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लोकतंत्र के लिए महबूबा और उमर से भी ज्यादा खतरनाक हैं ममता बनर्जी

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की छेड़छाड़ (मॉर्फ) से तैयार की गई तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोप में गिरफ्तार बीजेपी की महिला कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर ली है। कोर्ट के फैसले से स्पष्ट है कि प्रियंका के खिलाफ जबरदस्ती मामला बनाया गया। इससे यह भी स्पष्ट है कि बंगाल में आम लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी पर जबरदस्त बंदिशें हैं। आम लोग ही नहीं, राज्य की ममता बनर्जी सरकार जिस तरह राजनीतिक विरोधियों के साथ व्यवहार कर रही हैं, उससे यह भी स्पष्ट है कि उसका लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। ममता के शासन में विरोधियों को चुनाव प्रचार नहीं करने दिया जा रहा। उनके साथ हिंसा हो रही है और सरकार के इशारे पर पुलिस और प्रशासन उल्टे विरोधियों को ही झूठे मामलों में फंसा रहा है। पिछले तीन-चार महीनों में ममता के रवैये को देखकर लगता है कि देश के लोकतंत्र के लिए वे महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला से भी बड़ा खतरा हैं।

ममता के लोकतंत्र विरोधी काम

  • चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि मैं नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री नहीं मानती। बंगाल में राजनीतिक विरोधियों को चुनाव प्रचार से रोका जा रहा है।
  • इस साल फरवरी में पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की जांच के लिए सीबीआई की टीम कोलकाता पहुंची तो उन्होंने सीबीआई टीम को अरेस्ट करने का आदेश दे दिया। राज्य पुलिस ने सीबीआई के दफ्तर पर भी कब्जा कर लिया।
  • पिछले साल ममता बनर्जी सरकार ने राज्य की कानून-व्यवस्था संबंधित खर्च और अन्य चीजों का ऑडिट करने से कैग (CAG) को मना कर दिया था।
  • हाल मे ही ममता ने एनआरसी के मुद्दे पर कहा था, ”बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से निकालने की कोई कोशिश होगी तो ‘गृह युद्ध’ हो जाएगा।”
  • मोदी सरकार ने एक मई, 2017 से लाल बत्ती की गाड़ियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। इसके बावजूद शाही इमाम को लाल बत्ती वाली गाड़ी में घूमने की इजाजत ममता बनर्जी ने दी थी।

महबूबा और उमर अब्दुल्ला से इसलिए तुलना
ये दोनों ही नेता जम्मू-कश्मीर के मामले में कई बार सरकार की नीति से उलट बयान देते रहे हैं। महबूबा मुफ्ती ने थोड़े दिन पहले कहा था कि यदि कश्मीर से धारा 370 हटाया गया तो वह भारत का हिस्सा नहीं रहेगा। महबूबा अक्सर अलगाववादियों और आतंकी संगठनों के पक्ष में बयान देती रही हैं। उमर अब्दुल्ला भी सुरक्षा बलों द्वारा कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई पर सवाल उठाते रहे हैं।

 

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