किसानों के एमएसपी पर इस समय जोरदार चर्चा चल रही है। राहुल गांधी और कांग्रेस इस समय किसानों को लेकर अलग-अलग दावे कर रहे हैं। सवाल ये उठ रहा है कि आखिर एमएसपी को लेकर यूपीए सरकार के दस वर्षों में क्या कदम उठाए गए और मोदी सरकार ने क्या निर्णय किए हैं। हम सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने एमएसपी पर महत्वपूर्ण फैसला लिया है। धान, कपास और दालें समेत 14 खरीफ (ग्रीष्म ऋतु) फसलों के एमएसपी को बढ़ाने का फैसला किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को उनकी उत्पादन लागत का 1.5 गुणा कीमत उपलब्ध कराने की अपनी प्रतिबद्धता को अमली जामा पहनाया। फसलों की एमएसपी में 200 रुपये से लेकर 1800 रुपये तक की बढ़ोतरी की गई है। कई फसलों पर लागत का दोगुना मूल्य देना तय किया गया है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस ने भी ऐसी कोई पहल की है। हमने दोनों सरकारों के आंकड़ों को खंगलाने की कोशिश की है। किसानों पर मोदी सरकार ने एक दर्जन से ज्यादा योजनाएं शुरू की हैं या फिर त्वरित कार्रवाई की है। लेकिन इस लेख में हम सिर्फ एमएसपी को आधार बनाकर रिसर्च डेटा आपके सामने रखेंगे। ये डेटा आरबीआई की रिपोर्ट से ली गई है।
खरीफ फसल
•जहाँ 2013-14 में धान (सामान्य) पर महज 4.8 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई, वहीं 2018-19 में यह बढ़ कर 12.9 प्रतिशत हो गया।
•2013-14 में धान (ग्रेड A) पर 5.1 प्रतिशत बढ़ोतरी की तुलना में 2018-19 में 11.3 प्रतिशत वृद्धि हुई।
•ज्वार (हाइब्रिड) पर जहां 2013-14 में कोई वृद्धि (0 प्रतिशत) नहीं हुई, वहीं 2018-19 में 42.9 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की कई।
•ज्वार (मालदांडी) के संदर्भ में भी 2013-14 में शून्य बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो 2018-19 में बढ़कर 42.3 प्रतिशत हो गई।
•बाजरा और मक्का को लेकर जहां 2013-14 में शून्य बढ़ोतरी दर्ज की गई, 2018-19 में इन दोनों फसलों पर क्रमशः 36.9 एवं 19.3 प्रतिशत की वृद्धि रिकॉर्ड की गई।
•जहां 2013-14 में मूंग दाल और उड़द दाल को लेकर क्रमशः 2.3 और 0 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं 2018-19 में इन दोनों फसलों के लिए क्रमशः 25.1 व 3.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
•2013-14 में कपास (मध्यम स्टेपल) और कपास (लंबा स्टेपल) पर जहाँ सिर्फ 2.8 और 2.6 प्रतिशत की क्रमशः वृद्धि हुई, वहीं 2018-19 में ये बढ़ कर क्रमशः 28.1 एवं 26.2 प्रतिशत हो गई।
2013-14 | 2018-19 | |
धान सामान्य | 4.8 | 12.9 |
धान (ग्रेड A) | 5.1 | 11.3 |
ज्वार (हाइब्रिड) | 0 | 42.9 |
ज्वार (मालदांडी) | 0 | 42.3 |
बाजरा | 0 | 36.9 |
मक्का | 0 | 19.3 |
मूंग दाल | 2.3 | 25.1 |
उड़द दाल | 0 | 3.7 |
कपास (मध्यम स्टेपल) | 2.8 | 28.1 |
कपास (लंबा स्टेपल) | 2.6 | 26.2 |
आंकड़े प्रतिशत में
रबी फसल
•2013-14 में गेहूँ पर जहाँ 3.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं 2018-19 में यह बढ़ कर 6.1 प्रतिशत हो गया।
•चना पर 2013-14 में 3.3 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले 2018-19 में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
•मसूर दाल पर 2013-14 में सिर्फ 1.7 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई, 2018-19 में यह बढ़कर 5.3 प्रतिशत हो गया।
•दलहन की बात करें तो सरसो पर 2013-14 में 1.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो 2018-19 में बढ़कर 5 प्रतिशत हो गई।
•सूरजमुखी बीज पर 2013-14 में महज 7.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, वहीं 2018-19 में 20.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
2013-14 | 2018-19 | |
गेहूं | 3.7 | 6.1 |
चना | 3.3 | 5 |
मसूर दाल | 1.7 | 5.3 |
सरसो | 1.7 | 5 |
सूरजमुखी बीज | 7.1 | 20.6 |
आंकड़े प्रतिशत में
उपरोक्त आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि जहां कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के कार्यकाल में किसानों का कल्याण सिर्फ भाषणों तक सीमित था, वहीं नरेन्द्र मोदी सरकार ने किसानों की स्थिति में आमूल-चूल बदलाव लाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। गौरतलब है कि मोदी सरकार की नीतियों ने अपना असर दिखाना शुरू भी कर दिया है।