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प्रधानमंत्री मोदी ने 29 साल पहले ली थी प्रतीज्ञा, आज अयोध्या जाकर हुई पूरी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच अगस्त को अयोध्या में भूमि पूजन कर श्रीराम मंदिर निर्माण का शुभारंभ कर रहे हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि नरेन्द्र मोदी आखिरी बार 29 साल पहले 1991 में अयोध्या आए थे। प्रधानमंत्री मोदी 1991 में रामलला जन्मोत्सव कार्यक्रम में अयोध्या गये थे तो उनसे पूछा गया था कि दोबारा कब आयेंगे तो उनका जवाब था- जब मंदिर बनेगा तब। 

अयोध्या के पत्रकार महेंद्र त्रिपाठी के अनुसार 29 साल पहले 1991 में  नरेन्द्र मोदी डॉ. मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या आए थे। उस वक्त उन्हें वहां कोई जानता नहीं था, लेकिन वो लगातार मुरली मनोहर जोशी जी के साथ दिख रहे थे। मैंने पता किया तो किसी ने बताया कि वे गुजरात के प्रभारी हैं। इसके बाद मैं उनसे मिलने गया और अपना परिचय दिया। उन्होंने मुझसे अयोध्या के बारे में जानकारी ली थी। बातचीत के अंत में मैंने उनसे पूछा कि वो अब अयोध्या कब आएंगे, जिसपर मोदी ने कहा था कि अब मंदिर निर्माण के समय आऊंगा।

फाइल फोटो

राम मंदिर निर्माण के नायक हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
आज जब करोड़ों देशवासी राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने से खुशी में डूबे हैं, तब आपको ये बताना भी जरूरी है कि आपकी इस खुशी के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दशकों की अनवरत तपस्या है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के लिए मोदी जी ने अपना जीवन समर्पित कर बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। श्री राम जन्म भूमि मुक्ति आंदोलन के नायकों में प्रधानमंत्री मोदी एक ऐसे नायक हैं जो लाल कृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या की रथयात्रा के चाणक्य थे।

1990 आडवाणी जी की रथयात्रा के सारथी बने मोदी
1990 में जब आडवाणी जी ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए रथ यात्रा निकालने की घोषणा की थी तब मोदी जी उस रथ यात्रा के सारथी थे। उन्होंने ही सोमनाथ से शुरू होने वाली उस रथ यात्रा की पूरी योजना बनाई थी। उस समय भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रहे मोदी जी पर ही रथ यात्रा की सारी तैयारियों और भीड़ के नियंत्रण की जिम्मेदारी थी। यात्रा के दौरान मोदी जी ने पर्दे के पीछे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और यहां तक कि कोई भाषण भी नहीं दिया। उन्हें आधिकारिक कार्यक्रमों और यात्रा मार्ग के बारे में बताने का काम सौंपा गया था।

मोदी जी ने रथयात्रा रोकने की चुनौती दी
रथ यात्रा दौरान मोदी जी ने केंद्र में वी.पी. सिंह की सरकार और यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार को चुनौती दी थी कि वे आडवाणी जी का काफिला रोककर दिखाएं। अयोध्या के लिए रथ यात्रा एक शानदार सफलता थी, क्योंकि इसे देश के सभी हिस्सों से जबरदस्त समर्थन मिला था। राम मंदिर निर्माण आंदोलन की लोकप्रियता ने विरोधियों को इतना विचलित कर दिया था।

गुजरात के सीएम रहने के दौरान प्रयास करते रहे
जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तब भी अयोध्या मामले पर उनकी नजर बनी रही। जब 2010 में अयोध्या मामले में फैसला आया, तब भी पीएम मोदी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया था और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी। ये मोदी जी ही थे, जिन्होंने साउथ कोरिया की First Lady को अयोध्या यात्रा के लिए प्रेरित किया। वास्तव में, मई 2015 में पीएम मोदी के साउथ कोरिया के दौरे के समय अयोध्या और कोरिया के बीच का विशेष संबंध चर्चा का विषय रहा था।

‘राम राज्य’ को आदर्श मानते हैं प्रधानमंत्री मोदी
दिसंबर 2013 में नरेंद्र मोदी जब वाराणसी पहुंचे। तो उन्होंने जनसभा को संबोधित करने के दौरान कहा कि किस प्रकार ‘राम राज्य’ ही उनका आदर्श है, और उसी रास्ते पर चलेंगे। 2014 में अयोध्या में एक चुनावी रैली के दौरान पीएम मोदी ने ‘जय श्रीराम’ का जयघोष किया। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने भगवान राम का जयघोष किया था। पीएम मोदी ने महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा था कि बापू के लिए ‘राम राज्य’ ही आदर्श शासन था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 जनवरी, 2019 को कन्याकुमारी में रामायण भारत दर्शन, माता सदनम और हनुमान की प्रतिमा का उद्घाटन भी किया। आज एक बार फिर अयोध्या में भव्य राम मंदिर की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री मोदी के कंधों पर है और देश की जनता को उन पर पूरा विश्वास है।

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