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पहले मोरबी ब्रिज हादसा, फिर वंदे भारत ट्रेन पर हमला और अब अहमदाबाद-उदयपुर रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट, AAP के गुजरात पहुंचते ही क्यों हो रही इस तरह की वारदातें

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गुजरात में जहां एक ओर विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। वहीं दूसरी ओर नापाक हरकतों को भी अंजाम दिया जा रहा है। पहले गुजरात में मोरबी पुल हादसा, फिर वंदे भारत ट्रेन पर हमला और अब अहमदाबाद उदयपुर रेलवे ट्रैक पर विस्फोट, किसी गहरी साजिश की ओर इशारा करते हैं। ये अनायास नहीं है कि जब से आम आदमी पार्टी गुजरात पहुंची है पीएम मोदी की छवि को धूमिल करने के उपक्रम में तेजी आई है। वंदे भारत ट्रेन के साथ ही अहमदाबाद उदयपुर रेलवे ट्रैक का हाल ही के दिनों में पीएम नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था। पीएम मोदी ने अपने बांसवाड़ा के मानगढ़ दौरे पर इस रेलवे लाइन को लेकर कहा था कि यह लाइन इस इलाके में औद्योगिक विकास को गति देगी। इसके साथ ही उदयपुर और इसके आसपास के जिलों के लोगों के लिए गुजरात आने-जाने में आसानी होगी। जिस दिन से शहरी नक्सल समर्थित एवं विदेशी फंडिंग से संचालित एक पार्टी ने गुजरात चुनाव में प्रवेश किया है, ये चीजें नियमित रूप से हो रही हैं। वंदे भारत ट्रेन पर हमला और अहमदाबाद उदयपुर रेलवे ट्रैक पर विस्फोट की सच्चाई तो जांच के बाद सामने आएगी लेकिन लेकिन गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बने पुल के टूटने से करीब 140 लोगों की मौत का गुनहगार कौन है इसको लेकर संदेह की सुई आम आदमी पार्टी पर जा टिकती है। इसकी वजह साफ है। क्योंकि हादसे से एक दिन पहले उसके कई नेताओं ने गुजरात में धमाका होने की बात ट्वीट के जरिये कही थी जो कि सच साबित हुई। इससे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विदेशी फंडिंग एजेंसियों, संस्थाओं एवं एनजीओ से संपर्क पर भी सवाल उठते हैं। संदेह यह भी उत्पन्न होता है कि क्या पीएम मोदी और भारत की छवि खराव करने के लिए किसी विदेशी एजेंसी ने तो इन वारदातों को अंजाम नहीं दिया।

मोरबी पुल हादसे से एक दिन पहले AAP नेताओं के धमाके वाले ट्वीट के क्या हैं मायने?

गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बने पुल के टूटने से करीब 140 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। इस हादसे से पूरा देश स्तब्ध और मर्माहत है। हादसे के वक्त का वीडियो सामने आने के बाद इसमें गहरी साजिश की आशंका जतायी गई। इस हादसे के एक दिन पहले आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जो धमाका होने की भविष्यवाणी की थी, वो सच साबित हो चुकी है। इससे आम आदमी पार्टी घिरती हुई नजर आई।

हादसे के पीछे आम आदमी का हाथ होने की आशंका: राम कदम 

बीजेपी नेता राम कदम ने इस हादसे के पीछे आम आदमी का हाथ होने की आशंका जताई है। राम कदम ने कहा कि एक दिन पूर्व आम आदमी पार्टी के नेताओं का ट्वीट कि बहुत बड़ा धमाका होगा, बहुत बड़ा झटका लगेगा और उसी दौरान एक वीडियो का आना जिसमें कुछ नौजवान उस ब्रिज को लात से मारकर क्षति पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, क्या वह ब्रिज को क्षति पहुंचाने का प्रयोग था ? राम कदम ने कहा कि आम आदमी पार्टी का जिस प्रकार का ट्वीट है और जिसके बाद यह वीडियो सामने आया है क्या यह सोची समझी साजिश है, षड्यंत्र है या फिर ये कोई संजोग है। इसको देखकर पूरा देश दुविधा में हैं। बीजेपी विधायक ने कहा कि गुजरात सरकार आप नेता नरेश बाल्यान और निखिल सवानी के बयान का संज्ञान ले।

मोरबी के भयानक हत्याकांड से एक दिन ट्वीट का क्या मतलब ?

बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने आम आदमी पार्टी के विधायक नरेश बालियान द्वारा 28 अक्टूबर को किए एक ट्वीट को मोरबी केबल पुल से जोड़ते हुए तमाम सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी के नेताओं के ट्वीट्स शेयर करते हुए सवाल किया कि मोरबी के भयानक हत्याकांड से एक दिन पहले इन ट्वीट्स का अर्थ क्या है ?

आप नेता ने ट्वीट किया- कल भाजपा के पैर से जमीन खिसकने वाली है

आम आदमी पार्टी के गुजरात प्रदेश की यूथ विंग के उपाध्यक्ष और प्रमुख चेहरे निखिल सवानी ने मोरबी पुल हादसे के एक दिन पहले ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, “कल गुजरात की सियासत में दो बड़े धमाके होंगे। कल भाजपा के पैर से जमीन खिसकने वाली है।” ऐसा ही एक विवादास्पद ट्वीट AAP गुजरात के प्रदेश प्रवक्ता मिहिर पटेल ने भी किया था। उन्होंने लिखा-कल गुजरात की सियासत में दो बड़े धमाके होंगे। कल भाजपा के पैर से जमीन खिसकने वाली है।

गुजरात में वंदे भारत एक्सप्रेस पर पथराव

गुजरात में जहां एक ओर विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। वहीं दूसरी ओर नापाक हरकतों को भी अंजाम दिया जा रहा है। मोरबी ब्रिज हादसे के बाद गुजरात में वंदे भारत एक्सप्रेस पर पथराव किया गया और इसकी खिड़की के शीशे तोड़ दिए गए। इस संबंध में एआईएमआईएम नेताओं ने ट्वीट किया है। ट्विटर पर जो तस्वीरें सामने आयी है उसमें ट्रेन की खिड़की के शीशे टूटे नजर आए। बताया जा रहा है कि कुछ अज्ञात लोगों ने ट्रेन पर पत्थर चलाये। इस ट्रेन में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सवार थे। पार्टी नेता वारिस पठान ने दावा किया कि आरोपियों के निशाने पर ओवैसी ही थे। पठान ने दावा किया कि एआईएमआईएम प्रमुख पार्टी गुजरात प्रदेश अध्यक्ष साबिर काबलीवाला और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ अहमदाबाद से सूरत के लिए ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ में यात्रा कर रहे थे, तभी यह घटना घटी। पठान ने कहा कि जिस कोच में असदुद्दीन ओवैसी बैठे थे, उस पर दो बार पथराव किया गया। उन्होंने कहा कि हमने वंदे भारत एक्सप्रेस में अहमदाबाद से सूरत की यात्रा की। जब हम गंतव्य से 20 से 25 किमी दूर थे, तब पथराव किया गया, जिससे खिड़की का शीशा क्षतिग्रस्त हो गया। ओवैसी कोच में बैठे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 30 सितंबर को गांधीनगर-मुंबई सेंट्रल वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को गांधीनगर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।

साजिश: राजस्थान में उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे लाइन पर बने पुल पर धमाका

