने कहा कि न केलव भारत में बल्कि पूरे विश्व में मानव शक्ति की जरूरतों का पता लगाने की आवश्यकता है।

15 जुलाई, 2016 
ऑपरेशन संकटमोचन में 158 भारतीयों के सुडान से सकुशल वापसी
युद्ध प्रभावित दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा से 156 लोगों को लेकर सुरक्षित स्वदेश वापस लाया गया। भारत लौटे कुल 156 लोगों में नौ महिलाएं और तीन बच्चे भी हैं। इनमें दो नेपाली नागरिक शामिल हैं। 

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