दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जो राजधानी में किसी भी नागरिक के गले नहीं उतर रहा है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार पराली की समस्या को दूर करने के लिए केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के किसानों के खेतों में बायो डी-कंपोजर छिड़काव पर दो साल में सिर्फ 68 लाख रुपए खर्च किए, लेकिन अपना नाम चमकाने के लिए इस दौरान विज्ञापन पर 23 करोड़ रुपए फूंक डाले। जबकि इस योजना से सिर्फ 955 किसानों को ही फायदा मिला।
दिल्ली के सीएम केजरीवाल काम से ज्यादा ढिंढोरा पीटने में विश्वास करते हैं। इसके लिए वे जितने का काम नहीं कराते हैं, उससे कई गुना ज्यादा इश्तिहार पर खर्च कर देते हैं। इसका उदाहरण आप इस बात से भी देख सकते हैं कि केजरीवाल ने सिर्फ 68 लाख रुपये के काम के लिए 23 करोड़ रुपये विज्ञापन पर लुटा दिए। न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने बायो डी-कंपोजर छिड़काव से संबंधित विज्ञापन पर वित्त वर्ष 2020-21 में 15,80,36,828 रुपये यानी करीब 16 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसके साथ ही पाराली के लोकर किसानों में जागरूकता लाने के लिए 56 प्रशिक्षण कार्यक्रमों में कुल 4,69,000 रुपये खर्च किए गए।
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में बायो डी-कंपोजर कैप्सूल खरीदने पर 40,000 रुपये, गुड़ खरीदने पर 27,280 रुपये, बेसन खरीदने पर 8500 रुपये, छिड़काव के लिए किराए के ट्रैक्टर पर 11,61,000 रुपये और टेंट पर 9,60,000 रुपये खर्च हुए। कुल मिलाकर 21,96,780 रुपये यानी 22 लाख रुपये छिड़काव पर खर्च किए गए। यानी साल 2020-21 में केजरीवाल सरकार ने बायो डी-कंपोजर के छिड़काव से करीब 72 गुना ज्यादा खर्च विज्ञापन पर कर दिए। जबकि इससे दिल्ली के सिर्फ 310 किसानों को फायदा हुआ।
इसके बाद दिल्ली सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में बायो डी-कंपोजर सॉल्यूशन खरीदने में 3,04 ,055 रुपये खर्च किए। इसमें गुड़-बेसन की खरीदारी पर 1,04,055 रुपये और बायो डी-कंपोजर कैप्सूल की खरीद पर 2 लाख रुपये खर्च हुए। बायो डी-कंपोजर खरदीने के अलावा छिड़काव करने के लिए किराए के ट्रैक्टर पर 24.62 लाख रुपये और टेंट पर 18 लाख रुपये खर्च किए गए। इस तरह से वित्त वर्ष 2021-22 में दिल्ली सरकार ने बायो डी-कंपोजर के छिड़काव पर करीब 46 लाख रुपये खर्च किए। जबकि इस योजना के विज्ञापन पर केजरीवाल सरकार ने इस दौरान 7,47,26,088 रुपये खर्च कर दिए। जबकि इससे दिल्ली के सिर्फ 645 किसानों को फायदा हुआ। इस तरह दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में बायो डी-कंपोजर के छिड़काव पर जहां सिर्फ 46 लाख रुपये खर्च किए, वहीं इसके विज्ञापन पर करीब साढ़े 7 करोड़ रुपये फूंक दिए।
साफ है कि वित्त वर्ष 2020-21 में बायो डी-कंपोजर के छिड़काव पर जहां 22 लाख रुपये खर्च किए, वहीं 2021-22 में 46 लाख रुपये खर्च किए गए। इस तरह से दो साल में कुल 68 लाख रुपये खर्च हुए। जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में विज्ञापन पर 16 करोड़ और 2021-22 में 7 करोड़ रुपये खर्च हुए। इस तरह केजरीवाल सरकार ने दो साल में विज्ञापन पर कुल 23 करोड़ रुपये लूटा दिए।जबकि इससे साल 2020-21 में 310 और 2021-22 में 645 किसानों यानी दो साल में सिर्फ 955 किसानों को फायदा हुआ।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का फोकस विकास पर कम चेहरा चमकाने पर ज्यादा है। केजरीवाल सरकार ने जनता के पैसे को सिर्फ प्रचार-प्रसार के लिए खर्च किया, वो आंकड़ा चौंकाने वाला है। न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा आरटीआई के जरिए पूछे गए सवाल के अनुसार दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में विज्ञापनों पर कुल 488 करोड़ रुपये खर्च किए। इसके पहले साल 2012-13 में आम आदमी पार्टी सरकार ने 11.18 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च किया। यह आंकड़ा 2013-14 में बढ़कर 25.24 करोड़ हो गया। इसके बाद 2014-15 में यह 11.12 करोड़ रुपये पर आ गया। वहीं 2015-16 में सरकारी कामकाज के प्रचार प्रसार के लिए किए गए विज्ञापन पर 81.23 करोड़ रुपये खर्च किए गए। साल 2016-17 में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने विज्ञापन पर 67.25 करोड़ रुपये खर्च किए तो वहीं 2017-18 में यह आंकड़ा लगभग दोगुना हो चुका था। इस वित्त वर्ष में अरविंद केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन पर 117.76 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। 