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PM Modi के रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन पर शुरू किया पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का निर्माण, अमेरिका और रूस के पास ही हैं ऐसे स्वनिर्मित फाइटर जेट

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो उनका उद्देश्य सिर्फ बाजार की आत्मनिर्भरता नहीं होता, बल्कि वे आम कुम्हार से लेकर किसान तक, गांवों से लेकर आकांक्षी जिलों तक, विमानन से लेकर रक्षा क्षेत्र तक में चौतरफा आत्मनिर्भरता का विजन देते हैं। पीएम मोदी के विजन पर ही चलते हुए भारत ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का निर्माण शुरू किया है। अपनी हवाई क्षमता में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि के लिए भारत उन्नत सुविधाओं के साथ पांचवीं पीढ़ी के मध्यम वजन वाले लड़ाकू जेट विकसित करने की परियोजना पर काम कर रहा है। परियोजना पर प्रारंभिक अनुमानित खर्च 1500 करोड़ रुपये है।

आत्मनिर्भर भारत: 200 से ज्यादा रक्षा उपकरणों को अब विदेश से नहीं खरीदा जाएगा
मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के महत्व को समझते हुए अहम निर्णय लिए हैं। इसके साथ ही हथियार व उपकरण हासिल करने में जवानों के गौरव और उनकी भावना को ध्यान में रखने की जरूरत है। यह तभी संभव होगा, जब हम इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनेंगे। पिछले दिनों पीएम मोदी ने एक वेबिनार में कहा कि देश में ही रक्षा अनुसंधान, डिजाइन और विकास से लेकर उत्पादन का जीवंत इको-सिस्टम विकसित करने का ब्लू प्रिंट है। इसीलिए रक्षा बजट के लगभग 70 फीसदी हिस्से को केवल स्वदेशी रक्षा उद्योग के लिए रखा गया है। रक्षा मंत्रालय ने अब तक 200 से अधिक रक्षा उपकरणों की सूची जारी की है, जिन्हें अब विदेश से नहीं खरीदा जाएगा। स्वदेशी कंपनियों से रक्षा खरीद के लिए 54 हजार करोड़ रुपये के अनुबंध हो चुके हैं।

तस्वीर बदलने के लिए रक्षा उपकरणों को देश में ही विकसित किया जाना जरूरी
वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में हो रहे बदलावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने का विजन बताते रहे हैं। इसके जरिये कैसे हमारी रक्षा प्रणाली में विशिष्टता और अनोखापन लाया जा सकता है। यदि दस देशों के पास एक ही तरह की रक्षा प्रणाली और उपकरण होंगे तो सेनाओं की अपनी विशिष्टता नहीं होगी। देश में रक्षा उत्पादन की तस्वीर बदलने और सुरक्षा के मूल सिद्धांत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी है कि रक्षा उपकरणों को देश में ही विकसित किया जाए। क्योंकि विदेश से हथियार खरीदने की लंबी प्रक्रिया में नुकसान ही नुकसान है। इसलिए आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया में ही इसका समाधान निहित है।

रक्षा मंत्रालय ने लड़ाकू विमान के डिजाइन और डेवलपमेंट की प्रक्रिया शुरू की
पीएम मोदी के रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता के इसी विजन पर चलते हुए रक्षा मंत्रालय ने उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) के डिजाइन और प्रोटोटाइप डेवलपमेंट के लिए प्रधानमंत्री की अगुआई वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति (सीसीएस) से मंजूरी लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब तक अमेरिका और रूस जैसे देशों के पास ही है पांचवी पीढ़ी के इस तरह के फाइटर जेट बनाने की सुविधा है।परियोजना पर प्रारंभिक खर्च 1500 करोड़ रुपये का अनुमान
रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने परियोजना के बारे में बताया कि अपनी हवाई क्षमता में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि के लिए भारत उन्नत सुविधाओं के साथ पांचवीं पीढ़ी के मध्यम वजन वाले लड़ाकू जेट विकसित करने की परियोजना पर काम कर रहा है। परियोजना पर प्रारंभिक अनुमानित खर्च 1500 करोड़ रुपये है। विश्व में अभी अमेरिका, रूस और चीन जैसे कुछ चुने हुए देशों के पास ही पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान हैं।

