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लॉकडाउन ने थामी कोरोना संक्रमण की रफ्तार, 17 से घटकर हुई 12 प्रतिशत

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कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए मोदी सरकार बड़े-बड़े फैसले ले रही है। जहां मरीजों के इलाज के लिए हर तरह की सुविधाएं मुहैया करा रही हैं, वहीं लोगों को कोरोना की चपेट में आने से बचाने के लिए जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे मुश्किल कदम भी उठा रही है। लॉकडाउन के दौरान लोगों को परेशानी नहीं हो, इसको लेकर मोदी सरकार काफी फिक्रमंद है। आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार दिन-रात काम कर रही है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंत्रियों और अधिकारियों का समूह बनाकर हालात पर पैनी नजर रखे हुए हैं। इसका सकारात्मक असर भी दिखाई दे रहा है। लॉकडाउन की वजह से कोरोना संक्रमण की रफ्तार को थामने में काफी हद तक सफलता मिली है।  

कोरोना संक्रमण की बढ़ोतरी दर में आई कमी 
लॉकडाउन ने 14 दिनों का एक अहम पड़ाव पार कर लिया है। इस दौरान कोविड के मामले 600 से बढ़कर करीब 4,800 तक पहुंचने को हैं, लेकिन मामलों के बढ़ोतरी दर में कमी आई है। लॉकडाउन शुरू होते वक्त संक्रमण की रफ्तार प्रतिदिन 17 प्रतिशत थी, जो घटकर 12 प्रतिशत पर आ गई है। संक्रमण की दर में कमी आना लॉकडाउन का सार्थक होना है। जिन देशों में संक्रमण बढ़ा है, वहां मामले रोजाना 50 से 100 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़े हैं।

तबलीगी जमात का संक्रमण छोड़ने पर रफ्तार की दर 9 प्रतिशत
इस बीच यदि तबलीगी जमात के संक्रमण के मामलों को छोड़ दिया जाए तो बढ़ोतरी की दर में भारी कमी आई है। अब संक्रमण दर 8 प्रतिशत घटकर 9 प्रतिशत रह गई है। दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम के चलते देश में कोरोना वायरस के संक्रमण की रफ्तार में तेजी आई। कार्यक्रम में शामिल जमाती देश के विभिन्न भागों में पहुंचे, जिनसे संक्रमण को बढ़ावा मिला। दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में कोरोना संक्रमण के अधिक मामले सामने आये। दिलचस्प यह है कि इनमें से ज्यादातर लोग तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

तबलीगी जमातियों ने बढ़ाई कोरोना की रफ्तार
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि अगर तब्लीगी जमात की घटना नहीं हुई होती और ये अतिरिक्त मामले सामने न आए होते तो देश में कोरोना मामलों की दर प्रति 7.4 दिन होती। बता दें कि एक से तीन अप्रैल तक 1,162 नए मामले सामने आए, इनमें 56 प्रतिशत (647) तबलीगी जमात से संबंधित थे।

अगले हफ्ते संक्रमण में और कमी आ सकती है
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर जुगल किशोर के अनुसार 14 दिनों के भीतर संक्रमण का चक्र जिस प्रकार से बढ़ता है, उससे बीमारी तेजी से फैलती है और सामुदायिक संक्रमण का भी खतरा पैदा होता है। मौजूदा आंकड़ों को देखकर लगता है कि इन 14 दिनों के दौरान संक्रमण की दर को तेज होने से रोकने में देश सफल रहा है। बल्कि इसमें कमी आई है। अगले सप्ताह संक्रमण में और कमी आ सकती है।

अब तक 124 की मौत
वहीं, देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते मृतकों का आंकड़ा 124 हो गया है और संक्रमित मरीजों की संख्या 4,789 पर पहुंच गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मंगलवार (7 अप्रैल) को शाम छह बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में संक्रमण के 508 नए मामले सामने आए हैं और इस दौरान 13 मरीजों की मौत हुई। देश में 4,312 संक्रमित मरीजों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है, जबकि 353 लोगों को इलाज के बाद स्वस्थ होने पर अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है और एक व्यक्ति विदेश जा चुका है। कुल मामलों में 66 विदेशी नागरिक हैं। मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में मध्य प्रदेश में चार, महाराष्ट्र और राजस्थान में तीन-तीन एवं गुजरात, ओडिशा और पंजाब में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।

आइए एक नजर डालते हैं लॉकडाउन की वजह से किस तरह पर्यावरण में सुधार आया है…

जल की गुणवत्ता में 40 प्रतिशत तक सुधार
लॉकडाउन की वजह से वाराणसी और कानपुर जैसे शहरों में गंगा का जल फिर से निर्मल होने लगा है। दावे के अनुसार, गंगाजल में 35 से 40 प्रतिशत का सुधार देखने को मिला है। कारखानों के बंद होने के चलते गंगा में मिलने वाला दूषित जल नदारद है, जिससे पानी स्वच्छ दिख रहा है। वाराणसी में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने कहा कि गंगा नदी की धारा में ऑक्सीजन का स्तर उल्लेखनीय ढंग से बढ़ गया है और पानी की गुणवत्ता बेहतर हुई है। अब यह पानी नहाने लायक हैं। वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर रहने वालों ने बताया कि लॉकडाउन लागू होने के बाद से गंगा काफी साफ हो गई हैं। यहां सैकड़ों लोग पवित्र डुबकी लगाते थे, यहां कोई भी कचरा डंप नहीं किया जा रहा है। नमामि गंगे मिशन के तहत गंगा में मिलने वाले प्रमुख नालों को भी साफ किया जा रहा है। 

पहली बार देश के 102 शहरों की हवा हुई साफ
लॉकडाउन के दौरान गाड़ियों और फैक्ट्रियों के बंद होने से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। वायु प्रदूषण में कमी आने से लोग शुद्ध हवा में सांस ले रहे हैं। हवा साफ होने से जालंधर से वर्षों बाद धौलाधार रेंज की बर्फीली पहाड़ियां नजर आने लगी हैं। जब देश के शहरों के वायु प्रदूषण की जांच की गई, तो हैरान करने वाले नतीजे सामने आये। शहरों के वायु प्रदूषण में काफी कमी दर्ज की गई। ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत के तमाम शहरों की हवा इतनी ज्यादा साफ-सुथरी हुई है। दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक भी 77 के अंक पर यानि संतोषजनक श्रेणी में रहा।

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