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क्या है केजरीवाल के डर के कारण? इसलिए तो नहीं है सत्येंद्र जैन के गिरफ्तार होने की आशंका!

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आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय यानी ED उनके स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार करने वाली है। सत्येंद्र जैन सीएम केजरीवाल के काफी करीबी है और गिरफ्तारी की आशंका से घबराए हुए हैं। केजरीवाल के बयान के बाद दिल्ली प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा कि लगता है केजरीवाल को मालूम पड़ चुका है की जांच में सत्येंद्र जैन के विरूद्ध गम्भीर साक्ष्य जुट गए हैं। उन्होंने कहा कि सत्येंद्र जैन पर काफी वक्त से जांच चल रही है, ऐसे में अगर उन्होंने कुछ नहीं किया है तो डरना कैसा। नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि यह ब्यान देकर एक ओर केजरीवाल जांच एजेंसी पर गिरफ्तारी ना करने का दबाव बना रहे हैं तो वहीं चुनाव के समय गिरफ्तारी से पूर्व राजनीतिक संवेदना अर्जित करना चाह रहे हैं। इसके साथ ही बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि मंत्री सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी की आशंका को लेकर केजरीवाल जिस तरह से बयान दे रहे हैं लगता है कि वे बेहद घबराए हुए हैं।

आइए जानते हैं सत्येंद्र जैन को लेकर केजरीवाल के डर का कारण क्या-क्या है-

दिल्ली स्वास्थ्य विभाग में हजारों करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता 
साल 2018 में जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली स्वास्थ्य विभाग में हजारों करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता की बात सामने आई। यह अनियमितता आउटसोर्स या कांट्रेक्ट पर रखे गए कर्मचारियों से जुड़ी है। स्वास्थ्य विभाग में 15 हजार कर्मचारियों को आउटसोर्स पर रखा, लेकिन ठेकेदार ने इन कर्मचारियों को ईपीएफ (इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड), इंश्योरेंस और बोनस का लाभ नहीं दिया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और ठेकेदारों के बीच साठ-गांठ के जरिए हजारों करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। इतना ही नहीं कामगारों का शोषण भी किया गया।

करोड़ों की बेनामी संपत्ति का खुलासा
सीबीआई ने हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के विभाग से जुड़ी दिल्ली डेंटल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ ऋषि राज और काउंसिल के वकील प्रदीप शर्मा को 4.73 लाख रुपये रिश्र्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया। मामले में अहम बात यह है कि रजिस्ट्रार के लॉकर से करोड़ों की संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए हैं, जो सत्येंद्र जैन और उनकी पत्नी के नाम पर हैं। जागरण के अनुसार रजिस्ट्रार के लॉकर से सत्येंद्र जैन की तीन संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं। इनमें 12 बीघा दो बिस्वा और आठ बीघा 17 बिस्वा जमीन की खरीद के दस्तावेज और 14 बीघा जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी के कागज हैं। ये जमीनें बाहरी दिल्ली के कराला गांव में हैं। इसके अलावा, सीबीआइ के हाथ दो करोड़ रुपये की बैंक की डिपॉजिट स्लिप बुक भी मिली है। इसके जरिये वर्ष 2011 में रुपये जमा कराये गए थे। यह डिपॉजिट स्लिप जैन, उनके परिवार व उन कंपनियों के नाम हैं, जिनमें जैन निदेशक थे। इसके अलावा, सत्येंद्र जैन व उनकी पत्नी के नाम की 41 चेक बुक भी मिली हैं। आयकर विभाग ने पहले से ही बाहरी दिल्ली में सत्येंद्र जैन की कथित 220 बीघा जमीन बेनामी संपत्ति अधिनियम के तहत जब्त कर रखी है। साथ ही भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई में उनके खिलाफ पहले ही मामला दर्ज है। जांच एजेंसी उनके खिलाफ हवाला ऑपरेटरों से संबंधों और काले धन को सफेद करने के लिए बोगस कंपनियां बनाने के मामले में भी जांच कर रही है।

