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मोदी सरकार में आर्थिक अपराध के आरोपियों पर कार्रवाई तेज, नीरव मोदी की कई विदेशी संपत्ति जब्त

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मौजूदा सरकार ने आर्थिक अपराध के संगीन आरोपियों का तेज हिसाब करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में एक नई कार्रवाई के साथ देश के आर्थिक भगोड़े नीरव मोदी और उसके परिवार की देश-विदेश की 637 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली गई है। नीरव मोदी उन शातिर आरोपियों में एक है, जिन्हें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी चुनावी रणनीति के तहत विदेश भगाने में मदद की थी।

विदेशों में संपत्ति सीज करना बड़ी कामयाबी
देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले के आरोपी नीरव मोदी पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) के अंतर्गत भारत समेत पांच देशों में बड़ी कार्रवाई की गई है। उसके मुताबिक नीरव मोदी की प्रॉपर्टी, ज्वेलरी और बैंक बैलेंस को भारत, ब्रिटेन और अमेरिका के अलावा दूसरे देशों में भी जब्त किया गया है। जानकारियों के अनुसार न्यूयॉर्क में उसके एक लग्जरी अपार्टमेंट सहित 216 करोड़ रुपये की दो अचल संपत्ति जब्त की गई है। ये इसलिए बड़ी कामयाबी है क्योंकि ऐसे मामले बहुत कम हैं, जिनमें भारतीय एजेंसियों ने विदेशों में आर्थिक मामलों के आरोपियों की संपत्तियों को सीज किया है।

जारी रहेगा संपत्ति सीज होने का सिलसिला
प्रवर्तन निदेशालय ने नीरव मोदी की विदेशों में मौजूद करीब 4 हजार करोड़ की संपत्ति चिन्हित कर रखी है और इन्हें ही PMLA के तहत अटैच करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। ED ने मुंबई की एक स्थानीय अदालत से अमेरिका, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, हांगकांग और सिंगापुर समेत कई अन्य देशों को नीरव मोदी व उसके परिवार से जुड़े बैंक खातों, विला और घरों को अटैच करने के लिए लेटर ऑफ रोगेटरीज जारी कराए थे। उसके बाद ही कार्रवाई का नया दौर शुरू हुआ है।

नीरव, मेहुल, माल्या कांग्रेस के चुनावी प्लॉट का हिस्सा?
हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी पर करीब 14 हजार करोड़ रुपये घोटाले को अंजाम देने का आरोप है। इससे पहले कि घोटाले का खुलासा होता दोनों इसी वर्ष जनवरी में देश छोड़कर फरार हो गए थे। इन दोनों के अलावा सुर्खियों में रहने वाला एक और भगोड़ा है विजय माल्या। दरअसल यह पूरा प्लॉट ही विदेश से चुनाव अभियान ऑपरेट करने की कांग्रेसी रणनीति का हिस्सा था। पार्टी यह मानकर चल रही थी कि मेहुल, माल्या और नीरव जैसे निवेशकों के विदेश में रहने से यह रणनीति कारगर रहेगी।

आर्थिक भगोड़ों का कांग्रेस कनेक्शन!
यह जानकारी पहले ही आ चुकी है कि मेहुल चोकसी का संबंध उस कैंब्रिज एनालिटिका की पैरेंटल कंपनी SCL Elections से रहा है जिसे राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए हायर किया था। बताया जाता है कि कांग्रेस के चुनावी प्लान का ही एक हिस्सा मेहुल भी था जिसे कांग्रेस ने जान-बूझकर भगोड़ा बनाया। यानी उसे एक सोची-समझी चुनावी रणनीति के साथ भारत से भगाया गया और एंटीगुआ की नागरिकता दिलवाई गई। वहीं पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी की पार्टी में राहुल गांधी आते-जाते रहे थे। यह खुलासा खुद कांग्रेस से जुडे रहे शाहजाद पूनावाला कर चुके हैं। विजय माल्या और कांग्रेस हाईकमान के एक-दूसरे के फेवर करने की बातें तो पहले से जगजाहिर हैं।

IBC के डर से डिफॉल्टर्स चुका रहे बकाया
एक तरफ जहां मोदी सरकार भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के साथ देश छोड़कर भागे आरोपियों पर शिकंजा कस रही है, वहीं उसके इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) का डर अब बैंकों को चूना लगाने वालों में अब साफ-साफ दिखने लगा है। यह डर कुछ ऐसा है कि वे अब बैंक जाकर खुद पैसा लौटा रहे हैं। कंपनियों के कई प्रमोटर्स, जो मोटे लोन लेने के बाद बैंकों से दूर भागे रहते थे, वे अब तक 1.1 लाख करोड़ रुपये बैंकों को वापस कर चुके हैं। बैंकों से ऋण लेकर डिफॉल्ट करने वालों पर शिकंजे के लिए ही मोदी सरकार ने IBC कोड लाया है, जिसका बैंकों को फायदा मिलता दिख रहा है।

डिफॉल्टर्स से वसूली में आई तेजी
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने मौजूदा वित्त वर्ष में लॉन डिफॉल्टर्स से 1.8 लाख करोड़ रुपये रिकवर करने का लक्ष्य तय कर रखा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में ढाई गुना अधिक है। अप्रैल-जून की तिमाही में जिन 12 मामलों में रिजॉल्यूशन हुआ, उनमें से तीन में बैंकों को पूरी रकम वापस मिल चुकी है। जैसे MBL इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में 1,600 करोड़ की रिकवरी हो चुकी है। गौर करने वाली बात है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) अब तक ऐसे 977 मामले में अर्जियों को स्वीकार कर चुका है, जिनमें ऋणदाताओं ने कार्रवाई की मांग कर की थी। ऐसे मामलों की संख्या में चार गुना बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इनमें से ज्यादातर स्वीकृत होने से पहले ही वापस ले लिए जाते हैं, क्योंकि लोन लेने वाला बकाया चुकाने को तैयार हो जा रहा है।

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