प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार समाज के हर तबके के उत्थान के लिए काम कर रही है। वृद्ध, दिव्यांग और विधवाओं के साथ-साथ गरीबों, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को समाज में उचित स्थान दिलाने, उन्हें जीवकोपार्जन के लिए पेंशन देने, रहने के लिए घर मुहैया कराने, उन्हें खाद्य सुरक्षा दिलाने, सस्ती दरों पर बीमा दिलाने, जीरो बैलेंस पर बैंक खाता खुलवाने की सुविधा का लाभ पहुंचाने जैसे तमाम कार्य हैं जिन्हें मोदी सरकार की तरफ से किया जा रहा है। देश के ग्रामीण इलाके का निवासी हो, पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोग हों, या फिर सुदूर जंगल में रहने वाले जनजातीय समुदाय के लोग, केंद्र सरकार का मकसद सभी को समाज की मुख्यधारा में जोड़ कर उन्हें आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाना है।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन दोगुना करने की तैयारी
केंद्र सरकार राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) के तहत अलग-अलग पेंशन योजनाएं चला रही है। इसके तहत वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन और दिव्यांग पेंशन जरूरतमंदों को दी जाती है। केंद्र सरकार यह पेंशन पाने वाले लाभार्थियों की राशि दोगुनी करने की तैयारी में है। वृद्धावस्था पेंशन के तहत अभी 200 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं, जिसे बढ़ाकर 500 रुपये प्रतिमाह किये जाने की तैयारी है, वहीं विधवा पेंशन जो अभी 300 रुपये प्रतिमाह दी जाती है, उसे बढ़ाकर 500 रुपये प्रतिमाह किये जाने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि ऐसा होने पर वृद्धावस्था पेंशन योजना के मद में 8640 करोड़ रुपये अतिरिक्त की जरूरत होगी, वहीं विधवा पेंशन के मद में 1680 करोड़ रुपये अतिरिक्त चाहिए होंगे। देश के अर्थशास्त्रियों ने पेंशन राशि को अपर्याप्त बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी से इसमें बढ़ोतरी की मांग की थी। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत पेंशन योजनाएं ग्रामीण विकास मंत्रालय के द्वारा संचालित की जाती हैं। इसलिए इस संबंध में ग्रामीण विकास मंत्रालय अलग-अलग प्रस्तावों पर गौर कर रहा है। मंत्रालय की ओर से राशि बढ़ोतरी का प्रस्ताव जल्द ही वित्त मंत्रालय को भेजा जाएगा।
3.2 करोड़ लाभार्थियों को दी जा रही है पेंशन
ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत देशभर में 2.40 करोड़ वृद्धों, 70.43 लाख विधवाओं और 10.32 लाख दिव्यांगों यानी कुल 3.20 करोड़ लाभार्थियों को पेंशन दी जाती है। हालांकि केंद्र सरकार इसका दायरा बढ़ाने में लगी है और राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम का नवीनीकरण कर इसे प्रधानमंत्री सामाजिक सुरक्षा योजना करने का प्रस्ताव है, जिसकी पहुंच सात करोड़ लाभार्थियों तक होगी। पेंशन के भुगताम में किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए डीबीटी का इस्तेमाल किया जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार मौजूदा वर्ष में गुजरात एवं केंद्र शासित लक्षद्वीप डीबीटी के माध्यम से 100% ट्रांसफर का प्रयोग कर रहे हैं । डीबीटी का आंशिक क्रियान्वयन झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ में किया जा रहा है।
पेंशन स्कीम के अलावा भी केंद्र सरकार की तरफ से ऐसी तमाम योजनाएं हैं जो गरीब तबके लोगों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए चलाई जा रहा हैं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा)
