देश की बागडोर संभालते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के प्रमुख और जटिल मुद्दों के समाधान के लिए तेजी से काम करना शुरू किया। जिससे देश की दशा और दिशा में क्रांतिकारी बदलाव आया। लेकिन विपक्ष को यह बदलाव रास नहीं आया। वे लगातार पीएम मोदी के रास्ते में बाधाएं खड़ी करते रहे। मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते रहे। कभी असहिष्णुता का आरोप लगाया, तो कभी अभिव्यक्ति की आजादी नहीं होने का रोना रोया। लेकिन हर बार उनकी साजिशें नाकाम हो गईं। विपक्ष आज बेबस है, क्योंकि उसके हाथों से चीज़ें फिसलती जा रही हैं। विपक्ष खुद को मुद्दाविहीन और अस्तित्व विहीन पा रहा है। इसलिए अब वो अपने शासित राज्यों में मनमानी और संविधान के खिलाफ काम करने लगा है। उन्हें संविधान की मर्यादा का भी ख्याल नहीं है। केरल और पश्चिम बंगाल इसके प्रमुख उदाहरण है, जहां राज्य के संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल को भी अपने कर्तव्यों के निर्वहन की आजादी नहीं है।
सीएए को लेकर केरल विधानसभा में हंगामा
केरल विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत से पहले ही बुधवार यानी 29 जनवरी, 2020 को सदन में जमकर हंगामा हुआ। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ान के साथ बदसलूकी हुई। दरअसल, राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को सूचित किया था कि वो अपने सम्बोधन का पैराग्राफ 18 नहीं पढ़ेंगे, क्योंकि उसमें सीएए के ख़िलाफ़ बातें लिखी हुई हैं। इस पैराग्राफ में नागरिकता संशोधन क़ानून को असंवैधानिक और भेदभाव करने वाला बताया गया है। ड्राफ्ट में सीएए के बारे में इस तरह की बातें लिखे जाने पर राज्यपाल ने आपत्ति जताई। बाद में राजभवन ने सीएम पिनाराई विजयन के स्पष्टीकरण को ख़ारिज कर दिया। राज्यपाल के सम्बोधन के ड्राफ्ट को मंत्रिपरिषद द्वारा तैयार किया गया गया था।
मुख्यमंत्री ने राज्यपाल पर बनाया दबाव
मुख्यमंत्री कार्यालय ने राजभवन को सलाह दी थी कि राज्यपाल को अपना सम्बोधन बिना कोई बदलाव किए हुए पढ़ना चाहिए। राजभवन ने सुप्रीम कोर्ट के एक ऑर्डर का जिक्र करते हुए कहा कि राज्यपाल को ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। राजभवन का आरोप है कि केरल मंत्रिपरिषद ने ‘विचारों’ को ‘नीतियों और योजनाओं’ के साथ मिक्स कर के पेश करने का प्रयास किया है और राज्यपाल इसके लिए राजी नहीं हैं। हालाँकि, मंत्रिपरिषद ने राज्यपाल की आपत्तियों को नकार दिया।
विधायकों ने राज्यपाल का रास्ता रोका
जब केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ान बजट सेशन को सम्बोधित करने विधानसभा पहुंचे, तब विपक्षी पार्टी कांग्रेस के विधायकों ने उन्हें सदन में घुसने से रोक दिया। पोस्टर-बैनर लेकर राज्यपाल का रास्ते रोकते हुए कांग्रेस विधायकों ने जम कर नारेबाजी की। यह घटना तब हुई जब मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और अध्यक्ष पी श्रीरामकृष्णन ने राज्यपाल को नीति संबोधन के लिए बुलाया। बाद में सिक्योरिटी गार्ड्स ने इन विधायकों को वहां से हटाया।
#WATCH Thiruvananthapuram: United Democratic Front (UDF) MLAs block Kerala Governor Arif Mohammad Khan as he arrives in the assembly for the budget session. CM Pinarayi Vijayan also accompanying the Governor. pic.twitter.com/oXLRgyN8Et
— ANI (@ANI) January 29, 2020
राज्यपाल के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की मांग
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष रमेश चेनिथाला ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि वो राज्यपाल को वापस भेजने के लिए एक प्रस्ताव पास करें, जिसमें राष्ट्रपति से अनुरोध किया जाए वो आरिफ मोहम्मद ख़ान को वापस बुला लें। जब से आरिफ मोहम्मद ख़ान ने सीएए विरोधी प्रस्ताव की आलोचना की है, तब से केरल में पक्ष और विपक्ष, दोनों ही उनका एक सुर से विरोध कर रहे हैं।
राज्यपाल ने आपत्तियों के साथ पढ़ा प्रस्ताव
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने विधानसभा में सीएए के खिलाफ राज्य सरकार के प्रस्ताव को पढ़ने से मना कर दिया। फिर भी उन्हें प्रस्ताव पढ़ने के लिए मजबूर किया गया। आखिरकार हंगामे के बीच ही राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ान ने अपना सम्बोधन शुरू किया। राज्यपाल को कहना पड़ा कि वह मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के अनुरोध पर प्रस्ताव पढ़ रहे हैं। प्रस्ताव पढ़ने से पहले राज्यपाल ने बार-बार अपनी आपत्ति और असहमति जाहिर की।
