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काली कमाई पर मोदी सरकार सख्त , 15 महीने में 12 हजार करोड़ की संपत्ति जब्त

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कालेधन और बेनामी संपत्ति के विरुद्ध केंद्र की मोदी सरकार का अभियान जारी है और इसमें लगातार सफलता मिल रही है। बीते 15 महीने में ही लगभग 12 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जब्त की गई है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों पर गौर करें तो बीते 15 महीने में जब्त की गई संपत्ति पिछले दस वर्षों में जब्त की गई संपत्ति से ज्यादा है।

15 महीने में 12 हजार करोड़ की संपत्ति जब्त
कालेधन को सफेद बनाने के खेल में लगे लोगों पर नकेल कसना जारी है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले 15 महीनों में करीब 12 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है, जो कि पिछले 10 वर्षों में ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्ति से भी ज्यादा है। ईडी ने बीते एक साल में 175 अंतरिम अटैचमेंट आदेश जारी करने के बाद 11,032.27 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच की है। ईडी की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2005 से 2015 के बीच करीब 9003.26 करोड़ रुपये कीमत की संपत्तियां जब्त की गई थी।

माल्या और मोदी के लिए चित्र परिणाम

माल्या की संपत्ति से मालामाल हुई सरकार
मौजूदा वित्त वर्ष के शुरुआती तीन महीनों में ही 965.84 करोड़ रुपये जब्त किए गए, जबकि इस साल 30 जून तक कुल 22,000 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच की गईं। आंकड़े में यह उछाल साल 2016-17 में भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की संपत्तियां जब्त की जाने की वजह से आई है। दरअसल अकेले माल्या की ही करीब 10 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई।

15 महीने में एक तिहाई गिरफ्तारियां
ईडी के आंकड़ों के अनुसार विभाग ने देश भर में अब तक पड़े कुल छापों में आधे से ज्यादा और करीब एक तिहाई गिरफ्तारियां अकेले पिछले 15 महीनों में की। इनमें से कई हाई प्रोफाइल केस और छापेमारी तमिलनाड़ु में हुई, जिसमें शेखर रेड्डी केस और मदुरई ग्रेनाइट माइनिंग केस प्रमुख रहे। दरअसल सरकार के आदेश से ईडी ने अपने अधिकारियों को गलत ढंग से कमाए गए पैसे पर खुलकर कार्रवाई करने की छूट दी है।

काले धन पर मोदी सरकार के लिए चित्र परिणाम

कई विभागों के समन्वय से आसान हुई कार्रवाई
दरअसल पीएम मोदी का साफ कहना है कि विभागों के आपसी समन्वय से बेहतर परिणाम आते हैं। इसी बात पर चलते हुए ईडी ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों के साथ सामंजस्य बिठा कर कई कदम उठाए हैं। इसके अलावा कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने भी शेल (फर्जी) कंपनियों की धरपकड़ के लिए एक टास्क फोर्स बनाई है, जो इन सारी एजेंसियों से संपर्क में रहती है। इसके अतिरिक्त ईडी ऐसी शेल कंपनियों पर नजर रख रही है, जिन्होंने करोड़ों रुपये देश से बाहर ट्रांसफर किए हैं। अप्रैल में ईडी ने चेन्नई में 36 साल के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था, जिसने अपनी 6 फर्जी कंपनियों के जरिये 78 करोड़ रुपये विदेशों में भेजे थे।

काले धन पर मोदी सरकार के लिए चित्र परिणाम

जब्त हुई 562 करोड़ की काली कमाई
पिछले वित्त वर्ष के दौरान देश के बाजारों में संदिग्ध लेन-देन, जाली नोट, सीमा पार से आने वाले धन के पकड़े गए मामले बढ़कर दोगुने हो गए। इस दौरान 560 करोड़ रुपए से अधिक के कालेधन का खुलासा हुआ। वित्त मंत्रालय के प्रतिष्ठित तकनीकी जांच निकाय फाइनेंसियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू) की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान बड़ी संख्या में ऐसी घटनाएं सामने आईं। दरअसल सभी बैंक और वित्तीय कंपनियां देश के मनी लॉन्ड्रिंग और एंटी टेरर फंडिंग के उपायों के तहत ऐसे किसी भी प्रकार के लेन-देन की खबर इस यूनिट को देती हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2015-16 में एफआईयू को ऐसी रिपोर्ट मिलने, उसके प्रोसेस और वितरण में खासी वद्धि हुई। इसके अलावा नकद लेन-देन रिपोर्ट की संख्या 2014-15 के 80 लाख से बढ़कर 2015-16 में 1.6 लाख हो गया, जबकि संदिग्ध लेन रिपोर्ट 58,646 से बढ़कर 1,05,973 हो गई।

फर्जी कंपनियां के लिए चित्र परिणाम

दो हजार से ज्यादा कंपनियों पर मारे गए छापे
वित्त मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामें (affidavit) में बताया है कि बीते तीन सालों के दौरान विभाग ने 2 हजार से ज्यादा कंपनियों पर छापे मारे जिसमें इसमें 36,051 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय बरामद हुई। इसके अतिरिक्त करीब 2890 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति भी जब्त की गई। शपथ पत्र में 1 अप्रैल 2014 से 28 फरवरी 2017 तक की जानकारी दी गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि तीन साल के दौरान आयकर विभाग ने 2027 समूहों की तलाशी ली।

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