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MODI@72: पीएम मोदी के नेतृत्व में दुनिया को राह दिखाता न्यू इंडिया, भारत बना दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में न्यू इंडिया आर्थिक से लेकर जलवायु और पर्यावरण तक दुनिया को राह दिखा रहा है। पीएम मोदी ने पिछले 8 सालों में देश की जिस तरह से मजबूत आधारशिला रखी है उसकी देश ही नहीं दुनिया की संस्थाएं, बुद्धिजीवी एवं नेता प्रशंसा कर रहे हैं। आज सशक्त, सक्षम, समर्थ और आत्मनिर्भर भारत दुनिया को रास्ता दिखा रहा है कि वसुधैव कुटुंबम की भावना के साथ कैसे देश का विकास किया जा सकता है। हाल के समय में देश एवं दुनिया के समक्ष कोविड संकट, रूस-यूक्रेन युद्ध सहित अनेक बाधाएं और चुनौतियां आईं लेकिन पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व में देश ने मजबूती से उनका सामना किया और नए भारत के निर्माण की यात्रा सतत जारी रही। यही वजह है कि विकास के रास्ते पर अग्रसर भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। कोरोना काल में जहां दुनियाभर के देशों में अर्थव्यवस्था गिरावट की ओर जा रही थी वहीं पीएम मोदी ने आपदा को अवसर में बदलने का मंत्र दिया और लोगों में आशा का संचार किया जिससे भारत की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूती से संकटों का सामना कर सकी।

ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत

भारत अर्थव्यवस्था के मामले में ब्रिटेन से आगे निकल गया है। भारत अब अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। इस खिताब को अपने नाम करने के लिए भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ा है और अब इस लिस्ट में अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के साथ भारत का भी नाम लिखा जाएगा। इसे ब्रिटेन के लिए एक झटके जैसा देखा जा रहा है। इन दिनों ब्रिटेन महंगाई, ग्रोथ और राजनीतिक अस्थिरता को लेकर परेशानी झेल रहा है। मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार $854.7 बिलियन था, वहीं ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर थी। दरअसल, एक दशक पहले, भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 11वें स्थान पर था, जबकि ब्रिटेन 5वें स्थान पर था। लेकिन शुक्रवार को भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है। आजादी के बाद से 75 वर्षों में, भारत की प्रति व्यक्ति आय 6 गुना बढ़ गई है। इसी को देखते हुए पीएम मोदी ने अगले 25 वर्षों में एक विकसित देश बनने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए प्रति व्यक्ति आय एक तिहाई समय में 9 गुना तक बढ़नी चाहिए।

आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर भारत

कोविड महामारी ने पूरी दुनिया के आर्थिक परिदृश्य को बुरी तरह से प्रभावित किया। दुनिया की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, अब भी इसके दुष्प्रभावों से उबरने के लिए संघर्ष कर रही हैं। कोविड का प्रभाव तो भारत में भी रहा, लेकिन मोदी सरकार की नीतियों निर्णयों के फलस्वरूप हमारी अर्थव्यवस्था को अधिक प्रभावित नहीं कर पाया। जब दुनिया के बड़े बड़े देश कोविड के समक्ष घुटने टेक चुके थे, उस समय पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान करते हुए यह स्पष्ट किया कि यदि संकल्प दृढ़ हो तो आपदा को भी अवसर में बदला जा सकता है। आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा से जहां हताश हो रहे भारतीय जनमानस में आशा का संचार हुआ, वहीं इसके तहत घोषित 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज ने भारतीय अर्थव्यवस्था में एक नई जान फूंकने का काम किया। सरकार के इन सब प्रयासों का ही परिणाम है कि कोविड संकट को झेलने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था आज भी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है। भारत आज इंज ऑफ डुइंग बिजनेस में सुगमता की वजह से दुनिया का इन्वेस्ट डॅस्टिनेशन बन गया है, और विश्व की आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।