देश के ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार मुहैया कराने में इस योजना का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके तहत जहां ग्रामीण इलाकों में रोजगार मिलता है, वहीं विकाय कार्य भी संपन्न होते हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना अधिनियम का उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में एक वित्त वर्ष में न्यूनतम एक सौ दिनों का तयशुदा रोज़गार देकर आजीविका सुरक्षा को बढ़ावा देना है। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 में 48,000 करोड़ रुपये का आवंटन मनरेगा के तहत किया है। यह इस योजना के तहत अब तक का सर्वाधिक आवंटन है। मनरेगा के तहत वर्ष 2017-18 में अब तक 35 करोड़ घरों को 156 लाख कार्यों में रोज़गार प्रदान किया जा चुका है। इस प्रक्रिया में 160 करोड़ दिन का रोज़गार सृजित हुआ है । कुल रोज़गार में से 54% रोज़गार महिलाओं के लिये सृजित हुआ है जो वैधानिक तौर पर आवश्यक 33% से बहुत अधिक है। सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना- 2011 के अनुसार 40 करोड़ घर भूमिहीन घरों की श्रेणी में आते हैं, जो अपने जीविकोपार्जन के लिये अनियत श्रम पर निर्भर हैं। सरकार इन घरों को, जिनके पास जॉब कार्ड नहीं हैं एवं वे इच्छुक हैं, मनरेगा के अंतर्गत रोज़गार प्रदान करने के लिये काफी प्रयास कर रही है ।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य 8-9 करोड़ ग्रामीण निर्धन घरों तक पहुंचकर, हर घर से एक महिला को लेकर गांव एवं उच्चतर स्तर पर महिला स्वयं सहायता समूहों एवं संघों का निर्माण करना है। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के आर्थिक विकास के लिए यह योजना काफी कारगर है। वर्ष 2017-18 के दौरान (अक्टूबर, 2017 तक) कार्यक्रम की तीव्र क्रियान्वयन नीति के तहत 683 अतिरिक्त ब्लॉक कवर किये गए हैं, जिनसे कुल ब्लॉक की संख्या 4330 हो जाती है। वर्ष 2017-18 के दौरान अब तक, 56 लाख से अधिक घर 84 लाख स्वयं सहायता समूहों में जुटाए गए हैं । इस योजना के तहत स्वयं सहायता समूह के बैंकों से जुड़ाव कार्यक्रम ने वर्ष दर वर्ष अभूतपूर्व प्रगति की है । वित्तीय वर्ष 2017 के दौरान अक्टूबर तक 2 लाख स्वयं सहायता समूहों को 18,000 करोड़ की धनराशि प्राप्त हो चुकी है ।महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के अंतर्गत 17 राज्यों में 33 लाख से अधिक महिला किसानों को कृषि क्षेत्र में सशक्त बनाने एवं कृषि आधारित आजीविका में उनकी भागीदारी एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिये कवर किया गया है ।
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना नियुक्ति से जुड़ा हुआ कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम है, और गांवों के निर्धन युवाओं को रोजगारपरक कौशल से सशक्त बनाने एवं उन्हें नौकरी दिलाने में मदद करने का माध्यम है। फिलहाल यह 28 राज्यों में कार्यान्वित किया जा रहा है। दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना में 39 क्षेत्रों में 329 से अधिक तरह की नौकरियों के साथ प्रशिक्षण देने वाली 310 से अधिक परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों से भागीदारी के साथ 674 परियोजनाओं में 566 से भी अधिक प्रशिक्षण केंद्र हैं। इस योजना के तहत मौजूदा वित्त वर्ष में 2 लाख अभ्यर्थियों को कौशल प्रदान करने के लक्ष्य है, हालांकि 83,745 उम्मीदवारों को पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जिनमें से 46,654 से अधिक उम्मीदवार अक्टूबर, 2017 तक नौकरी भी पा चुके हैं।
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना
देश की एक बहुत बड़ी आबादी आज भी ऐसी है जिसके पास सिर छिपाने को पक्की छत नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश का संकल्प है कि वर्ष 2022 तक देश में सभी को आवास उपलब्ध कराया जाए। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत इस संकल्प को पूरा करने के लिए काम किया जा रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2018-19 तक एक करोड़ आवासों का निर्माण कराना चाहता है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत वर्ष 2016-18 में राज्यों को आवंटित 88 लाख आवासों के लक्ष्य के निमित्त 71.01 लाख लाभार्थियों को पंजीकृत किया जा चुका है, जिनमें से 63.72 लाख आवास भू-चिह्नित किये जा चुके हैं। 58.58 लाख लाभार्थियों को अपने आवास के लिये स्वीकृति मिल चुकी है, इनमें से 53.20 लाख एवं 34.44 लाख लाभार्थियों को 14 दिसंबर 2017 तक क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय किश्त प्राप्त हो चुकी है एवं योजना के तहत 11.57 लाख आवास अब तक पूर्ण हो चुके हैं।
