Home समाचार जीएसटी से कालाधन और भ्रष्टाचार पर सबसे बड़ा प्रहार

जीएसटी से कालाधन और भ्रष्टाचार पर सबसे बड़ा प्रहार

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देशभर में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) एक जुलाई से लागू हो जाएगा। कर प्रणाली में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। मल्टीपल टैक्स के जंजाल से निकलकर देशवासी केवल एक कर चुकाएंगे। वो कर है जीएसटी। इसकी गणना कर पाना भी आसान होगा। ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि यह पूरी तरह पारदर्शी हो।

काला धन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह महत्वपूर्ण कदम है। नोटबंदी के बाद यह सबसे बड़ी पहल है जो देश के विकास और वैभव के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित होने वाला है।

कच्चे बिल से खरीदारी इतिहास हो जाएगा 
भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में कच्चे बिल का बहुत बड़ा योगदान रहता है। पीएम मोदी ने लोकसभा में बहस के दौरान कहा था कि हम सभी को कच्चा बिल और पक्का बिल के बारे में जानकारी है। जीएसटी लागू होने के बाद से कच्चा बिल इतिहास हो जाएगा। हर स्तर पर जो भी खरीद-बिक्री होनी है, वह पक्के बिल से होगी। जीएसटी लागू होते ही सामान के उत्पादन करने से लेकर उपभोक्ता तक पहुंचने के बीच जितने भी मिडलमैन होंगे, हर किसी को जीएसटीएन में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इसका मतलब है कि हर किसी को अपना पैन नंबर देना होगा। पक्के बिल से खरीद-बिक्री होने से इसे असली एकाउंट्स में दिखाना होगा। ऐसा करने पर ही उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा।

व्यापारियों को देना एक्चुअल ग्राउंड पर टैक्स 
मौजूदा सिस्टम की कमियों का फायदा लेकर कारोबारी अपनी असल आमदनी जाहिर नहीं करते हैं। ज्यादातर कारोबारी अपने ग्राहकों को बिल ही नहीं देते हैं तो कई अन्य टैक्स से बचने के लिए बिल में हेराफेरी करते हैं। जीएसटी के लागू होते ही यह खामी समाप्त हो जाएगी क्योंकि जीएसटी का पूरा प्रोसेस ऑनलाइन है। इस तरह से यह पूरी तरह पारदर्शी होगा। इससे असल आमदनी क्या है, कारोबार कितना है, सब पता लग जाएगा और राजस्व विभाग को एक्चुअल ग्राउंड पर टैक्स देना होगा। अब लेन-देन में हेराफेरी नहीं कर सकेंगे और कम टैक्स भुगतान करके भ्रष्टाचार करने की संभावना खत्म।

टैक्स डिपार्टमेंट से डरने और घूस देने की जरूरत नहीं 
जीएसटी का प्रोसेस ऑनलाइन और पारदर्शी होने से टैक्स और रेवेन्यू डिपार्टमेंट से व्यापारियों को डरने की जरूरत नहीं रहेगी। जीएसटी के लागू होने के बाद पक्के बिल से लेन-देन होगा। टैक्स का सही कैलकुलेशन होगा तो टैक्स चोरी नहीं होगी। जब टैक्स चोरी नहीं होगी तो न टैक्स के अधिकारियों से डरने की जरूरत और न ही घूस देने की मजबूरी।

पूरे देश में एक दाम होने से कंफ्यूजन नहीं 
अभी के कर प्रणाली के कारण एक ही वस्तु के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती है क्योंकि अलग-अलग राज्यों में टैक्स की दरें अलग-अलग है। अलग-अलग टैक्स होने के कारण कई बार ग्राहकों को ठगी का शिकार भी होना पड़ता है। जीएसटी लागू होने के बाद पूरे देश में एक कर लागू होगी। कोई भी वस्तु जिस पर जीएसटी लागू है, उसकी कीमत पूरे देश में एक ही होगी। इससे ग्राहकों को सामान की कीमत को लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं रहेगा और वे ठगी के शिकार नहीं होंगे।

जीएसटी देता है कई करों से मुक्ति
एक ही वस्तु पर कई तरह के कर लगे हों तो उसका कैलकुलेशन करने में कई बार भूल-चूक होने की आशंका अधिक रहती है। लेन-देन करने वालों को भी लगता है कि वे सिर्फ सामान खरीद रहे हैं, उसका ही टैक्स नहीं चुका रहे बल्कि टैक्स के ऊपर भी टैक्स दे रहे हैं। लोकसभा में भी जीएसटी पर बहस के दौरान चर्चा आई कि इतने प्रकार के टैक्स हैं कि भ्रष्टाचार को ठिकाना बनाने का मौका मिल ही जाता है। जीएसटी के लागू होने के बाद एक देश एक कर का माहौल होगा। ऐसे में, टैक्स पर टैक्स देने वाली बात ही नहीं होगी और न ही भ्रष्टाचार को ठिकाना बनाने का मौका मिलेगा।

चुंगी खत्म होने से लाखों करोड़ बचेंगे
जीएसटी के लागू होने से टैक्स कलेक्शन करने की लागत में कमी आएगी। एक शहर से दूसरे शहर सामान पहुंचाने के लिए चुंगी कर देना होता था। इसके कारण वाहनों को लाइन में लंबे समय तक खड़ा करना पड़ता है। इस व्यवस्था का जिक्र करते हुए पीएम मोदी कहा था कि इसकी वजह से एक लाख 40 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होता है। जीएसटी के कारण ये बाधा खत्म होगी और यह पैसा बचेगा। रियल टाइम डाटा मिलेगा तो भ्रष्टाचार कम होगा। रोजगार बढ़ेगा, निवेश बढ़ेगा।

मुनाफाखोरी करने वाले फंसेंगे
जीएसटी लागू होने के बाद ग्राहकों के हित में मुनाफाखोरी पर सख्ती करने का भी प्रावधान है। यानी जो कंपनियां जीएसटी की आड़ में बेजा मुनाफा कमाएंगी, उन पर कड़ी कार्रवाई होगी। उदाहरण के तौर पर अगर साबुन पर अभी सारे टैक्स मिलाकर 20 परसेंट है, लेकिन अगर उस पर 12 परसेंट की दर से जीएसटी लगती है, तो कंपनियों को टैक्स में कमी का फायदा ग्राहक को देना होगा यानी उन्हें कीमतें कम करनी होगी।

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