2018-19 में यह 45 करोड़ रुपये, 2019-20 में करीब 293 करोड़ रुपये और 2020-21 में बढ़कर 242. 38 करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2021-22 पर यह खर्च बढ़कर 490 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
जब दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोग मर रहे थे, केजरीवाल हर दिन विज्ञापन पर खर्च कर रहे थे 71 लाख रुपये
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार विकास पर होने वाले खर्च को केजरीवाल का चेहरा चमकाने के लिए विज्ञापनों पर लूटा दे रही है। हाल ही में आरटीआई से हैरान करने वाला खुलासे में कहा गया कि जब दिल्ली के लोग ऑक्सीजन की कमी से मर रहे थे तब केजरीवाल सरकार हर रोज विज्ञापन पर 71 लाख रुपये खर्च कर रही थी।
बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने आरटीआई से मिली जानकारी के हवाले से केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अप्रैल-जून 2021 के बीच खुद के प्रचार के लिए के लिए 63.86 करोड़ खर्च कर दिए। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, “जब दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोग मर रहे थे, अरविंद केजरीवाल ने अपने प्रचार पर एक दिन में लगभग 71 लाख खर्च किए , जो अप्रैल-जून 2021 के बीच 63.86 करोड़ रुपये है। इन पैसों से कितने ऑक्सीजन प्लांट या बेड की व्यवस्था की जा सकती थी? कितने लोगों की जान बचाई?”
As per RTI, when people were dying in Delhi due to lack of oxygen, Arvind Kejriwal spent approx 71 lakh per day on self promotion, that is a whooping 63.86 crore between Apr-Jun 2021.
How many oxygen plants or beds could have been arranged for the same? How many lives saved? pic.twitter.com/GQdMSDYsy5
— Amit Malviya (@amitmalviya) July 25, 2021
आरटीआई के मुताबिक दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार ने अप्रैल, मई और जून 2021 के महीने में कुल मिलाकर लगभग 63.86 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसमें अप्रैल माह में 3.42 करोड़, मई में 7.77 करोड़ और जून में सबसे अधिक 52.67 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर खर्च किया गया था। आरटीआई में यह भी सामने आया कि यह सारा पैसा अलग-अलग माध्यमों जैसे प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, इंटरनेट एवं अन्य विज्ञापन छापने और प्रचार-प्रसार के लिए इस्तेमाल हुआ था।
इससे पहले भी आरटीआई से पता चला था कि जनवरी 2021 में केजरीवाल सरकार द्वारा विज्ञापनों पर 32.52 करोड़ रुपए, फरवरी में 25.33 करोड़ रुपए और मार्च में 92.48 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। ऐसे हालात में जब कोरोना की दूसरी लहर से राष्ट्रीय राजधानी की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा रही थी, केजरीवाल सरकार ने औसतन हर दिन 1.67 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च किए।
So money spent by @ArvindKejriwal during first 3 months of 2021 on bribing Indian media via ads
Jan: 32.52 cr
Feb: 25.33 cr
Mar: 92.48 crHe spent 1.67 crores per day just on ads.
Imagine the no of oxygen tankers he could have built witt this money? #DilliKaCancer hai ye! pic.twitter.com/zi5VFEB1OK— Alok Bhatt (@alok_bhatt) April 24, 2021
केजरीवाल के कोरोना कुप्रबंधन को चैनल ना दिखाए इसके लिए दिए गए करोड़ो के विज्ञापन!