अटल पेंशन योजना
असंगठिक क्षेत्र के कामगारों को भविष्य की आर्थिक सुरक्षा को लेकर काफी चिंता रहती है। ऐसे ही लोगों के लिए केंद्र सरकार ने अटल पेंशन योजना शुरू की थी। यह योजना असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए बुढ़ापे का सहारा बन सकती है। अटल पेंशन योजना में वे ना केवल कम राशि जमा करवाकर हर माह ज्यादा पेंशन के हकदार हो सकते हैं, बल्कि असामयिक मृत्यु की दशा में उनके परिवार को भी इसका फायदा मिलता है। इस पेंशन योजना के धारक की मृत्यु होने पर उसकी पत्नी और पत्नी की भी मृत्यु होने की स्थिति में बच्चों को पेंशन मिलती रहेगी। 18 से 40 वर्ष की आयु के बीच का कोई भी व्यक्ति इस योजना में शामिल हो सकता है। सरकार ने आयु और जितनी पेंशन आप हर माह लेना चाहते हैं, उसी के अनुसार हर माह पैसा जमा कराने के लिए स्पष्ट नीति बनाई है। मसलन आप हर माह 1000 रुपये की पेंशन चाहते हैं और आपकी आयु 18 वर्ष है, तो आपको 42 साल तक हर माह 42 रुपये जमा करवाने होंगे। वहीं 40 साल की उम्र वालों को 291 रुपये 20 साल तक हर माह जमा करवाने होंगे। 1000 रुपये पेंशन के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति की अगर मृत्यु हो जाती है, तो उसके नामांकित उत्तराधिकारी को 1.7 लाख रू पए दिया जाएगा। इसी तरह 2000, 3000, 4000 या अधिकमत 5000 रुपये प्रति माह पेंशन चाहने वालों के लिए उम्र के हिसाब से प्रतिमाह का प्रीमियम देना होगा।
प्रधानमंत्री जन धन योजना
प्रधानमंत्री जन धन योजना ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सामाजिक के साथ आर्थिक सुरक्षा उपलब्ध कराने में काफी कारगर साबित हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के हर नागरिक को बैंकिंग क्षेत्र से जोड़ने के लिए इस योजना का शुरू किया था और आज इसके परिणाम सभी के सामने हैं। वित्त मंत्रालय के 31 दिसंबर 2017 के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में 30.80 करोड़ जनधन खाते बैंकों में खुल चुके हैं और उनमें 71,501.17 करोड़ रुपये की धनराशि जमा है। इन खातों के खुलने से सबसे ज्यादा फायदा सब्सिडी के पैसों का सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांसफर करने में हुआ है। इससे जहां करोड़ों लोगों को सीधे बैंक से जुड़ने का मौका मिला है, वहीं उनमें आर्थिक सुरक्षा की भावना भी जागृत हुई है।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना
आम लोगों को जीवन बीमा का लाभ दिलाने के मकसद से 2015 में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का शुभारंभ हुआ था। इस योजना के तहत हर वो नागरिक जिसका बैंक में बचत खाता है, बहुत की कम प्रीमियम का भुगतान कर जीवन बीमा का लाभ ले सकता है। इस योजना का तहत 330 रुपये वार्षिक प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है, और इसके एवज में 2 लाख रुपये का जीवन बीमा मिलता है। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के लिए 18 वर्ष से 50 वर्ष तक के उम्र वाले व्यक्ति ही शामिल हो सकते हैं। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का लाभ बैंक, बीमा कंपनी या पोस्ट ऑफिस से लिया जा सकता है।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत सिर्फ 12 रुपये वार्षिक के प्रीमियम भुगतान पर बीमा धारक को 2 लाख रुपये का दुर्घटना कवर मिलता है। जबकि दुर्घटना के दौरान विकलांगता आदि की स्थिति में 1 लाख रुपए का कवर मिलता है। हालांकि अगर दुर्घटना के दौरान व्यक्ति की दोनों आंखों की रोशनी चली जाती है, या फिर उसके हाथ और पैर बेकार हो जाते हैं, तो भी 2 लाख रुपए का कवर बीमाधारक को मिलेगा। कोई भी व्यक्ति जिसका बचत खाता है और उसकी उम्र 18-70 साल तक है, वह प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना लाभ ले सकता है।