Home केजरीवाल विशेष ‘कु’कर्मों का भुगतान करेगी केजरीवाल एंड कंपनी!

‘कु’कर्मों का भुगतान करेगी केजरीवाल एंड कंपनी!

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दिल्ली के विवादित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एंड कंपनी के कुकर्मों की लंबी फेहरिस्त है। लेकिन सबसे बड़ा कुकर्म जनलोकपाल आंदोलन को धोखा देना माना गया। उसके बाद तो अन्ना हजारे की पीठ में भी छुरा घोंप दिया। आम से खास बनने की चाहत ने राजनीतिक महत्वाकांक्षा जगाई और दिल्ली की जनता को झूठे सब्जबाग दिखा अपार समर्थन पा लिया। लेकिन दिल्ली के लोगों ने केजरीवाल एंड कंपनी की नीयत पहचान ली और एमसीडी चुनाव में करारा जवाब दे दिया। पार्टी नेताओं के कुकर्मों की लंबी सूची है, जाहिर है पार्टी की मुसीबतें खत्म नहीं हो रही हैं। अभी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में पार्टी बुरी तरह घिरी हुई है और पार्टी के 21 विधायकों पर तलवार लटकी हुई है। चुनाव आयोग कभी भी अपना निर्णय सुना सकता है।

सुनावाई पूरी, निर्णय की प्रतीक्षा
आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के खिलाफ याचिका डालने वाले वकील प्रशांत पटेल के मुताबिक चुनाव आयोग में सुनवाई पूरी हो चुकी है और आयोग ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। उम्मीद की जा रही है कि अगले सप्ताह फैसला आ सकता है।

21 विधायकों पर ये हैं आरोप :-

  • संसदीय सचिव सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मंत्री के ऑफिस में जगह दी गई है। इस तरह से वे लाभ के पद पर हैं।
  • संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ऐक्ट 1991 की धारा 15 के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति लाभ के पद पर है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है।
  • संसदीय सचिव शब्द दिल्ली विधानसभा की नियमावली में है ही नहीं। वहां केवल मंत्री शब्द का जिक्र किया गया है।
  • दिल्ली विधानसभा ने संसदीय सचिव को लाभ के पद से बाहर नहीं रखा है।

प्रशांत पटेल ने डाली थी याचिका
वकील प्रशांत पटेल ने आप के 21 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए 19 जून, 2015 को राष्ट्रपति के समक्ष पहली याचिका दायर की थी। उन्होंने चुनाव आयोग के मांगने पर अतिरिक्त दस्तावेज जमा किए थे।

क्या कहते हैं नियम
संविधान के अनुच्‍छेद 102(1)(ए) और 191(1)(ए) के अनुसार संसद या फिर विधान सभा का कोई भी सदस्य अगर लाभ के किसी भी पद पर होता है उसकी सदस्यता जा सकती है। यह लाभ का पद केंद्र और राज्य किसी भी सरकार का हो सकता है। जबकि आप ने दावा किया था कि संबंधित अतिरिक्त दस्तावेज दूसरी याचिका है जिन पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए।

आप की दलील
मार्च, 2016 में चुनाव आयोग ने 21 विधायकों को नोटिस भेजकर पूछा था कि आखिर वो कैसे लाभ के पद के दायरे में नहीं आते और क्यों उनकी विधायकी रद्द ना हो। 10, मई 2016 को ‘आप’ विधायकों ने अपना जवाब चुनाव आयोग को भेजा और बताया कि उन्होंने किसी तरह से कोई दफ़्तर, गाड़ी, वेतन भत्ता आदि सरकार से नहीं लिया, इसलिये वो लाभ के पद के दायरे में नहीं आते।


राष्ट्रपति लौटा चुके हैं बिल
राष्ट्रपति उस बिल को पहले ही लौटा चुके हैं जिसके जरिये दिल्ली सरकार 21 संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर निकालने का प्रयास कर रही थी। इस दौरान प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति से विधायकी रद्द करने की मांग की थी, जिसके बाद राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग को कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को कहा।

ये है मामला
13 मार्च, 2015 को दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को मंत्रियों के संसदीय सचिव बनाने की घोषणा की और नोटिफिकेशन जारी कर दिया, जबकि अब तक दिल्ली में सीएम के संसदीय सचिव का पद ही हुआ करता था, मंत्रियों के संसदीय सचिव के पद नहीं थे।

इनकी विधायकी पर खतरा
संसदीय सचिव होने के नाते इन सभी 21 विधायकों पर लटकी है तलवार
1. जरनैल सिंह, राजौरी गार्डन (विधायक पद से इस्तीफा दे चुके)
2. जरनैल सिंह, तिलक नगर
3. नरेश यादव, मेहरौली
4. अलका लांबा, चांदनी चौक
5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा
6. राजेश ऋषि, जनकपुरी
7. राजेश गुप्ता, वजीरपुर
8. मदन लाल, कस्तूरबा नगर
9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर
10. अवतार सिंह, कालकाजी
11. शरद चौहान, नरेला
12. सरिता सिंह, रोहतास नगर
13. संजीव झा, बुराड़ी
14. सोम दत्त, सदर बाजार
15. शिव चरण गोयल, मोती नगर
16. अनिल कुमार वाजपेयी, गांधी नगर
17. मनोज कुमार, कोंडली
18. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर
19. सुखबीर दलाल, मुंडका
20. कैलाश गहलोत, नजफगढ़
21. आदर्श शास्त्री, द्वारका

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