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Vocal for Local: हरियाणा के धागे से बनी जैकेट भी पहनते हैं PM Modi, ये प्लास्टिक की खाली बोतलों से होता है तैयार, अमेरिका समेत 4 बड़े देशों में डिमांड

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने दूरदर्शी विजन को दुनिया के सामने लाने के साथ-साथ खुद भी उसे चरितार्थ करने में यकीन करते हैं। यही वजह है वोकल फॉर लोकल का अभियान चलाने वाले पीएम मोदी खुद भी लोकल उत्पादों को न सिर्फ अपनाते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर उन्हें प्रचारित भी करते हैं। इसका सीधा और प्रभावी असर लोकल उत्पादों को बिक्री में बढ़ोत्तरी में नजर आता है। मिसाल के तौर पर प्लास्टिक की बोतल से बने धागे को ही लीजिए। अक्सर लोग सफर करते समय प्लास्टिक की बोतल में पानी पीकर उसे फेंक देते हैं। कभी राह चलते सड़कों पर तो कभी रेलवे ट्रैक पर। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि यह प्लास्टिक की बोतल कितनी उपयोगी और फायदेमंद है। यह कोई साधारण चीज नहीं है, बल्कि इसी प्लास्टिक से बनाए गए धागे से बनी जैकेट को खुद प्रधानमंत्री मोदी भी पहनते हैं। जैकेट को पहनकर पीएम मोदी संसद पहुंचकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने का संदेश भी दे चुके हैं। ऐसा धागा पानीपत में प्लास्टिक की बोतलों को री-साइकिल कर बनाया जाता है। धागे के उत्पादों की विदेशों में भी मांग रहती है। पानीपत के इस धागे से बने उत्पादों को अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया यूरोपीय देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है।

पीएम मोदी के ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ अभियान से जुड़ी खास बातें
प्रधानमंत्री मोदी ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ अभियान को अपने दूसरे कार्यकाल में शुरू किया था। इसका मकसद स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। वहीं, नीति आयोग ने भी 13 मार्च, 2024 को अपने आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम के तहत ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ पहल शुरू की है। इस अभियान का मकसद, देश में बने उत्पादों को खरीदना और उनका प्रचार करना है। इस अभियान से घरेलू विनिर्माण क्षमता बढ़ती है और अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों पर इसका असर पड़ता है। इससे शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों को समान अवसर मिलते हैं। इससे स्थानीय उत्पादों में वैल्यू एडिशन होता है। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आने पर भी देश की अर्थव्यवस्था सुरक्षित रहती है। नीति आयोग के एस्पिरेशनल ब्लॉक्स प्रोग्राम (एबीपी) के तहत ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ पहल की शुरुआत की गई है। इस पहल का मकसद, स्वदेशी उत्पादों को प्रदर्शित करके सतत विकास को बढ़ावा देना है। यही वजह है कि पीएम मोदी अक्सर वन डिक्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट की भी कई मंचों पर वकालत कर चुके हैं।

पानीपत में ऐसे बनता है प्लास्टिक की वेस्ट बोलतों से मजबूत धागा
दरअसल, पानीपत में प्लास्टिक से धागा बनाने के लिए पानी, कोल्ड ड्रिंक या किसी अन्य बोतल को री-साइकिल कर पहले सफेद रंग का प्लास्टिक दाना और चिप बनाई जाती है। उसके बाद इस दाने को अलग-अलग यूनिट में भेजकर प्लास्टिक की सीट बनाई जाती है। प्लास्टिक सीट को रेग मशीन में डालकर फाइबर तैयार कर लिया जाता है। इसके बाद इसे धागा बनाने वाली मिल में भेजा जाता है। फिर धागा बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है। धागा बनाने वाले प्लांट में इस प्लास्टिक फाइबर को कॉटन फाइबर के साथ मिक्सचर मशीन में डाला जाता है। मिक्सचर मशीन से निकलने के बाद यह कन्वेयर बेल्ट से होते हुए फिल्टर मशीन में पहुंचता है। फिल्टर से वेस्ट निकलने के बाद यह फाइबर पाइप लाइन में से होता हुआ धागा बनाने वाली मशीन में जाता है। इसके बाद ऑटोमेटिक स्पिनिंग मिल्स की इस मशीन से एक फाइबर की पट्टी तैयार होती है। यह फाइबर की पट्टी दूसरी मशीन से होते हुए फिर कन्वेयर बेल्ट पर पहुंचती है। फिर यह फाइबर की पट्टी स्पिनिंग मशीन की रोलिंग पर पहुंचती है। इसके बाद एक बारीक सा पेट यार्न तैयार होकर बाइंडिंग मशीन पर पहुंचता है। बाइंडिंग के बाद ऑटोमेटिक मशीन के साथ मीटर के हिसाब से धागे को रोल कर लिया जाता है। इसके बाद धागे को पैक कर डिलीवरी के लिए भेजा जाता है।पर्यावरण को साफ रखने में मददगार है प्लास्टिक से बना धागा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्लास्टिक फाइबर को कॉटन फाइबर के साथ 20 से 25 प्रतिशत तक मिलाकर धागा तैयार किया जाता है। इस धागे की क्वालिटी भी बेहतर होती है। आजकल यह धागा जुराब, टी-शर्ट और सूटिंग-शर्टिंग के कपड़े के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है। पानीपत में इसका उपयोग ज्यादातर बेडशीट, बाथ मेट, परदे, आदि बनाने में किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात है कि यह धागा पर्यावरण को साफ रखने के भी काम आता है। इससे जुड़े कारोबारियों का मानना है कि प्लास्टिक से धागा बनने से पर्यावरण तो साफ होता ही है, इसके साथ ही यह मुनाफा देने वाला उद्यम भी है। प्रधानमंत्री ने प्लास्टिक से बनी जैकेट को पहनकर संसद में लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया था। साथ ही लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक भी किया था। वहीं, दूसरी ओर लोग खाली प्लास्टिक की बोतलों को फेंकने के बजाय उन्हें बेचकर मुनाफा भी कमा सकेंगे।

