कांग्रेस सांसद शशि थरूर दस साल पहले दिए अपने ही बयान से घिरते नजर आ रहे हैं। शशि थरूर ने 23 जनवरी, 2010 को ट्वीट कर कहा था कि आस्ट्रेलिया जितने गेहूं की पैदावार करता है उससे ज्यादा हम हर साल खराब कर देते हैं, क्योंकि हमारी स्टोरेज और वितरण व्ययवस्था ठीक नहीं है। उनका कहना था कि निजी क्षेत्र को गेहूं की भंडारण व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए आगे आना चाहिए। इस ट्वीट को लेकर केंद्रीय मंत्रियों के साथ ही बीजेपी नेताओं ने शशि थरूर पर हमला बोला है।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शनिवार को थरूर के पुराने ट्वीट को शेयर करते हुए इसे कृषि कानूनों पर कांग्रेस का पाखंड बताया। 2010 में शशि थरूर ने जो ट्वीट किया, अब कांग्रेस इसके ठीक विपरीत सोचती है। अपने ट्वीट में थरूर किसानों को बिचौलियों से छुटकारा दिलाने और निजी क्षेत्र के अनाज भंडारण में प्रवेश करने की आवश्यकता की वकालत करते नजर आते हैं।
Another exposition of Congress’ hypocrisy on #FarmLaws. Here is a tweet by @ShashiTharoor in 2010… And now #Congress thinks exactly the opposite. pic.twitter.com/5IwOIpeR67
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) February 6, 2021
बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि 2010 से लेकर 2020 के बीच कांग्रेस की राय में परिवर्तन आ गया है। पहले सुधार की वकालत करते थे और अब इसका विरोध। उन्होंने लिखा, इससे कांग्रेस की सोच का पता चल जाता है। बीजेपी सांसद ने हमलावर होते हुए कहा कि कांग्रेस वो पार्टी है जो राष्ट्र निर्माण के प्रयासों को नुकसान पहुंचाने के लिए दुश्मन से भी हाथ मिला सकती है।
Change of opinion from 2010 to 2020 ! From seeking reforms to opposing reforms. Sharply exposing the duplicity of hypocrites who can negotiate with enemies to harm the cause of nation building. https://t.co/o04b3MeZpI
— Meenakashi Lekhi (@M_Lekhi) February 6, 2021
आइए देखते हैं किसानों को लेकर कांग्रेस ने किस तरह अपने दोगले चरित्र का परिचय दिया है।
किसानों से चर्चा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिस कमेटी का गठन किया था, उसमें भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह मान भी शामिल थे। खास बात ये है कि भूपेंद्र सिंह मान खुले तौर पर कांग्रेस का समर्थक माने जाते हैं। यहां तक कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के घोषणापत्र की तुलना कर कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही थी। उन्होंने माना कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में एपीएमसी एक्ट(APMC) को रद्द करने का वादा कर किसान हित को ध्यान में रखा है। लेकिन कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी पर ही सवाल उठा दिया और दबाव डालकर भूपेंद्र सिंह मान को कमेटी से अलग होने के लिए मजबूर कर दिया।
Please see the live telecast of S. Bhupinder Singh Mann Ex MP, National President of BKU, Chairman of All India Kisan Coordination Committee. BKU decides to support @INCIndia
After evaluating the Manifesto of #BJPSankalpPatr2019, INC https://t.co/dvtOFfkuyY— Bhartiya Kisan Union (@BKU_KisanUnion) April 15, 2019
इतना ही नहीं भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुनील जाखड़ को समर्थन किया था। उन्होंने कांग्रेस के समर्थन में तमाम रैलियां और कार्यक्रम भी किए थे।
BKU supports Congress candidates in Punjab. Meeting was organized under leadership of S. Bhupinder Singh Mann Ex MP, National President of BKU, Chairman of All India Kisan Coordination Committee, S. Baldev S Mianpur President BKU Punjab at Batala in support of Sh. Sunil Jakhar ji pic.twitter.com/gna1FDovJF
— Bhartiya Kisan Union (@BKU_KisanUnion) May 11, 2019
2019 के लोकसभा चुनाव घोषणा-पत्र में कांग्रेस ने किसानों से वादा किया था कि एपीएमसी एक्ट(APMC) को रद्द किया जाएगा और किसानों की उपज की खरीद के लिए अतिरिक्त सेट-अप भी तैयार किया जाएगा, जैसा कि नए कानून में प्रस्तावित है। घोषणा पत्र के पेज नंबर 17 के प्वॉइंट नंबर 11 में एपीएमसी एक्ट का जिक्र किया गया है। इसमें साफ-साफ लिखा था, “ कांग्रेस एपीएमसी (एग्री प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी) को निरस्त कर देगी और कृषि उत्पादों के व्यापार की व्यवस्था करेगी… जिसमें निर्यात और अंतर-राज्य व्यापार भी शामिल होगा, जो सभी प्रतिबंधों से मुक्त होगा।” उनका यह घोषणा पत्र अब भी उनकी वेबसाइट पर देख सकते हैं।
घोषणा पत्र के पेज नंबर 18 के प्वॉइंट नंबर 21 में कांग्रेस ने वादा किया था कि वह आवश्यक वस्तु अधिनियम को खत्म कर उसकी जगह ईसीए 1955 के नाम से नया कानून लेकर आएगी। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए मोदी सरकार ने जून 2020 में आवश्यक वस्तु अधिनियम (Essential Commodities Act amended) में ऐतिहासिक संशोधन को मंजूरी दे दी। इसके बाद इसे संसद से पारित करवाया। हालांकि ये अलग बात है कि कांग्रेस अब केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कानून से अलग स्टैंड पर है।
जनता और किसानों के साथ वादाखिलाफी करना कांग्रेस की परंपरा रही है। कांग्रेस ने हमेशा वादा कर किसानों के साथ धोखा किया है। जब मोदी सरकार ने कांग्रेस के वादे की तरह नए कृषि कानूनों में प्रावधान किया है, तो कांग्रेस आज सियासी फायदे के लिए अपने ही वादे से पल्ला झाड़ते हुए किसानों को गुमराह कर रही है। कांग्रेस किसानों को ढाल बनाकर आंदोलन को जिंदा रखना चाहती है, ताकि सरकार और किसानों के बीच टकराव में किसानों की मौत हो और वो अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक सके।