प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नई दिल्ली में इंटरनैशनल सोलर अलायंस समिट को संबोधित किया। श्री मोदी ने कहा कि हम पूरी दुनिया में सौर ऊर्जा की क्रांति लाना चाहते हैं। उन्होंने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की अपील करते हुए कहा कि सोलर एनर्जी मानव सभ्यता के लिए बुनियादी जरूरत है। ऐसे तमाम देश हैं, जहां साल भर सूरज चमकता है, लेकिन संसाधनों की कमी से सोलर एनर्जी नहीं बन पाती। इसके लिए हमें फंडिंग की व्यवस्था करनी होगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘भारत में वेदों ने हजारों साल पहले से सूर्य को विश्व की आत्मा माना है। भारत में सूर्य को पूरे जीवन का पोषक माना गया है। आज जब हम जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने का रास्ता देख रहे हैं, तो प्राचीन दर्शन के संतुलन और समग्र दृष्टिकोण की ओर देखना होगा। हमारा हरित भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम साथ मिलकर क्या कर सकते हैं।’
Veda’s consider the sun as the soul of the world, it has been considered as a life nurturer. Today, for combating climate change, we need to look at this ancient idea to find a way: PM Modi at #InternationalSolarAlliance pic.twitter.com/NQmGxlM3yB
— ANI (@ANI) 11 March 2018
पीएम मोदी ने सम्मेलन में शामिल विश्व नेताओं के सामने ये भी बताया कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार कार्यक्रम शुरू किया गया है। पीएम ने बताया कि ‘हम 2022 तक इससे 175 गीगा वाट बिजली उत्पन्न करेंगे जिसमें से 100 गीगा वाट बिजली सौर से होगी।’
इस मौके पर पीएम मोदी ने सोलर टेक्नॉलजी मिशन का आह्वान किया। सौर ऊर्जा से विकास को एक नई गति मिलेगी। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद द्वारा स्थापित इस संगठन के पहले सम्मेलन में 10 देशों के मंत्रियों समेत 121 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि इंटरनेशनल सोलर अलायंस का नन्हा पौधा आप सभी के सम्मिलित प्रयास और प्रतिबद्धता के बिना रोपा ही नहीं जा सकता था। इसके लिए श्री मोदी ने फ्रांस का आभार जताया।
आईएसए के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सदस्य देशों के लिए 500 प्रशिक्षण स्लॉट उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही क्षेत्र में शोध एवं विकास को आगे बढ़ाने के लिए सौर प्रौद्योगिकी मिशन शुरू किया जाएगा। श्री मोदी ने कहा कि भारत ने पिछले तीन साल के दौरान 28 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए हैं। इससे दो अरब डॉलर की बचत हुई है। साथ ही इससे 4 गीगावॉट बिजली की भी बचत हुई है।