फाइल फोटो

सामर्थ्यवान भारत आज दुनिया की नई उम्मीद हैः पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड महामारी और वैश्विक अशांति व संघर्षों के बीच एक ‘सामर्थ्यवान राष्ट्र’ के रूप में भारत की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा है कि देश आज दुनिया की ‘नई उम्मीद’ के रूप में उभरा है और वह समस्याओं का समाधान पेश कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि वह एक ऐसे ‘नए भारत’ के निर्माण में जुटे हैं जिसकी पहचान नई हो, जो भविष्य की ओर देखता हो लेकिन उसकी परम्पराएं प्राचीन हों। उन्होंने कहा, ‘ऐसा नया भारत, जो नई सोच और सदियों पुरानी संस्कृति, दोनों को एक साथ लेकर आगे बढ़े, पूरी मानवजाति को दिशा दे। जहां चुनौतियां बड़ी हैं, भारत वहां उम्मीद बन रहा है, जहां समस्या है, भारत वहां समाधान पेश कर रहा है।’ पीएम मोदी ने कहा, ‘कोविड महामारी के संकट के बीच दुनिया को टीके और दवाइयां पहुंचाने से लेकर बिखरी हुई आपूर्ति श्रृंखला के बीच आत्मनिर्भर भारत की उम्मीद तक, वैश्विक अशांति और संघर्षों के बीच शांति के लिए एक सामर्थ्यवान राष्ट्र की भूमिका तक, भारत आज दुनिया की नई उम्मीद है।’ प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन के खतरों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज भारत ही है जो इसके समाधान को नेतृत्व दे रहा है। उन्होंने कहा कि भारत आज पूरी मानवता को योग का रास्ता दिखा रहा हैं और उसे आयुर्वेद की ताकत से परिचित करवा रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम सॉफ्टवेयर से लेकर स्पेस तक, एक नए भविष्य के लिए तत्पर देश के रूप में उभर रहे हैं।’ उन्होंने भारत की इन सफलताओं का श्रेय देश के युवाओं के सामर्थ्य को दिया और बढ़ती जनभागीदारी का जिक्र करते हुए कहा कि पहले जो लक्ष्य असंभव माने जाते थे, भारत उन क्षेत्रों में आज बढ़िया प्रदर्शन कर रहा है। उन्होंने स्टार्टअप का उल्लेख किया और कहा कि इस क्षेत्र में भारत आज दुनिया दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम है और इसका नेतृत्व भी देश के युवा ही कर रहे हैं।

पीएम मोदी के विजन का कमाल: चीन को पछाड़कर उभरते यूनिकार्न में ‘सिकंदर’ बना भारत

यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि का ही कमाल है कि स्टार्ट-अप्स की दुनिया में झंडे गाड़ने के बाद भारत अब उभरते यूनिकॉर्न का ‘बादशाह’ बनने की ओर बढ़ रहा है। पीएम मोदी ने 2016 में जब स्टार्टअप इंडिया योजना की पहल की थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि भारत इतनी जल्दी इस बुलंदी पर पहुंच जाएगा। मोदी सरकार के लगातार प्रोत्साहन मिलने के कारण भारत के नित-नए यूनिकॉर्न स्टार्टअप दुनिया में निरंतर नया मुकाम हासिल करते जा रहे हैं। यही वजह है कि भारत में इन यूनिकॉर्न की संख्या शतक पार करके आगे बढ़ गई है। इन सभी यूनिकॉर्न का कुल वेल्यूएशन 332.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। जिस तरह सरकार स्टार्टअप सेक्टर को सुविधाएं और प्रोत्साहन दे रही है, उससे देश में यूनिकॉर्न बनने वाले स्टार्टअप्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। पीएम मोदी ने 2016 में जब स्टार्टअप इंडिया योजना की पहल की थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि भारत इतनी जल्दी इस बुलंदी पर पहुंच जाएगा। मोदी सरकार के लगातार प्रोत्साहन मिलने के कारण भारत के नित-नए यूनिकॉर्न स्टार्टअप दुनिया में निरंतर नया मुकाम हासिल करते जा रहे हैं। भारत में अब यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या बढ़कर 105 हो गई है। खास बात यह है कि इन 105 यूनिकॉर्न में से 60 से अधिक पिछले दो सालों में ही बने हैं। पीएम मोदी की प्रेरणा से भारत के उद्यमशील युवा अब तेजी से जॉब सीकर की बजाय जॉब क्रिएटर बन रहे हैं।