#WATCH Kerala Governor in state assembly: I’m going to read this para (against CAA) because CM wants me to read this, although I hold the view this doesn’t come under policy or programme. CM has said this is the view of government, & to honor his wish I’m going to read this para. pic.twitter.com/ciCLwKac3t
— ANI (@ANI) January 29, 2020
विधानसभा में भी सुरक्षित नहीं राज्यपाल
केरल विधानसभा में भी राज्यपाल सुरक्षित नहीं है। इस लिए उनके सम्बोधन के दौरान उन्हें मार्शलों ने घेरे रखा ताकि कोई विधायक उन तक पहुंच कर बदसलूकी न करे। उन्हें मार्शलों की सुरक्षा के बीच मंच तक पहुँचाया गया। इस घटना को लेकर केरल भाजपा ने कांग्रेस और वामपंथियों की निंदा की है।
राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साथ बदसलूकी
उधर पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साथ बदसलूकी की गई। राज्यपाल जगदीप धनखड़ मंगलवार यानी 28 जनवरी, 2020 को कलकत्ता यूनिवर्सिटी में होने वाले दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे थे। लेकिन राज्यपाल धनखड़ को दीक्षांत समारोह में मंच पर जाने से रोक दिया गया।
कलकत्ता यूनिवर्सिटी में राज्यपाल का विरोध
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध कर रहे नजरुल मंच के छात्रों ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी में राज्यपाल जगदीप धनखड़ की कार को घेर लिया और गो बैक की नारेबाजी शुरू कर दी। छात्रों ने काले झंडे दिखाए। विरोध कर रहे छात्र ऑडिटोरियम के मुख्य दरवाजे पर खड़े हो गए और राज्यपाल को अंदर जाने नहीं दिया। जिससे दीक्षांत समारोह बाधित हो गया।
दीक्षांत समारोह में शामिल हुए बिना लौटे राज्यपाल
इसके बाद राज्यपाल दूसरे दरवाजे से ऑडिटोरियम में दाखिल हुए। विरोध के दौरान छात्रों ने राज्यपाल की गाड़ी पर लगे तिरंगे को भी तोड़ दिया। दीक्षांत समारोह में नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी को डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया जाना था। जब छात्र राज्यपाल का विरोध कर रहे थे, उस दौरान वह दीक्षांत समारोह में मौजूद थे। छात्रों के विरोध के चलते राज्यपाल दीक्षांत समारोह में शामिल हुए बिना वहां से लौट गए। प्रदर्शनकारी पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और नजरुल मंच से संबद्ध थे।
राजनीति से प्रेरित होकर मेरे प्रवेश पर रोक लगाई गई- राज्यपाल
राज्यपाल धनखड़ ने इस घटना को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यहां कानून का बुरी तरह उल्लंघन हुआ है।’ उन्होंने ट्विटर पर कहा कि यूनिवर्सिटी के छात्रों को उनकी मेहनत का फल मिल सके, इसके लिए वहां गया था, जहां राजनीति से प्रेरित होकर मेरे प्रवेश पर रोक लगाई गई। इसके बाद इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है कि यहां कानून का बुरी तरह उल्लंघन हुआ है।
Convocation of Calcutta University was at Nazrul Mancha auditorium and not on the campus of Calcutta University. There was total failure of the State Machinery to maintain law and order. The obstruction was stage managed. This happens to constitutional head. Where are we heading!
— Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) January 28, 2020
पश्चिम बंगाल में नहीं है कानून का राज – राज्यपाल
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को टैग करते हुए उन्होंने ट्वीट किया कि अवरोध करने वालों की संख्या सिर्फ 50 थी। सरकारी तंत्र को बंधक बना लिया गया और जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारियों से बेखबर हैं। कहीं भी कानून का राज नहीं है।
जाधवपुर में भी लगे थे गो बैक के नारे
इससे पहले पिछले साल 24 दिसंबर को कोलकाता स्थित जाधवपुर यूनिवर्सिटी (जेयू) के नॉन टीचिंग स्टाफ ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शामिल होने से रोकते हुए उन्हें वापस लौटने के झंडे दिखाए और उनकी कार आगे बढ़ने नहीं दी।