भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहारे बिहार की राजनीति में सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार को अब अहसास हो गया है कि पिछले कुछ वर्षों में उनका किला ढहने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह लाख कोशिशों के बाद भी थम नहीं रहा है और आगे उसकी और दुर्गति होने वाली है। ऐसे में कुर्सी प्रेमी नीतीश कुमार येन केन प्रकारेण जब तक संभव हो अपनी कुर्सी बचाने की कवायद में लगे हुए हैं। वर्ष 2015 और 2020 के पिछले विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो नीतीश की पार्टी जदयू की सिमटती सीटें इसकी गवाही देते हैं। जदयू 2015 में 71 सीटों पर जीतकर आई थी जबकि 2020 में 45 सीटों पर सिमटकर रह गई और गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका से छोटे भाई बन गई। यह भजपा का बड़प्पन है कि बड़ा भाई होते हुए भी उसने नीतीश को गद्दी सौंपी लेकिन कुर्सी कुमार ने भाजपा की पीठ में ही छुरा घोंप दिया। एक बात यह भी कही जा रही है कि भाजपा में रहते हुए 2024 में उनके पीएम पद के उम्मीदवार बनने की महत्वाकांक्षा पूरी नहीं होती इसीलिए उन्होंने पाला बदल लिया। अब ख्याली पुलाव पकाने पर कोई रोक तो है नहीं इसीलिए नीतीश जितने चाहे दिवास्वप्न देख सकते हैं।
बिहार में बहार बा
नीतीश पलटीमार बा
जंगलराज तैयार बा pic.twitter.com/LfXT1uSDy9— Mrityunjay Kumar (@MrityunjayUP) August 9, 2022
JDU को 45 सीटे मिली थी 2020 के चुनाव में और वही BJP को 77 सीटें मिली थी फिर भी BJP ने JDU के नेता नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद दे दिया था।
मगर नितीश आज के पलटीमार नहीं बहुत पुराने पलटीमार हैं@narendramodi जी ने नीतीश पर विश्वास किया और नीतीश कुमार ने विश्वासघात किया।— Ambuj Mishra ?? (@Ambujmishra9090) August 10, 2022
पीएम मोदी के नाम पर एनडीए ने जीता बिहार 2020 चुनाव
वर्ष 2020 में एनडीए ने पीएम मोदी के नाम पर चुनाव जीता था और भाजपा बड़ा भाई होते हुए भी नीतीश कुमार को छठी बार सीएम की कुर्सी सौंपी थी। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 110 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। इनमें से 74 सीटों पर उसे जीत हासिल हुई थी और कुल वोट प्रतिशत 67% था। वहीं, जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था, मगर चुनाव परिणाम आए तो पार्टी के खाते में सिर्फ 43 सीटें ही आईं। जेडीयू को केवल 37 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया था। भाजपा के मुकाबले खुद को बड़ा साबित करने के लिए ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़कर भी जदयू, एनडीए में दूसरे नंबर पर ही रहा। यह चुनाव परिणाम दरअसल नीतीश कुमार के प्रति 2020 में एंटी-इन्कम्बेंसी का असर था। जानकारों ने इस चुनाव परिणाम को ‘पीएम मोदी की जीत’ बताया था। साथ ही यह भी कहा था कि नीतीश पहली बार इतने बेअसर दिखे। यानी नीतीश का किला बुरी तरह ढह गया था।
#biharpolitics #यही_तो_है_लोकतंत्र
बिहार में बहार बा !
नीतीश पलटीमार बा !
फिर से जंगलराज तैयार बा !
जिसका नीतीश जिम्मेदार बा !नीतीश बिहार सरकार में !
कहने भर को सीएम होंगे ! pic.twitter.com/22oRp7Ojp5— Daddu Bhai (@DadduBhai121) August 10, 2022
बिहार के राजनीति का आज काला दिन….
बीजेपी को धोखा देकर नीतीश कुमार उर्फ़ पलटीमार, कुर्सी लोभी ने आज फिर से अपना दोगला चेहरा दिखा दिया ?
जनता कभी माफ़ नही करेगी।— Nitesh kumar (@hiniteshkumar07) August 9, 2022
RJD के गुंडो द्वारा @anjanaomkashyap के साथ जिस तरीक़े का अभद्र व्यवहार किया गया ये बिहार में जंगलराज का आग़ाज़ है । लालू राज में महिलायें अपने घर से निकलने से डरती थी, आज RJD के गुंडो ने उसी तरीक़े के संकेत फिरसे देने शुरू कर दिए है
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) August 9, 2022
बिहार में जंगलराज के दौर को याद नहीं करना चाहते लोग
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कार्यकाल को लोग भूले नहीं हैं। जब लालू राज में बिहार के लोग शाम सात बजे के बाद घर से निकलने में डरते थे। गुंडा तत्व इतने हावी हो गए थे कि दिनदहाड़े लोगों की हत्या तक कर दी जाती थी। अपहरण उद्योग भी खूब फल-फूल गया था। राजद शासनकाल में सिर्फ अपराधियों का बोलबाला था। लालू यादव सहित पूरा राष्ट्रीय जनता दल अपराधियों को संरक्षण देता था। लालू यादव ने अपहरण और अपराध को बिहार का उद्योग के रूप में विकसित कर दिया था। आरोप तो यहां तक है कि अपराधियों के हाथ में प्रदेश की कानून व्यवस्था थी। बिहार के लोगों को वो दौर याद हैं जब अपराध के बाद भी एफआईआर तक नहीं होती थी। 15 वर्षों का जंगलराज इस कदर समाया है कि वे लोग दोबारा उस दौर को याद भी नहीं करना चाहते हैं। ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि उसी राजद से हाथ मिलाने पर नीतीश को फायदा होगा या नुकसान?