जनधन योजना से करोड़ों गरीब देश के अर्थतंत्र में हुए शामिल

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद जनधन योजना के माध्यम से करोड़ों गरीबों के बैंक खाते खुलवाकर उन्हें देश के अर्थतंत्र में शामिल करते हुए पीएम मोदी ने जाहिर कर दिया था कि यह सरकार मूल मंत्र ‘सबका साथ सबका विकास के साथ समावेशी विकास के मॉडल को लेकर आगे बढ़ रही है, जिसका उद्देश्य देश के अंतिम व्यक्ति तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाते हुए उसके जीवन स्तर की ऊपर उठाना है। उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, मुद्रा, पी. एम. किसान मान निधि, स्वच्छ भारत, सौभाग्य, आवास, डीबीटी आदि योजनाओं के माध्यम से देश के गरीबों का न सिर्फ आर्थिक सशक्तिकरण, बल्कि उन्हें सम्मान से जीने का अवसर देने का सफल प्रयास मोदी सरकार ने किया है। पहले की सरकारों में भी योजनाएं बनती थीं, लेकिन योजनाओं का पैमाना और उनके क्रियान्वयन की गति मोदी सरकार की विशेषता रही है। अब योजनाओं को संख्या की सीमा में बांधे बिना सभी के लिए बनाया जाता है। स्वतंत्रता के बाद पहली बार पिछले 8 वर्षों में गरीब और पिछड़े लोग देश की सरकार में हितधारक बने और वह देश की अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से जुड़े हैं। यह परिवर्तन देश के नेतृत्व की मजबूती के कारण ही संभव हुआ है।

10 सरकारी बैंकों का विलय मोदी सरकार का अहम आर्थिक कदम

मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को आपस में विलय कर चार बड़े बैंक बनाने का फैसला किया था। सरकार ने देश में विश्वस्तरीय बड़े बैंक बनाने के उद्देश्य से सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों को मिलाकर बड़े बैंक बनाने का कदम उठाया है। इसी के तहत लिए गए निर्णय के बाद इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में और आंध्र बैंक तथा कार्पोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में किया गया। 1 अप्रैल 2020 को 10 बैंकों के विलय से चार बड़े बैंक बने जो देश के वित्तीय क्षेत्र का सबसे बड़ा विलय बताया गया। इस विलय का एक कारण ये भी माना जा रहा है कि किसी भी अच्छी अर्थव्यवस्था (जिनकी जीडीपी काफी अच्छी है) वाले देशों में ज्यादा बैंक नहीं होते हैं। कई देशों में माना जाता है कि अर्थव्यवस्था को सही तौर पर चलाने के लिए पांच से 10 बड़े बैंक भी पर्याप्त हैं। सरकार ने पहले ही बजट में घोषणा की थी, कि वो पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने पर काम कर रही है। मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए जितने कम बैंक होंगे, उतना ही देश को फायदा होगा। इसके पीछे एक अहम कारण ये भी बताया जाता है कि कई सरकारी बैंकों का एनपीए काफी बढ़ गया है। कई बैंकों का एनपीए सात फीसदी के पार जा चुका है। ऐसे में विलय करने से सरकार बैंकों के एनपीए को कम कर सकेगी। अभी सरकारी बैंकों का 88 फीसदी बिजनेस इन 10 बैंकों से चार बैंकों के पास चला जाएगा। इससे इन 10 सरकारी बैंकों का एनपीए पांच से सात फीसदी तक कम होने की उम्मीद है।

देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से सभी सेक्टर्स में सुधार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था तेजी के साथ आगे बढ़ रही है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों और प्रोत्साहन की वजह से अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) के ग्रोथ में भी तेजी दिखाई दे रही है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की एसेट्स ग्रोथ इस वित्त वर्ष में चार साल के उच्चतम स्तर 11-12 प्रतिशत पर पहुंच सकती है। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में यह 5 प्रतिशत रही थी। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 12 सितंबर, 2022 को जारी रिपोर्ट में बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में एनबीएफसी कंपनियों की एसेट्स ग्रोथ 11-12 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। इसमें सबसे बड़ा योगदान वाहन सेगमेंट का हो सकता है। वाहनों के फाइनेंस पर एनबीएफसी ने अपनी आधी पूंजी खर्च की है। वित्त वर्ष 2022-23 में वाहन सेगमेंट में 11-13 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिल सकती है, यह वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 में 3 से 4 प्रतिशत थी। नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) देश के बैंक और बाजार से पैसा उधार लेकर ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्र में छोटा व्यवसाय करने वाले व्यापारियों को कर्ज उपलब्ध कराती है। हाला्ंकि NBFC की ब्याज दर बैंक की अपेक्षा थोड़ी ज्यादा होती है। लेकिन NBFC से कर्ज लेने के लिए लोगों को ज्यादा कागजी कार्रवाई नहीं करनी होती। ऐसे में ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्र में रहने वाले लोगों को आसानी से कर्ज मिल जाता है।

चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 13.5 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ

कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान तनाव, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी जैसी वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने शानदार प्रदर्शन किया है। मोदी सरकार की नीतियों के समर्थन से अर्थव्यवस्था में तेजी जारी है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा बुधवार (31 अगस्त, 2022) को जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था ने अप्रैल-जून तिमाही में एक साल में सबसे तेज वार्षिक वृद्धि दर्ज की। वित्त वर्ष 2022-2023 की पहली तिमाही मतलब 30 जून 2022 तक के 3 महीनों में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 13.5 प्रतिशत रहा। इस तरह कोरोना पूर्व काल यानी वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही के मुकाबले जीडीपी में 3.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालांकि 13.5 प्रतिशत की ग्रोथ अनुमान से कम है, लेकिन भारतीय इकॉनमी की यह दूसरी सबसे ज्यादा ग्रोथ है। इससे पहले पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 20.1 प्रतिशत थी। पहली तिमाही में खपत और निवेश दोनों ही स्तर पर मजबूती से दहाई अंक की बढ़ोतरी दर्ज की गई। भारतीय अर्थव्यवस्था को पिछले साल के कमजोर आधार और महामारी का असर कम होने के बाद उपभोग में सुधार से मदद मिली है। इसके अलावा काबू में आती महंगाई ने भी राहत दी है।

दुनिया की शीर्ष 20 अर्थव्यवस्था के मुकाबले भारत की विकास दर सबसे अधिक

इस तरह भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकॉनमी का ताज पहने हुए है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 13.5 प्रतिशत की ग्रोथ ऐसे वक्त आई है, जब चीन अपनी इकॉनमी को गिरावट से बचाने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रहा है। अगर बाकी दूसरे देशों की वृद्धि‍ दर के लिहाज से देखें तो पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में दुनिया की शीर्ष 20 अर्थव्यवस्था के मुकाबले भारत की विकास दर सबसे अधिक रही। दरअसल वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं मंदी और महंगाई का सामना कर रही हैं। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका की बात करें तो वह औपचारिक रूप से मंदी की चपेट में आ चुका है। जीडीपी में 0.6 प्रतिशत की गिरावट आई। इससे पहले मार्च तिमाही में अमेरिकी इकोनॉमी का साइज 1.6 प्रतिशत कम हो गया था। अगर कोई इकोनॉमी लगातार दो तिमाही में गिरावट का शिकार होती है, तो कहा जाता है कि वह अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ चुकी है। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था भी मंदी में गिरने की कगार पर है। जनवरी तिमाही में ब्रिटिश इकोनॉमी में 0.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी। सभी मैक्रोइकोनॉमिक इंडिकेटर्स से जून तिमाही में भी जीडीपी में गिरावट के संकेत मिल रहे हैं।

अर्थशास्त्रियों की नजर में विकास दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान

ब्रोकरेज फर्म मार्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि 2022-23 में भारत एशिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था बनकर उभर सकता है। मार्गन स्टेनली के अनुसार 2022-23 में भारत की विकास दर का औसत सात प्रतिशत रह सकता है। मोदी सरकार की और से पिछले कुछ सालों में की गई आर्थिक नीति सुधारों, युवा कार्यबल और कारोबारी निवेश से भारत मजबूत घरेलू मांग उत्पन्न करने की स्थिति में है। इससे अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुई है। मार्गन स्टेनली ने अनुमान जताया है कि 2022-23 में एशियाई और वैश्विक विकास में भारत का योगदान 28 प्रतिशत और 22 प्रतिशत रह सकता है। केयरएज रेटिंग्‍स की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक गतिविधियों में सुधार के चलते वित्तवर्ष 2023 की शुरुआत बेहतर हुई है। जीएसटी कलेक्‍शन, ई-वे बिल रजिस्‍ट्रेशन और क्रेडिट ग्रोथ जैसे कई हाई फ्रिक्‍वेंसी इकोनॉमिक इंडिकेटर्स का पहले चार महीने में प्रदर्शन दमदार रहा है। इससे 2022-23 में अर्थव्‍यवस्‍था की विकास दर 7.1 प्रतिशत रह सकती है। रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने साल 2022 में भारत की विकास दर 8.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इसके साथ ही साल 2023 के लिए विकास दर अन्य विकसित देशों से अधिक 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि मजबूत क्रेडिट ग्रोथ, कॉर्पोरेट सेक्टर की बड़े स्तर पर निवेश की घोषणा और सरकार के पूंजी खर्च पर आवंटन बढ़ाए जाने से निवेश में मजबूती आने का संकेत मिलता है। मूडीज ने कहा है कि अगर ग्लोबल क्रुड ऑयल और फूड प्राइस में और बढ़ोतरी नहीं होती है, तो अर्थव्यवस्था में आगे भी तेजी देखने को मिल सकती है।

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