कोरोना संक्रमण काल में केरल के बाद देश में सबसे ज्यादा खराब स्थिति दिल्ली की थी। पूरी दुनिया में स्वास्थ्य सेवा का ढिंढोरा पीटने वाली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर सिर्फ मोहल्ला क्लिनिक बना पाई। जो इस कोरोना संकट काल में टीकाकरण के काम भी नहीं आ पाई। कोरोना मरीजों को बेड और ऑक्सीजन मुहैया कराने की बात तो दूर की है।
कोरोना संकट काल में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की जगह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिर्फ अपना चेहरा चमकाने में लगे रहे। हेल्थ सेक्टर में पूरी तरह से फेल केजरीवाल सरकार हर चीज के लिए अपना ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ते रहे। केजरीवाल सरकार चाहती है कि अस्पताल केंद्र बनाए, बेड केंद्र मुहैया कराए, दवा केंद्र दे, वैक्सीन केंद्र दे, वेंटीलेटर भी केंद्र दे और ऑक्सीजन भी केंद्र दे…इतना ही नहीं केजरीवाल सरकार चाहती है कि अस्पताल तक ऑक्सीजन पहुंचा भी केंद्र ही दे। केजरीवाल सिर्फ टीवी पर क्रेडिट लेने का काम करेंगे। देश के तमाम चैनल केजरीवाल के विज्ञापनों से भरे पड़े रहते हैं। कोरोना काल में सीएम केजरीवाल ने हर न्यूज चैनल को अपने विज्ञापनों से भर दिया, ताकि वे उनके कोरोना कुप्रबंधन पर सवाल न खड़ा कर सकें।
After so frequent ads on so many channels and websites, Kejriwal has now more widely spread than the corona virus itself. pic.twitter.com/g9IgDhJ55N
— Maithun (@Being_Humor) April 25, 2021
विज्ञापन की जगह कर्मचारियों को समय पर वेतन देते तो कहीं ज्यादा नाम हो सकता है- दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने अप्रैल 2021 में अरविंद केजरीवाल सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि हम देख सकते हैं कि किस तरह से सरकार राजनेताओं की तस्वीरों के साथ अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देती हैं। वहीं, दूसरी तरफ कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दी जाती है। क्या यह अपराध नहीं है कि ऐसे मुश्किल वक्त में भी आप पैसा विज्ञापन पर खर्च कर रहे हैं। अगर आप इन कर्मचारियों को तय वक्त पर तनख्वाह देते तो आपका कहीं ज्यादा नाम हो सकता है।
हाईकोर्ट ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों को बकाया वेतन और पेंशन का भुगतान करने के लिए कहा था। जनहित याचिका में नगर निगमों के द्वारा दिल्ली सरकार से फंड ना मिलने के चलते एमसीडी के हजारों कर्मचारियों को कई महीनों की सैलरी नहीं मिल पाने की बात कही गई थी।
स्पीड ब्रेकर बनवाने पर भी विज्ञापन
पिछले साल 24 जून को सोशल मीडिया पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का एक विज्ञापन काफी वायरल हुआ। इस विज्ञापन में स्पीड ब्रेकर बनाने के लिए सीएम केजरीवाल को बधाई दी गई थी। विज्ञापन वाले पोस्टर में अरविन्द केजरीवाल के फोटो के नीचे लिखा गया है ‘बधाई! सागरपुर सब्जीमंडी के पास स्पीड ब्रेकर का निर्माण किया गया। इस लाइन के नीचे दिल्ली सरकार लिखा हुआ था।
Thank you Kejriwal Ji ?? pic.twitter.com/2ErXKl0UCd
— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) June 24, 2021
And you think fraud by RW has limits. pic.twitter.com/QmGS6u5ML5
— anurag (@anurag876) June 24, 2021
केजरीवाल जैसा विज्ञापन का भूख शायद ही किसी दूसरे नेता को हो। विज्ञापन के माध्यम से अपना नाम छपवाने के पीछे वे इस कदर अंधे हो जाते हैं कि यह भी सुध नहीं रहती कि किसका विज्ञापन है। पिछले दिनों आप सरकार के तीन साल पूरा होने पर केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार का विज्ञापन चुराकर उसमें अरविंद केजरीवाल की तस्वीर लगा दी। जिसकी सोशल मीडिया पर खिंचाई भी हुई थी।