एक अकेली महिला पत्रकार के साथ ऐसी अभद्रता बिहार प्रदेश में आने वाले जंगलराज की दस्तक है। न जाने क्यों ऐसे उपद्रवियों व गुंडों के हौंसले बुलंद हो जाते हैं जैसे ही राजद सत्ता में पैर पसारती है, इस गुंडाराज की वापसी के लिए बिहार की निर्दोष जनता नीतीश जी को जरूर सबक सिखाएगी। pic.twitter.com/45YVFwsIeW
— Baijayant Jay Panda (@PandaJay) August 10, 2022
पलटीमार नीतीश कुमार के NDA छोड़ने से सबसे अधिक फ़ायदा भाजपा को होने वाला है ..
मोदी जी 2024 में और मज़बूती से प्रधानमंत्री बनेंगे .. बस देखते जाइए।बिहार में 7 बार #नीतीश कुमार #मुख्यमंत्री रहा है .. आज तक उसने क्या किया बिहार राज्य के लिए ??
— SushmaJoe (@Sushmafeat) August 10, 2022
सत्ता के लिये @NitishKumar के अलग अलग फार्मेट…
राजनीती में एनकेन कुर्सी/सत्ता पाने के लिये हिंदी-बेल्ट का एकल पलटीमार स्याना नेता…नीतीश कुमार:चार बार बिहार सीएम; 2 टर्म भाजपा और 2 टर्म राजद के सौजन्य से, केंद्र में कृषि, रेल,भूतल सड़क परिवहन मंत्री: #NDA-Atal सरकार pic.twitter.com/sTiFV24zQ5— Kr Ashok S Rajput……..ROMJU (@ASHOK_RAJPUT) August 10, 2022
कानून व्यवस्था पर सवाल उठाना नीतीश को नागवार गुजरा
बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि हमने बिहार में गिरती कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर सवाल खड़ा किया जो नीतीश कुमार को नागवार लग गया। मगर हमलोग मुख्यमंत्री के समक्ष ऐसे मुद्दे न उठाएं तो कहां उठाएं। जायसवाल ने कहा कि भारती जनता पार्टी की जहां भी सरकार है वहां कानून व्यवस्था पर विशेष ध्यान देती है। उसे काबू में रखती है, लेकिन बिहार में लगातार स्थिति खराब होती जा रही थी और हम इस मुद्दे से मुंह मोड़कर नहीं रह सकते थे। ऐसे में नीतीश कुमार के सामने सवाल उठाना जायज था। राधा मोहन सिंह ने कहा कि हमेशा ही हमलोगों ने नीतीश कुमार का साथ दिया। कम संख्या होने के बाद भी लगातार भाजपा ने उनका समर्थन किया और उनके कद को बड़ा किया, लेकिन उन्होंने धोखा दिया। शाहनवाज हुसैन ने कहा कि हमलोग बिहार के विकास के काम में लगे थे, लेकिन नीतीश कुमार ने हमें अपनी नाराजगी का पता नहीं लगने दिया। अगर नाराजगी थी तो दूर की जा सकती थी, लेकिन वह तो विश्वासघात कर गए।
मेरे खयाल से इस वक्त #बिहार की 65% आबादी खुद को #ठगा हुआ महसूस कर रही है !#पलटू_कुमार ने #पलटीमार कर राज्य की जनता को सोचने को विवश कर दिया है ! और एक बेहतरीन #फैसला लेने का #मौका भी दिया है !#नितीश या #तेजस्वी के हाथ में #सत्ता रही,
तो #बिहार का #विकास ही सिर्फ #ठप नहीं होगा.. https://t.co/5dTccyUAJJ— ?️Raj?️ (@RajSuryaraj3) August 10, 2022
नीतीश को मुख्यमंत्री स्वीकार कर राजद ने पाला बदला
बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी और मुख्य विपक्षी दल राजद के स्टैंड में एक बड़ा बदलाव देखा गया। पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राजद के नेता लगातार इस बात पर अड़े रहे कि वे अब तेजस्वी यादव को ही मुख्यमंत्री बनाएंगे। कोई भी राजनीतिक गठबंधन इसी आधार पर रहेगा। राजद नेता तब ये भी कहते थे कि अब नीतीश कुमार के साथ हाथ मिलाने का सवाल ही नहीं है। ऐसे बयान पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के साथ ही तेजस्वी यादव और दूसरे नेताओं ने भी दिए थे। अब हालात बदल गए हैं और उन्होंने भी नीतीश की तरह पाला बदल लिया है।
बिन पेंदी का लोटे, पलटिमार कुमार उर्फ नीतीश कुमार जैसा दलबदलु भारतीय राजनीति में वर्तमान में शायद ही कोई हो… pic.twitter.com/1xTwSq1RIq