स्वास्थ्य मंत्री का घोटाला छिपाया!
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ आयकर विभाग की जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। उनपर पर हवाला के जरिए 16.39 करोड़ रुपये मंगाने का आरोप है। इन मामलों में उनकी सघन जांच हो रही है। इसके अलावा जैन पर अपनी ही बेटी को दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक परियोजना में सलाहकार बनाने का भी आरोप है। इस केस की जांच भी सीबीआई के जिम्मे है। शुंगलू कमेटी ने भी इस मामले में दिल्ली सरकार पर उंगली उठाई है। यहां ये बताना आवश्यक है कि केजरीवाल के पूर्व सहयोगी कपिल मिश्रा ने इन्हीं पर केजरीवाल को पैसे देने के आरोप लगाए हैं। मिश्रा के अनुसार जैन ने अपनी करतूतों पर पर्दा डाले रखने के लिए केजरीवाल के किसी रिश्तेदार की 50 करोड़ रुपये की डील भी कराई है।

जेल से बचने के लिए फिर दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे जैन
एक तरह से कहा जाए तो केजरीवाल के चहेते स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने मान लिया कि वो टैक्स की चोरी करते रहे हैं और हवाला के माध्यम से कालेधन को इधर से उधर करना उनका धंधा रहा है। लेकिन, उन्होंने दलील दिया कि उनका जो गोरखधंधा उजागर हुआ है वो बेनामी कानून लागू होने से पहले का है। इसीलिए उनपर मौजूदा कानून के तहत आपराधिक मामला नहीं चलना चाहिए। अंग्रेजी समाचार पोर्टल टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार सत्येंद्र जैन ने दिल्ली हाई कोर्ट से हवाला के जरिए लेन-देन से जुड़े टैक्स चोरी के मामले में हो रही कार्रवाई रोकने की गुहार लगाई। याचिका में जैन की ओर से कहा गया कि उनपर जो आपराधिक धाराएं लगाई गई हैं, वो अवैध कारोबार को अंजाम देते समय अस्तित्व में थी ही नहीं। इसीलिए उनपर से उन धाराओं को हटा लिया जाए। उनके वकील ने अदालत में बताया कि जैन पर मार्च, 2011 से मार्च 2016 के बीच हवाला के जरिए गैर-कानूनी लेन-देन का आरोप है, लेकिन तब Prohibition of Benami Properties Transactions (PBPT) Act लागू नहीं हुआ था। वकील ने अदालत में कहा कि इस कानून की धाराएं नवंबर, 2016 से लागू हुई हैं।

HC से जैन को हाल ही में लगी थी लताड़
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि बेनामी संपत्ति कानून के तहत आयकर विभाग ने उनकी संदिग्ध संपत्तियों को जब्त कर कुछ भी गलत नहीं किया। न्यूज पोर्टल आउटलुक हिंदी के अनुसार आयकर विभाग की कार्रवाई के खिलाफ जैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली HC के जज ने कहा कि, ‘पहली नजर में मेरा मानना है कि आदेश में कुछ भी गलत नहीं है और विभाग के फैसले पर कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करना चाहता।’ कोर्ट ने स्टे देने की जैन की मांग को भी खारिज कर दिया। लेकिन इसके बाद दूसरे बहाने के साथ अदालत पहुंच गए और कानून से बचने के सारे तिकड़म अपनाने लगे।

जैन की संदिग्ध संपत्तियों की जब्ती की मियाद बढ़ी
दरअसल जैसे-जैसे केजरीवाल के इस चहेते मंत्री पर कानून का शिकंजा कस रहा है उनकी छटपटाहट साफ महसूस की जा सकती है। कुछ महीने पहले आयकर विभाग ने Prohibition of Benami Properties Transactions (PBPT) Act के तहत उनकी संदिग्ध संपत्तियों को जब्त किया था। इसके अलावा केजरीवाल की चौकड़ी से अलग हुए पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा के खुलासों ने केजरीवाल और उनके भ्रष्ट गैंग की बेचैनी और बढ़ी रखी है। इसीलिए ये लोग अपनी करतूतों को छिपाने के लिए कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तो कभी विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सियासी नौटंकी को अंजाम देते हैं, तो कभी कानूनी दांव-पेंच आजमा कर अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं।