री-साइक्लिंग धागे और उससे बने उत्पादों का 2000 करोड़ का बाजार
डोमेस्टिक मार्केट के साथ एक्सपोर्ट मार्केट में भी लगातार पेट यार्न की मांग लगातार बढ़ रही है। पानीपत में भी प्लास्टिक की बोतलों के प्लास्टिक के फाइबर से धागे बनाने की कई यूनिट हैं। एक्सपोर्ट के साथ-साथ डोमेस्टिक मार्केट में रोजाना मांग बढ़ रही है। बीते कुछ समय में री-साइक्लिंग धागे और उससे बने उत्पादों का बाजार 2000 करोड़ तक पहुंच गया है। प्लास्टिक की बोतलों को री-साइकिल कर इससे बने धागे को पेट यार्न कहा जाता है। पेट से मतलब प्लास्टिक हैं और यार्न का मतलब धागा। पानीपत में प्लास्टिक की बोतलों को री-साइकिल कर बने फाइबर से पेट यार्न बनाने की कई  इकाइयां हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इन यूनिटों में हर रोज करीब 20 हजार किलो पेट यार्न का उत्पादन होता है।त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब भी इस जैकेट के हैं मुरीद
पानीपत जिले में री-साइकिल हुई प्लास्टिक की जैकेट के नेता मुरीद हो रहे हैं। त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद बिप्लब कुमार देब भी इस जैकेट को पहन कर तारीफों के पुल बांध चुके हैं। उन्होंने जैकेट पहनकर कर कहा था कि मुझे यह उपहार में दी गई। री-साइकिल प्लास्टिक से पानीपत (हरियाणा) में बनी जैकेट को पहन कर मैंने दिन की शुरुआत की है। यह जैकेट काफी आरामदायक है और मैं प्लास्टिक री-साइक्लिंग के क्षेत्र में काम कर रहे प्रत्येक व्यक्ति की सराहना करता हूं। और इस धागे से बने उत्पादों को ज्यादा से ज्यादा समर्थन देने की लोगों से अपील भी करता हूं।पीएम मोदी के जैकेट पहनने से डिमांड में कई गुना बढ़ोत्तरी
खास बात यह भी है कि प्लास्टिक बोतलों से बना यह धागा पारंपरिक धागे से काफी सस्ता और टिकाऊ भी है। जब से खुद पीएम मोदी ने इस जैकेट को पहना है और इसको बढ़ावा देने का संदेश दिया है, तब से इस धागे की डिमांड में कई गुना इजाफा हुआ है। पानीपत में करीब 70 इंडस्ट्रियों में धागा बनता है। इस धागे को देशभर में तो भेजा ही जाता है, इतना ही नहीं अब यहां से विदेशों में भी सप्लाई किया जाता है। इससे जुड़े कारोबारी राकेश मुंझाल के मुताबिक धागे के उत्पादों का विदेशों में भी बोलबाला होने लगा है। पानीपत के इस धागे से बने उत्पाद को अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों में एक्सपोर्ट किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री द्वारा वेस्ट प्लास्टिक की बोतल से बने हुए धागे की जैकेट पहनने के बाद इसकी डिमांड और ज्यादा बढ़ी है।बिहार का अचार हो या यूपी की चिकनकारी, सब बन रहे ग्‍लोबल
प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को दिए अपने संबोधन में एक बार फिर ‘वोकल फॉर लोकल’ के नारे को बुलंद किया। पीएम ने कहा कि अब यह विकास का मंत्र बन चुका है। उन्‍होंने कहा कि मैं खुश हूं कि वोकल फॉर लोकल अब इकनॉमिक सिस्‍टम के लिए नया मंत्र बन चुका है। आज देश के सभी जिले अपने उत्‍पाद पर गर्व महसूस करते हैं और ‘एक जिला एक उत्‍पाद’ का पूरा माहौल बन चुका है। बिहार का अचार हो या यूपी की चिकनकारी, या फिर अन्य लोकल उत्पाद हों, ‘वोकल फॉर लोकल’ ने सबको ग्‍लोबल बना दिया है। पीएम मोदी ने कहा कि आज हमारा देश अपने स्‍थानीय उत्‍पाद को ग्‍लोबल लेवल तक पहुंचाने का जश्‍न मना रहा है। आपको बता दें कि मोदी सरकार ने साल 2018 में स्‍थानीय उत्‍पादों को ग्‍लोबल लेवल पर पहचान दिलाने के लिए ‘वोकल फॉर लोकल’ मुहिम को शुरू किया था। इसका मकसद स्‍थानीय प्रोडक्‍ट की बिक्री बढ़ाने के साथ उसे ग्‍लोबल मार्केट में पहचान दिलाना है। इसी मुहिम के तहत ‘एक जिला एक उत्‍पाद’ नाम से भी अभियान शुरू किया गया।

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