— Raj Harne ? (@RajjuHarne) August 9, 2022
नीतीश ने साल 2013 में बीजेपी से तोड़ा था नाता
जदयू और बीजेपी के बीच पहली बार 1998 में गठबंधन हुआ था। बिहार की राजनीति में कई ऐसे मौके आए जब नीतीश कुमार ने पाला बदला है। साल 2013 में बीजेपी की ओर से लोकसभा चुनाव 2014 के लिए नरेंद्र मोदी को आगे बढ़ाना नीतीश को रास नहीं आया. 16 जून 2013 को बीजेपी ने मोदी को लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया तो नीतीश कुमार खफा हो गए और उन्होंने बीजेपी के साथ अपने 17 साल पुराने नाते को तोड़ दिया और आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई।
बिहार में बहार बा
नीतीश पलटीमार बा
जंगलराज तैयार बा#बिहार से लाइव…@aajtak Senior Executive Editor @anjanaomkashyap पर #हल्ला_बोल।
महज कुछ ही घंटों में जंगलराज भी दिखने लगा, और जंगली भी।
लो कर लो बात….
बिहार की बिटिया पर बिहार में ऐसा व्यवहार..???? https://t.co/Gu154YusJX— श्रीनेत अजय कुमार सिंह (Ajay kumar Singh) (@Ajaykumar21Ajay) August 10, 2022
नीतीश ने 2015 में बनाई महागठबंधन की सरकार
नीतीश कुमार ने साल 2015 में लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर विधानसभा का चुनाव लड़ा। इस चुनाव में बिहार की राजनीति में बदलाव आया और महागठबंधन को जीत हासिल हुई। नीतीश कुमार महागठबंधन के नेता बने और 5वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
नीतीश और केजरीवाल में कौन ज़्यादा बड़ा पलटीमार है? https://t.co/LZJ9YrH8j6
— Ameera (@wokenbibi) August 10, 2022
साल 2017 में फिर बदला पाला
साल 2017 में महागठबंधन में दरार पड़ गई। 26 जुलाई को नीतीश कुमार ने प्रदेश के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। उस दौरान भ्रष्टाचार के आरोप में डिप्टी सीएम तेजस्वी से इस्तीफे की मांग बढ़ने लगी थी। बाद में नीतीश कुमार ने कहा था कि ऐसे माहौल में काम करना मुश्किल हो गया था। नीतीश कुमार ने फिर बीजेपी और सहयोगी पार्टियों की मदद से सरकार बनाई और 27 जुलाई को एक बार फिर बिहार के सीएम बने।
बिहार के पलटीमार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर बिहार मे गठबंधन मे शामिल कितने निर्लज्ज होते है ये नेता,अपनी ही बात पर टिके नही रहते, बिन पेंदी के लौटे की तरह कभी उधर तो कभी इधर लुढ़कते रहते है। ऐसे लोग क्या भला करेंगे बिहार का..? सिर्फ अपना स्वार्थ सिद्ध करना है, जनता जाए भाड़ में
— Aradhana Dubey (@aaradhanadubeyy) August 9, 2022
बिहार की बदहाली का मैं सूत्रधार हूँ!
क्योंकि मैं नितिशे कुमार हूँ !!
बिहार का सबसे बड़ा पलटीमार हूँ !
क्योंकि मैं नितिशे कुमार हूँ !!#नीतीश_कुमार_पलटीबाज #BiharPolitics— Prince Dubey (@Princek70312374) August 9, 2022
बिहार विधानसभा में किस दल को कितनी सीटें
बिहार विधानसभा में राजद के 79, भाजपा के 77, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, सीपीआइ (एमएल) के 12, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के 4, सीपीआइ और सीपीआइ (एम) के 2-2, एआइएमआइएम के एक विधायक हैं। इनके अलावा एक निर्दलीय विधायक हैं। विधानसभा की एक सीट रिक्त है। बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। इस लिहाज से बहुमत के लिए किसी भी सरकार को 122 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। जदयू और राजद के विधायकों को मिलाकर संख्या 124 हो जाती है।
बिहार मे फिर #जंगलराज का उद्धघाटन pic.twitter.com/hrM57JPdpe
— Queen of jhansi? (@sr7696) August 10, 2022