दवा घोटाला
केजरीवाल सरकार ने अपनी मोहल्ला क्लीनिक का खूब ढिंढोरा पीटा है। वो दावा करते रहे हैं कि गरीब जनता के स्वास्थ्य के ख्याल से उठाया गया ये कदम बहुत फायदेमंद साबित होगा। लेकिन अब पता चल रहा है कि केजरीवाल और उनके गैंग के लोग भले ही इसका फायदा उठा रहे हों, उनकी गंदी नीयत के चलते अब गरीबों की जान पर बन आई है। इसका खुलासा तब हुआ जब 1 जून, 2017 को एसीबी ने दवा प्रोक्योरमेंट एजेंसी के ताहिरपुर, जनकपुरी और रघुवीर नगर स्थित सेंटर के गोदामों पर छापा मारा। एसीबी को यहां से भारी मात्र में एक्सपाइरी मेडिसिन के साथ दवाओं की खरीद-फरोख्त के बिल भी मिले हैं। ये दवा घोटाला करीब 300 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि विवादित सीएम ने अपने खासम-खास और कई घोटालों के आरोपी स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के दबाव में ही दवाई खरीदने का काम मेडिकल सुपरिन्टेंडेन्ट से छीनकर, सेन्ट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी को दे दिया था। यानी लूट के लिए ऊपर से नीचे तक पूरी तैयारी की गई थी।

मोहल्ला क्लिनिक घोटाला
मोहल्ला क्लीनिक को लेकर एबीपी न्यूज ने एक बड़ा खुलासा किया था।
एबीपी न्यूज के अनुसार दिल्ली में आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक वैसे तो लोगों की सुविधाओं के लिए बनाया गया, लेकिन मोहल्ला क्लीनिक की हालत ही ठीक नहीं है। विजिलेंस विभाग इसमें धांधली की जांच कर रहा है। विजिलेंस की जांच का दायरे में दो मुख्य आरोप हैं।

  1. मोहल्ला क्लीनिक परिसर का किराया बाजार किराए से ज्यादा क्यों है?
  2. पार्टी कार्यकर्ताओं के परिसर किराए पर क्यों लिए गए?         

एबीपी न्यूज की पड़ताल में पता चला कि कार्यकर्ता अपने मकान को बाजार दर से दो से तीन गुना ज्यादा किराये पर मोहल्ला क्लीनिक को दिए हुए हैं। इस तरह से मोहल्ला क्लीनिक खोलने में आम आदमी पार्टी के नेताओं को जमकर फायदा पहुंचाया गया। 

जैन के भ्रष्टाचारों को घूसखोर केजरीवाल का संरक्षण !
दरअसल सत्येंद्र जैन पर भ्रष्टाचार के जितने भी आरोप लगे हैं, उसका लिंक कहीं न कहीं उनके विवादित बॉस से जाकर मिल जाता है। शायद यही वजह है कि जैन को संरक्षण देने में केजरीवाल कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। कभी उनके अपने ही कैबिनेट में सहयोगी रहे कपिल मिश्रा ने उन पर जैन से दो करोड़ रुपये की घूस लेने का आरोप लगाया। लेकिन केजरीवाल ने या तो चुप्पी साधे रखी या सीधे सवालों को टाल दिया। इतना ही नहीं कपिल मिश्रा ने उनकी सरकार पर टैंकर घोटाले और दवा घोटाने समेत कई अनगिनत भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, लेकिन केजरीवाल को उनके आरोपों का जवाब देने की हिम्मत नहीं है। ये उस केजरीवाल का हाल है जो कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए जन- आंदोलन से जुड़े करोड़ों देश भक्तों की पीठ में छुरा घोंपकर राजनेता बना है। अब न तो उन्हें अपना भ्रष्टाचार नजर आता है और न ही अपने सियासी गुर्गों को। यही कारण है कि न तो वो आरोपों का जवाब देते हैं और न ही सत्येंद्र जैन जैसे आदमी को सरकार से बाहर करते हैं।

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