नेशनल हेराल्ड घोखाधड़ी मामले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पर शिकंजा कसता जा रहा है। इस केस में आयकर विभाग द्वारा ढाई सौ करोड़ रुपये जुर्माना किए जाने के बाद अब दिल्ली में स्थित नेशनल हेराल्ड के मुख्यालय यानि नेशनल हेराल्ड हाउस पर जब्ती की तलवार लटक गई है। पॉयनियर अखबार की खबर के अनुसार शहरी विकास मंत्रालय ने नेशनल हेराल्ड हाउस जब्त करने को लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नोटिस भेजा है। मंत्रालय के इस नोटिस के बाद राहुल और सोनिया गांधी की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
सोनिया-राहुुल ने गैरकानूनी तरीके से किया एजेएल का अधिग्रहण
जाहिर है कि सोनिया और राहुल गांधी के मालिकाना हक वाली कंपनी यंग इंडिया कंपनी ने गैर-कानूनी रूप से नेशनल हेराल्ड की प्रकाशन कंपनी एसोसिएट जर्नल लिमिटेड (एजेएल) का अधिग्रहण किया था। उसी समय भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने यंग इंडिया के मालिक सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दायर कर दिया था। उसकी सुनवाई अभी जारी है। आयकर विभाग ने कुछ महीने पहले कर चोरी के मामले में सोनिया और राहुल गांधी के खिलाफ 250 करोड़ रुपये जुर्माने का नोटिस जारी किया था। अभी यह मामल सुलझा भी नहीं था कि शहरी विकास मंत्रालय ने नेशनल हेराल्ड हाउस जब्त करने का नोटिस जारी कर दिया है।
NH case is getting clinched. After IT Assessment Order seeking Rs 414 crores from YI, now Urban Development Ministry has issued Show Cause Notice to YI why Herald House in New Delhi not be confiscated by Govt.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) 4 August 2018
हेराल्ड हाउस में 10 वर्षों से बंद है अखबार छपाई का काम
मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक नेशनल हेराल्ड मामले में साफ धोखाधड़ी मिलने और उसकी पुष्टि होने के बाद ही शहरी विकास मंत्रालय ने हेराल्ड हाउस को जब्त करने का फैसला किया है। मंत्रालय ने यंग इडिया को इसे खाली करने को कह दिया है। मंत्रालय ने यह नोटिस एजेएल को दिया है। क्योंकि इसी कंपनी को अखबार छापने के उद्देश्य से 50 के दशक में सस्ते दरों पर जमीन दी गई थी। मंत्रालय ने जब इसकी जांच कराई तो पता चला कि दिल्ली स्थित आईटीओ के जिस प्रेस इंक्लेव इलाके में हेराल्ड हाउस है, वहां पिछले दस सालों से अखबार प्रकाशन का काम बंद है, जो जमीन आवंटित करने के नियम के खिलाफ है।
National Herald case – Urban Development Ministry issues notice to take over Herald House : https://t.co/Ssr3G64c8i
— J Gopikrishnan (@jgopikrishnan70) 5 August 2018
जांच में यह भी पाया गया है कि पिछले आठ साल से सोनिया गांधी और राहुल गांधी के स्वामित्व वाली कंपनी यंग इंडियन (वाईआई) ही हेराल्ड हाउस को नियंत्रित कर रही थी। इतना ही नहीं पासपोर्ट सेवा केंद्र को उसके दो तल किराए पर देकर उससे प्रति महीने 80 लाख रुपये कमा रही थी। इसी मामले में आयकर विभाग ने 2017 के दिसंबर में सोनिया और राहुल गांधी के स्वामित्व वाली कंपनी यंग इंडियन के खिलाफ 250 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। जब सोनिया गांधी आयकर विभाग के जुर्माने को हाईकोर्ट में चुनौती दी तो दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करने के लिए 10 करोड़ रुपये अग्रिम जमा करने को कहा था। अब सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर याचिका के आधार पर शहरी विकास मंत्रालय ने एजेएल को हेराल्ड हाउस खाली करने का नोटिस जारी कर दिया है।
जाहिर है कि देश के आजाद होने के बाद कांग्रेस और गांधी परिवार ने 60 सालों तक देश को जमकर लूटा है। कांग्रेस की सरकारों के तहत हुए घोटालों की सूची इतनी लंबी है कि कभी खत्म ही नहीं होती। अगस्ता वेस्टलैंड स्कैम, बोफोर्स घोटाला, नेशनल हेराल्ड घोटाला, जमीन घोटाला… न जाने कितने ऐसे स्कैम हैं, जो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े हैं। डालते हैं नेहरू-गांधी परिवार के घोटालों पर एक नजर-
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला
वर्ष 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इटली की चॉपर कंपनी ‘अगस्ता वेस्टलैंड’ से कमीशन लेने के आरोप लगे। दरअसल अगस्ता वेस्टलैंड से भारत को 36 अरब रुपये के सौदे के तहत 12 हेलिकॉप्टर ख़रीदने थे, जिसमें 360 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी की बात सामने आई। इतालवी कोर्ट ने माना कि इस मामले में भारतीय अफसरों और राजनेताओं को 15 मिलियन डॉलर रिश्वत दी गई। इतालवी कोर्ट ने एक नोट में इशारा किया था कि सोनिया गांधी सौदे में पीछे से अहम भूमिका निभा रही थीं। कोर्ट ने 225 पेज के फैसले में चार बार सोनिया का जिक्र किया।
बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स कंपनी ने 1437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी। आरोप है कि इसमें दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को को स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने कमीशन के बतौर 64 करोड़ रुपये दिये थे। इस सौदे में गांधी परिवार के करीबी और इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के अर्जेंटीना चले जाने पर सोनिया गांधी पर भी आरोप लगे।
वाड्रा-डीएलएफ घोटाला
वर्ष 2012 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ घोटाले का आरोप लगा। उनपर शिकोहपुर गांव में कम दाम पर जमीन खरीदकर भारी मुनाफे में रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को बेचने का आरोप लगा। रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से 65 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन लेने का आरोप लगा। बिना ब्याज पैसे की अदायगी के पीछे कंपनी को राजनीतिक लाभ पहुंचाना मूल उद्देश्य था। यह तथ्य भी सामने आया है कि केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई और हिस्सों में भी बेहद कम कीमतों पर जमीनें खरीदीं।
बीकानेर में जमीन घोटाले का मामला
राजस्थान के बीकानेर में हुए जमीन घोटालों में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों के जमीन सौदे भी शामिल हैं। अंग्रेजी न्यूज पोर्टल इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार गलत जमीन सौदों के सिलसिले में 18 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से 4 वाड्रा की कंपनियों से जुड़े हैं। ये सारी एफआईआर 1400 बीघा जमीन जाली नामों से खरीदे जाने से जुड़ी हैं, जिनमें से 275 बीघा जमीन वाड्रा की कंपनियों के लिए जाली नामों से खरीदे जाने के आरोप हैं।
पति के चलते प्रियंका वाड्रा पर भी उठ चुके हैं सवाल
हरियाणा में ढींगरा कमीशन की रिपोर्ट सामने आने पर भी कांग्रेस में खलबली मच चुकी है। भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की फांस में तब वाड्रा की पत्नी प्रियंका वाड्रा को भी घेरे में ले लिया गया था। नतीजा यह हुआ कि खुद प्रियंका वाड्रा को सामने आकर सफाई देनी पड़ी । उन्होंने कहा कि उक्त संपत्ति से उनके पति रॉबर्ट वाड्रा या उनकी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी का कोई लेना-देना नहीं है। दरअसल वहां भी वाड्रा पर जमीन घोटाले का आरोप लगा हुआ है। इसपर जांच के लिए बिठाए गए ढींगरा कमीशन की रिपोर्ट में 20 से ज्यादा प्रॉपर्टीज की जानकारी दी गई, जो वाड्रा और उनकी कंपनियों ने खरीदी थीं। इनमें से एक भूखंड को स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से खरीदा था। आरोपों के अनुसार ओंकारेश्वर से खरीदी गई प्रॉपर्टी को फिर लैंड यूज में बदलाव के बाद कहीं ज्यादा कीमत पर डीएलएफ के हाथ बेच दिया गया था और इस तरह 50.50 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हासिल किया गया। ढींगरा कमीशन की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि इस मामले की जांच की जरूरत है। रिपोर्ट के मुताबिक रॉबर्ट वाड्रा को डीएलएफ से जो पैसा मिला कि क्या उसके एक हिस्से का इस्तेमाल उनकी पत्नी ने हरियाणा के फरीदाबाद में संपत्ति खरीदने के लिए किया। कमीशन ने 20 से ज्यादा ऐसी प्रॉपर्टी की रिपोर्ट दी है।
मारुति घोटाला
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। वर्ष 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए जरूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। बताया जा रहा है कि कंपनी को सरकार की ओर से टैक्स, फंड और कई छूटें मिलीं थी।
मूंदड़ा स्कैंडल
कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे घोटाले के तौर पर याद किया जाता है। इसके छींटें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी पड़े। दरअसल 1957 में मूंदड़ा ने एलआईसी के माध्यम से अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपये का निवेश कराया था। यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इंवेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया। तब तक एलआईसी को पता चला उसे कई करोड़ का नुक़सान हो चुका था। इस केस को फिरोज गांधी ने उजागर किया, जिसे नेहरू ख़ामोशी से निपटाना चाहते थे। उन्होंने तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णामाचारी को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें अंतत: पद छोड़ना पड़ा।
कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार 2004-2014 के कार्यकाल के दौरान तो हमेशा किसी न किसी घोटाले की खबरों में रही है। इस दौरान साल दर साल घोटालों की संख्या बढ़ती ही चली गई। एक आकलन के अनुसार अगर सिर्फ ये घोटाले न हुए होते तो भारत आज विश्व-महाशक्ति होता।
एक नजर कांग्रेस की सरकारों में हुए कुछ प्रमुख घोटालों पर-
2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2008)
भारत में सबसे बड़ा घोटाला 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला था, जिसमें दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर निजी दूरसंचार कंपनियों को 2008 में बहुत सस्ते दरों पर 2 जी लाइसेंस जारी करने का आरोप लगाया गया था। नियमों का पालन नहीं किया गया था, लाइसेंस जारी करते समय केवल पक्षपात किया गया था। इसमें 1.96 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। दरअसल सरकार ने 2001 में स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए प्रवेश शुल्क रखा था। इसमें दूरसंचार के बारे अनुभवहीन कंपनियों को लाइसेंस जारी किया गया था। भारत में 2001 में मोबाइल उपभोक्ता 4 मिलियन थे जो 2008 में बढ़ोतरी करके 350 मिलियन तक पहुंच गये।
सत्यम घोटाला (2009)
सत्यम कंप्यूटर सर्विसेजस के घोटाले से भारतीय निवेशक और शेयरधारक बुरी तरह प्रभावित हुए। यह घोटाला कॉरपोरेट जगत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, इसमें 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। पूर्व चेयरमैन रामलिंगा राजू इस घोटाले में शामिल थे, जिन्होंने सब कुछ संभाला हुआ था। बाद में उन्होंने 1.47 अरब अमेरिकी डॉलर के खाते को किसी प्रकार के संदेह के कारण खारिज कर दिया। उस साल के अंत में, सत्यम का 46% हिस्सा टेक महिंद्रा ने खरीदा था, जिसने कंपनी को अवशोषित और पुनर्जीवित किया।
कॉमनवेल्थ गेम घोटाला (2010)
राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी और संचालन के लिए लिये लिया गया धन भारी मात्रा में घोटाले में चला गया। इसमें लगभग 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। इस घोटाले में कई भारतीय राजनेता नौकरशाह और कंपनियों के बड़े लोग शामिल थे। इस घोटाले के प्रमुख पुणे के निर्वाचन क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि सुरेश कलमाड़ी थे। उस समय, कलमाड़ी दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे। इसमें शामिल अन्य बड़े लोगों में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री- शीला दीक्षित और रॉबर्ट वाड्रा हैं। इसका गैर-अस्तित्व वाली पार्टियों के लिए भुगतान किया गया, उपकरण की खरीद करते समय कीमतों में तेजी आई और निष्पादन में देरी हुई थी।
कोयला घोटाला (2012)
कोयला घोटाले के कारण भारत सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सीएजी ने एक रिपोर्ट पेश की और कहा कि 194 कोयला ब्लॉकों की नीलामी में अनियमितताऐं शामिल हैं। सरकार ने 2004 और 2011 के बीच कोयला खदानों की नीलमी नहीं करने का फैसला किया था। कोयला ब्लॉक अलग-अलग पार्टियों और निजी कंपनियों को बेच दिये गये थे। इस निर्णय से राजस्व में भारी नुकसान हुआ था।
टाट्रा ट्रक घोटाला (2012)
वेक्ट्रा के अध्यक्ष रवि ऋषिफॉर्मर और सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग प्रतिबंध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला पंजीकृत किया था। इसमें सेना के लिए 1,676 टाटा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।
आदर्श घोटाला (2012)
इस घोटाले में मुंबई की कोलाबा सोसायटी में 31 मंजिल इमारत में स्थित फ्लैटों को बाजार की कीमतों से कम कीमत पर बेचा गया था। इस सोसायटी को सैनिकों की विधवाओं और भारत के रक्षा मंत्रालय के कर्मियों के लिए बनाया गया था। समय की अवधि में, फ्लैटों के आवंटन के लिए नियम और विनियमन संशोधित किए गए थे। इसमें महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- सुशील कुमार शिंदे, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण के खिलाफ आरोप लगाये गये थे। यह जमीन रक्षा विभाग की थी और सोसायटी के लिये दी गई थी।
प्रमुख घोटालों की सूची और उसकी रकम-
कोयला घोटाला | 1.86 लाख करोड़ रुपये |
2जी घोटाला | 1.76 लाख करोड़ रुपये |
महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला | 70,000करोड़ रुपये |
कामनवेल्थ घोटाला | 35,000 करोड़ रुपये |
स्कार्पियन पनडुब्बी घोटाला | 1,100 करोड़ रुपये |
अगस्ता वेस्ट लैंड घोटाला | 3,600 करोड़ रुपये |
टाट्रा ट्रक घोटाला | 14 करोड़ रुपये |