देश में पायलटों की कमी नहीं, नौ हजार में से सिर्फ 87 पायलट विदेशी
नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री वीके सिंह ने बताया कि लगभग 9000 पायलटों में से केवल 87 विदेशी पायलट ही विभिन्न भारतीय विमानन कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं। देश में पायलटों की कोई कमी नहीं है। कुछ खास तरह के विमानों पर कमांडरों की कमी है। उन्होंने एक सवाल के लिखित उत्तर में बताया कि भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय अदालतों में एयर इंडिया के खिलाफ 2,657 मामले लंबित हैं। पिछले वर्ष हुए विनिवेश के बाद एयर इंडिया टाटा समूह के नियंत्रण में है।

इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन में नए इतिहास बने हैं।  जो कभी असंभव लग रहा था, वो अब मेड इन इंडिया के तहत मुमकिन हो रहा है। गुरुवार (23 दिसंबर, 2021) को भी एक नया इतिहास रचा गया था। भारत ने 24 घंटे के भीतर लगातार दूसरा अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ का ओडिशा तट के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसके अलावा पूरी तरह स्वदेश में बने हाई-स्पीड एक्सपैंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) ‘अभ्यास’ का भी सफल टेस्ट किया गया। भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब 24 घंटे के भीतर दो बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण हुआ हो। स्वदेशी रूप से विकसित ‘प्रलय’ मिसाइल सतह से सतह पर मार करने वाली है और 150 से 500 किलोमीटर के बीच टारगेट को तबाह कर सकती है। 

‘प्रलय’ प्रणोदक रॉकेट मोटर और अन्य नई तकनीक से लैस

मिसाइल निर्देशक प्रणाली में अत्याधुनिक नौवहन एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे हुए हैं। चीन और पाकिस्‍तान की चुनौतियों को देखते हुए मोदी सरकार ने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया है। इसका नतीजा है कि मेक इन इंडिया के तहत रक्षा उपकरणों का तेजी से अनुसंधान, विकास और उत्पादन हो रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानि डीआरडीओ इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और भारत को रक्षा क्षेत्र में बड़ी मजबूती दे रहा है। गौरतलब है कि डीआरडीओ पिछले कुछ समय से लगातार एक से बढ़कर एक नई अत्याधुनिक बैलिस्टिक मिसाइलों का सफल परीक्षण करता आ रहा है। एलएसी पर चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच डीआरडीओ ने इसी महीने अग्नि-5 समेत कई भारी-भरकम बैलिस्टिक से लेकर क्रूज मिसाइलों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।

‘प्रलय’ से डरे दुश्मन

  • ‘प्रलय’ सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है।
  • इस मिसाइल की पेलोड क्षमता 500-1,000 किलोग्राम है।
  • इसे जमीन के साथ-साथ कनस्टर से भी दागा जा सकता है।
  • 150 से 500 किमी की दूरी पर लक्ष्य को नष्ट कर सकती है।
  • इस मिसाइल को मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है।
  • एडवांस्ड नेविगेशन सिस्टम और एकीकृत एवियोनिक्स से युक्त हैं।
  • इंटरसेप्टर को हराने के लिए MaRV का उपयोग करने में सक्षम है।
  • दूसरे शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में ज्यादा घातक है।

मिसाइलों का टारगेट ‘अभ्यास’ 

डीआरडीओ ने गुरुवार (23 दिसंबर, 2021) को ओडिशा के चांदीपुर तट पर स्वदेशी रूप से विकसित उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यभेदी ‘अभ्यास’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। ‘अभ्यास’ एक बिना पायलट का एरियल टारगेट है। इसका इस्तेमाल कई तरह के मिसाइल को टेस्ट करने में किया जाएगा। इसके साथ ही ‘अभ्यास’ का इस्तेमाल अलग-अलग तरीके की मिसाइल और एयरक्राफ्ट का पता लगाने के लिए हो सकता है। इसमें एक छोटा गैस टरबाइन इंजन लगा है। यह MEMS नेविगेशन सिस्टम पर काम करता है। डीआरडीओ के मुताबिक यह एक बेहतरीन एयरक्राफ्ट है, जो नवीन तकनीक का उदाहरण है और देश की रक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करेगा। जमीन से इसे एक लैपटॉप के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है।

 

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