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राहुल से लालू का भी मोहभंग ! विपक्षी दलों में कांग्रेस के खिलाफ सुगबुगाहट

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कांग्रेस अपनी ही जाल में पूरी तरह उलझ चुकी है। देशभर में लगातार घटती लोकप्रियता के बावजूद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्षी एकता के नाम पर अबतक सिर्फ मनमानी ही की है। लेकिन धीरे-धीरे बाकी दलों ने गांधी-नेहरू परिवार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकना शुरू कर दिया है। ताजा और सबसे चौंकाने वाला नाम तो आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव का है। अब उन्होंने भी कह दिया है कि उन्हें राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकार नहीं है।

राहुल से लालू का भी मोहभंग
समाचार पोर्टल oneindia के अनुसार लालू यादव ने इशारों-इशारों में बता दिया है कि अब उन्हें भी राहुल गांधी के नेतृत्व पर भरोसा नहीं रहा। वैसे लालू ने राहुल का नाम तो नहीं लिया है, लेकिन प्रियंका वाड्रा को नेतृत्व संभालने की वकालत करके अपना इरादा जाहिर कर दिया है। शायद अब लालू को भी एहसास हो चुका है कि राहुल गांधी के भरोसे विपक्षी की दाल कभी नहीं गलने वाली। हैरानी वाली बात तो ये है कि लालू ने विपक्षी एकता के लिए प्रियंका के साथ-साथ उनके चर्चित पति रॉबर्ट वाड्रा तक का नाम ले लिया है लेकिन राहुल गांधी को पूरी तरह ठुकरा देने में ही भलाई समझी है।

नीतीश से भी लालू का किनारा
सबसे बड़ी बात है कि लालू ने विपक्षी एकजुटता के लिए मायावती, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी और यहां तक की अपने दोस्त अरविंद केजरीवाल तक का नाम लिया, लेकिन राहुल के साथ नीतीश कुमार को भी भुला दिया। वैसे ये अलग बात है कि घोटालों की गटर में डूबे लालू की सियासी खिचड़ी का अंजाम क्या होगा, लेकिन इतना तो तय है कि न तो बिहार में महागठबंधन में सबकुछ ठीक-ठाक है और न ही वो सोनिया गांधी के थोपे हुए आदेशों को सहर्ष स्वीकार करना चाहते हैं।

राहुल को थोपने की कोशिश से नाराजगी !
सबसे बड़ी बात है कि सोनिया गांधी विपक्ष का नेतृत्व अपने बेटे राहुल गांधी को सौंपना चाहती हैं। जबकि वो राजनीति के हर मोर्चे पर बुरी तरह पिट चुके हैं। जानकारी के अनुसार परोक्ष में कांग्रेस के नेता भी राहुल गांधी की बातों को गंभीरता से नहीं लेते। हर अहम समय में वो राजनीति से भाग खड़े होते हैं। उन्हें सियासत परिवार की विरासत में मिली है और यही वजह है कि उसे उन्होंने टाइमपास बनाया हुआ है। जब उन्हें निजी जीवन से छुट्टी मिल जाती है तो मनोरंजन के लिए राजनीति में आ जाते हैं। लेकिन उनका यही रवैया अब उनकी मां के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है।

सबसे पहले नीतीश ने किया कांग्रेस से किनारा
राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करने के मसले पर साफ हो गया कि नीतीश कुमार सोनिया की हां में हां मिलाने के लिए कत्तई तैयार नहीं हैं। कई विपक्षी दलों की असहमति के बावजूद सोनिया ने मनमर्जी चलाते हुए कांग्रेस की उम्मीदवार का नाम आगे कर दिया। नीतीश को पहले से इसकी भनक थी, इसीलिए उन्होंने उससे कन्नी काट लिया। तब तो लालू यादव, नीतीश कुमार को खूब ज्ञान दे रहे थे। लेकिन अब उन्होंने भी सोनिया गांधी के मन के खिलाफ जाकर बोलने का साहस दिखाया है।

कांग्रेस की चाल से विपक्ष में कुलबुलाहट
दरअसल कांग्रेस जिन नीतियों पर आगे बढ़ रही है, उससे नीतीश कुमार ही नहीं बाकी विपक्षी दलों के नेताओं का भी दम घुट रहा है। कांग्रेस की सियासी जमीन सिमट चुकी है, लेकिन सोनिया-राहुल का बादशाहत वाला अंदाज गया नहीं है। उन्हें लगता है कि वो अपनी मर्जी दूसरे सहयोगी दलों पर वैसे ही थोप सकते हैं, जैसा अबतक करते आए हैं। यही वजह है कि विपक्षी दलों के नेताओं ने अलग-अलग सुरों में बोलना शुरू कर दिया है।

कांग्रेस का हर विरोध हवा हो जाता है
अंग्रेजी समाचार पोर्टल टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार विपक्षी नेताओं को लगने लगा है कि कांग्रेस विरोधी दल की अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभा पा रही है। उसके प्रवक्ता सामान्य मुद्दों पर खूब हंगामा मचाते हैं, लेकिन किन्ही ठोस मसलों पर गंभीर सोच नहीं दिखा पाते हैं। इसीलिए उनका हर विरोध हवा हो जाता है। किसी भी मुद्दे पर वो टिक नहीं पाती।

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