उदयपुर-अहमदाबाद ब्रॉड गेज रेलवे लाइन को विस्फोटक के जरिए उड़ाने की खतरनाक साजिश रची गई है। बदमाशों ने उदयपुर जिले के केवड़ा जंगल के आगे ओड़ा पुल को उड़ाने का प्रयास किया। 13 दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस लाइन का लोकार्पण किया था। मामला उदयपुर से करीब 35 किलोमीटर दूर सलूम्बर मार्ग पर केवड़े की नाल में ओढ़ा रेलवे पुल की है। स्थानीय लोगों ने शनिवार रात 10 बजे के आसपास धमाके की आवाज सुनी। इसके बाद फौरन कुछ लोग तुरंत पटरी पर पहुंचे तो वहां के हालात देखकर चौंक गए। वहां रेलवे लाइन पर बारूद पड़ा हुआ था। इसके साथ ही लोहे की पटरियां कई जगह से टूटी हुई थीं। पुल पर लाइन से नट-बोल्ट भी गायब मिले। जिसके बाद उन्होंने पुलिस को सूचना दी। धमाके से करीब चार घंटे इस ट्रैक से ट्रेन गुजरी थी। सूचना पर रेलवे ट्रैक पर गाड़ियां आने से रोक दिया गया है।

रेलवे ट्रैक पर विस्फोट की आतंकी एंगल से जांच

उदयपुर-अहमदाबाद रेल ट्रैक पर विस्फोट की एटीएस आतंकी साजिश के एंगल से जांच में जुटी है। जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा के अनुसार डेटोनेटर से पुल को उड़ाने की साजिश सामने आई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पूरी प्लानिंग के साथ ब्लास्ट किया गया है। ब्लास्ट के लिए जिस डेटोनेटर का इस्तेमाल किया गया है, वो सुपर 90 श्रेणी का है। मौके से बम स्क्वॉड और फोरेंसिक टीम ने सबूत जुटाए हैं। उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक पहले मीटर गेज यानी छोटी लाइन थी। इसे हटाकर ब्रॉड गेज में तब्दील किया गया। 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के असारवा स्टेशन से ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर इस रेलवे लाइन का लोकार्पण किया था। अपने बांसवाड़ा के मानगढ़ दौरे पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस रेलवे लाइन को लेकर जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि यह लाइन इस इलाके में औद्योगिक विकास को गति देगी। इसके साथ ही उदयपुर और इसके आसपास के जिलों के लोगों के लिए गुजरात आने-जाने में आसानी होगी।

केजरीवाल के पीछे कौन है, दिल्ली सरकार कौन चला रहा है?

टि्वटर यूजर विजय पटेल ने ट्वीट की एक श्रृंखला प्रकाशित की है। जिससे इस आशंका को बल मिलता है कि इन वारदातों के पीछे भारत और पीएम मोदी की छवि को खराब करने की मंशा है। केजरीवाल के विदेशी संस्थाओं एवं एनजीओ से संपर्क बहुत पहले से हैं और अब भी बने हुए हैं बल्कि उनकी सरकार का कुछ संस्थाओं के समझौता भी है। आगे की कहानी उसी ट्वीट पर आधारित है।

2003 में अभिजीत बनर्जी को एमआईटी में ‘फोर्ड फाउंडेशन’ अर्थशास्त्र के अंतर्राष्ट्रीय प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया था। उसी वर्ष, उन्होंने अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (J-PAL) की स्थापना की। 2000 से 2010 के बीच केजरीवाल को अपने एनजीओ के लिए फोर्ड फाउंडेशन से सीधे फंडिंग मिली। उन्हें अशोका फेलोशिप और मैग्सेसे अवार्ड भी मिला है, जो फोर्ड फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित हैं।

दिसंबर 2013 में फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल के प्रोफेसर और अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (J-PAL) के संस्थापक ने मीडिया में आप के लिए समर्थन और लेख लिखना शुरू किया!

फरवरी 2015 में चुनाव के दौरान उन्होंने आप का समर्थन करने के लिए एक लेख लिखा और लिखा कि “जो कोई भी भारतीय लोकतंत्र की परवाह करता है उसे 7 फरवरी को आप का समर्थन करना चाहिए।” फरवरी 2015 में केजरीवाल ने सरकार बनाई और दिल्ली के लिए एक नीति बनाने और उनकी सलाह और योजना पर दिल्ली सरकार चलाने के लिए एक थिंक टैंक दिल्ली डायलॉग कमीशन (DDC) भी बनाया।

2016 में जैस्मीन शाह आप में शामिल हो गए और तुरंत उन्हें डिप्टी सीएम सिसोदिया के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। जैस्मीन शाह आप में शामिल होने से पहले अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (J-PAL) के साथ काम कर रहे थे। 2018 में केजरीवाल ने जैस्मीन शाह को डीडीसी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया और उन्हें दिल्ली के लिए नीति बनाने की पूरी जिम्मेदारी दे दी।

2019 में डीडीसी ने अपनी सभी योजनाओं की निगरानी के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण डेटा है लेकिन किसे परवाह है? कोई इस महत्वपूर्ण डेटा को किसी विदेशी संस्था को कैसे सौंप सकता है?

ऐसा लगता है कि मुफ्त बिजली से लेकर ‘मीडिया’ शिक्षा मॉडल एमआईटी में अर्थशास्त्र के ‘फोर्ड फाउंडेशन’ इंटरनेशनल प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी द्वारा विकसित किया गया है! बाद में 2019 में, उन्होंने अपने J-PAL प्रोजेक्ट के लिए अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार जीता।

अब्दुल लतीफ जमील सऊदी अरब में स्थित एक पारिवारिक स्वामित्व वाला व्यावसायिक घराना है। अब इससे आप समझ सकते हैं कि दिल्ली एजुकेशन मॉडल को लेकर अमेरिका स्थित NYT और गल्फ स्थित खलीज टाइम्स में पेड न्यूज क्यों प्रकाशित की गई!

अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने के बाद, J-PAL ने आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु और गुजरात सहित कई राज्य सरकारों के साथ MOU किया है। लेकिन दिल्ली की नीति में जितनी दखलंदाजी इनकी है वैसी कहीं और नहीं दिखती। इस साल फरवरी में, डीडीसी ने फिर से J-PAL के साथ एक नया समझौता ज्ञापन किया और उन्हें सभी नीति और योजना डेटा तक पहुंच प्रदान की! यह हमारी चिंता होनी चाहिए!

दिलचस्प बात यह है कि एमआईटी में ‘फोर्ड फाउंडेशन’ इंटरनेशनल के इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी 2019 में कांग्रेस की न्याय योजना के पीछे मास्टरमाइंड थे!अब, फोर्ड फाउंडेशन की ए और बी टीम कौन है? वहीं इकबाल धालीवाल अब J-PAL के वैश्विक कार्यकारी निदेशक हैं। वह गीता गोपीनाथ के पति हैं। वह एक अमेरिकी नागरिक हैं और एक कम्युनिस्ट परिवार से ताल्लुक रखती हैं!

आम आदमी केजरीवाल को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश का समर्थन !

अरविंद केजरीवाल हमेशा दावा करते हैं कि वह सिर्फ एक आम व्यक्ति हैं लेकिन ये सभी सबूत बताते हैं कि उन्हें दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश, एनजीओ, मीडिया और अन्य सभी विदेशी-वित्तपोषित संस्थाओं का समर्थन प्राप्त है! इससे यह भी साबित होता है कि उनकी मुफ्तखोरी की राजनीति का सूत्रधार एक विदेशी चंदा देने वाली विदेशी संस्था है। वे अपने अंतरराष्ट्रीय तंत्र का उपयोग करके एक नकली शिक्षा और चिकित्सा मॉडल बनाने में उनकी मदद करते हैं। इस विदेशी संस्था ने उनकी पूरी सरकारी नीति भी तैयार की। वे न केवल नीति तैयार करते हैं, वे उसे ट्रैक भी करते हैं! तो अब बताइए दिल्ली सरकार कौन चलाता है?

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